सूर्य षष्ठी व्रत क्या है? | जानिए सूर्य षष्ठी व्रत कथा, पूजा विधि और महत्व

यह विशाल हिंदू धर्म का एक व्रत और त्योहार है, जो भगवान सूर्य भगवान और छठ मैया के उद्देश्य से मनाया जाता है।  जो हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी और चैत्र शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है।  

यह मुख्य रूप से झारखंड और बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित दुनिया के कई देशों और पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।  जहां कहीं भी इस व्रत के उपासक हैं और जो सूर्य देव की पूजा करते हैं।  

इस अवसर पर यह पर्व मनाया जाता है।  क्योंकि यह सूर्य और षष्ठी देवी से संबंधित है, जहां एक बहुत ही प्राचीन और बहुत ही वैदिक और पौराणिक व्रत है।  साथ ही यह अत्यंत कठिन अनुष्ठान और अत्यधिक श्रद्धा और धार्मिकता का व्रत है।  इसके प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य, यश, कीर्ति आदि की प्राप्ति होती है। 

 ऋग्वेद, विष्णु पुराण और रामायण, महाभारत आदि सूर्य देव की पूजा और उपासना के सभी कालखंडों में पाए जाते हैं।  बात चाहे देवताओं के राज्य छीनने की हो या देवताओं से उनके राज्य आदि की हानि की, भगवान सूर्य देव ने सभी कठिन समय में योद्धाओं और भक्तों को निर्भीकता प्रदान की थी।  

छठ तिथि में होने के कारण इसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।  जिसके कारण इस तिथि को षष्ठी माता की भी पूजा की जाती है।  क्योंकि सूर्य देव और षष्ठी देवी को भाई-बहन माना जाता है।  सूर्य देव पंच देव समूहों में शामिल हैं।  इसलिए किसी भी छोटी-बड़ी पूजा और हवन आदि में सूर्य की पूजा किए बिना कार्य की सफलता में संशय बना रहता है। 

 

इस व्रत को सभी स्त्री-पुरुष करते हैं।  क्योंकि सूर्य सबकी आत्मा है।  उनके बिना इस प्रकृति को संतुलित करना असंभव है।  इसलिए जल और प्रकाश और हमारे जीवन के कारण ही सूर्य की उपासना का एक बहुत बड़ा और महान पर्व है।  जिसे सभी बड़ी श्रद्धा से करते हैं।  यह पर्व चार दिनों का होता है।  जिससे इसकी तैयारी चौथ से ही शुरू हो जाती है.  और पवित्रता को ध्यान में रखते हुए, हर समय उपलब्ध और सूर्य पूजा और षष्ठी तिथि के लिए निर्धारित सामग्री के अनुसार, फल, फूल, मिठाई और कई प्रकार के भोग परिवार की परंपरा के अनुसार तैयार किए जाते हैं।  और उपवास करने वाले पुरुष और महिलाएं, दोनों ही बिना पानी और भोजन किए इस व्रत का पालन करते हैं।  और षष्ठी के दिन अस्त होने के बाद अर्घ्य देकर सूर्य को प्रणाम करते हैं।  और उनकी पूजा करें।  और दूसरे दिन यानि सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य दें।

Surya Shashthi fasting story

  

इस पर्व पर गंगा आदि जलाशयों की साफ-सफाई और साज-सज्जा पर विशेष ध्यान दिया जाता है और जहां शहरों आदि में जलाशय उपलब्ध नहीं होते वहां सामूहिक पूजा और अर्घ्यदान के लिए अस्थायी जलाशयों का निर्माण किया जाता है.  जहां सभी एकत्रित होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं।  और उनकी पूजा करें।


  सूर्य षष्ठी व्रत और पूजा विधि

  सूर्य षष्ठी व्रत में पूजा के लिए शुद्धता और पवित्रता का बहुत महत्व है।  व्रत साधक कार्तिक और चैत्र शुक्ल की चतुर्थी तिथि से व्रत की तैयारी करते हैं।  और फल, फूल और मिठाइयाँ और घर पर शुद्ध रूप से तैयार व्यंजन सूर्य पूजा में भगवान सूर्य नारायण को अर्पित किए जाते हैं।  और आप सभी को शुभकामनाएं।  इसके साथ ही हम देश और दुनिया में शांति की कामना भी करते हैं।  और महिलाएं बड़े भक्ति गीत और संगीत गाती हैं जो स्थानीय और लोक भाषा में हैं और उपवास मनाते हैं।


  सूर्य षष्ठी व्रत कथा

  इस व्रत और पूजा के संबंध में हमारे धर्मग्रंथों में कई कथाएं और कथाएं मिलती हैं।  जिसमें देवताओं के युद्ध को हराकर फिर से सूर्य नारायण को प्रसन्न किया।  अर्थात षष्ठी और सप्तमी तिथि को सूर्य की उपासना करके उन्हें प्रसन्न कर युद्ध में विजय प्राप्त करें।  इसी प्रकार सूर्य षष्ठी और सप्तमी तिथि आदि पर भगवान राम और माता सीता द्वारा सूर्य की पूजा का बहुत महत्व है।


