आशापुरा मां की कहानी क्या है? | आशापुरा माता का मंदिर किसने बनवाया

 आज हम जानेंगे  गुजरात के प्रसिद्ध आशापुरा माता मंदिर के इतिहास के बारें में और उनसे जुड़े और अन्य गुप्त रहस्य की जानकारी करने वाले है.

  कई समुदायों की कुल देवी
  मुख्य रूप से कच्छ में, यहाँ के मुख्य देवता माता आशापुरा के पिता हैं।  कई समुदाय आशापुरा माता को अपना कुलदेव मानते हैं।  उनमें से प्रमुख राज्य के नवानगर, राजकोट, मोरवी, गोंडल और बैरिया शासक राजवंश, चौहान और जडेजा राजपूत हैं।  

अर्बुदा माता का मंदिर कहां है Arbuda mata ka itihaash

गुजरात में आशापुरा माता का मुख्य मंदिर भुज में माता नो माड से लगभग 95 किलोमीटर की दूरी पर कच्छ में स्थित है।  कच्छ के गोसर और पोलादिया समुदाय के लोग भी आशापुरा मठ को अपना कुलदेव मानते हैं।

  आशापुरा माता की कहानी ऐतिहासिक है

  कहा जाता है कि चौहान वंश की स्थापना के बाद शाकंभरी देवी मूल रूप से कुलदेवी के रूप में पूजी जाने लगीं।  शाकंभर यानि सांभर में चौहान वंश का राज्य स्थापित हो गया था तभी से चौहानों ने मां आद्यशक्ति को शाकंभरी के रूप में स्वीकार करते हुए शक्ति की पूजा शुरू कर दी थी।  उसके बाद नाडोल में भी राव लक्ष्मण अपनी माता को शाकंभरी माता के रूप में पूजने लगे, लेकिन जब देवी के आशीर्वाद से उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होने लगीं तो वे अपनी माता को आशापुरा अर्थात कर्ता कहकर सम्बोधित करने लगे।  आशा  इस प्रकार, माता शाकंभरी को ही एक अन्य नाम, आशापुरा के नाम से जाना जाने लगा, और बाद में चौहान वंश के लोग माता शाकंभरी को आशापुरा माता के नाम से कुलदेवी मानने लगे।

  मंदिर कैसे जाएं

  माता आशापुरा के दर्शन के लिए अजमेर-अहमदाबाद रेलवे पर रानी रेलवे स्टेशन पर उतर कर नाडोल के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं।  इसके अलावा कच्छ पहुंचकर भी सड़क मार्ग से आशापुरा माता मंदिर पहुंचा जा सकता है। 

आशापुरा माता मंदिर के बारें में और भी जरुरी जानकारी 

आशापुरा का जन्म कब हुआ (aashaapura ka janm kab hua)

गुजरात की आशापुरा माता का जन्म सम्बन्धित पौराणिक और धार्मिक त्राड़िशन के अनुसार काफी पुराने समय में हुआ होगा। आशापुरा माता को माता नूर अंजूना नाम से भी जाना जाता है और वह गुजरात राज्य की एक प्रसिद्ध देवी हैं। इसके अलावा, इसके बारे में अधिक इतिहासिक जानकारी मेरे दिसाबंद ज्ञान कटौती के कारण उपलब्ध नहीं है। कृपया स्थानीय पूजा समितियों या गुजरात के स्थानीय आध्यात्मिक गाइड की मदद से आप इस विषय पर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

आशापुरा माता किसकी कुलदेवी है? (aashaapura maata kisakee kuladevee hai)

आशापुरा माता हिन्दू धर्म में एक प्रसिद्ध देवी मानी जाती है और उत्तर भारत में विशेष रूप से गुजरात राज्य में पूजी जाती है। वह जीवंत माता के रूप में पूजी जाती है और उसे शक्ति की देवी के रूप में जाना जाता है। आशापुरा माता के मंदिर में रोज़ाना हज़ारों भक्त आते हैं और विशेष अवसरों पर यात्री भी उसे दर्शन करने के लिए आते हैं। उसे माता राणी के रूप में भी जाना जाता है और उसे आशापुरा देवी या आशापुरा माता के नाम से भी पुकारा जाता है। इसलिए, आशापुरा माता कुलदेवी के रूप में मानी जाती है।

