Pradosh Vrat 2022 सूची: और शुभ मुहूर्त जिससे मिल जाता है संतान प्राप्ति का वरदान

Pradosh Vrat 2022,Story of Pradosh Vrat


दोस्तों आज हम इस लेख  के जरिए जानेंगे कि "प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है, और इसके क्या क्या मायने होते हैं क्यों,किया जाता है  "प्रदोष व्रत के नियम क्या है,नीचे लिखे गए  जिनमें हम "प्रदोष व्रत कब है, और "प्रदोष व्रत के लाभ, बारे में बहुत  कुछ  जानने वाले हैं आइए जानते हैं


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प्रदोष व्रत के लाभ

इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं और इस व्रत को करने से जीवन में हर तरह के सुख की प्राप्ति होती है.  साथ ही व्यक्ति को पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है।  प्रदोष व्रत का पालन करने से सांसारिक सुख प्राप्त होते हैं और संतान प्राप्ति का वरदान भी मिलता है।

  धार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई व्रत किए जाते हैं।  प्रदोष व्रत 2022 भी इन्हीं में से एक है।  यह व्रत हर हिंदू महीने के दोनों पक्षों (शुक्ल और कृष्ण) की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।


प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है


ऐसा माना जाता है कि जो लोग प्रदोष के इस पवित्र दिन को शुद्ध समर्पण और भक्ति के साथ उपवास करते हैं, भगवान शिव और देवी पार्वती उन्हें सुखी जीवन,  स्वास्थ्य,वांछित साथी,धन और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।


प्रदोष व्रत के नियम क्या है?



प्रदोष व्रत के नियम और तरीके

  स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए।  उसके बाद आप बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें। इस व्रत में भोजन नहीं किया जाता है।  पूरे दिन उपवास करने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले फिर से स्नान करें और सफेद रंग के कपड़े पहनें।


  उज्जैन।  प्रदोष व्रत विभिन्न वारों के साथ मिलकर अलग-अलग योग बनाता है जैसे यदि प्रदोष व्रत सोमवार को है तो इसे सोम प्रदोष कहा जाएगा, यदि मंगलवार को प्रदोष तिथि है तो इसे मंगल प्रदोष कहा जाएगा।  सप्ताह के सातों दिन बनने वाले इन प्रदोष व्रतों का महत्व और कथाएं भी अलग हैं।  इस व्रत में दिन भर बिना कुछ खाए-पिए रहना होता है और शाम के समय भगवान शिव की पूजा करने का विधान है.  जानिए साल 2022 में कब कब होगा प्रदोष व्रत और उनका शुभ मुहूर्त...



  मई माह का प्रदोष व्रत

  मई 2022 को पहला प्रदोष व्रत 13 मई शुक्रवार को रहेगा. शुक्रवार को होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष कहा जाएगा.  इस दिन पूजा का समय इस प्रकार रहेगा- शाम 07:04 से रात 09:09 तक।

  मई 2022 में दूसरा प्रदोष व्रत 27 मई दिन शुक्रवार को करा जाएगा. यदि यह व्रत शुक्रवार के दिन भी किया जाए तो इसे शुक्र प्रदोष कहा जाएगा.  इस तिथि को पूजा मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है - शाम 07:12 से रात 09:14 तक रहेगा ।


  जून माह का प्रदोष व्रत

  जून 2022 का पहला प्रदोष व्रत 12 जून, रविवार को किया जाएगा।  चूंकि त्रयोदशी तिथि रविवार को है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा, इस दिन का पूजा मुहूर्त इस प्रकार होगा - शाम 07:19 बजे से 09:20 बजे तक।

  जून 2022 का दूसरा प्रदोष व्रत 26 जून, रविवार को किया जाएगा।  रविवार होने के कारण इसे रवि प्रदोष भी कहा जाएगा।  इस दिन का पूजा मुहूर्त इस प्रकार होगा- शाम 07:23 से रात 09:23 तक।


  जुलाई माह का प्रदोष व्रत

  जुलाई 2022 का पहला प्रदोष व्रत सोमवार, 11 जुलाई को किया जाएगा। सोमवार को त्रयोदशी तिथि होने के कारण इसे सोम प्रदोष कहा जाएगा।  इस दिन का पूजा मुहूर्त इस प्रकार रहेगा- शाम 07:22 से रात 09:24 तक।

  जुलाई 2022 का दूसरा प्रदोष व्रत सोमवार, 25 जुलाई को किया जाएगा। इस तिथि को पूजा मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है - शाम 07:17 मिंट से  रात 09:21 तक रहेगा ।


अगस्त माह का प्रदोष व्रत

  अगस्त 2022 का पहला प्रदोष व्रत मंगलवार, 09 अगस्त को किया जाएगा। इसे भूम प्रदोष कहा जाएगा।  इस दिन का पूजा मुहूर्त इस प्रकार रहेगा- शाम 07:06 से रात 09:14 तक।

  अगस्त 2022 का दूसरा प्रदोष व्रत 24 अगस्त बुधवार को किया जाएगा।  इसे बुध प्रदोष कहा जाएगा।  इस दिन का पूजा मुहूर्त इस प्रकार होगा- शाम 06:52 से रात 09:04 तक।


  सितंबर माह का प्रदोष व्रत

  सितंबर 2022 का पहला प्रदोष व्रत गुरुवार, 08 सितंबर को किया जाएगा. इस व्रत के शुभ मुहूर्त कुछ इस तरह से होंगे- शाम 06:35 मिनट से रात 08:52 तक रहेंगे .