  भारत में हर साल आर्य संस्कृति का महान पर्व गंगा-यमुना तट के लोग सूर्य षष्ठी (छठ पर्व) कार्तिक शुक्ल षष्ठी को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।  इस दिन वे भगवान भास्कर की पूजा करते हैं, और कार्तिक शुक्ल सप्तमी पर, उभरते हुए भगवान, भगवान आदित्य को अर्घ्य देकर, पूजा करते हुए, प्रार्थना करते हुए, अपने और अपने देश की समृद्धि की कामना करते हैं।


  दुनिया की सबसे अच्छी मानी जाने वाली प्रजातियों में से कई खुद को आर्यंशी कहती हैं।  जर्मन नाज़ी, ईरानी, ​​​​फ़्रांसीसी, इटालियंस सभी का दावा है कि वे आर्य वंश के हैं।  हैरानी की बात यह है कि इनमें से किसी में भी आर्य संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक कुछ भी नहीं है।


  गंगा-यमुना का पवित्र तट आर्यों का वांछित गंतव्य था।  पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लाखों पुरुष और महिलाएं हर साल भगवान भास्कर की पूजा करते हैं, जिन्हें प्रतिशदेव और विश्वदेवता के नाम से जाना जाता है, हर साल अत्यंत पवित्रता के साथ।  यह त्योहार जाति और पंथ से परे है और विविधता में भारत की एकता का एक जीवंत उदाहरण है।


  ब्रिटिश काल में गिरमिटिया मजदूर के रूप में चले गए पूर्वांचल के भारतीयों ने अपने रीति-रिवाजों, तीज त्योहार और प्रतीकों के बल पर दुनिया भर में सूर्य षष्ठी बनाई है।  छठ का महान त्योहार मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद आदि कई देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।


  पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की सप्तमी को सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच वेदमाता गायत्री का जन्म हुआ था।  ब्रह्मर्षि वशिष्ठ से भेजे जाने के बाद राजऋषि विश्वामित्र के मुख से गायत्री मन्त्र नामक यजुष निकला।

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  भगवान सूर्य की पूजा करते समय, विश्वामित्र के मुख से वेदमाता गायत्री अचानक उनके मन में एक गद्य यजुष की रचना करने की इच्छा से प्रकट हुई थी।  ऐसे यजुष (एक मंत्र जो गद्य में होते हुए भी पद्य की तरह गाया जाता है) को वेदमाता होने का गौरव प्राप्त था।  यह पवित्र मंत्र दृश्य देव आदित्य अर्घ्य की उपासना का अद्भुत परिणाम था।  तब से कार्तिक शुक्ल षष्ठी की तिथि सबसे अधिक पूजनीय हो गई है। 

सूर्य देव जुडी बहुत सारे प्रश्न 

सूर्य देव की उपासना कैसे करनी चाहिए (soory dev kee upaasana kaise karanee chaahie)


सूर्य देव की उपासना:सूर्य देव की उपासना करने के लिए कुछ आसान तरीके हैं जिन्हें आप अपना सकते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ सुझाव:

सूर्य देव को सलाम करें: सूर्य उगते समय और डूबते समय को नमस्कार करना शुभ माना जाता है। इसके लिए, अपने हाथ जोड़कर उनकी ओर मुड़कर नमस्कार करें।

मंत्र जप करें: सूर्य देव को जप करने के लिए कई मंत्र हैं जो आप उच्चारण कर सकते हैं। सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाले मंत्र हैं - "ॐ घृणि सूर्याय नमः" या "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः"।

प्रार्थना करें: सूर्य देव को अपने जीवन में आने वाली बुराई से बचाने के लिए आप प्रार्थना कर सकते हैं। आप उनसे स्वस्थ रहने और सफलता प्राप्त करने की भी प्रार्थना कर सकते हैं।

सूर्य देव की आरती गाएं: सूर्य देव की आरती को गाकर उनकी उपासना की जा सकती है। सूर्य देव की आरती का पाठ करने से आप अपने मन को शांत कर सकते हैं और अधिक उत्साह से उनकी उपासना कर सकते हैं।

सूर्य पूजा सामग्री (soory pooja saamagree)

सूर्य पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

सूर्य मंत्र की माला - जैसे कि "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" आदि मंत्रों की माला।

धूप और दीप - अगरबत्ती और कपूर धूप, तेल का दीप आदि।

पुष्प - सूर्य को प्रसन्न करने के लिए फूल जैसे गेंदा, सूर्यमुखी, मरीगोल्ड आदि का उपयोग किया जाता है।

गंध - चंदन का पत्ता, चंदन का पाउडर आदि सूर्य की पूजा में उपयोग किए जाने वाले गंध होते हैं।

