भगवान भोलेनाथ देवों के देव माने जाते हैं लेकिन उनके माता-पिता के बारे में गिने चुने लोग ही जानते होंगे तो आइए भगवान भोलेनाथ से जुड़ी हुई रहस्य क्या है जानते हैं
भगवान भोलेनाथ के केवल एक ही नाम नहीं है बल्कि भगवन भोले शंकर जी 108 नामो से जाने जाते हैं उनके हर एक नाम के पीछे एक बड़ा रहस्य छुपा रहता है और कैलाशपति का पूजा अर्चना करने से संसार के समस्त शुखो की प्राप्ति हो जाती है शिव शंभू की सात्विक तांत्रिक पूजा अर्चना भी की जाती है
भक्तों अपनी-अपनी शक्ति और भक्ति के हिसाब से भगवान भोलेनाथ के विभिन्न रूप की आराधना और साधना करते हैं भगवान शिव शंभू जी एक ऐसे परमेश्वर है जिनकी पूजा आत्मा और शिवलिंग के रूप में अलग अलग तरीके से किया जाता है
भगवान भोले शंकर की पूजा उनके संपूर्ण परिवार सहित करना सुनिश्चित रहता है एवं शिव लिंग की पूजा शिव जी को अकेले या फिर महादेवी पार्वती के साथ पूजा करना काफी फलदाई मना जाता है भगवान शिव जी के जन्म से जुड़ी अनोखी बातें शिव पुराण में यह बताया जाता है कि शिव शंभू के माता पिता कौन है यह जानकारी भी शिव पुराण में पाई जाती है तो चलिए भोलेनाथ जी से जुड़े हुए कुछ रोचक तथ्य जानते हैं
हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में भगवान भोलेनाथ की सर्वोच्च स्थान माना गया है भगवान कैलाशपति इंसान के मन को पढ़ने वाले सबसे बड़े ज्ञाता भी माने गए हैं बताया गया है कि शिव जी के शरण में आने वाले सभी भक्तों का भगवान भोलेनाथ कष्ट और उनकी कामनाओं को पूरी करते हैं
कैलाशपति कौन है
कैलाशपति कहे जाने वाले भोले शंकर केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि हर एक प्राणी की हर एक पल रक्षा करते हैं और उनकी टोलीआ में जीव जंतु भी शामिल हैं आपको जानना खास जरूरी यह है भगवान भोलेनाथ की पत्नी देवी पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय एवं भगवान गणेश जी के बारे में सभी लोग जानते होंगे सच्च यह भी बात है
भगवान शिव शंभू के और भी संताने थी
बहुत कम लोगो को यह पता होगा कि भगवान शिव शंभू के और भी कई संताने थी उनकी तीन पुत्रियां थी जिनका नाम सुनकर आप दंग रह जाएंगे नाम जानिए बताया जा रहा है अशोक सुंदरी और मानसा एवं ज्योति और अलग पुत्रों का नाम बताया जा रहा है सुकेश जालंधर अय्यप्पा भूमा खुजा और अंधक है यह सभी लोगों के जन्म के पीछे दंतकथा पुराणों में भरी हुयी पड़ी है
कौन है भगवान शिव शंभू के माता पिता
श्रीमद् देवी महापुराण में भगवान शिव शंभू के माता पिता के बारे में बताया गया है श्रीमद् देवी महापुराण के बताए हुए अनुसार एक वक्त की बात है जब नारद मुनि ने अपने पिता ब्रह्मा जी से पूछा कि किस दृष्टि का किसने प्रारंभ किया
साथ में उन्होंने यह भी पूछा कि भगवान विष्णु भगवान शिव जी और आपके पिता कौन है ठीक उसी वक्त ब्रह्माजी ने नारदजी को बताया त्रिदेव के जन्म के बारे में उन्होंने कहा कि देवी दुर्गा और शिव रूप ब्रह्मा के योग से ब्रह्मा विष्णु एवं महेश की उत्पत्ति हुई अब यह बात सच हो चुका है की प्राकृतिक के स्वरूप दुर्गा ही हम तीनों की माता है एवं ब्रह्मा काल सदाशिव हमारे पिता है
एक बार की बात है जब श्री ब्रह्मा जी विष्णु जी में झगड़ा हो गया था ठीक उसी वक्त जी ने बताया कि सृष्टि हम से उत्पन्न हुई है और मैं ही प्रजापिता और रहूंगा उसी वक्त विष्णु जी ने कहा कि मैं तुम्हारा पिता हूं क्योंकि आप मेरी नाभि कमल से उत्पन्न हुए हो झगड़ा हो ही रहा था
इतने में कैलाशपति वहां प्रगट हो गए शिव शंभू को पहुंचते ही सब लोग चुप चाप हो गए उन्होंने कहा कि पुत्रों मैंने तुम सबको जगत की उत्पत्ति और स्थिति रूपी दो कार्य दिए हैं फिर भोलेनाथ अपना सुनाने लगते हैं उन्होंने बताया कि इसी प्रकार मैंने शंकर और रूद्र को संघार और तिरोगति के कार्य किए हैं हमारे पांच मुख हैं
जोकि मुख से आकार दूसरे मुख से उकार तीसरे मुख से मुकार चौथे मुख से बिंदु एवं पांचवे मुख से नाद प्रकट हो जाते हैं यही वह 5 शब्द है जिनको मिलाकर अववयों से एकीभूत होकर एक अक्षर का निर्माण हुआ "ऊँ" ओम यहीे हमारा एवं हम सबका मूल मंत्र है और भारत के साथ-साथ हमारे भक्त अनेकों जगह पर हमारी श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना करके सिद्धि भी प्राप्त करते हैं
यह सभी बात सुनकर सभी लोगों में एकदम सन्नाटा छा गया और किसी के मुंह से बेकार भी नहीं आ रही थी यह जय हो कैलाशपति और शिव शंभू जय हो त्रिलोकीनाथ जय हो भोले शंकर जय हो शिव शंकर जय हो केदारनाथ भोलेनाथ के इसी तरीके के हजारों नाम से जाने जाते हैं और उनकी प्रशंसा करने वालों की भी कमी नहीं है
आनाथ गरीब बच्चे की कहानी | The story of the orphaned poor child.