बच्चों की कहानी। पत्थर का असली मूल्य

 

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   बच्चों की कहानी एक बार।  एक छोटे से शहर में एक साधु महाराज आए।  बहुत से दुखी लोग उनके पास उनका आशीर्वाद लेने आते थे।  श्यामा उनमें से एक थीं।  साधु महाराजजी ने उससे कहा, मैं बहुत गरीब हूं, मुझ पर बहुत कर्ज है और मैं बस इतना समझता हूं कि अब मेरा जीवन डूबने वाला है।  मैं चाहता हूं कि आपकी कुछ कृपा मुझ पर बनी रहे।


   ऋषि को श्यामा पर दया आ गई।  उसने एक चमकीला नीला पत्थर देते हुए कहा, "यह बहुत कीमती पत्थर है"।  बाजार में अच्छे दामों पर बेचकर अपना सारा कर्ज चुका दें और बचाए गए पैसों से खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करें।  अब यह आपके ऊपर है कि आप इसे कितने में बेच सकते हैं।


   श्यामा पत्थर लेकर वहां से निकली, पहले उसने सब्जी वाले को पत्थर दिखाया और कहा: इसे रख लो, यह बहुत कीमती पत्थर है।  आप इसके लिए क्या कीमत चुकाएंगे?  सब्जी वाले ने देखा तो बोला कि यह तो छोटा पत्थर लग रहा है।  हालाँकि, मैं आपको इसके लिए सौ रुपये दे सकता हूँ।  यह सुनकर श्यामा निराश हो गए और अपना पत्थर लेकर चले गए।  अब वह एक फल वाले के पास गया, फल वाले को ज्ञान था, उसने कहा कि महात्मा ने तुम्हें यह पत्थर यूं ही दे दिया, यह कोई बहुत महंगा पत्थर नहीं है, मैं फिर भी तुम्हें एक हजार रुपये दे सकता हूं।  यह सुनकर श्यामा निराश हो गए और सोचने लगे कि इस पत्थर से मेरा कर्ज तो नहीं उतरेगा।


   अब वह पंसारी के पास पहुंचा और उसे वह पत्थर दिखाया।  दुकानदार ने कहा, हालांकि यह कोई खास पत्थर नहीं है, लेकिन अगर आप चाहें तो मैं आपको दस हजार रुपये दे सकता हूं।  यह सुनकर श्यामा के चेहरे पर थोड़ी खुशी आ गई, लेकिन वह सोचने लगे कि इससे मेरा पूरा कर्ज नहीं उतरेगा और इसे बेचकर क्या किया जाए।


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   अब श्यामा उस क्रॉकरी वाले के पास गई जो उसका परिचित था।  उसने नीले चमकते पत्थर को देखा और कहा।  यह कोई विशेष रत्न भी हो सकता है।  इसके लिए मैं आपको एक लाख रुपए तक दे सकता हूं।  यह सुनकर श्यामा अब सोचने लगी कि यह हो सकता है या नहीं, इसकी कीमत इससे कहीं अधिक होगी।




   समझ लो कि इससे मेरा कर्ज उतर जाएगा और वह वह पत्थर लेकर चला गया।  इस बार श्यामा ने जौहरी के पास जाकर उस पत्थर को देखा और जौहरी ने कहा कि यह तो बहुत महंगा है।  काफी सोच-विचार के बाद पांच लाख रुपये देने की बात कही।  यह कीमत सुनकर श्यामा खुशी से उछल पड़ीं और सोचने लगीं कि यह कीमत तो बड़ी शानदार है।  लेकिन उसे मन ही मन सोचना पड़ा कि यह संभव हो या न हो, इसका मूल्य इससे अधिक भी हो सकता है।

बच्चों की कहानी




   अब वह वह बेशकीमती पत्थर लेकर हीरा व्यापारी के पास गया।  वह पहले ही समझ गया था कि यह कोई साधारण पत्थर नहीं है।  हीरा व्यापारी ने उस पत्थर को देखा और आश्चर्य से बोला:- कहाँ से लाया?  यह बहुत कीमती है।  व्यापारी के चेहरे पर भाव देखकर श्यामा समझ गया कि अब वह पत्थर लेकर सही जगह आ गया है।


   हीरा व्यापारी ने अपने माथे पर पत्थर को छुआ और पूछा।  - बताओ, कितने रुपये लगते हैं?  यह सुनकर श्यामा ने कहा:  आप इसके लिए कितना भुगतान करेंगे?  व्यापारी ने कहा दस लाख रुपये।  श्यामा पत्थर की कीमत समझ चुके थे, बोले, "दस नहीं, बीस लाख लूँगा। बोलो, मानोगे?"  फिर कुछ बातचीत के बाद आखिरकार वह पत्थर पंद्रह लाख में बिक गया।  व्यापारी मन में सोचने लगा: चलो सस्ते में सौदा कर लेते हैं।

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