नारियल - नारियल के छिलके को सूर्य की पूजा में उपयोग किया जाता है।

फल - सूर्य की पूजा में फल जैसे कि केला, नारंगी, सेब आदि का उपयोग किया जाता है।

जल - पूजा के दौरान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।

यह सामग्री सूर्य की पूजा के दौरान उपयोग में लाई जाती है।

सूर्य उपासना से क्या होता है (soory upaasana se kya hota hai)

सूर्य उपासना से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से व्यक्ति को कई लाभ होते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ मुख्य लाभ:

स्वस्थ शरीर: सूर्य उपासना करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है जो उसको स्वस्थ रखने में मदद करती है। इससे शरीर की कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है जो सेहतमंद जीवन जीने में मदद करती है।

मानसिक शांति: सूर्य उपासना करने से मन शांत होता है और चिंताओं से मुक्त होता है। इससे मन में सकारात्मकता आती है जो आपको जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करती है।

आध्यात्मिक विकास: सूर्य उपासना करने से आध्यात्मिक विकास होता है। इससे आप अपने आत्मा के साथ जुड़ जाते हैं और इंसानियत के धर्म, नैतिकता और दया के मूल्यों को समझने में मदद मिलती है।

सफलता: सूर्य उपासना करने से जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है। सूर्य देव से ऊर्जा मिलने से आप अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में सक्षम होते हैं।

उपासना कैसे की जाती है (upaasana kaise kee jaatee hai)

उपासना ध्यान, मनन और भक्ति के साथ ईश्वर के साथ अनुभव करने की एक विशेष प्रक्रिया है। यह एक स्पष्ट ध्येय के लिए जोर देने की एक शक्तिशाली प्रक्रिया है जो आपको दिव्यता और ऊंचाइयों के अनुभव से जोड़ती है।

उपासना करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाना चाहिए:

एक शांत स्थान का चयन करें जहां आप उपासना कर सकते हैं। आप एक ध्यान कक्ष या मंदिर भी चुन सकते हैं।

एक समर्पित वातावरण बनाएं और एक प्रतिमा, मूर्ति या चित्र के सामने बैठें जिस पर आप अपनी उपासना केंद्रित करना चाहते हैं।

उपयुक्त बैठक लें, जैसे कि पीठ सहित चौखट पर बैठे या पूर्ण पादमासन आसन में बैठें।

अपनी उपासना के लक्ष्य के बारे में ध्यान केंद्रित करें। यह ईश्वर या किसी देवता, देवी या उपासना करने वाले के उद्देश्य पर निर्भर करता है।

अपनी उपासना में ध्यान केंद्रित करने के लिए मंत्र या जाप का उपयोग करें। आप अपनी इच्छा नुसार कर सकते हैं. 

सूर्य उपासक कौन हैं (soory upaasak kaun hain)

सूर्य उपासना विभिन्न धर्मों, जैसे कि हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में महत्वपूर्ण है। सूर्य को जीवनदायक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है और वह आकाश में स्थित सबसे बड़ा तापग्रंथि होता है।

इसलिए, सूर्य उपासक वह लोग होते हैं जो सूर्य के आदर और पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में, सूर्य को देवता के रूप में पूजा जाता है और सूर्य उपासक दिन के विभिन्न समयों में सूर्य की आराधना करते हैं। सूर्य उपासना में ध्यान केंद्रित करने के लिए आमतौर पर सूर्य नमस्कार और सूर्य स्तोत्र जैसे मंत्रों का उपयोग किया जाता है।

जैन धर्म में, सूर्य को जैन तीर्थंकर भगवान रिषभदेव का एक अवतार माना जाता है और सूर्य को पूजा के लिए उपयोग किया जाता है। बौद्ध धर्म में, सूर्य ध्यान को सम्मिलित किया जाता है जो मेंडिटेशन और मिन्डफुलनेस के रूप में जाना जाता है।

सूर्य को मजबूत करने के लिए क्या करें (soory ko majaboot karane ke lie kya karen)

सूर्य को मजबूत करने के लिए आप निम्नलिखित कुछ तरीकों का पालन कर सकते हैं:

सूर्य के नीचे से नहाएँ: सूर्य के नीचे नहाना सूर्य के उपर अधिक गर्म और नुकसानकारी असर डालता है। इसलिए, सूर्य के उग्र प्रभाव से बचने के लिए सूर्य नहाने से पहले धूप से बचें और जब सूर्य ध्यान करते हों तब भी सूर्य की उग्रता ध्यान में न लाएँ।

सूर्य का पूजन करें: सूर्य का पूजन करने से आप सूर्य के प्रभाव को अपने ऊर्जा के साथ जोड़ते हैं और अपने मन को शांत रखते हुए उससे संवाद करते हैं।

सूर्य से संबंधित आहार लें: सूर्य से संबंधित खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आप सूर्य के प्रभाव को अपने शरीर के साथ जोड़ते हैं। केले, नारियल पानी, ताजा फल, सब्जियां और हरे पत्ते आपके शरीर को सूर्य की ऊर्जा से भर देते हैं।

सूर्य के समय पर उठें: सूर्य के समय उठने से आप अपने शरीर को सूर्य के प्रभाव से जोड़ते हैं। सूर्य के उग्र प्रभाव से बचे.

