चाणक्य नीति की 72 बातें | 72 things of Chanakya Niti

चाणक्य नीति एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है, जिसे महान विद्वान, राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री चाणक्य (कौटिल्य) ने लिखा। इसमें जीवन जीने की कला, राजनीति, धर्म, और सामाजिक व्यवहार से संबंधित गहन ज्ञान दिया गया है। नीचे चाणक्य नीति की 100 प्रमुख बातों का विस्तृत विवरण दिया गया है:

1-20: शिक्षा और ज्ञान

विद्या ही सबसे बड़ी संपत्ति है।
धन और संपत्ति नष्ट हो सकती है, लेकिन ज्ञान हमेशा साथ रहता है।

बुद्धिमान व्यक्ति से ही मित्रता करें।
मूर्ख लोगों के साथ समय व्यर्थ जाता है।

सद्गुण ही व्यक्ति का असली श्रृंगार है।
बाहरी रूप से अधिक आंतरिक गुणों को महत्व दें।

विद्या का महत्व हमेशा अमूल्य है।
एक शिक्षित व्यक्ति हमेशा सम्मान पाता है।

अभ्यास से ही विद्या प्राप्त होती है।
निरंतर प्रयास से ही सफलता मिलती है।

सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन (Chanakya Quotes in Hindi)


स्वाध्याय करें।
रोजाना कुछ नया सीखने का प्रयास करें।

ज्ञानियों की संगति करें।
अच्छे लोगों के साथ रहने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

गंभीर विषयों पर अध्ययन करें।
ज्ञान से ही जीवन में प्रगति होती है।

समय का सदुपयोग करें।
समय का सदुपयोग सफलता की कुंजी है।

विद्या धर्म की जड़ है।
ज्ञान ही धर्म और नीति का मार्गदर्शक है।

आलस्य ज्ञान का शत्रु है।
मेहनत और लगन से ही विद्या अर्जित की जा सकती है।

सत्य ज्ञान की शक्ति है।
सत्य और ईमानदारी से ही उन्नति होती है।

विद्या एक साथी है।
कठिन समय में ज्ञान ही साथ देता है।

शत्रु को जानें।
अपने शत्रु और मित्र को पहचानना ज्ञान का हिस्सा है।

नियमित अभ्यास करें।
जो ज्ञान प्राप्त हो, उसे प्रकट करने के लिए अभ्यास जरूरी है।

संयम से सफलता।
संयम और ध्यान से बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त होती हैं।

