हिटलर तानाशाह क्यों बना? |
हिटलर वलदव विश्व इतिहास का एक आतंकमय चरित्र । एक ऐसा इन्सान , जो पृथ्वी के मानचित्र को बदलना चाहता था और शब्दकोष को दिया एक शब्द - हिटलरशी । हिटलर के डिक्सनरी में किन्तु , परन्तु और नहीं नाम का कोई शशब्द नहीं होता था ।
जर्मनी का प्राचीन नाम सैक्सनी था । यह यूनान के विद्वान टैमिली के ग्रन्थों में लिखा मिल जाता है । तब छोटे - छोटे राज्य थे । वह परस्पर लूट - मार करते थे । वह धन - धान्य और स्त्रियाँ लूट लाया करते थे ।
हिटलर कौन सी कंट्री का था?-हिटलर का जन्म किस देश में हुआ था
हिटलर का जन्म जर्मनी- आस्ट्रेलिया के सीमांत प्रदेश के इन नदी के किनारे बसे एक छोटे से शहर ब्रेनों में 20 अप्रैल सन् 1889 ई . में हुआ था । हिटलर का पिता एलोय हिटलर पहले बबेरिया की चुंगी वसूली का काम किया करता था । पीछे वह म्युनिख में एक सामान्य काक का काम करने लगा ।
हिटलर का पिता एलोय अपनी मां का अवैध पुत्र था और अपनी उनचालीस वर्ष की आयु तक अपनी मां के नाम जिकल ग्रूवर के नाम से ही जाना जाता था । उस समय उसका चाचा मर गया तो एलोव ने उसका नाम स्वीकार कर लिया । वह था होल्डर । यह होल्डर शब्द अन्त में , हिटलर हो गया ।
एलोब हिटलर ने तीन विवाह किये थे और एलोय हिटलर तीसरे विवाह से तीसरी सन्तान थे । हिटलर की माँ का जब विवाह हुआ था उस समय उसकी गोद में तीन माह की बच्ची थी ऐजिला ।
ऐजिला हिटलर की सौतेली बहन थी । एलोय की तृतीय पत्नी हिटलर की माँ अपने पति से 23 वर्ष की छोटी थी । हिटलर की कोई घर - बार नहीं था । वह जन्म से आस्ट्रियन या परन्तु जाति से अपने आप को जर्मन मानता था ।
हिटलर का उदय किन परिस्थितियों में हुआ
तेरह वर्ष की आयु में उसके पिता की मृत्यु हो गई उसके दो बर्ष वाद माँ की भी मृत्यु हो गई । वह वियेना में ही अध्ययन करने लगा । रुचि ड्राइंग जानती थी । हिटलर जब पच्चीस वर्ष का था । वियेना में आर्ट एकेडेमी में भर्ती होने चला गया परन्तु वहाँ प्रवेश नहीं पा सका । वहां के अधिकारियों को समझ में आया कि उसमें एक कलाकार बनने की प्रतिभा नहीं है ।
हिटलर के बारे में आप क्या जानते हैं?
हिटलर चित्र बनाकर जीवन यापन करने लगा । उसकी बहन ऐजिला का विवाह हो चुका था । वह नहीं जानता था वह कहां है , वहां उसे यहूदियों से नफरत हो गई । सन् 1912 में हिटलर म्युनिख पहुँचा रोजी - रोटी की तलाश में सन् 1914 में महायुद्ध प्रारम्भ हो गया ।
उसे खुशी हुई कि यह युद्ध सीधे आस्ट्रेलिया से हुआ था किन्तु दुर्भाग्य इसमें संसार के सभी प्रबल राष्ट्रों को सम्मिलित होना पड़ा । हिटलर ने समझ लिया यह युद्ध जर्मन राष्ट्र के अस्तित्व के लिए है वह फौज में भर्ती हो गया । -
हिटलर बबेरिया म्युनिख का रहने वाला था जबकि बबेरिया जर्मनी का भाग नहीं था । इस पर भी वह जर्मन सेना में भर्ती होकर जर्मन देश और जाति के लिए युद्ध लड़ा । वह सन् 1914 के दिसम्बर माह में सेना में भर्ती हुआ था और एक बार आचरण क्राश और दूसरी बार स्पेशल आचरण क्राश दिया गया था । वीरता से लड़ा और दो साल बाद घायल अवस्था में अस्पताल लाया गया यहीं उसने सुना कि जर्मन ने आत्म - समर्पण कर दिया ।
हिटलर फूट फूटकर रोया और हिटलर ने सेना की नौकरी से इस्तीफा दे दिया क्योंकि उसका विचार था कि देश दो पाट की चक्की में फँस गया है । एक पांट कम्यूनिस्टों का है और दूसरा पाट प्रजातंत्र का है ।
इन दोनों घाटों के भीतर देश पिस जायेगा । कदाचित उसका अस्तित्व नहीं रह जायेगा पुनः स्वतंत्र छोटे - छोटे राज्यों मे बट जायेगा । मैं इस देश को दुर्दशा से निकालने के लिए कुछ करना चाहता हूँ । यह हिटलर का कहना था ।