सूर्य देव को खुश कैसे करे (soory dev ko khush kaise kare)

सूर्य देव को खुश करने के लिए आप निम्नलिखित कुछ तरीकों का पालन कर सकते हैं:

सूर्य देव का पूजन करें: सूर्य देव की पूजा करने से आप उनके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। सूर्य देव को जल, फूल, दीपक और धूप से प्रसन्न कर सकते हैं।

सूर्य देव का ध्यान करें: सूर्य देव के लिए ध्यान करने से आप उन्हें समर्पित महसूस करते हैं। सूर्य देव के लिए सदाचारी जीवन जीते हुए आप उन्हें खुश कर सकते हैं।

सूर्य देव का नाम जपें: सूर्य देव के नाम का जप करने से आप उन्हें खुश कर सकते हैं। यह आपको सूर्य देव के संग संवाद में लाता है और आपको उनकी कृपा प्राप्त होती है।

सूर्य देव के लिए व्रत रखें: सूर्य देव के लिए व्रत रखने से आप उन्हें खुश कर सकते हैं। यह आपको सूर्य देव के लिए ध्यान रखने और उनके प्रति समर्पित होने के लिए प्रेरित करता है।

सूर्य के समय पर उठें: सूर्य के समय उठने से आप उन्हें खुश कर सकते हैं। 

सूर्य देव को जल देते समय क्या बोलना चाहिए (soory dev ko jal dete samay kya bolana chaahie)

सूर्य देव को जल देते समय आप निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकते हैं:

"ॐ घृणि सूर्याय नमः"

इस मंत्र का जाप करते समय आपको सूर्य देव के प्रति समर्पित भाव रखना चाहिए और जल को उनकी अर्चना के रूप में समझना चाहिए। आप भगवान सूर्य के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को ज्योतिर्मय जल के रूप में व्यक्त कर सकते हैं। इस प्रकार आप सूर्य देव के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण का अभिव्यक्ति कर सकते हैं।

सूर्य मजबूत कब होता है (soory majaboot kab hota hai)

सूर्य जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसे मजबूत करने के लिए आप उपरोक्त बताए गए तरीकों का अनुसरण कर सकते हैं।

हालांकि, सूर्य निरंतर मजबूत रहता है और हमारे जीवन में उसकी भूमिका अनमोल होती है। सूर्य की ताकत और उसके द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रकाश और ऊष्मा हमें ताजगी, स्वस्थ और जीवनशक्ति प्रदान करते हैं।

इसलिए, हमें सूर्य का सम्मान करना चाहिए और उसके उपासना का अभ्यास करना चाहिए। सूर्य के प्रति निरंतर श्रद्धा रखने से हम उसके साथ जुड़ते हैं और हमें उससे अधिक समझ, ऊर्जा और शक्ति प्राप्त होती है।

सूर्य भगवान से प्रार्थना कैसे करें (soory bhagavaan se praarthana kaise karen)

सूर्य भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखने वाले व्यक्ति उनसे प्रार्थना कर सकते हैं। सूर्य भगवान से प्रार्थना करने के लिए निम्नलिखित विधि का अनुसरण कर सकते हैं:

सूर्योदय समय पर उठें और सूर्य की ओर देखें। सूर्य की आराधना के लिए उसके ऊपर निहित वस्तुओं की पूजा भी की जा सकती है, जैसे कि फूल, धूप आदि।

सूर्य भगवान के लिए शुद्ध और साफ जगह पर जाएं। अपनी आंखें बंद करें और ध्यान केंद्रित करें।

सूर्य भगवान को उनके विभिन्न नामों से संबोधित करें। नामों में से कुछ नाम निम्नलिखित हैं - भास्कर, मार्तण्ड, सविता, आदित्य, अर्क आदि।

सूर्य भगवान को समर्पित मंत्र जप करें। "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" यह मंत्र सूर्य भगवान के लिए अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।

सूर्य भगवान के लिए अपनी प्रार्थना करें। आप उनसे अपने समस्याओं का समाधान मांग सकते हैं 

कौन सा धर्म सूर्य से प्रार्थना करता है (kaun sa dharm soory se praarthana karata hai)

विभिन्न धर्मों में सूर्य भगवान को प्रार्थना का विषय बनाया गया है। कुछ धर्मों में सूर्य को एक प्राथमिक देवता माना जाता है जो जीवन का स्रोत होता है। इसलिए उन धर्मों में सूर्य के सामने आराधना और प्रार्थना करने की रीति उपलब्ध होती है।

हिंदू धर्म में सूर्य देव को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है और उनका आराधना करने के लिए सूर्य उपासना, सूर्य नमस्कार, सूर्य चालीसा, सूर्य स्तोत्र और सूर्य वंदना जैसी भक्ति और पूजा विधियां होती हैं।

