सीता क्यों धरती में समा गई | हिंदू सीता की पूजा क्यों करते हैं?

 देश या फिर दुनिया भर में जिस स्थान श्रीराम का मंदिर होता है, वहां पर माता सीता भी विराजमान रहती हैं, परन्तु माता सीता के अनेको ऐसे भी खास मंदिर हैं, जोकि उनके लाइव जीवन से जुड़े हैं या ज्यादा प्रसिद्ध हैं।  माता सीता को भूमिदेवी की पुत्री भी कहा जाता है और जनकनंदानी की भी।

  1. यानक मंदिर, नेपाल।  रामायण काल ​​में जनक मिथिला के राजा थे।  इसकी राजधानी का नाम जनकपुर है।  जनकपुर नेपाल का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।  जानकी माता मंदिर का निर्माण भारत के टीकमगढ़ की रानी वृषभानु कुमारी ने यहां करवाया था।  

जटाशंकर मंदिर की कथा-कहानी Why is Jatashankar temple

रानी वृषभानु कुमारी पुत्र प्राप्ति की इच्छा से यहां निवास करती थीं।  यहां रहने के दौरान एक संत को माता सीता की एक मूर्ति मिली थी जो सोने की बनी हुई थी।  रानी को यानक का मंदिर प्राप्त हुआ, जिसका निर्माण ईस्वी सन् में हुआ था।  1895 में।  उसने यहां मूर्ति रखी हुई थी।  जानकी का मंदिर सं 1911 में बनकर तैयार हो गया था।

  4,860 वर्ग फीट में फैले यह मंदिर के बारे में बताया  जाता है कि उस वक्त इस मंदिर के निर्माण पर कुल नौ लाख रुपए लगे थे, इस नाते इस मंदिर को नौलखा मंदिर भी कहा जाता है।  इस मंदिर में 1967 से यहां सीता-राम के नाम का जाप और अखंड कीर्तन होता आ रहा है।  इस मंदिर को जनकपुरधाम भी कहा जाता है।  विशाल मंदिर परिसर के चारों ओर कुल 115 सरोवर हैं।  इसके अलावा भी कई कुंड हैं जिनमें गंगासागर, परशुराम कुंड और धनुष-सागर सबसे प्रसिद्ध हैं।

  2. अयोध्या में सीता मंदिर।  अयोध्या के सीतामढ़ी में माता सीता का एक प्राचीन मंदिर भी है, जिसका अब भव्य मेकओवर किया जा रहा है, जहां माता सीता मैया अपने नौ रूपों में नजर आएंगी.

  3. वाराणसी में सीता मंदिर।  यहां का दो मंजिला मंदिर बारिश के मौसम में पानी से घिरा रहता है।  कहा जाता है कि यहीं से देवी सीता धरती में समाहित हुई थीं।  यह मंदिर जगन्नाथ असीघाट के पास स्थित है।  17वीं शताब्दी में बने इस मंदिर में आषाढ़ के महीने में रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है।

4. सीता मंदिर, अशोकनगर।  मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले की मुंगावली तहसील का करीला गाँव एकमात्र माता सीता का मंदिर है जहाँ केवल उनकी मूर्ति विराजमान है।  मान्यता के अनुसार लव एवं कुश का जन्म इसी स्थान पर हुआ था।

  5. सीता अपहरण स्थल, सर्वतरता, नासिक।  नासिक जिले में शूर्पणखा, मारीच और खर और दूषण को मारने के बाद ही रावण ने सीता का अपहरण किया और जटायु का वध किया, जिसकी स्मृति नासिक से 56 किलोमीटर दूर टाकेड़ गांव में 'सर्वतरथा' कहलाती है।  जगह आज भी संरक्षित किया गया है।  यह स्थान पंचवटी क्षेत्र में आता है।  यहां सीता माता के कई मंदिर हैं।

  6. पुनौरा मंदिर, सीतामढ़ी।  मान्यता के अनुसार बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुनौरा नामक स्थान को माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है।  राजा जनक को यहां एक खेत में माता सीता मिली थीं।

  7. सीता रसोई, अयोध्या।  यह मंदिर अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के पास स्थित है।  माता सीता ने यहां पहली बार शुगान के रूप में सभी के लिए भोजन बनाया था।

  8. अशोक वाटिका, श्रीलंका।  जिस स्थान पर रावण ने माता सीता को बंदी बनाया था उसे अशोक वाटिका कहा जाता है।  यहां अशोक के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं।  यह जगह श्रीलंका में स्थित है।

  9. सीतावनी, जिम कॉर्बेट पार्क नैनीताल।  मान्यताओं के अनुसार, माता सीता ने अपने वनवास के कई वर्ष नैनीताल के जिम कॉर्बेट पार्क में स्थित सीतावनी नामक स्थान पर बिताए थे।  यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था।  यह भी कहा जाता है कि माता सीता यहीं धरती में समा गई थीं।

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  10. कनक भवन, अयोध्या।  माता सीता श्रीराम से विवाह के बाद यहीं रुकी थीं।  अब यह भवन एक मंदिर है। 

