बुढ़वा बाबा की कहानी |
यूपी के बस्ती जिले में स्थित कलवारी से पूरब की तरफ 11 किलोमीटर रामजानकी मार्ग पर चलने के बाद डेवडाड के दक्षिण बगल में ही बुडवा बाबा का स्थान अस्थापित है जहा पर हर मंगलवार लोग भारी मात्रा में भीड़ ईकट्ठा होती है. और बुडवा बाबा का हृदय से पूजा अर्चना करते है बात यह भी है की यहां पर मागि हुयी सबकी मन्नते जरूर पूरी होती है ये भी बताते है की अगर इन्शान अपने नेत धर्म से सही है तो बाबा उसकी अर्चना अवश्य ही सुन लेते है और उसके सम्पूर्ण दुःखो को हर लिया करते है
बुढ़वा बाबा देव धाम मंदिर
डेवडाड के पुजारी बाबा कृपया रामदास बुडवा बाबा के बारे में बताते हैं के बहुत पुराने समय की बात है एक बार ऐसा भी हुआ जब बहुत सारा जेवरात और आभूषणों से भरा घोड़े वाला एक्का पर लादकर लेकर भाग रहा था तब उसका घोड़ा जाते-जाते गायघाट के करीब ही पहुंचा था वह वही गिरा और मर गया
बुढ़ावा बाबा हनुमान मंदिर का राज क्या है
यह भी कहते हैं कि जब किसी का भैंस बिगड़ जाते थे तो लगती नहीं थी अर्थात दूध नहीं देती थी तब बाबा को मनाने के बाद और प्रसाद मान देने के बाद वह भैंस गाय के जैसे दूध देने लगती थी और गांव के लोग बुढ़वा बाबा पर बड़ी आस्था रखते थे और तभी से प्रचलित होना शुरू हो जाते हैं
बुढ़वा बाबा मंदिर की क्या है खासियत
एक बार ऐसा भी हुआ जब एक ट्रक राम जानकी मार्ग पर फंस गया उसको निकालने के लिए बड़े से बड़े हथकंडे और जेसीबी काम ना आए तो ट्रक का मालिक बिल्कुल निराश हो जा रहा था तब जाकर किसी ने बताया कि बुढ़वा बाबा को प्रसाद मान मान लो यह ट्रक निश्चित ही निकल जाएगा उसने तुरंत जाकर प्रसाद मान दिया और बटवा भी दिया कुछ ही क्षण के बाद वह ट्रक दलदल के ही जैसा जगहों में फंसा हुआ आनन-फानन में निकल जाता है
डेवडाड बुढ़ावा बाबा
एक बार कि यह यह भी कहानी बताया जाता है कि जब मंदिर परिसर के जमीनों को बड़े बाहुबली अपनाने में जुड़े हुए थे तब कोर्ट कचहरी से जीतकर जब वहां पर नहाने गए उस जमीन में सांप निकलने लगे वहां के सांपों को देखकर प्रशासन ने उस जगह को रुकवा दिया अभी वह जमीन मंदिर परिसर के लिए छोड़ दिया गया है यह बुढ़वा बाबा की जागता है
बुढ़वा बाबा
एक कहानी और भी इसी मंदिर से जुड़ी हुई है जो कि एक बार की बात है जब एक ट्रक उनके स्थान के सामने फस जाता है तब बड़े-बड़े किरान आए और उसको निकाल ना सके तब ट्रक ड्राइवर ने बाबा के शरण में आया बुढ़वा बाबा की कृपा हुई फिर उसका ट्रक दलदल से बाहर निकल पाया
बुढ़वा बाबा मंदिर के पहले पुजारी कौन थे
इस मंदिर के सबसे पहले पुजारी बाबा राम नयन दास थे उन्होंने अपनी जिंदगी में सबके लिए भला हित सोचा था और बुढ़वा बाबा के गुडगान में अपनी जिंदगी को समर्पित कर दिया था यह भी बताते हैं कि जब बुढ़वा बाबा लंगोटा और धोती पहनकर रातों को निकलते थे तो पूरे सिवान में एक चक्कर जरूर लगाते थे और सभी लोगों में उनके प्रति खूब आस्था रहता था
वहीं पर उजियानपुर के वीरेंद्र गौतम जी ने बताया के हमारे माता पिता और हमारे बुजुर्ग सभी यहां पर आते हैं और बुढ़वा बाबा के शरण में अपना सिर झुका कर मन्नते मानते हैं और मनचाहा बाबा जी से वरदान पाते हैं यह पूर्ण भी बहुत ही जल्दी हो जाता है और हम अपने बच्चों को भी यहां पर लाया करते हैं उन्होंने बताया कि बुढ़वा बाबा से आजतक जोभी मांगा है वह सब बाबा देने में अधिक देरी नहीं किया है