कालिका माता का इतिहास | कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ राजस्थान हिंदी में


  चित्तौड़गढ़ जिले का कालिका माता मंदिर आसपास के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।  कालिका माता मंदिर में माता भद्रकाली की पूजा की जाती है, जिससे न केवल चित्तौड़गढ़ बल्कि पूरे राजस्थान के लोगों की अटूट आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है।  देश-विदेश से चित्तौड़गढ़ जिले में भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटक भी कालिका माता मंदिर में दर्शन व भद्रकाली माता के दर्शन व पूजा-अर्चना अवश्य करते हैं।

  कालिका माता मंदिर कहाँ स्थित है?

  कालिका माता का यह मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के चित्तौड़गढ़ किले में स्थित है, जिसके दक्षिण में रानी पद्मिनी का महल है।  कालिका माता मंदिर भद्रकाली माता को समर्पित है, जिसे आसपास के भक्तों द्वारा देखा जा सकता है और चित्तौड़गढ़ किले को देखने के लिए आने वाले पर्यटक भी इस मंदिर में भद्रकाली माता के दर्शन करते हैं।

  कालिका माता मंदिर का इतिहास - कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ राजस्थान का इतिहास हिंदी में।

  कालिका माता के नाम से विख्यात भद्रकाली माता को समर्पित यह मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले में स्थित है।  इस मंदिर में प्राचीन काल में भगवान सूर्यदेवी का वास था।  इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में बप्पा रावल जी ने करवाया था, जो उस समय सिसोदिया राजवंश के महाराजा थे।  इतिहासकारों का कहना है कि मुस्लिम आक्रमणकारी अलाउद्दीन खिलजी ने एक बार इस मंदिर में स्थापित सूर्य देव की मूर्ति को तोड़ दिया था और इस मंदिर के शीर्ष को कुछ नुकसान भी पहुंचाया था।

मीराबाई का मंदिर कहां स्थित है

समय परिवर्तन के साथ महाराणा हमीर सिंह ने 14वीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और इस मंदिर में बद्रकाली माता की मूर्ति भी स्थापित की।  तभी से भद्रकाली माता को समर्पित इस मंदिर को कालिका माता मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।  बाद में 16वीं शताब्दी में महाराणा सज्जन सिंह के शासनकाल में कालिका माता मंदिर में एक अखंड ज्योत प्रज्वलित की गई, जिसे आज भी इस भद्रकाली माता मंदिर के अंदर लगातार जलते हुए देखा जा सकता है।

  कालिका माता मंदिर के खुलने, बंद होने और दर्शन की तिथियां।

  माता भद्रकाली को समर्पित यह मंदिर सुबह 5:00 बजे खुलता है और रात 8:00 बजे बंद होता है।  दोस्तों आपने कई ऐसे मंदिर देखे होंगे जिनके खुलने और बंद होने के वक्त और दर्शन के वक्त में थोड़े घंटों का अंतर हुआ करता है, परन्तु इस मंदिर के खुलने और बंद होने तथा दर्शन के वक्त में कोई अलग अंतर नहीं हुआ करता है।

Kalika Mata Photo,Kalika Mata mandir Photo
pic credit: great_chittorgarh

  कालिका माता मंदिर कैसे पहुंचे?  - कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ राजस्थान कैसे पहुंचे हिंदी में?

  जैसा कि आप जानते हैं कालिका माता का मंदिर चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है, जिसकी दूरी चित्तौड़गढ़ शहर से लगभग 6.3 किलोमीटर है।  इ।  इसलिए कालिका माता मंदिर के दर्शन करने के लिए सबसे पहले चित्तौड़गढ़ जाना चाहिए, जिसके बारे में नीचे पूरी जानकारी दी गई है।

  हवाई जहाज से कालिका माता मंदिर कैसे पहुंचे?  - हिंदी में फ्लाइट से कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ राजस्थान कैसे पहुंचे।

  कालिका माता मंदिर निकटतम हवाई अड्डे ओंडवा हवाई अड्डे से लगभग 42 किमी दूर है।  की दूरी पर स्थित है।  कालिका माता मंदिर महाराणा प्रताप हवाई अड्डे से बस या निजी टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

  ट्रेन से कालिका माता मंदिर कैसे पहुँचे?  – हिंदी में ट्रेन से कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ राजस्थान कैसे पहुंचे?

