jadui kahani जादुई टोपी की कहानी | मैजिक हैट स्टोरी | जादुई टोपी की कहानी हिंदी में


  दोस्तों आज की जादुई कहानी (jadui kahani) जादुई टोपी की कहानी | मैजिक हैट स्टोरी | जादुई टोपी की कहानी हिंदी में में हम जादू टोपी की कहानी की कहानी शेयर कर रहे हैं।  यह कहानी एक मछुआरे की है, जो नाव बनाने के लिए लकड़ी की तलाश में जंगल में भटकता रहता है।  वह जादुई टोपी कैसे प्राप्त करता है? यह jadui kahani जानने के लिए हिंदी हॉट स्टोरी हिंदी में पढ़ें


  जादुई टोपी की कहानी (story of the magic hat)


  जादुई कहानी (moral of the story)


जादू की कहानी एक गाँव में एक मछुआरा रहता था।  वह मछलियां पकड़कर और उन्हें बेचकर अपना गुजारा करता था।  वह रोज सुबह नाव लेकर समुद्र में जाता और शाम को ढेर सारी मछलियां लेकर लौटता।


  नाव ही उनकी जीविका का साधन थी।  लेकिन वह नाव सालों पुरानी थी और टूटने लगी थी।  इस डर से कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए, उसने एक नई नाव बनाने का मन बना लिया।  उस दिन वह मछली पकड़ने नहीं गया और जंगल में चला गया, ताकि नाव बनाने के लिए मजबूत लकड़ी मिल सके।




  नाव बनाने के लिए मजबूत लकड़ी की तलाश करते-करते वह घने जंगल में चला गया और रास्ता भटक गया।  शाम हो चली थी।  धीरे-धीरे अंधेरा हो रहा था।  मछुआरे की समझ में यह नहीं आ रहा था कि वह क्या करे?  और वहा से कैसे निकला जायेगा?


  तभी बहुत काले बादल आ गए, बिजली चमकने लगी और तेज बारिश होने लगी।  मछुआरा रहने के लिए आश्रय की तलाश में तेजी से आगे बढ़ने लगा।  तभी भाग्यवश उसे एक झोपड़ी दिखाई दी।  लालटेन को उस झोंपड़ी की खिड़की से रोशनी दिखाई दे रही थी।


  मछुआरा उस झोंपड़ी के पास पहुंचा और दरवाजा खटखटाने लगा।  एक बूढ़े आदमी ने दरवाजा खोला।  उसे देखकर मछुआरे ने सारा हाल कह सुनाया और कहा, “बाबा!  मैं बड़ी मुसीबत में हूँ।  मैं जंगल में इतनी अंधेरी रात कैसे बिता सकता हूँ?  मुझे रात के लिए अपने घर में आश्रय दो।


  बूढ़े ने उसे घर में बुलाया।  मछुआरे ने देखा कि उस घर में एक बूढ़ी औरत भी है।  उसने अनुमान लगाया कि वह अवश्य ही बूढ़े व्यक्ति की पत्नी होगी।  उसने उसे प्रणाम किया, लेकिन बुढ़िया ने कोई जवाब नहीं दिया और एक कोने में चूल्हे पर खाना बनाने लगी।


  बूढ़े ने एक चटाई बिछाई और मछुआरे को उस पर बैठने को कहा।  मछुआरा चुपचाप चटाई पर बैठ गया और इधर-उधर देखने लगा।  बूढ़े ने उससे बात नहीं की।  उसने वृद्धा से बात तक नहीं की।  उसका व्यवहार देखकर मछुआरा हैरान रह गया।


  कुछ देर बाद बूढ़े ने मछुआरे को खाना दिया और खुद बुढ़िया के साथ खाना खाने लगा।  फिर दोनों सो गए।  मछुआरा भी चटाई पर लेट गया।  लेकिन वह सो नहीं सका।  वह लेटे-लेटे बूढ़े और औरत के बारे में सोच रहा था।

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  दोनों उसे रहस्यमय लग रहे थे।  इतने घने जंगल में अकेले रहना और बिल्कुल बात नहीं करना।  मछुआरे को लगा जैसे वे कोई राज छुपा रहे हैं।  वह यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे एक आवाज सुनाई दी।


  उसने नजरें घुमाईं तो हैरान रह गया। jadui kahani बूढ़ा धीरे से एक संदूक के पास गया और उसमें से एक टोपी निकाली।  फिर उसे पहनकर बोले, "गिल्ली गिल्ली छू... उड़ जाओ।"


  इतना कहते ही बूढ़ा गायब हो गया।  थोड़ी देर बाद बुढ़िया उठी और संदूक के पास जाकर उसमें से एक टोपी निकाली।  फिर उसे पहनकर भी बोलीं, "गिल्ली गिल्ली छू... उड़ जाओ।"  और गायब हो जाती है ।


  यह देख मछुआरा सन्न रह गया।  अब वह झोपड़ी में अकेला था।  उसने सोचा चलो देखते हैं उस डिब्बे में क्या है।  उसने संदूक के पास जाकर उसे खोला।  उसने अंदर एक टोपी पड़ी देखी।


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  उसने वह टोपी निकाली और पहन ली।  फिर कहा, "गिल्ली गिल्ली छू... उड़ जाओ।"


