मुर्गा और लोमड़ी की कहानी बच्चों को चतुराई और सतर्कता का महत्त्व सिखाती है। यह कहानी इस प्रकार है:
एक समय की बात है, एक गाँव के पास एक बड़ा पेड़ था, जिसकी ऊँची शाखाओं पर एक मुर्गा रहता था। वह हर सुबह अपनी मधुर आवाज़ में बाँग देता और गाँव के लोग उसकी आवाज़ सुनकर जाग जाते। मुर्गा अपनी तेज बुद्धि और सतर्कता के लिए प्रसिद्ध था।
लोमड़ी का लालच
एक दिन, एक भूखी लोमड़ी उस पेड़ के पास से गुजरी। उसने मुर्गे को देखा और उसके मुँह में पानी आ गया। लोमड़ी ने सोचा, "यह तो मेरा स्वादिष्ट भोजन हो सकता है। पर इसे पकड़ना आसान नहीं होगा, मुझे कुछ चालाकी करनी पड़ेगी।"
लोमड़ी की चालाकी
लोमड़ी ने पेड़ के नीचे खड़े होकर मीठी आवाज़ में कहा,
"अरे मुर्गे भैया, तुम कितने सुंदर हो! तुम्हारी आवाज़ तो इतनी मधुर है कि जंगल का हर जीव तुम्हें सुनकर खुश हो जाता है। मैं तो तुम्हारी बाँग सुनने के लिए ही यहाँ आई हूँ। क्या तुम अपनी सुंदर आवाज़ में एक गाना नहीं गाओगे?"
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मुर्गा समझ गया कि लोमड़ी उसे धोखा देकर पकड़ना चाहती है। उसने सोचा कि वह भी चालाकी से लोमड़ी की योजना को विफल करेगा।
मुर्गे की चतुराई
मुर्गा लोमड़ी से बोला,
"धन्यवाद, लोमड़ी बहन! लेकिन आज सुबह मैंने सुना कि जंगल में एक शांति संधि हुई है। अब हर जानवर एक-दूसरे से दोस्ती करेगा और किसी को नुकसान नहीं पहुँचाएगा। क्या तुमने भी यह खबर सुनी है?"
लोमड़ी चौंक गई और बोली,
"नहीं, मैंने तो यह खबर नहीं सुनी। लेकिन अगर ऐसा है तो यह तो बहुत अच्छी बात है।"
मुर्गा बोला,
"हाँ, मैंने यह खबर अपने दोस्तों से सुनी थी। और वे सभी यहाँ आ रहे हैं। देखो, वहाँ पीछे शिकारी कुत्ते भी आ रहे हैं। अब सब दोस्त बनकर रहेंगे।"
लोमड़ी का भागना
शिकारी कुत्तों का नाम सुनते ही लोमड़ी डर गई। उसने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन कोई कुत्ते नहीं थे। फिर भी डर के मारे वह तुरंत वहाँ से भाग गई।
कहानी की शिक्षा
मुर्गा अपनी चतुराई और सतर्कता से अपनी जान बचाने में सफल रहा। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है:
चतुराई और धैर्य से बड़ी से बड़ी समस्या को हल किया जा सकता है।
धोखेबाजों की मीठी बातों में नहीं आना चाहिए।
संकट के समय में दिमाग ठंडा रखकर ही सही निर्णय लिया जा सकता है।