  कालिका माता मंदिर निकटतम रेलवे स्टेशन चित्तौड़गढ़ से सिर्फ 8.3 किमी दूर है।  जहां से आप टैक्सी द्वारा कालिका माता मंदिर पहुंच सकते हैं।  चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन की दिल्ली और मुंबई जैसे देश के प्रमुख शहरों से उत्कृष्ट रेल कनेक्टिविटी है, जिससे चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन तक पहुंचना बहुत आसान हो जाता है।

बस से कालिका माता मंदिर कैसे पहुँचे?  - हिंदी में बस से कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ राजस्थान कैसे पहुंचे।

  कालिका माता मंदिर का निकटतम बस स्टैंड चित्तौड़गढ़ में है, जो इस मंदिर से सिर्फ 5.4 किमी दूर है।  की दूरी पर स्थित है।  कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ बस स्टैंड से टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है। 

कालिका माता की अन्य जानकारी 

कालिका माता कौन है (Who is Kalika Mata)

चित्तौड़गढ़ कालिका माता एक प्रसिद्ध हिंदू देवी हैं, जिन्हें राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ शहर में स्थित चित्तौड़गढ़ किले के अंदर स्थान समर्पित है। कालिका माता को मां भवानी, चित्तौड़गढ़ की रक्षिका, दुर्गा के रूप में भी जाना जाता है।

चित्तौड़गढ़ कालिका माता को राजस्थान की अत्यंत महत्वपूर्ण देवी माना जाता है। वह राजस्थानी साधु-संतों, राजा-महाराजों, और सामान्य श्रद्धालुओं के लिए पवित्र तीर्थस्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्हें आदिशक्ति, शक्ति, साहस, और रक्षा की देवी माना जाता है और उन्हें अंधकार के बाद आनेवाले प्रकाश का प्रतीक माना जाता है।

चित्तौड़गढ़ कालिका माता मंदिर में हर साल नवरात्रि के दौरान बड़ी धूमधाम के साथ माता की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान बहुत सारे भक्त देवी के दर्शन करने आते हैं और उन्हें अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। माता भक्तो की कामना पूरी करती हैं. 

कालिका माता किसकी कुलदेवी है (Kalika Mata is whose Kuldevi)

कालिका माता किसी विशेष कुल या गोत्र की कुलदेवी नहीं हैं। वे एक प्रसिद्ध देवी हैं जिन्हें अलग-अलग प्रदेशों और समुदायों में पूजा जाता है। कालिका माता को दुर्गा देवी के रूप में भी माना जाता है और उन्हें शक्ति और रक्षा की देवी के रूप में पूजा जाता है।

भारतीय संस्कृति में कई प्रकार की देवियों की पूजा और अराधना की जाती है और वे अलग-अलग प्रदेशों और परिवारों में कुलदेवता के रूप में मान्यता प्राप्त करती हैं। इन कुलदेवियों की मान्यता और पूजा-अराधना का प्रचलन विभिन्न क्षेत्रों और सामुदायिक संप्रदायों के आधार पर अलग-अलग होता है। कुलदेवी की पूजा के पीछे वंशजों के ऐतिहासिक, सामाजिक और आध्यात्मिक संबंधों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

इसलिए, कालिका माता को किसी विशेष कुलदेवी के रूप में नहीं माना जाता हैं, वे एक साधारण प्रसिद्ध देवी हैं जिनकी पूजा और आराधना का महत्व विभिन्न समुदायों और स्थानों में होती हैं. 

कालिका माता का मंदिर कहां है (where is the temple of kalika mata)

राजस्थान में कालिका माता के कई मंदिर हैं। कालिका माता राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित कालिका माता मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर बीकानेर शहर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

इसके अलावा, जयपुर, चित्तौड़गढ़, और अलवर जैसे राजस्थान के अन्य शहरों में भी कालिका माता के मंदिर हैं। यदि आप किसी विशेष शहर के मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं, तो कृपया उस शहर का नाम उल्लेख करें, ताकि मैं उसके बारे में अधिक जानकारी दे सकूँ।

कालिका माता का इतिहास (History of Kalika Mata)


चित्तौड़गढ़ राजस्थान के एक प्रमुख शहर और पवित्र धार्मिक स्थल है और वहां कालिका माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है। कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ का इतिहास महत्वपूर्ण है।

मान्यताओं के अनुसार, चित्तौड़गढ़ अपनी प्राचीनता के कारण प्रसिद्ध है, और कालिका माता मंदिर भी वहां के अत्यंत प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मान्यता है कि मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था और इसे पांडवों ने बनवाया था। माता कालिका अर्जुन के पराक्रमों की रक्षा करने के लिए चित्तौड़गढ़ आए थीं और यहां उन्होंने मंदिर की स्थापना की थी।

कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ के इतिहास में विभिन्न परिवर्तनों और सुधारों का सामरिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ के परिवर्तन और संकट के समय महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है, जहां स्थानीय लोग आकर्षित होते हैं और माता की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रसिद्ध माना जाता हैं. 