जैन धर्म में भी सूर्य को महत्वपूर्ण देवता माना जाता है और उनकी आराधना के लिए जैन सूर्य स्तोत्र उपलब्ध होता है।

बौद्ध धर्म में भी सूर्य भगवान का महत्व होता है और सूर्य प्रार्थना के लिए बौद्ध मन्त्र उपलब्ध होते हैं।

अन्य धर्मों में भी सूर्य का महत्व होता है और वे अपनी विशिष्ट पूजा विधियां रखते हैं जिनमें से कुछ धर्म हैं जो सूर्य को अपने देवताओं की सूची में शामिल होते हैं.

सूर्य उपासना विधि (soory upaasana vidhi)

सूर्य उपासना करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन कर सकते हैं:

सबसे पहले सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य करने के लिए, एक थाली लें और उसमें गंगा जल डालें। फिर सूर्य को ध्यान में रखते हुए, उसके दिशा में थाली को उठाकर उसकी ओर अर्घ्य करें।

दूसरी चरण में, सूर्य देव को प्रणाम करें। इसके लिए, सूर्य की ओर मुड़कर एक पूजा स्थल बनाएं और उसकी ओर प्रणाम करें।

अब, सूर्य देव के लिए मंत्र जप करें। आप अपनी पसंद के अनुसार कोई भी सूर्य मंत्र जप कर सकते हैं, जैसे ओं सूर्याय नमः या ओं ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।

सूर्य उपासना के दौरान, सूर्य देव की आराधना करते हुए, सूर्य के दिशा में ध्यान केंद्रित करें। ध्यान लगाने के लिए, आप सूर्य देव के चित्र को देख सकते हैं या फिर उसकी ओर अपने आंखों को फोकस कर सकते हैं।

सूर्य उपासना के दौरान, आप सूर्य देव के लिए आरती भी गा सकते हैं। आरती करने से पहले, आप धूप और दीप जला लें 

सूर्य का सबसे प्रभावशाली मंत्र (soory ka sabase prabhaavashaalee mantr)

सूर्य का सबसे प्रभावशाली मंत्र है "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" (Om Hraam Hreem Hroum Sah Suryaya Namah)। यह मंत्र सूर्य देवता के लिए उत्तम माना जाता है और सूर्य उपासना के लिए बहुत उपयुक्त होता है।

इस मंत्र को सूर्योदय के समय जप किया जाना अधिक फलदायी माना जाता है। सूर्य उपासकों को इस मंत्र को नियमित रूप से जप करने का सलाह दी जाती है जो सूर्य के शक्ति को अधिक प्रभावी बनाने में मदद करता है।

सूर्य कवच के फायदे (soory kavach ke phaayade)

सूर्य कवच एक तांत्रिक पाठ है जो सूर्य देव की स्तुति और रक्षा करता है। यह कवच सूर्य उपासना का अहम अंग होता है जो सूर्य की कृपा और अनुग्रह को प्राप्त करने में सहायता करता है। निम्नलिखित हैं कुछ सूर्य कवच के फायदे:

सूर्य कवच धारण करने से व्यक्ति को सूर्य देव के आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है जो उन्हें स्वस्थ, समृद्ध और सफलता प्रदान करते हैं।

सूर्य कवच नेत्रों की रक्षा करता है और नेत्र रोगों से बचाता है।

यह कवच मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है जो चिंता, तनाव और अस्थिरता से मुक्त करता है।

सूर्य कवच बुरी नज़र, तंत्र-मंत्र और शैतानिक शक्तियों से रक्षा करता है।

इस कवच को नियमित रूप से धारण करने से स्वास्थ्य सुधारता है और रोगों से बचाव होता है।

सूर्य कवच उत्तम ध्यान करने में मदद करता है और व्यक्ति को ध्यान की अधिक शक्ति प्रदान करता है।

सूर्य चालीसा पढ़ने के फायदे (soory chaaleesa padhane ke phaayade)

सूर्य चालीसा का पाठ करने से बहुत से लाभ हो सकते हैं। नीचे कुछ फायदे बताए गए हैं:

सूर्य चालीसा के पाठ से मन और शरीर को शांति मिलती है। यह चालीसा मन को शुद्ध करती है और निरंतर चिंतन की स्थिति में लाती है।

सूर्य चालीसा के पाठ से व्यक्ति को अधिक शक्ति और ऊर्जा मिलती है। इससे व्यक्ति जीवन में अधिक सक्रिय बनता है और काम करने की क्षमता में वृद्धि होती है।

सूर्य चालीसा के पाठ से शरीर में अंतर्दृष्टि की शक्ति बढ़ती है। इससे आंतरिक संतुलन बना रहता है और शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।

सूर्य चालीसा के पाठ से मन को स्थिर करने में मदद मिलती है। यह चालीसा मन को चिंताओं से मुक्त करती है और मन को शांत करने में मदद करती है।

