राजा बने अगिया बेताल के मित्र | story of betal

महाराज महेन्द्रसिंह को अपनी प्रजा से बहुत प्यार था । वह पेड़ - पौधों तथा पशु - पक्षियों से भी बहुत प्यार करते थे । महाराज महेन्द्र बचपन से ही महल के चारों ओर लगे बाग - बगीचों और फुलवारी के फूलों की खूब देखभाल करते थे। 

राजमहल के चारों ओर फैले बाग में पक्षियों का चहचहाना सुनकर महेन्द्र खाना - पीना सब भूल जाते । घूम - घूमकर बाग के पक्षियों का फुदकना देखते । राजकाज संभालने के बाद भी उनके प्रकृति प्रेम में कोई कमी नहीं हुई । 

पशु - पक्षियों से तो उन्हें इतना प्यार था कि राजगद्दी पर बैठते ही उन्होंने शिकार पर रोक लगा दी । धीरे - धीरे सारी प्रजा में पशु - पक्षियों तथा पेड़ - पौधों के प्रति लगाव उत्पन्न हो गया । हर आदमी अपने घर के आसपास पेड़ - पौधे , फलों और फूलों को उगाने लगा । 

प्रजा में पशु - पक्षियों तथा पेड़ - पौधों के प्रति प्यार बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष महाराज किसानों तथा जंगल में रहने वाली जन जातियों का सम्मेलन भी करते । उन्हें पुरस्कार भी देते । महाराज महेन्द्र कभी - कभी अकेले घोड़े पर बैठकर दूर तक निकल जाते । 

वह देखते कि कहीं कोई किसी अभाव से दुखी तो नहीं है । गर्मी की तपती दोपहरी थी । महाराज महेन्द्रसिंह अपना घोड़ा दौड़ाते एक ऐसे इलाके में पहुँचे जो एकदम वीराम था , जहाँ दूर तक पानी का नामोनिशान तक नही था । उस वीरान मैदान में केवल एक बूढ़ा बरगद का पेड़ था , जहाँ भूले - भटके पशु - पक्षी तथा राहगीर शरण लेते थे । 

Agiya Betal ki kahani


महाराज महेन्द्र अपना घोड़ा बरगद के पेड़ के नीचे खड़ाकर चारों तरफ देखने लगे । बरगद के नीचे दो - चार छोटे - छोटे जीव जंतु और पशु - पक्षी भी प्यास से तड़पकर मरे दिखाई दिये । वहाँ का दृश्य देखकर महाराजा महेन्द्र का दिल दहल उठा । वह घोड़े पर बैठे और राजमहल लौट आए । 

महल आकर महाराज ने महामंत्री को बुलाया और उस निर्जन स्थान पर बूढ़े बरगद के पास एक सुंदर सरोवर खुदवाने का आदेश दिया । रात - दिन सरोवर की खुदाई होने लगी । बरसात आरंभ होने से पहले ही सरोवर तैयार हो गया । महाराज स्वयं दिन - रात वहाँ रहकर खुदाई का काम देखते थे । 

बरसात के होते - होते सरोवर पानी से भर गया । उसमें रंग - बिरंगे कमल खिल उठे । सरोवर के चारों तरफ विभिन्न प्रकार के रंग - बिरंगे फूलों के पौधे लगाए गए । जल्दी ही पूरा मैदान पेड़ - पौधों से लहलहाने लगा । बूढ़े बरगद में भी नए पत्ते निकल आए । बरगद चिड़ियों की आवाज से गूंजने लगा । 

अब यह स्थान बहुत रमणीक बन चुका था । महाराज ने अपने विश्राम के लिए सरोवर के तट पर एक सुंदर फूस का घर बनवाया । जब भी मन होता महाराजा वहाँ चले जाते । कभी - कभी रात में वहीं विश्राम करते । 

बरसात बीत चुकी थी । महाराज महेन्द्र एक रात सरोवर के तट पर ही रुके थे । रात में महाराज सरोवर के तट पर लगी वाटिका में टहल रहे थे । इतने में एक भारी - भरकम आदमी महाराज के सामने आकर खड़ा हो गया । उसकी सफेद लम्बी दाढ़ी थी । कपड़े भी सफेद थे । 

इतनी रात गए उस आदमी को देख महाराज ने पूछा " कहो भाई , तुम कौन हो और क्यों आए हो ? " महाराज के मुँह से इतना सुनते ही वह सिर उठाकर हँसते हुए बोला- " यही बात तो मैं आपसे पूछना चाहता हूँ । आप कौन हैं ? " " मेरा नाम महेन्द्र सिंह है और मैं शिवगढ़ रियासत का राजा हूँ । " - 

