बहुत समय पहले की बात है। बुद्धिमान बंदर की कहानी एक घने जंगल में एक बुद्धिमान बंदर रहता था। वह न केवल तेज़-तर्रार था, बल्कि बहुत चतुर भी था। उसकी मित्रता नदी में रहने वाले एक मगरमच्छ से थी। दोनों अक्सर नदी किनारे बैठकर बातें किया करते। मगरमच्छ अपनी पत्नी और परिवार के बारे में भी बातें करता।
एक दिन मगरमच्छ की पत्नी ने उससे कहा, "तुम्हारा वह बंदर दोस्त कितना अच्छा और ताज़ा फल खाता है। अगर उसका दिल हमें खाने को मिल जाए, तो यह बहुत स्वादिष्ट होगा।" मगरमच्छ अपनी पत्नी की बात सुनकर हैरान रह गया। पहले तो उसने मना कर दिया, लेकिन बार-बार ज़िद करने पर वह मान गया।
अगले दिन मगरमच्छ ने बंदर से कहा, "मित्र, मैं तुम्हें अपने घर ले चलना चाहता हूँ। मेरी पत्नी तुमसे मिलना चाहती है।" बंदर को लगा कि यह तो बहुत अच्छा अवसर है। मगर उसे तैरना नहीं आता था। मगरमच्छ ने कहा, "तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ। मैं तुम्हें नदी पार करा दूंगा।"
बंदर खुशी-खुशी मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। जैसे ही वे नदी के बीच में पहुंचे, मगरमच्छ ने बंदर से कहा, "मुझे तुमसे एक बात कहनी है। मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है। इसलिए मैं तुम्हें अपने घर ले जा रहा हूँ।"
बिल्ली और बंदर की कहानी (billi aur bandar story in hindi)
बंदर यह सुनकर घबरा गया, लेकिन उसने अपनी घबराहट छुपाते हुए कहा, "मित्र, यह तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन मैं अपना दिल पेड़ पर ही छोड़ आया हूँ। अगर तुम मुझे वापस ले चलो, तो मैं अपना दिल ले आता हूँ।"
मगरमच्छ उसकी बातों में आ गया और उसे वापस किनारे पर ले आया। जैसे ही मगरमच्छ ने किनारे पर बंदर को छोड़ा, बंदर तुरंत पेड़ पर चढ़ गया और हँसते हुए बोला, "मित्र, दिल तो शरीर के अंदर होता है। तुमने अपनी चतुराई से ज्यादा मेरी चतुराई देखी। अब जाओ और अपनी पत्नी से कहना कि तुमसे धोखा हो गया।"
मगरमच्छ को अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन अब वह कुछ नहीं कर सकता था। उसने बंदर से माफी मांगी, और बंदर ने भी उसे माफ कर दिया। लेकिन उसने यह तय किया कि अब वह कभी मगरमच्छ के साथ दोस्ती नहीं करेगा।
शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि संकट के समय में बुद्धिमानी और चतुराई से ही समाधान निकाला जा सकता है।