सूर्य चालीसा के पाठ से धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यह चालीसा भूत-पिशाच और अन्य शैतानी शक्तियों से रक्षा करती है।

सूर्य उपासना मंत्र (soory upaasana mantr)

सूर्य उपासना के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जा सकता है:

  • ॐ मित्राय नमः। (Om Mitraya Namah)
  • ॐ भानवे नमः। (Om Bhanave Namah)
  • ॐ खगाय नमः। (Om Khagaya Namah)
  • ॐ पूष्णे नमः। (Om Pushne Namah)
  • ॐ हिरण्यगर्भाय नमः। (Om Hiranyagarbhaya Namah)
  • ॐ मरीचये नमः। (Om Marichaye Namah)
  • ॐ आदित्याय नमः। (Om Adityaya Namah)
  • ॐ सवित्रे नमः। (Om Savitre Namah)
  • ॐ अर्काय नमः। (Om Arkaya Namah)
  • ॐ भास्कराय नमः। (Om Bhaskaraya Namah)

इन मंत्रों को सूर्योदय और सूर्यास्त के समय नित्य जप किया जा सकता है। सूर्य देव की उपासना के लिए व्यक्ति इन मंत्रों को जपते हुए सूर्य की ओर ध्यान कर सकते हैं।

सूर्य साधना और अनुभव (soory saadhana aur anubhav)

सूर्य साधना एक प्रकार की ध्यान विधि है जिसमें सूर्य देव को ध्यान में लिया जाता है। इस साधना के द्वारा, व्यक्ति सूर्य की ऊर्जा को अपने अंदर लेता है और उससे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करता है।

सूर्य साधना के लिए, सूर्य देव को उपासने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले सूर्योदय के समय जागना चाहिए। सूर्य देव को समर्पित जप, मंत्र ध्यान या तंत्र साधना के द्वारा उपासना की जाती है। यह साधना सूर्य की ऊर्जा को अपने अंदर समेटने और उससे जुड़ने की मदद करती है।

सूर्य साधना के लाभों में शामिल हैं शारीरिक तंदुरुस्ती, मानसिक स्थिरता, आध्यात्मिक उन्नति और स्वयं के साथ और अपने आसपास के साथ संतुलन का विकास। इस साधना से मन की चंचलता और तनाव कम होता है और व्यक्ति धैर्य, स्थिरता और सुख-शांति का अनुभव करता है। इसके अलावा, सूर्य साधना से व्यक्ति को अपनी बुद्धि की ऊर्जा भी बढ़ती है 

सूर्य को कितनी बार जल देना चाहिए (soory ko kitanee baar jal dena chaahie)

सूर्य को जल देने की संख्या या बार की गणना के लिए कोई निश्चित नियम नहीं है। हालांकि, आमतौर पर सूर्य की पूजा या आराधना में, अधिकतर लोग सूर्य को सम्मान और आदर्श से एक या दो बार जल देते हैं। यह एक पौराणिक रूप से स्थापित रीति है जो सूर्य की शक्ति को समझती है और उसे धन्यवाद देने के लिए की जाती है।

वैदिक साहित्य में भी, सूर्य को एक बार जल देने की सिफारिश की गई है। हालांकि, इसमें भी कोई निश्चित संख्या नहीं है और इसका मतलब यह नहीं है कि आपको सूर्य को सिर्फ एक बार ही जल देना चाहिए। आप अपनी आराधना और उपासना के अनुसार सूर्य को जल दे सकते हैं। यदि आप इसे दैनिक रूप से करना चाहते हैं, तो आप सूर्योदय के समय जल दे सकते हैं या फिर संध्या काल में सूर्यास्त के समय। भी दे सकते हैं.

सूर्य भगवान से प्रार्थना कैसे करें (soory bhagavaan se praarthana kaise karen)

सूर्य भगवान को प्रार्थना करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन करें:

सबसे पहले अपने शुद्ध मन और शरीर से युक्त होने का समय चुनें।

एक स्थिर स्थान पर बैठें या खड़े हो जाएँ और अपनी दृष्टि को सूर्य की ओर ले जाएँ।

सूर्य की ओर ध्यान केंद्रित करें और उसे भगवान के रूप में सोचें।

अपनी मन की आवाज़ में सूर्य भगवान से अपनी मनोकामनाएं कहें और उनसे अपने जीवन में आशीर्वाद मांगें।

प्रार्थना के अंत में, धन्यवाद दें और भगवान को अपनी समस्त अर्पण करें।

इसके अलावा, आप सूर्य भगवान के लिए विशेष पूजा और आराधना भी कर सकते हैं। आप एक पंचांग ले सकते हैं जो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय का निर्धारण करता है और उस समय पूजा कर सकते हैं। विशेष तौर पर, चैत्र नवरात्रि के दौरान सूर्य भगवान की पूजा करने का विशेष महत्व होता है।

