यह एक प्रसिद्ध कहानी है,कौवा और लोमड़ी की कहानी" जो पंचतंत्र से ली गई है। यह हमें चतुराई और चापलूसी से बचने की सीख देती है।
कहानी:
एक दिन की बात है, एक कौवा एक पेड़ की डाल पर बैठा हुआ था। उसके पास एक रोटी का टुकड़ा था, जिसे उसने किसी घर से चुरा लिया था। वह बड़ी खुशी से रोटी का आनंद लेने ही वाला था कि अचानक एक चालाक लोमड़ी वहां आ गई। लोमड़ी ने रोटी देखी और तुरंत उसकी लालच बढ़ गई। उसने सोचा कि किसी भी तरह से यह रोटी उसे मिल जाए।
लोमड़ी ने कौवे की ओर देखा और बड़े प्यार भरे स्वर में कहा,
"अरे कौवे महाराज! मैंने आपकी आवाज़ के बारे में बहुत सुना है। कहा जाता है कि आपकी आवाज़ इतनी मधुर है कि कोई भी उसे सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। क्या आप मुझे भी अपना सुंदर गीत सुनाएंगे?"
चालाक लोमड़ी की कहानी (the clever fox story in hindi)
कौवा पहले तो सतर्क था, लेकिन लोमड़ी की मीठी बातों से वह फूलकर कुप्पा हो गया। उसने सोचा, "लोमड़ी मेरी प्रशंसा कर रही है। मुझे इसे निराश नहीं करना चाहिए।" वह लोमड़ी को अपनी आवाज़ सुनाने के लिए तैयार हो गया। जैसे ही उसने गाना गाने के लिए अपनी चोंच खोली, रोटी नीचे गिर गई।
लोमड़ी ने तुरंत रोटी उठाई और हंसते हुए बोली,
"कौवे महाराज, आपकी आवाज़ तो ठीक है, लेकिन मेरी चालाकी ने यह रोटी मुझसे छीन ली। अगली बार अपनी चापलूसी करने वालों से सावधान रहना।"
यह कहकर लोमड़ी वहां से भाग गई। कौवा अपना भोजन खोकर उदास हो गया और सोचने लगा कि उसे लोमड़ी की बातों में नहीं आना चाहिए था।
शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि चापलूसों की बातों में नहीं आना चाहिए। अपनी बुद्धिमानी से काम लेकर ही निर्णय लेना चाहिए।