बेताल कितने प्रकार के होते हैं

महाराज ने कहा । - " महाराज , मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए । में अगिया बेताल हूँ । वर्षों से इस बूढ़े बरगद पर रहता हूँ । इस वीराने में पानी की एक - एक बूँद के लिए लोग तथा पशु - पक्षी तरस जाते थे । इस बूढ़े बरगद में थोड़ा - थोड़ा पानी डालकर जिला रहा था । वरना यह बरगद भी अब तक सूख गया होता । 

तब राजन , न जाने में कहाँ होता । आपने इस जगह को हरा - भरा बना दिया है । अब यहाँ कोई प्यासा नहीं मरता । मैं आप जैसे कर्मवीर और प्रजा पालक राजा से बहुत प्रसन्न हूँ । मैं आपसे केवल इतना कहने आया हूँ कि जब मेरी जरूरत हो , आप मुझे याद करें । 

मैं तुरन्त हाजिर हो जाऊँगा । आपकी सेवा करने में मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी । यह " कहकर अगिया बेताल अदृश्य हो गया । महाराज महेन्द्र हक्के - बक्के ही रह गए । दूसरे दिन महाराज राजमहल लौट आए । राज - काज के कामों में अगिया बेताल को भूल गए । कुछ ही दिन बाद महाराज महेन्द्रसिंह के राज्य में हैजा फैल गया । लोगों में त्राहि - त्राहि मच गई । 

महाराज का खाना - पीना भी छूट गया । वैद्य , हकीम सभी परेशान हो उठे । एक रात महाराज को एकाएक अगिया बेताल की याद आई । उसकी याद करते ही आंधी की तरह अगिया बेताल महाराज के सामने हाजिर हो गया । 

बोला- " महाराज की जय हो । क्या हुक्म है ? " अगिया बेताल के इतना पूछते ही महाराज महेन्द्र का धैर्य छूट गया । बोले- " बेताल ! पूरे राज्य में त्राहि - त्राहि मची है । प्रजा के कष्ट के कारण लगता है कि अब मैं भी नहीं बचूँगा । क्या तुम मेरी कोई मदद कर सकते हो ? " 

महाराज की बात सुनकर अगिया बेताल तड़क कर बोला " केवल इतनी - सी बात है महाराज ? " " बेताल ! मेरे लिए प्रजा का ठीक रहना जरूरी है । मैं आज तक बड़े - बड़े शत्रुओं से लोहा लेने में नहीं घबराया लेकिन इस महाभारी ने मुझे परेशान कर दिया है । मैंने बड़ी उम्मीद से तुमको याद किया है । '

बेताल फिर अट्टहास कर बोला- " महाराज , अब आप बिल्कुल निश्चित हो जाइए , चौबीस घंटे में सब कुछ सही हो जाएगा । " यह बोलकर बेताल अदृश्य हो जाता है । अगिया बेताल सम्पूर्ण  बेतालों का बादशाह था । उसने पुरे बेतालों को बुलाया और आदेश दे डाला के शिवगढ़ राज्य से चौबीस घंटे के अंदर में ही बीमारी को भगा देना है ।

फिर क्या था , सारे बेताल वैद्य - हकीम बनकर घर - घर पहुँच गए । एक - एक मरीज पर कई - कई बेताल जुट गए । तीसरे दिन बीमारी एकदम गायब हो गई । हर घर में वैद्य - हकीम देख प्रजा गद् - गद् हो उठी । बीमारी का सफाया होते ही सारी प्रजा महाराज महेन्द्र का जय - जयकार करने लगी । उसी समय से अगिया बेताल महाराज महेन्द्र का घनिष्ठ मित्र बन गया । महाराज भी उसे जी - जान से चाहने लगे । 

बेताल से जुडी और भी कुछ बातें 

अगिया बेताल का अर्थ (agiya betaal ka arth)

"अगिया बेताल" दो हिंदी शब्दों से मिलकर बना हुआ है। "अगिया" शब्द का अर्थ होता है "आगे बढ़ना" या "आगे बढ़ने वाला" और "बेताल" शब्द का अर्थ होता है "विचित्र" या "अजीब"। इसी प्रकार समझा जा सकता है कि "अगिया बेताल" का अर्थ होता है "विचित्र राह या मार्ग जो आगे बढ़ता है"।

"अगिया बेताल" शब्द सबसे अधिक प्रसिद्ध हिंदी फोल्कलोर में से एक है। इसे भारतीय पौराणिक कथाओं और लोक कथाओं में भी दिखाया गया है। अगिया बेताल एक विचित्र पक्षी होता है जो एक परी के आदेश के अनुसार राजा विक्रमादित्य के आस-पास घूमता है। राजा विक्रमादित्य के पास रहते हुए, अगिया बेताल ने उससे कुछ सवाल पूछे जो कि मोटी चालू थोड़ी अजीब होते हैं। इसके उत्तर देने के बाद, अगिया बेताल अपने पंखों पर उड़ जाता है और राजा विक्रमादित्य को नए सवालों के साथ उसी जगह छोड़ जाता है जहां उसे मिला था।