सूर्य को जल देते समय कितनी परिक्रमा करनी चाहिए(soory ko jal dete samay kitanee parikrama karanee chaahie)

सूर्य को जल देने के लिए कोई निश्चित परिक्रमा नहीं है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप कितने दूर से जल की बोतल या जग को सूर्य की दिशा में फेंकने जा रहे हैं।

हालांकि, यदि आप ज्यादा से ज्यादा सूर्य की दिशा में जल फेंकना चाहते हैं तो आपको सूर्य के घूर्णन चक्र के आधार पर अपनी परिक्रमा का निर्णय लेना चाहिए। यह चक्र धरती के अवलोकन से उत्तरी दिशा में घूमता है। इसलिए, आपको सूर्य के उदय की दिशा में जल फेंकते हुए पूर्ण चक्र का आधा यानी 180 डिग्री परिक्रमा करना चाहिए।

यदि आप अपनी भौतिक स्थिति के कारण इस परिक्रमा का निर्णय नहीं ले सकते हैं, तो आप सूर्य को जल देते समय सूर्य के आकार और आपकी दूरी के आधार पर अपनी परिक्रमा का निर्णय ले सकते हैं।

सूर्य देव का आशीर्वाद कैसे मिलता है (soory dev ka aasheervaad kaise milata hai)

सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपको निम्नलिखित कार्यों को अपनाना चाहिए:

सूर्य देव के दिन अपने घर या मंदिर में सूर्य देव की पूजा और आराधना करें। ध्यान रखें कि आप इस पूजा को सूर्योदय के समय करें।

सूर्य देव के लिए विशेष मंत्रों का जाप करें। सूर्य देव के लिए विशेष मंत्र "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" है।

सूर्य देव की किरणों को अपने शरीर पर लगाएं। सूर्य देव की किरणों के संपर्क में आने से शरीर के अंगों का विकास होता है और वे स्वस्थ रहते हैं।

सूर्य देव के लिए विशेष दान करें। आप सूर्य देव के लिए जल, फूल, अर्घ्य आदि दान कर सकते हैं।

आप सूर्य देव को अपने जीवन में अधिक स्थान देने के लिए सूर्य देव की आराधना कर सकते हैं। उनके लिए नियमित रूप से पूजा और ध्यान करें।

इन सभी कार्यों के साथ-साथ, आप सदैव जीवन में समय बिताने के लिए सूर्य देव को धन्यवाद दें 

सूर्य उपासना पुस्तक (soory upaasana pustak)

कुछ सूर्य उपासना पुस्तकों के नाम निम्नलिखित हैं:

"अधिबौद्धिक ज्ञान में सूर्य की उपासना" - यह पुस्तक विभिन्न धार्मिक विचारधाराओं में सूर्य की उपासना के बारे में बताती है। इसमें सूर्य के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक गुणों के बारे में भी चर्चा की गई है।

"सूर्य उपासना साधना" - यह पुस्तक सूर्य की उपासना के विभिन्न विधियों और तरीकों के बारे में विस्तार से बताती है। इसमें सूर्य की उपासना से संबंधित विभिन्न मंत्रों और जाप के बारे में भी बताया गया है।

"सूर्य योग" - इस पुस्तक में सूर्य के साथ योग का संबंध और सूर्य की उपासना के बारे में विस्तार से विवरण दिया गया है। यह पुस्तक सूर्य योग के अभ्यास के लिए विभिन्न विधियों और तरीकों को भी बताती है।

"सूर्य उपासना साधना की संपूर्ण विधियाँ" - इस पुस्तक में सूर्य की उपासना के बारे में संपूर्ण विधियाँ बताई गई हैं। यह पुस्तक अधिकतर धार्मिक परंपरा हेतु छापी गयी हैं. 

सूर्य के गुप्त उपाय (soory ke gupt upaay)

सूर्य के गुप्त उपाय के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी मैंने नहीं पाई है। हालांकि, कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि सूर्य के गुप्त उपाय से न केवल उन्हें शक्ति मिलती है बल्कि उनकी जीवन में समृद्धि भी होती है। हालांकि, इस विषय में कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

धार्मिक दृष्टिकोण से, सूर्य देवता को अत्यंत महत्व दिया जाता है और उसके उपासना के कई विधान होते हैं। इसमें शामिल हैं सूर्य उपासना, सूर्य सलामती मंत्र जप, सूर्य नमस्कार, सूर्य कवच आदि। ये सभी विधान एक विशिष्ट प्रभाव डालते हैं जो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

लेकिन अन्य दृष्टिकोण से, सूर्य के गुप्त उपाय या किसी भी गुप्त उपाय का प्रयोग करना समझदारी नहीं होती है। आपको सावधान रहना चाहिए और केवल वैज्ञानिक विधियों का पालन करना चाहिए जो आपके स्वास्थ्य और विकास के लिए उपयोगी होंगी।

सूर्य उपासना के फायदे (soory upaasana ke phaayade)

सूर्य उपासना करने के कई फायदे होते हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

