एक आम का बगीचा था जिस बगीचा से एक नदी होकर गुजरी हुई थी एक पेड़ नदी के बहुत करीब था जिस पर एक गिलहरी अपने दो बच्चों के साथ रहा करती थी जब सुबह होता वह पेड़ से उतर कर इधर-उधर टहलने लगती साथ में अपने बच्चों को लेकर खूब घूमा करती उसी नदी में एक कछुआ भी काफी लंबे समय ऐसा ही करता था उसी कछुए के साथ उसका परिवार भी वही पर रहा करते थे
वह कछुआ देखने में बहुत भारी और बड़ा हुआ करता था लेकिन तो बात यह भी था जैसे कछुआ का शरीर बड़ा था वैसे उसकी बुद्धि भी मोटी थी कछुआ और गिलहरी में रहते रहते बहुत घनिष्ठता हो गई थी वह रोज पके हुए आम फल काट कर नदी में गिरा देती थी जिसे कछुआ बड़े चाव से खाता और उसके पूरे परिवार भी वहां खाने में लग जाते इनकी दोस्ती और गहरी होती चली गई
उस बगीचा में और नदी में मिलाकर उन दोस्तों के बराबर कोई दोस्ती नहीं थी हर दिन का यही काम था वह गिलहरी पेड़ पर ऊपर चढ़कर पके हुए आम काट कर नीचे गिरा दिया करती थी और उसके परिवार वाले खाकर खूब पसंद होते थे और कछुआ अपने दोस्तों में गिलहरी की खूब प्रशंसा किया करता था
एक बार की बात है जब गिलहरी बहुत फुर्ती के साथ पेड़ पर चढ़ जाती है उसे उसके लहराते पूछ और धारीदार कमर को देखकर कछुवी के मन में लालच उत्पन्न हो जाती है और उसी के बराबर चलने भागने का जुगाड़ खोजने लगती है
कछुवी ने कछुआ से बोला की हे नदी के राजा मैं आपकी पत्नी होने के नाते मेरी यह इच्छा है कि मैं भी गिलहरी के जैसा दौड़ भाग सको और मेरा भी बदन सुंदर गिलहरी के जैसे दिखाई दे और मैं भी पलक झपकते ही पेड़ पर चढ़ सकूं
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हमारे मुताबिक हमें लगता है कि अगर इस गिलहरी को हम मार कर खा जाऊं तो उसके पूरे गुड हमारे अंदर आ जाएंगे आप उसको अपनी दोस्ती का कसम खिलाकर यहां पर लाएं और हम उसको खाकर उसके संपूर्ण गुड को हासिल कर सकती हूं
तभी कछुए नहीं कहा यह काम हम हमारे लिए थोड़ा भी मुश्किल नहीं है वह हम पर इतना भरोसा करती है कि एक आवाज में उसको हम अपने साथ यहां ला सकते हैं अब हमारे मन में आ गया है कि तुम्हारा इच्छा पूरा ही करना होगा
कछुआ ने किसी बहाने से गिलहरी के पास पहुंच जाता है और वहां जाकर बताने लगता है की इस समय ज्यादा बारिश हो जाने के कारण नदी एकदम भर गया है हमारे परिवार वाले चाहते हैं कि तुम्हें भी अब नदी में घुमाया जाएगा बिना बातों को समझे गिलहरी उन के चक्कर में फस जाती है
उसने कछुआ पीठ पर बैठकर नदी की सैर करने के लिए निकल पड़ती है Kachuha aur Gilahri नदी के बीचोबीच जब कछुआ पहुंच जाता है उसको भरोसा हो गया कि अब गिलहरी यहां से भाग नहीं सकती तब उसने बताया की इस बात का हमें अफसोस है आज हम तुम्हें मार कर अपनी पत्नी को तुम्हारा मांस खिलाने वाला हूं बिना घबराए गिलहरी ने पूछा परंतु क्यों तभी कछुए ने पूरी वारदात को गिलहरी से बताया की हमारी पत्नी बहुत धीरे गति में चलती है उसको किसी ने बताया है कि अगर वह गिलहरी का मांस खा लेती है तो उसका शरीर फुर्तीला हो जाएगा और वह दौड़ कर भी पेड़ के ऊपर भी चढ़ सकती है
तभी गिलहरी बोली अरे भाई यह बात है उस वक्त गिलहरी ने अपना चतुर दिमाग का इस्तेमाल किया और वह हंसते हुए बोली मेरे मित्र जरा सी बात को तुम बड़ा बना दिए इतनी बड़ा बात कोई नहीं है मेरे मित्र मेरे साथ चलो जिस पेड़ पर मैं रहती हूं उस पेड़ पर हमने बहुत सारे गरुड़ पंख को संभाल कर रखे हैं जो भी प्राणी उस पंख को छू लेता है वह हमारे जैसा दौड़ कर पेड़ पर चढ़ सकता है
गिलहरी बोली अरे भाई अगर आप हमको यह बात बताए होते तो अब तक मैं तुम्हें वह पंख लाकर दे चुकी होती नासमझ कछुआ तुरंत गिलहरी के झांसे में उसके बाद वह उस आम के पेड़ की तरफ निकल पड़ता है नदी के किनारे पहुंचते हैं गिलहरी कूदकर पेड़ पर चढ़ जाती है और बोली तू दुष्ट कछुए जा यहां से जल्दी भाग जा और कभी इधर वापस मत आना बिना समझ का कछुआ के हाथ कुछ भी नहीं लगा मित्रता भी चली गयी और रोज के पके हुए आम भी खाने को अब नहीं मिलेगी निराश होकर kachuha नदी के गहराईओं में चला जाता है
आपने देखा की कैसे > बुरे काम का बुरा नतीजा मिलता है
सीख:- जोभी प्राणी अपने मित्रों को भी हानि देने से बाज नहीं आता, ऐसे कपटी और बुरे प्राणियों से परमात्मा भी उनसे दुरी बनाने चाहते है दोस्ती तो छोडो दुश्मनी के लायक ऐसे लोग नहीं होते है उसके बाद भी ऐसो का बुरा नतीजा होता है ऐसे धोखेबाजो से सबको दूर ही रहना चाहिए
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