सीता माता के बारे में और भी जानिए 

सीता माता कौन से जिले में? (In which district is Sita Mata)

सीता माता की कहानी महाभारत और रामायण में विस्तारपूर्वक बताई गई है। मैं आपको कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बता सकता हूँ:

सीता माता को राम चंद्र जी की पत्नी माना जाता हैं। उनका जन्म मिथिला नामक स्थान पर हुआ था और उनके पिता का नाम जनक राजा था। सीता माता की प्राकृतिक सौंदर्य, पातिव्रत्य, धैर्य, और साहस के बारे में कहानियां प्रसिद्ध हैं।

रामायण की कहानी में, सीता माता का अपहरण रावण नामक राक्षस राजा द्वारा किया जाता है। रावण लंका का राजा था और वह सीता माता को अपनी नागरी लंका में ले जाता है। राम चंद्र जी और उनके भाई लक्ष्मण द्वारा उनकी खोज के बाद, वे हनुमान जी और अनेक वानर सेना की मदद से लंका पहुंचते हैं और रावण का वध करते हैं। सीता माता स्वयंकुंडली आदि द्वारा अपनी पतिव्रता का प्रमाण देती हैं और उनकी वापसी अयोध्या में होती है।

महाभारत में भी सीता माता का उल्लेख होता है, जहां वे राम चंद्र जी की पत्नी होती हैं.

सीता माता का मेला कब पड़ता है? (When is the fair of Mata Sita held)

"सीता माता का मेला" विशेष रूप से कहाँ और कब पड़ता है। "सीता माता" के बारे में कई प्रमुख मंदिर और तीर्थस्थल भारत भर में हैं, जहां श्रीमती सीता जी को पूजा जाता है। इन मंदिरों और तीर्थस्थलों में विभिन्न तिथियों पर मेले और उत्सव आयोजित हो सकते हैं, लेकिन उनके बारे में मेरे पास कोई नवीनतम जानकारी नहीं है।

यदि आपको किसी विशेष स्थान के बारे में पता है और आप उसके बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया वह स्थान उल्लेख करें, और मैं आपकी मदद करने की कोशिश करूँगा।

सीता माता कितना किलोमीटर है? (How many kilometers is Sita Mata)

सीता माता को किलोमीटर की मात्रा में मापा नहीं जाता है, क्योंकि वह एक पौराणिक चरित्र हैं और उन्हें दिमागी और भौतिक दृष्टिकोण से नहीं मापा जा सकता है। सीता माता रामायण के महत्वपूर्ण पात्रों में से एक हैं और भगवान राम की पत्नी हैं। उन्होंने भगवान राम के साथ अयोध्या से वनवास जा रावण द्वारा हरण किये जाने तक कई परिक्रमा यात्राएं कीं, लेकिन उनकी लंबाई किलोमीटर में मापी नहीं जाती है।

कृपया अन्य सवाल पूछें या मुझसे किसी अन्य विषय पर चर्चा करें।

सीता क्यों धरती में समा गई? (Why did Sita merge into the earth)

विभिन्न पौराणिक कथाओं और धार्मिक अनुभवों के अनुसार, सीता माता का धरती में समावेश कारण विभिन्न हो सकते हैं। मुख्य रूप से, रामायण में उनकी कथा के अनुसार, सीता माता अपने पति भगवान राम के लिए पतिव्रता और निष्ठावान पत्नी की प्रतीक हैं। उन्होंने रावण द्वारा किये जाने वाले हरण के बाद भगवान राम की अग्नि परीक्षा से गुजरीं और धरती में समा गईं। इसके अलावा, धार्मिक भावनाओं और भक्ति के परिप्रेक्ष्य में, सीता माता का धरती में समावेश उनके पवित्रता, त्याग, और स्त्रीत्व के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

यह प्रश्न धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित होता है और विभिन्न संस्कृतियों और आचार्यों के अनुसार विभाजित हो सकता है।

रावण की बेटी कौन है? (Who is Ravana's daughter)

रावण की बेटी का नाम त्रिजटा (Trijata) है। त्रिजटा रावण की प्रिय पुत्री थी और उनकी एकमात्र पुत्री भी थी। विभिन्न पौराणिक कथाओं में कही जाती है कि त्रिजटा ने अपनी स्वप्नदृष्टि द्वारा भविष्यद्वाणी की और उन्होंने स्वप्न में देखा कि भगवान राम रावण का वध करेंगे और सीता माता को छोड़कर अयोध्या लौटेंगे। इसके बाद भी त्रिजटा ने सीता माता की सुरक्षा करने में सहायता की और उन्हें आश्वस्त किया कि भगवान राम जल्द ही आएंगे और उन्हें छुड़ा लेंगे।

सीता पृथ्वी के अंदर कहां गई थी? (Where did Sita go inside the earth)

सीता माता के विषय में विभिन्न पौराणिक कथाओं और रामायण के अनुसार, उन्होंने अपने पति भगवान राम के लिए अत्यंत त्याग और पतिव्रता का प्रदर्शन किया।