आशापुरा माताजी का दिन कौन सा है? (aashaapura maataajee ka din kaun sa hai)

आशापुरा माताजी का दिन मंगलवार को आता है। इस दिन भक्त आशापुरा माताजी के मंदिर में जाते हैं और उन्हें पूजा और अर्चना करते हैं। यह दिन भक्तों के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है और उन्हें अपनी आशाओं और मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं।

आशापुरा माता का दूसरा नाम क्या है? (aashaapura maata ka doosara naam kya hai)

आशापुरा माता के दूसरे नाम को भी विभिन्न रूपों में जाना जाता है। उनके प्रसिद्ध दूसरे नामों में शामिषा माता, भवानी माता और जेषल माता शामिल हो सकते हैं। यह नाम स्थानांतरण क्षेत्र और प्रदेशों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। आशापुरा माता उत्तर भारत में राजस्थान और गुजरात में विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

आशापुरा मां की कहानी क्या है? (aashaapura maan kee kahaanee kya hai)

आशापुरा मां की कई कहानियाँ हैं, जो उनके भक्तों के बीच प्रसिद्ध हैं। यहां एक प्रसिद्ध कथा दी गई है:

कहीं बहुत समय पहले, गुजरात के कच्छ जिले में एक छोटे से गांव में एक गोपालक रहता था। उसका नाम भील था। भील बहुत प्रभावशाली और नेक हृदय वाला व्यक्ति था। वह गांव के लोगों की समस्याओं को हल करने में मदद करता और उन्हें संबल देता था।

Ashapura Maa Photo Full HD
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एक बार, गांव में अत्याधिक सूखा पड़ गया। लोगों को पानी की अत्याधिक कमी थी और उन्हें अच्छे तरीके से सिंचाई नहीं कर पा रहे थे। गांव का संपूर्ण जीवन बहुत पीड़ादायक हो गया था। उन्हें इस समस्या का हल नहीं मिल रहा था।

भील ने यह देखा और वह जानता था कि उसे किसी दिव्य शक्ति की मदद चाहिए। उसने निश्चित किया कि वह माता पाशापुरी (जैसे की वह उन्हें जानते थे) के पास जाएगा और उनकी मदद मांगेगा।

भील ने अपनी प्रार्थना करने के लिए पाशापुरी मंदिर में जाकर ध्यान और भक्ति से पूजा अर्चना करते हैं.

आशापुरा माता मंदिर कच्छ (aashaapura maata mandir kachchh)

आशापुरा माता मंदिर, जो जनरल जिला कच्छ, गुजरात, भारत में स्थित है, गुजराती जनता के बीच एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थान है। यह मंदिर माता आशापुरा को समर्पित है, जो माता दुर्गा की एक संस्कृति है।

आशापुरा माता मंदिर को आशापुरा गांव में स्थापित किया गया है, जो जनरल जिले के नक्षत्र तालुका में स्थित है। यह मंदिर बहुत पुराना है और गुजराती साहित्य में भी उल्लेखित है।

माता आशापुरा को गुजराती जनता द्वारा बहुत प्रेम और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, आरती और भक्ति कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां पर्यटकों को शांति, आशीर्वाद और माता की कृपा की अनुभूति होती है।

आशापुरा माता मंदिर जनरल कच्छ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां पर्यटक भक्तों और आस्थाओं को समर्पित भगवान के लिए यात्रा करते हैं। इसके अलावा, यहां आने वाले लोग द्वारका, सोमनाथ और भुज जैसे अनेको स्थान हैं. 

आशापुरा माता का इतिहास (aashaapura maata ka itihaas)

आशापुरा माता का इतिहास गहरी पौराणिक मान्यताओं और स्थानीय लोककथाओं से जुड़ा हुआ है। मान्यताओं के अनुसार, एक समय की बात है जब गुजरात एक महान युद्ध के बीच था। उस समय में गुजरात के राजा राव सिंग को युद्ध के दौरान बड़ी परेशानी हो गई। उन्हें युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए आशीर्वाद और सहायता की आवश्यकता थी।

