बहुत समय पहले की बात है, शेर और हाथी की कहानी जंगल में एक शक्तिशाली शेर रहता था। वह जंगल का राजा था और अपने ताकत के घमंड में चूर रहता था। वह अक्सर छोटे जानवरों को डराता और उन्हें अपना शिकार बनाता। जंगल के सभी जानवर उससे डरते थे, लेकिन कोई भी उसे रोकने का साहस नहीं करता था।
इसी जंगल में एक विशालकाय हाथी भी रहता था। हाथी शांत और समझदार था, लेकिन अपनी ताकत के लिए भी जाना जाता था। एक दिन शेर ने देखा कि हाथी जंगल में आराम से घूम रहा है। शेर ने सोचा, "मुझे इस हाथी को हराकर दिखाना चाहिए कि मैं ही इस जंगल का सबसे ताकतवर जानवर हूं।"
शेर हाथी के पास गया और घमंड से बोला, "तुम अपने आप को बहुत बड़ा समझते हो, लेकिन असली राजा मैं हूं। चलो, हम दोनों अपनी ताकत का प्रदर्शन करें। जो जीतेगा, वही इस जंगल का असली राजा होगा।"
हाथी ने शेर की बात ध्यान से सुनी और शांति से बोला, "शेर, तुम्हारी ताकत बेजोड़ है, लेकिन ताकत से ज्यादा महत्वपूर्ण समझदारी और धैर्य है।" शेर ने इस बात को अनसुना कर दिया और लड़ाई की जिद करने लगा।
हाथी ने सोचा कि शेर को उसकी गलती का अहसास करवाना चाहिए। उसने शेर को चुनौती स्वीकार कर ली। दोनों के बीच मुकाबला शुरू हुआ। शेर ने पूरी ताकत से हाथी पर हमला किया, लेकिन हाथी अपनी मजबूती और धैर्य से डटा रहा। जब शेर ने बार-बार हमला किया, तो हाथी ने अपनी सूंड से शेर को पकड़कर हवा में उठाया और धीरे से जमीन पर पटक दिया।
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शेर को चोट लगी, लेकिन हाथी ने उसे और नुकसान नहीं पहुंचाया। उसने शेर से कहा, "जंगल का राजा वह है जो ताकत के साथ समझदारी और दया दिखाए। केवल ताकत से राजा बनना संभव नहीं है।"
शेर को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने हाथी से माफी मांगी और वादा किया कि अब वह छोटे जानवरों को परेशान नहीं करेगा।
कहानी की सीख:
ताकत के साथ धैर्य, समझदारी और दया होना भी आवश्यक है। घमंड से कुछ भी हासिल नहीं होता, बल्कि विनम्रता ही व्यक्ति को सच्चा महान बनाती है।