शेर और लोमड़ी की कहानी | The Story of the Lion and the Fox

शेर और लोमड़ी की कहानी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है, जो हमें चतुराई और बुद्धिमत्ता के महत्व को सिखाती है। इस कहानी के कई संस्करण हैं। यहां पर एक सरल और शिक्षाप्रद संस्करण प्रस्तुत किया गया है:

कहानी: चतुर लोमड़ी

बहुत समय पहले जंगल में एक शेर रहता था। वह बूढ़ा हो गया था और अब शिकार करना उसके लिए कठिन हो गया था। भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकते हुए, उसने एक योजना बनाई। उसने अपने गुफा के पास एक घोषणा की:

"मैं अब बूढ़ा हो गया हूं और किसी को नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। जो भी मुझसे मिलने आएगा, मैं उसका स्वागत करूंगा।"

शेर और हिरण की कहानी (The story of the lion and the deer in Hindi)

शेर ने अपनी गुफा के बाहर आरामदायक माहौल बना लिया, जिससे अन्य जानवर उसकी बातों पर विश्वास करने लगे। कई जानवर उससे मिलने आए, लेकिन वापस नहीं लौटे। शेर उन्हें गुफा में बुलाकर खा जाता था।

लोमड़ी की चतुराई

एक दिन एक लोमड़ी ने शेर की चालाकी को समझने की कोशिश की। जब लोमड़ी शेर की गुफा के पास पहुंची, तो उसने चारों ओर का ध्यानपूर्वक निरीक्षण किया। उसने देखा कि गुफा में जाने वाले जानवरों के पैरों के निशान तो हैं, लेकिन बाहर निकलने वाले निशान नहीं हैं।

लोमड़ी को समझते देर न लगी कि शेर जानवरों को मारकर खा जाता है। उसने शेर से बाहर से ही कहा:
"शेर भाई, मैं आपसे मिलने आई हूं, लेकिन मैं अंदर नहीं आऊंगी। मैंने देखा कि गुफा के अंदर जाने वालों के तो निशान हैं, लेकिन बाहर आने वाले किसी के भी निशान नहीं हैं। इससे मुझे आपकी मंशा पर शक हो रहा है।"

शेर ने लोमड़ी को अंदर आने के लिए कहा, लेकिन लोमड़ी ने चालाकी से वहां से भाग जाना ही बेहतर समझा।

शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि:

किसी की बातों पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए।

परिस्थितियों का सूझबूझ और चतुराई से सामना करना चाहिए।

केवल बुद्धिमत्ता ही हमें मुश्किल परिस्थितियों से बचा सकती है।

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