राव सिंग ने तपस्या और पूजा के लिए जंगल में जाकर आशापुरा माता की उपासना शुरू की। वे बहुत ही श्रद्धालु थे और माता के प्रति अपार भक्ति रखते थे। उनकी सच्ची आस्था को देखकर माता आशापुरा प्रकट हुईं और उन्हें अपनी कृपा दिखाई। माता ने राव सिंग को विजय प्राप्त करने की आशीर्वाद दी और उन्हें युद्ध में सफलता दिलाई।

यह घटना के बाद से आशापुरा माता की पूजा और उपासना को लोग मान्यताओं के साथ करने लगे। राजा राव सिंग ने माता की मूर्ति को एक मंदिर में स्थापित किया और वहीं पर माता की पूजा की जाती हैं. 

आशापुरा माता का मंदिर किसने बनवाया (aashaapura maata ka mandir kisane banavaaya)

आशापुरा माता का मंदिर भारतीय राज्य गुजरात के जिला कच्छ (Kutch) में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण सन् 1748 में श्री जetharam Bapa संगठन के स्थापक, संत ब्रह्मानंद स्वामी (Sant Brahmanand Swami) द्वारा किया गया था। यह मंदिर माता आशापुरा को समर्पित है, जो देवी दुर्गा की एक स्वरूप हैं।

आशापुरा माता का मंदिर गुजरात के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और यहां हर साल बहुत संख्या में भक्तों का आगमन होता है। इस मंदिर को विशेष बनाने वाली बात यह है कि यहां पर किसी भी धर्म के लोग आकर माता की पूजा-अर्चना करते हैं और यहां एकता और सामरस्य की अद्भुत वातावरण है। मंदिर के समीप एक विशाल स्थल पर स्थित होने के कारण यहां से प्राकृतिक सौंदर्य का भी आनंद लिया जा सकता है।

आजकल आशापुरा माता मंदिर एक प्रमुख पीठ स्थल है और यहां पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। मंदिर के समीप आपको आरामदायक आवास, भंडारा गृह और दूकानें भी मिलेंगी, 

आशापुरा माताजी के छंद (aashaapura maataajee ke chhand)

आशापुरा माताजी के छंद (दोहे) निम्नलिखित हैं:

जय आशापुरा माता, तेरे नाम वालों की गणना होती है। तू हमारी रक्षा करे, जीवन में सुख-शांति बना होती है॥

माताजी तू जगदम्बे, दयामयी और करुणामयी हैं। तेरे चरणों में आये, दुःख और कष्ट डूब जायें हैं॥

आशापुरा माता की कृपा से, सब बिगड़े काम बन जाते हैं। चिंता और भय दूर होकर, हर इच्छा पूरी हो जाती हैं॥

माताजी की आराधना करो, उनकी आसरा तुम्हारे साथ है। संकट और संशयों से, तेरी रक्षा वो ही करते हैं॥

ये छंद आशापुरा माताजी के माता भक्तों द्वारा बड़े प्यार से प्रयोग किए जाते हैं। इन छंदों के माध्यम से भक्त आशापुरा माताजी की महिमा गाते हैं और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

आशापुरा माताजी का मंत्र (aashaapura maataajee ka mantr)

आशापुरा माताजी के मंत्रों में सबसे प्रसिद्ध मंत्र यह है:

ॐ आशापुरायै विद्महे, शक्तियै धीमहि। तन्नो आशापुरा प्रचोदयात्॥

इस मंत्र का जाप करते समय ध्यान देने योग्य बातें हैं:

सुखद और शांत माहौल में बैठें या बैठकर जप करें।

अपने आसन पर ध्यान केंद्रित करें और मन को शांत रखें।

जप करने से पहले माताजी के सामने आंखें बंद करें और अपनी आशाओं और इच्छाओं को मन में स्थान दें।

मंत्र को गहराई से चार या पांच बार बोलें या मनसा जप करें।

मंत्र का जाप करते समय मन को माताजी की कृपा और आशीर्वाद के लिए समर्पित रखें।

मंत्र के जाप के बाद माताजी का ध्यान करें और धन्यवाद अर्पित करें।

यह मंत्र आशापुरा माताजी के शक्ति, संचार और समृद्धि की आराधना में सहायता करता है। यह उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायता कर सकता है। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से आपको आशापुरा माताजी के साथ संबंधित आध्यात्मिक हैं. 


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