कालिका माता की कथा (Story of Kalika Mata)

कालिका माता, चित्तौड़गढ़ के प्रमुख देवी देवता मानी जाती हैं। इनकी कथा अत्यंत महत्वपूर्ण है और कई पुराणों में वर्णित है। यहां मैं आपको कालिका माता की एक संक्षेप में कथा सुना रहा हूँ:

कालिका माता की कथा चित्तौड़गढ़ में उस समय की है जब महाराणा प्रताप अपनी राजधानी उदयपुर से चित्तौड़गढ़ ले आए थे। राजमाता जयवंती बाई भी उनके साथ थीं।

चित्तौड़गढ़ में एक समय आया जब अकबर मुग़ल सेना के साथ चित्तौड़गढ़ पर हमला करने के लिए आया। महाराणा प्रताप और उनकी सेना अपने राजमार्ग पर अकबर की सेना से मुकाबला कर रहे थे। लड़ाई के दौरान महाराणा प्रताप और उनकी सेना को अपार तकलीफ और कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा था।

उस समय, एक महिला एक कालिका मंदिर में आई और रात्रि भोग के लिए प्रसाद ले जाने के लिए आराम से बैठ गई। वह इस मंदिर की पुजारी थीं। जब वह आराम से बैठी थी, 

चित्तौड़गढ़ में कौन सी माता का मंदिर है? (Which mother's temple in Chittorgarh Is)

चित्तौड़गढ़ जिले राजस्थान राज्य में स्थित है और वहां पर चित्तौड़गढ़ किला, जिसे चित्तौड़गढ़ का किला भी कहा जाता है, उपस्थित है. मालवा क्षेत्र की पहाड़ियों पर स्थित चित्तौड़गढ़ नगर में भगवान विष्णु की वामन अवतारी स्थली मानी जाती है.

कालिका माता का मंदिर चित्तौड़गढ़ शहर में स्थित है। यह मंदिर माता कालिका, दुर्गा देवी के रूप में पूजा जाता है। मंदिर चित्तौड़गढ़ किले के पास स्थित है और पर्यटन स्थल के रूप में भी लोकप्रिय है।

चित्तौड़गढ़ की ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्व के कारण, वहां पर विभिन्न मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, जिनमें से एक है कालिका माता का मंदिर। मंदिर में विभिन्न पूजा और आराधना अवसरों पर भक्तों का स्वागत किया जाता है और इसे स्थानीय और बाहरी पर्यटकों द्वारा धार्मिक प्रस्थान स्थल के रूप में पसंद किया जाता है।

मंदिर के आसपास खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलता हैं. 

महाकाली मंदिर कौन से राज्य में स्थित है? (Mahakali temple is located in which state Is)

महाकाली मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के खैरनीखाल गाँव में स्थित है। महाकाली मंदिर खैरनीखाल गाँव के निकटस्थ हर्षिल नदी के किनारे स्थित है और इसे स्थानीय और देशवासियों द्वारा पूज्य किया जाता है। मंदिर में मां काली की प्रतिमा स्थापित है और यहां पर विभिन्न धार्मिक आयोजनों का आयोजन किया जाता है।

कालिका माता मंत्र (Kalika Mata Mantra)

कालिका माता का मंत्र है "ॐ क्रीं कालिकायै नमः"। इस मंत्र का जाप करने से कालिका माता की कृपा प्राप्त होती है और शक्ति व प्रभाव बढ़ता है। कालिका माता मंत्र का नियमित जाप करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है और भक्त को उच्च स्तर की संयम शक्ति प्राप्त होती है। यह मंत्र कालिका माता की पूजा और उपासना में उपयोगी होता है।

मंत्र का उच्चारण करते समय ध्यान और श्रद्धा के साथ कालिका माता के सामर्थ्य पर ध्यान केंद्रित करें। आप पूर्ण भाव से मंत्र का जाप कर सकते हैं और इसका अधिक से अधिक जाप कर सकते हैं ताकि आपकी पूर्णता के साथ आपकी सामर्थ्य बढ़े।


कृपया ध्यान दें कि धार्मिक मामलों में मंत्रों का उपयोग करने से पहले एक गुरु या पंडित की सलाह लेना सुनिश्चित करें।


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