त्वचा के लिए फायदेमंद: सूर्य की किरणों में उपस्थित उल्ट्रा वायलेट रेडिएशन त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। सूर्य उपासना करने से त्वचा में मेलेनिन उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे त्वचा गोरी और स्वस्थ बनती है।

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक: सूर्य की किरणें विटामिन डी की उत्पत्ति के लिए अत्यंत आवश्यक होती हैं। विटामिन डी से हड्डियों और दाँतों को स्वस्थ रखा जा सकता है। सूर्य उपासना करने से शरीर को आवश्यक विटामिन डी मिलता है।

ब्रीज के लिए फायदेमंद: सूर्य उपासना करने से नसों में रक्त का संचार बेहतर होता है और ब्रीज शांत होता है।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद: सूर्य उपासना करने से मन को शांति मिलती है और उन्नति होती है। सूर्य उपासना ध्यान का एक फार्म होता है, जो मन को शांत करता है और स्वस्थ रखता है

सूर्य साधना विधि (soory saadhana vidhi)

सूर्य साधना विधि कुछ इस प्रकार होती है:

सबसे पहले सूर्योदय के समय उठें। सूर्योदय के समय अधिकतर लोग अभी तक सोते होते हैं।

शुद्ध वस्त्र पहनें और स्नान करें। शुद्ध वस्त्र पहनने से शरीर में ऊर्जा का संचार अधिक होता है और स्नान करने से शरीर की शुद्धि होती है।

सूर्य की ओर मुख करके बैठें। जब आप सूर्य की ओर मुख करते हैं तो आपके शरीर का उससे संबंधित हिस्सा उसकी ऊर्जा के संचार से जुड़ जाता है।

पूर्ण नमस्कार करें। नमस्कार के दौरान आप सूर्य की आराधना करते हुए उसकी ऊर्जा का आभास करते हैं।

सूर्य ध्यान करें। अपनी आंखें बंद करके सूर्य का ध्यान करने से आप उससे जुड़ते हैं और उसकी ऊर्जा को अपने शरीर में संचारित करते हैं।

सूर्य सलामती मंत्र जप करें। सूर्य सलामती मंत्र जप करने से आपके मानसिक स्थिति अधिक उत्तम होती है और आप उसकी आराधना करते हुए उससे जुड़ते हैं।

विवाह में सूर्य पूजा विधि (vivaah mein soory pooja vidhi)

विवाह में सूर्य पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि सूर्य धर्म, आयु, स्वास्थ्य, संतान और समृद्धि का प्रतीक है। सूर्य पूजा से शुभकामनाएं दी जाती हैं कि दुल्हन-दुल्हनिया को जीवन में सफलता और खुशी मिले। नीचे दी गई है विवाह में सूर्य पूजा की विधि:

सूर्य पूजा के लिए सूर्य मंत्रों की माला लें।

अगरबत्ती और दीप जलाएं।

सूर्य की फोटो या मूर्ति के सामने बैठें।

अब, सूर्य देव को नमस्कार करें। आप इसके लिए हाथ जोड़ सकते हैं और "ॐ सूर्याय नमः" कह सकते हैं।

सूर्य मंत्रों का जप करें। सूर्य मंत्र जप करते समय, दुल्हन-दुल्हनिया को दूसरे काम में नहीं लगना चाहिए।

सूर्य के लिए फूल, फल और नारियल का उपयोग करें।

अन्त में, सूर्य देव को दक्षिण दिशा की ओर नमस्कार करें।

इस विधि का पालन करते हुए, आप विवाह में सूर्य पूजा कर सकते हैं।

सूर्य उपासना मराठी (soory upaasana maraathee)

सूर्य उपासना मराठी:सूर्य उपासना अत्यंत महत्वपूर्ण आहे कारण ती सूर्याला धर्म, आयुष्य, स्वास्थ्य, संतती आणि समृद्धीचा प्रतीक मानले जाते. सूर्याला अभिवादन करून व सूर्य मंत्र उच्चार करून आपल्या आयुष्याचे आणि उत्तम आरोग्याचे निर्माण करण्यास मदत होते. सूर्य उपासना हे एक साधना आहे ज्यामध्ये आपण सूर्याला पूजन करून आपल्या आयुष्य, संतती आणि समृद्धी विस्तार करू शकतो.

खालीलपैकी आहे सूर्य उपासना करण्यासाठीच्या स्टेप्स: १. सूर्याचे जाळे स्थानी असलेल्या जगावर जाऊन शीत शांतता वाटल्यास चार बार शांतता स्थापित करा. २. सूर्याला पूजन करण्यासाठी उत्तराभिमुख झालेल्या स्थानावर नेमका पर्यायाने उतरा. ३. सूर्य मंत्र जप करताना सूर्याचे चेहऱ्याकडे तुमचा दृष्टी देणे आवश्यक नाही, तरी सूर्याकडे दृष्टी दिसणे अनिवार्य आहे. 


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