बेताल क्या होता है (betaal kya hota hai)

बेताल कथाएं क्या हैं:बेताल एक प्रसिद्ध कथावाचकीय चरित्र है जो भारतीय लोक कथाओं में पाया जाता है। बेताल एक विद्वान वेताल नामक भूत से जुड़ा हुआ है जो एक वेद पाठक राजा से अनेक कहानियों को सुनाता है। इन कहानियों में राजा के विभिन्न नैतिक संदेश और जीवन के मूल्यों को समझाया जाता है। यह कहानियाँ बहुत ही रोचक और शिक्षाप्रद होती हैं।

अष्ट बेताल साधना (asht betaal saadhana)

अष्ट बेताल साधना एक तांत्रिक क्रिया है जो कि बहुत पुराने समय से चली आ रही है। इस साधना का उद्देश्य होता है कि उससे आप अपनी मनोशांति बनाएं रख सकें और अपनी मनोकामनाओं को पूरा कर सकें। अष्ट बेताल साधना के नाम अष्टांग बेताल से प्राप्त हुआ है, जो कि इस साधना में उपयोग किए जाने वाले आठ भेद हैं।

अष्ट बेताल साधना के लिए आपको एक सुक्ष्म उपयोगी वस्तु, जैसे एक छोटी सी मूर्ति, की आवश्यकता होती है जिसे आप ध्यान में रख सकते हैं। यह साधना आपको संज्ञान की स्थिति में ले जाती है जो आपको आंतरिक शांति देती है।

अष्ट बेताल साधना के आठ भेद हैं जो इस प्रकार हैं:

  • सिद्धिबुद्धि भेद
  • वशीकरण भेद
  • आकर्षण भेद
  • उच्चाटन भेद
  • विद्यासम्पत्ति भेद
  • रोगनाश भेद
  • संवारण भेद
  • मरण भेद

ये आठ भेद अलग-अलग साधनों का वर्णन करते हैं जो अष्ट बेताल साधना के अंतर्गत आते हैं। 

राजा विक्रम बेताल (raaja vikram betal)

राजा विक्रम बेताल एक प्रसिद्ध कथा है जो पूरे भारत में जानी जाती है। इस कथा के मुताबिक एक राजा विक्रमादित्य नाम का शासक था, जो वेताल के विषय में अपने विद्वता का प्रदर्शन करता था।

कहानी के अनुसार, राजा विक्रमादित्य के सामने एक वेताल उपस्थित होता है जो उसे एक प्रश्न पूछता है। जब राजा उस प्रश्न का उत्तर देता है, तो वेताल अपनी कथा सुनाता है। इस कथा के बाद वेताल राजा को एक दूसरा प्रश्न पूछता है जो उसे उत्तर देना होता है, ताकि वह अपनी समस्याओं का समाधान कर सके। लेकिन जब राजा उस प्रश्न का उत्तर देता है, तो वेताल अपने पहले स्थान पर लौट जाता है।

इस कथा में वेताल एक चतुर और शातिर चरित्र होता है जो राजा को अपनी कथाओं के माध्यम से सीख देता है। इस कथा में ज्ञान, धर्म और नैतिकता के महत्व को बताया जाता है। इस कथा को लोग अपने बच्चों को भी सुनाते हैं जो इससे अपने जीवन में नैतिकता का महत्व सीखते हैं।

बेताल कितने प्रकार के होते हैं (betaal kitane prakaar ke hote hain)

बेताल (Vetal) के कुछ लोग कहते हैं कि यह एक प्रकार का प्रेत होता है जो मृतकों के शरीरों पर आवास करता है। जब किसी मृतक का शव जंगल में मिलता है, तो बेताल उसे अपने वश में कर लेता है और उसके साथ बातचीत करता है।

दूसरी ओर कुछ लोग बेताल को एक प्रकार का भूत मानते हैं जो लोगों के ऊपर उनके अच्छे और बुरे कर्मों के बारे में जानने के लिए प्रेरित करता है। इस प्रकार के बेताल बताते हैं कि जीवन में नैतिक और धार्मिक उत्कृष्टता की प्राप्ति के लिए हमें अपनी मन की शुद्धि और सामर्थ्य को बढ़ाना चाहिए।

इन दोनों परिभाषाओं में से कोई एक नहीं ठीक होती है और यह विवादित विषय होता है। लेकिन बेताल की कथाएं बहुत लोगों के बीच पूरे भारत में लोकप्रिय होती हैं और इन्हें लोग अपने बच्चों को सुनाकर नैतिकता और धार्मिकता सिखाने का भी एक सशक्त माध्यम मानते हैं।