  इतना कहते ही उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया।  उसे लगा कि वह उड़ रहा है।  कुछ देर बाद जब अंधेरा हो गया तो उसने अपने आप को एक महल की रसोई में पाया।  वृद्ध और महिला भी वहीं थे और एक कोने में बैठकर खाना खा रहे थे।


  वहां मछुआरे को देखकर वे हैरान रह गए।  लेकिन कुछ नहीं बोले।  जल्दी से खाना खत्म किया और महल की रसोई में रखे सोने चांदी के बर्तनों को अपनी झोली में रख लिया।  फिर टोपी पहनकर बोले, "गिल्ली गिल्ली छू... उड़ जाओ।"  और गायब हो गये।


  मछुआरा अपने स्थान पर खड़ा होकर रसोई का निरीक्षण करने लगा।  स्वादिष्ट भोजन की गंध जब उसके पास पहुंची तो उसे भूख लगी ही थी।  उसने सोचा कि मैं भी खाना खाता हूं और वह खाना खाने लगा।


  खाना खाने के बाद उसे नींद आने लगी।  दिन भर जंगल में भटकने के बाद वह बहुत थक गया था।  उसने सोचा कि अभी जाने का कोई भी ठीक समय नहीं है।  वह लेटते ही सो गया और सुबह तक सो गया।


  सुबह जब महल का रसोइया रसोई में आया तो वहाँ एक आदमी को सोता देख वह चौंक गया।  उन्होंने तुरंत सिपाहियों को बुलाया।  सिपाहियों ने मछुआरे को जगाया और उसे रस्सी से बांध दिया।  उसे राजा के सामने पेश किया गया।


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  सिपाहियों ने राजा से कहा, “महाराज!  आज हमने उस चोर को पकड़ लिया है, जो रोज महल की रसोई से सोने-चांदी के बर्तन चुराता था।


  मछुआरे ने अपना पक्ष रखने की कोशिश की, लेकिन राजा ने उसकी बात नहीं मानी और उसे मौत की सजा दे दी।  उसने सिपाहियों को आदेश दिया कि इस चोर को एक खंभे से बांधकर जिंदा जला दिया जाए।


  राजा की आज्ञा का पालन करते हुए सैनिक मछुआरे को लेकर नगर चौक पहुंचे।  एक चबूतरे पर लकड़ी का एक बड़ा लट्ठा पड़ा था।  मछुआरा उसमें बंधा हुआ था।  फिर आग जलाने के लिए उसके चारों ओर लकड़ियाँ रख दी गईं।


  महल में चोर को फाँसी होते देखने के लिए राजा सहित नगर के सभी लोग वहाँ एकत्रित हुए थे।  अपने अंतिम क्षण को देखकर मछुआरा सोचने लगा कि बिना कोशिश किए मरने से बेहतर है बचने की कोशिश की जाए।


  उसने राजा से कहा, “महाराज!  कृपया मृत्यु से पहले मेरी अंतिम इच्छा पूरी करें।


  राजा ने पूछा, "बताओ, तुम्हारी आखिरी इच्छा क्या है?"


  मछुआरे ने कहा, "महाराज! मैं टोपी पहनकर ही मरना चाहता हूँ।"


  राजा ने सिपाहियों को टोपी मछुआरे के सिर पर लगाने का आदेश दिया।  सिपाहियों ने वैसा ही किया।  टोपी सिर पर आते ही मछुआरे ने कहा, "गिल्ली गिल्ली को छू लो... उड़ जाओ।"  और गायब हो गया।


  वहां जमा सभी लोग डर के मारे भाग खड़े हुए।  उन्हें ऐसा लगा जैसे वह कोई भूत हो।


  इधर मछुआरा कहीं जा रहा था।  वह अभी भी उस लकड़ी के लट्ठे से बंधा हुआ था।  वह समुद्र के पास जमीन पर जा गिरा।  उसका गाँव पास ही था।  लेकिन इतने मोटे लट्ठे से बंधे होने के कारण वह चल नहीं पा रहा था।  गनीमत रही कि उसके पास से एक शख्स गुजरा।  उसने आवाज लगाकर उसे बुलाया और रस्सी खोलने को कहा।


  उस आदमी ने उससे पूछा अरे तुझे इस तरह किसने बाँधा?


  इस पर मछुआरे ने उसे झूठी कहानी सुनाई कि जंगल में डकैतों ने उसे इस लकड़ी के लट्ठे से बांध दिया है।  आदमी ने रस्सी खोल दी और मछुआरा आज़ाद हो गया।


  मछुआरे ने उस आदमी को धन्यवाद दिया और वह आदमी अपने रास्ते चला गया।  यहाँ मछुआरे ने देखा कि जिस लकड़ी के लट्ठे से उसे बाँधा गया था वह नाव बनाने के लिए उपयुक्त है।  इस तरह उसे नाव बनाने के लिए लकड़ी मिली।  उसने उस लकड़ी से एक नई नाव बनाई।


  जादू की टोपी उसके पास ही रही।  लेकिन, उस दिन के बाद उन्होंने कभी इसका इस्तेमाल नहीं किया।  वह अपने साधारण जीवन में खुश थे।


  कहानी की शिक्षा


  मुसीबत के समय व्यक्ति को समझदारी से काम लेना चाहिए।


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