  सितंबर 2022 का दूसरा प्रदोष व्रत शुक्रवार 23 सितंबर को किया जाएगा.  इस दिन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा- सायं 06:17 से रात्रि 08:39 तक।


  अक्टूबर माह का प्रदोष व्रत

  अक्टूबर 2022 का पहला प्रदोष व्रत 07 अक्टूबर, शुक्रवार को किया जाएगा।  इस व्रत का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा- रात्रि 06:00 बजे से 08:28 बजे तक।

  अक्टूबर 2022 को दूसरा प्रदोष व्रत 22 अक्टूबर वाले दिन शुक्रवार को रहेगा. इस व्रत का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा- शाम 06:02 मिनट से  रात 08:17 तक रहेगा.


  नवंबर माह का प्रदोष व्रत

  नवंबर 2022 को पहला प्रदोष व्रत 05 नवंबर दिन शनिवार को करा जाएगा. इस व्रत के शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार से रहेंगे- शाम 05:33 से लेकर रात 08:10 तक रहेंगे .

  नवंबर 2022 का दूसरा प्रदोष व्रत सोमवार 21 नवंबर को किया जाएगा. इस व्रत का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेंगे- शाम 05:25 से लेकर रात 08:06 तक रहेंगे.


  दिसंबर का प्रदोष व्रत

  दिसंबर 2022 को पहला प्रदोष व्रत 5 दिसंबर, दिन सोमवार को करा जाएगा.  इस व्रत के शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार से रहेंगे- शाम 05:24 से लेकर रात 08:07 तक रहेंगे ।

  दिसंबर 2022 का दूसरा प्रदोष व्रत बुधवार 21 दिसंबर को किया जाएगा. इस व्रत के शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेंगे- शाम 05:29 मिनट  से लेकर रात 08:13 तक रहेगा .


  इसे भी पढ़ें- ( प्रदोष व्रत की कथा )


जानिए प्रदोष व्रत कथा और प्रदोष व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए


  जिस प्रकार प्रत्येक माह में दो एकादशी आती हैं, उसी प्रकार दो प्रदोष भी होते हैं।  त्रयोदशी (तेरस) को प्रदोष कहते हैं।  हिंदू धर्म में एकादशी को विष्णु से और प्रदोष को शिव से जोड़ा जाता है।  दरअसल, ये दोनों व्रत चंद्रमा के दोषों को दूर करते हैं।  आइए संक्षेप में जानते हैं कि क्या है इसके व्रत की कथा और इस दौरान क्या खाना चाहिए या क्या नहीं खाना चाहिए।


  प्रदोष व्रत कथा: प्रदोष को प्रदोष कहने के पीछे एक कथा जुड़ी है।  संक्षेप में, चन्द्र को क्षय रोग था, जिसके कारण वह मृत्यु तुल्य कष्ट भोग रहा था।  भगवान शिव ने उस दोष का निवारण किया और त्रयोदशी के दिन उन्हें फिर से जीवन दिया, इसलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।  हालांकि हर प्रदोष के व्रत की कहानी अलग होती है।  प्रदोष व्रत के महामात्य का वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है।  इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।  इसमें एक विधवा ब्राह्मणी और शांडिल्य ऋषि की कथा के माध्यम से इस व्रत की महिमा का वर्णन मिलेगा।



  पद्म पुराण की एक किंवदंती के अनुसार, जब चंद्रदेव अपनी 27 पत्नियों में से केवल एक रोहिणी से प्यार करते थे, और शेष 26 की उपेक्षा करते थे, तो उन्हें शाप दिया गया था जिसके कारण उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था।  ऐसे में उन्होंने अन्य देवताओं की सलाह पर शिव की पूजा की और जिस स्थान पर पूजा की उस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की।  प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें न केवल दर्शन दिए बल्कि उनका कोढ़ भी ठीक किया।  सोम भी चंद्रदेव का एक नाम है।  उन्होंने भगवान शिव को अपना नाथ-स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी, इसलिए इस स्थान का नाम 'सोमनाथ' पड़ा।



  प्रदोष व्रत के दौरान क्या खाएं और क्या न खाएं:


  1. प्रदोष काल में व्रत में हरी मूंग का ही सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरी मूंग पृथ्वी तत्व है और दमाग्नि को शांत रखती है।


  2. प्रदोष व्रत के दौरान लाल मिर्च, अनाज, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए।  हालाँकि, आप पूर्ण उपवास या फल आहार भी कर सकते हैं।

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