बेताल की शक्ति (betaal kee shakti)

बेताल को अनेक शक्तियों से लबालब किया जाता है। कुछ लोग इसे मनुष्यों की भावनाओं को समझने और दूसरों के मन में विचार पैदा करने की शक्ति से लबालब करते हैं। दूसरे लोग इसे अद्भुत शक्तिशाली जानवर के रूप में मानते हैं, जो जंगल में रहता है और बातचीत करता है।

हालांकि, बेताल की शक्ति को लेकर कोई निश्चित जानकारी नहीं है। यह एक पौराणिक कथा है जिसे लोगों ने अपने संस्कृति, सामाजिक और धार्मिक मूल्यों के आधार पर बनाया है। इसे लोगों के बीच नैतिक और धार्मिक सन्देशों को समझाने के लिए एक माध्यम के रूप में भी उपयोग किया जाता है।

बेताल आदि को वश में रखने की विद्या (betaal aadi ko vash mein rakhane kee vidya)

बेताल को वश में रखने की विद्या को तंत्र शास्त्र में "बेताल वशीकरण" कहा जाता है। इस विद्या के माध्यम से बेताल को अपनी इच्छानुसार वश में किया जा सकता है।

यह विद्या पूर्व समय से ही प्रचलित है। इसका उपयोग अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इस विद्या को अंशकालिक उपाय के रूप में उपयोग किया जाता है। कुछ लोग इस विद्या का उपयोग अपने व्यापार और धन सम्बंधी मुद्दों को हल करने के लिए करते हैं।

हालांकि, इस विद्या का उपयोग करने से पहले इस बारे में अच्छी तरह से जानकारी होनी चाहिए और इसका उपयोग अधिकतम सावधानी बरतते हुए किया जाना चाहिए।

अगिया बेताल साधना मंत्र (agiya betaal saadhana mantr)

अगिया बेताल साधना मंत्र तंत्र शास्त्र के अन्तर्गत आता है जो विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध होते हैं। इन मंत्रों का उपयोग सम्पूर्ण सावधानी और ज्ञान के साथ करना चाहिए।

मैं आपको यह सलाह दूंगा कि इन मंत्रों का उपयोग करने से पहले आप एक विशेषज्ञ या विद्वान की सलाह लें जो इस विद्या के अधिकारी होते हैं। इस तरह के मंत्रों का उपयोग अनुचित तरीके से किया जाने पर अनुकूल प्रभाव नहीं होता है बल्कि उससे नुकसान हो सकता है।

बेताल वशीकरण मंत्र (betaal vasheekaran mantr)

बेताल वशीकरण मंत्र तंत्र शास्त्र का एक विशेष अंश है और इसे उचित ज्ञान और विधि के साथ ही किया जाना चाहिए। इसमें अनुचित प्रयोग से अनुकूल फल नहीं मिलता है बल्कि उससे नुकसान हो सकता है।

मैं आपको यह सलाह दूंगा कि ऐसे उपायों से दूर रहें और इस तरह के किसी भी अनुचित प्रयोग से बचें। यदि आपके पास किसी प्रकार का समस्या है तो उसे हल करने के लिए समाज सेवा के अनेक उपाय उपलब्ध हैं।

बेताल साधना (betaal saadhana)

बेताल साधना एक प्राचीन तंत्र शास्त्र है, जिसका उद्देश्य अपनी इच्छानुसार बेताल के सहायता से भविष्य की घटनाओं का ज्ञान प्राप्त करना होता है। यह साधना एक दुर्लभ तंत्र शास्त्र है जिसे सीखने के लिए बहुत धैर्य और अभ्यास की आवश्यकता होती है।

बेताल साधना में कुछ महत्वपूर्ण उपकरणों का उपयोग किया जाता है जैसे कि माला, दीपक, चमेली के फूल आदि। साधक को इन उपकरणों का उपयोग विशेष विधि और अभ्यास के साथ करना होता है।

बेताल साधना के द्वारा साधक अपने मन को शुद्ध करके अपनी इच्छा के अनुसार बेताल के सहायता से ज्ञान प्राप्त करता है। इस साधना को सीखने के लिए आपको एक गुरु या उच्च स्तरीय विद्वान की मार्गदर्शन लेना चाहिए।

ध्यान रखें कि तंत्र शास्त्रों का अनुचित उपयोग करना अवैध है और असंगत है। इसलिए, बेताल साधना या किसी भी तंत्र शास्त्र का अवश्य उपयोग करने से पहले, आपको एक ज्ञानी गुरु या विद्वान से परामर कर लेना चाहिए.

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