रावण ने सीता माता का हरण किया और उन्हें लंका ले गए। बाद में, भगवान राम, हनुमान और उनके वानर सेना ने लंका पर धावा किया और रावण को मार गिराया। इसके बाद, भगवान राम ने सीता माता को पवित्र समझकर उन्हें वापस अयोध्या ले जाने का निर्णय लिया।

रामायण के अनुसार, सीता माता राम द्वारा वनवास के दौरान अयोध्या के बाहर अपने जीवन काल को बिताने के बाद पुनः अयोध्या में लौटीं। इसके बाद, विभिन्न कथाओं और पुराणों में कहा जाता है कि माता सीता ने प्रकृति माता धरा को अपनी गर्भ में समाहित कर लिया। इसे सीता माता का "प्रयाण" कहा जाता है, जिससे धरती ने उन्हें गोद लिया और उनका समावेश हुआ। इस प्रकार, सीता माता का धरती में समावेश हो गया।

सीता पहले किसकी बेटी थी?  (Whose daughter was Sita earlier)

सीता की पूर्व जन्म कथा अनुसार, उन्हें पूर्व कृतयुग में भगवान विष्णु की एक अवतारी देवी थीं। उन्हें आदिशेष नामक सर्प (नाग) राजकुमारी की रूप में जन्म लेने का वरदान दिया गया था।

इस कथा के अनुसार, आदिशेष नाग की राजकुमारी रूप में सीता जी ने धरती पर अवतरण किया और भगवान विष्णु की अवतारी रूप में भगवान राम की पत्नी बनीं। इसलिए, तकनीकी रूप से कहा जा सकता है कि सीता जी आदिशेष नाग की बेटी थीं।

हिंदू सीता की पूजा क्यों करते हैं? (Why do Hindus worship Sita)

हिंदू धर्म में, सीता माता की पूजा विशेष महत्व रखती है। सीता माता को मान्यता के अनुसार परागणित किया जाता है क्योंकि उन्होंने अपने त्याग, पतिव्रता और आदर्श पत्नी के गुणों का प्रदर्शन किया। यहां कुछ मुख्य कारण हैं जो सीता माता की पूजा की प्रथा को समझाते हैं:

पतिव्रता का प्रतीक: सीता माता को पतिव्रता की अद्भुत प्रतिष्ठा मिली है। वे अपने पति भगवान राम के प्रति अत्यंत वफादार और समर्पित रहीं। उनकी पूजा करके भक्तों को पतिव्रता और प्रेम के आदर्शों का आदर्श प्रदर्शित होता है।

मातृत्व का प्रतीक: सीता माता को मातृ भावना की प्रतिष्ठा मिली है। उन्होंने अपने पति के साथ अयोध्या से वनवास में जाने का संघर्ष किया और लंका में कैद होने के बाद भी अपनी पतिपरायणता को बनाए रखा। उनकी पूजा से मातृत्व, सौहार्द और परिवारिक संबंधों का महत्व जागृत होता है।

आदर्श स्त्रीत्व का प्रतीक: सीता माता को आदर्श स्त्री के रूप में पूजा जाता है। 

सीता पहले कौन थी? (Who was Sita earlier)

सीता माता की पूर्व जन्म कथा के बारे में कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं है। मैंने पहले वर्णन में  सीता माता को उनके पति भगवान राम की आदिशेष नाग की बेटी नहीं कहा जाता है। सीता माता भगवान राम की पत्नी हैं और उन्हें माता जनक और माता सुंदरी की पुत्री कहा जाता है। उनका जन्म मिथिला राज्य के राजा जनक के घराने में हुआ था। कृपया मेरी गलती के लिए क्षमा करें।

राम की बहन कितनी थी? ( How old was Ram's sister)

भगवान राम की एक ही बहन थीं जिनका नाम शान्ता (Shanta) था। शान्ता राजा दशरथ की पुत्री थीं और राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की बड़ी बहन थीं। हालांकि, रामायण के प्रमाणिक संस्करणों में उनका उल्लेख काफी कम होता है और उनकी कथा अधिकांशतः प्रशंसापत्रों और पौराणिक कथाओं में मिलती है।

रावण ने धनुष को क्यों नहीं उठाया? (Why didn't Ravana pick up the bow)

रावण ने धनुष को नहीं उठाया क्योंकि उसे उसके हाथों से उठाने की शक्ति नहीं थी। रामायण के अनुसार, भगवान शिव ने धनुष को बनाया था और इसे उठाने की शक्ति माता सीता को ही प्राप्त हुई थी।

जब जनकपुरी में सीता स्वयंवर आयोजित हुआ, वहां एक विशेष प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें धनुष को उठाने की कला दिखाने का आवाहन किया गया। रावण ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लिया था, लेकिन वह धनुष को उठाने में असमर्थ था। उन्होंने प्रयत्न किया लेकिन धनुष को उठाने की शक्ति नहीं प्राप्त की।

इसके बाद, भगवान राम ने धनुष को आसानी से उठाकर अपनी प्रजा को सुरक्षा की गारंटी दी और सीता से विवाह कर लिया। रावण की असफलता धनुष उठाने में इसके बाद उनका अहंकार और अभिमान बढ़ा, जिसने अन्ततः उनका नाश किया।


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