स्वाध्याय और अभ्यास सफलता की कुंजी हैं।
निरंतर पढ़ाई और प्रयास से जीवन बदलता है।

ज्ञान से आत्मसम्मान बढ़ता है।
शिक्षित व्यक्ति को समाज में सम्मान मिलता है।

ज्ञान से जीवन संवरता है।
विद्या ही मनुष्य को श्रेष्ठ बनाती है।

संकल्प लें।
जीवन में कुछ हासिल करने का दृढ़ संकल्प होना चाहिए।

21-40: मित्रता और संबंध

सच्चे मित्र का साथ कभी न छोड़ें।
मित्र ही जीवन में कठिन समय में सहायक होते हैं।

मित्रता सोच-समझकर करें।
गलत मित्र जीवन को बर्बाद कर सकते हैं।

मित्र के साथ विश्वास रखें।
संबंध विश्वास पर आधारित होते हैं।

ईर्ष्या करने वालों से बचें।
ईर्ष्यालु व्यक्ति आपका नुकसान कर सकते हैं।

सदाचारी लोगों की संगति करें।
अच्छे लोगों से प्रेरणा मिलती है।

मित्र का चुनाव सोच-समझकर करें।
किसी भी व्यक्ति पर आँख मूँदकर भरोसा न करें।

परिवार और मित्रता का महत्व समझें।
ये जीवन के दो सबसे महत्वपूर्ण आधार हैं।

धूर्त लोगों से बचें।
चालाक और धूर्त लोग आपको धोखा दे सकते हैं।

संतुलित संबंध रखें।
किसी पर भी अत्यधिक निर्भर न रहें।

सच्चे मित्र समय पर परखे जाते हैं।
कठिन समय में ही सच्चा मित्र पहचान में आता है।

मित्रता निभाएँ।
एक बार मित्र बन जाएँ तो उसे निभाएँ।

समझदार व्यक्ति से संबंध जोड़ें।
मूर्खों के साथ संबंध बनाना नुकसानदेह हो सकता है।

परिवार से हमेशा जुड़े रहें।
परिवार जीवन की नींव है।

दोस्त के दुश्मन से दूर रहें।
मित्र का शत्रु आपका भी शत्रु बन सकता है।

मित्रों से सलाह लें।
कठिन निर्णय लेने में मित्रों की सलाह मददगार हो सकती है।

मित्रता में पारदर्शिता रखें।
रिश्ते सच्चाई और ईमानदारी से मजबूत होते हैं।

धनवान मित्र का महत्व न समझें।
सच्ची मित्रता धन पर आधारित नहीं होती।

मित्रता में लालच न करें।
स्वार्थपूर्ण संबंध लंबा नहीं चलता।

मित्रता में स्थिरता रखें।
उतार-चढ़ाव में भी दोस्ती निभाएँ।

संबंधों को महत्व दें।
मित्रता और रिश्तों को प्राथमिकता दें।

41-60: धन और संपत्ति

धन का सदुपयोग करें।
व्यर्थ खर्च से बचें।

धन अर्जित करें।
मेहनत और ईमानदारी से ही धन प्राप्त करें।

धन संचय करें।
भविष्य के लिए धन बचाना जरूरी है।

दूसरों के धन पर नजर न रखें।
ईमानदारी से कमाया धन ही सुख देता है।

धन से अधिक चरित्र की चिंता करें।
धन आ-जा सकता है, लेकिन चरित्र स्थायी होता है।

अधिक लोभ न करें।
लोभ और लालच व्यक्ति को बर्बाद कर सकते हैं।

धन का सही उपयोग करें।
जरूरतमंदों की मदद करें।

फिजूलखर्ची से बचें।
धन को सोच-समझकर खर्च करें।

आवश्यकता के अनुसार ही धन अर्जित करें।
अनावश्यक धन संग्रह से अशांति होती है।

धन के पीछे अंधे न बनें।
धन से सुख नहीं खरीदा जा सकता।

संतोष धन से बढ़कर है।
संतोषी व्यक्ति सबसे सुखी होता है।

धन मेहनत से कमाएँ।
धोखाधड़ी से कमाया गया धन टिकता नहीं।

धन को निवेश करें।
सोच-समझकर निवेश करना लाभकारी है।

धनवान व्यक्ति भी मूर्ख हो सकता है।
धन ही सबकुछ नहीं है।

धन से मित्रता न करें।
स्वार्थी मित्र जल्दी धोखा देते हैं।

धन के लिए अपने आदर्श न छोड़ें।
ईमानदारी और आदर्श धन से अधिक महत्वपूर्ण हैं।

धन को साधन समझें, साध्य नहीं।
धन केवल जीवन यापन का माध्यम है।

धन का मूल्य जानें।
अनावश्यक खर्च से बचें।

धन बचाने की आदत डालें।
भविष्य के लिए धन संचय करना चाहिए।

धन से घमंड न करें।
धन का घमंड व्यक्ति को नीचे गिरा सकता है।

 धर्म और नैतिकता

धर्म से बड़ा कुछ नहीं।
धर्म के अनुसार चलना चाहिए।

सत्य ही धर्म का मूल है।
सत्य का पालन करना सबसे बड़ी सेवा है।

धर्म का पालन करें।
ईमानदारी और नैतिकता से जीएँ।

नैतिकता ही धर्म है।
नैतिक जीवन जीना सच्चे धर्म का पालन है।

परोपकार सबसे बड़ा धर्म है।
दूसरों की मदद करना सबसे बड़ी पुण्य है।

अहंकार धर्म का शत्रु है।
विनम्रता से धर्म का पालन करें।

धर्म पर विश्वास रखें।
धर्म ही जीवन को स्थायित्व प्रदान करता है।

अपने कर्तव्यों का पालन करें।
धर्म के अनुसार कार्य करें।

धर्म और ज्ञान साथ चलते हैं।
ज्ञान के बिना धर्म अधूरा है।

आध्यात्मिकता को महत्व दें।
आत्मा की शुद्धि से मनुष्य का उद्धार होता है।

**नैतिकता से जीवन संवारें।

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