फिर राज -मिस्त्री के साथ काम करने लगा । मजदूरी का काम किया । साथ ही चित्रकारी का व्यवसाय भी किया लेकिन कुछ ही दिनों में वह एक टुकड़ा रोटी के लिए रेलवे स्टेशन पर मोटियागिरी भी किया और भिखमंगी के साथ रहकर रात भी काटी थी ।
इसके बाद अर्थ मंत्री हरबान खिनट्राप से मिला । कहा - हमें जर्मन से युद्ध करना होगा । जर्मनी में आर्य का रक्त है । शुद्ध आर्य रक्त ही जर्मनी में रहेगा विदेशी खून चूसने वाली जोकों का समूल नाश करना होगा यह बासोई की सन्धि अपमानजनक हुई है । हिटलर म्युनिख आया परन्तु वियेना को नहीं भूल पाया ।
जब वह जर्मन - आस्ट्रेलिया की राजधानी में बास करता था तो उसकी असहाय अवस्था की कहानी एक मुहूर्त नहीं पा रहा था । उसकी सेना दल में प्रवेश - फिर आहत होकर स्वदेश में अस्पताल - तब बर्लिन और म्यूनिख की अवस्था आदि । हिटलर ने लक्ष्य किया सभी सरकारी ऑफिस में किरानी सैन्य विभाग , नौ विभाग , युद्ध संलिप्ट में यहूदी का ही समावेश है कि युद्धरत यहूदी सैनिक अल्प था
किन्तु युद्ध विभाग के यहूदी किरानी का ही दलाल था । व्यवसाय क्षेत्र में यहूदी बड़े - बड़े व्यवसाय और कारखाना सभी यहूदियों के अधीन देख - रेख में उत्पन्न सभी पदार्थ का मालिक यहूदी । वियेना - जर्मनी- आस्ट्रेलिया की राजधानी । लेकिन वहाँ जर्मनी को घृणित दृष्टि से देखा जाता था । जर्मन भाषा , जर्मन शिक्षा - दीक्षा के प्रति आस्ट्रेलिया राज्य सरकार को कोई उत्साह न था । स्थानीय जर्मन निवासी अधिक असुविधाओं को भोग रहे थे ।
जर्मन सम्राट कोई जार की निंदा जर्मन राजनीति विद विस्मार्क के विरुद्ध समाले बाग जर्मन आस्ट्रेलिया के प्रति आक्रमण यही सब जर्मन - आस्ट्रेलिया की राजधानी का दैनिक कलाप । यह सब देख - देखकर हिटलर आग - बबूला हो उठा था । वियेना में यहूदी जर्मन श्रमिक द्वारा उपेक्षा यहूदी पत्रों में यहूदी शिक्षक की प्रशंसा इस कुठाराघात ने हिटलर को मर्माहत कर दिया था ।
यहूदी पंडित कार्ल मार्क्स ने साम्यवादी की वाणी गुंधित कर श्रमिकों के असंतोष की भावना का बीज रोपा । हिटलर ने समझा - यहूदी जाति के नाश से ही जर्मनी का उत्थान हो सकता है । इसी विश्वास को लेकर यहूदी जाति के प्रति विशेष पाशविक व्यवहार किया । जिसे जगत भूल नहीं सकता । इतना ही नहीं विश्व विख्यात यहूदी वैज्ञानिक डॉ . आंसटाईन को भी हिटलर की पाशविक व्यवहार का सामना करना पड़ा जिनके धन - सम्पदा को सर्वथा तिलांजलि देकर हमेशा के लिए मार्किन युक्त राष्ट्र में वास करने पर बाध्य होना पड़ा ।
हिटलर की रक्तलोलुपता , नृशंश पाशविकता यहूदी निर्यातन जैसा प्रस्फुरित हुआ उसे पृथ्वी किसी दिन नहीं भूला सकता । बासोई संधि पर हस्ताक्षर होने पर युद्ध समाप्त कर दिया था । जर्मन लेबर पार्टी युद्ध के बाद हिटलर म्युनिख लोट आया । देखा यहाँ एक दल स्थापित हुआ है
जर्मन लेबर पार्टी या जर्मन श्रमिक दल । कुछ दिनों बाद इसका नाम बदलकर नेशनल सोशलिस्ट जर्मन लेबर पार्टी हुआ । हिटलर इस दल में शामिल हो गया और यही पार्टी आगे जाकर नास्ती या नात्सी कहलाया ।
नेशनल सोशोलिट्रिकल डिमोक्रेटिक आरिस्कीस पार्टी इसका पहला शब्द था और दूसरा शब्द जो मिलकर अपने दल नाजी की स्थापना की । हिटलर ने कहा- मैं नेशनल सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना करता हूँ , हम रीख ( जर्मन की संसद ) को खत्म कर देंगे । सारी सत्ता हम अपनायेंगे ।
प्रजातंत्र के ' बेचर ' विधान का सफाया करेंगे और लोकसत्ता को नष्ट कर देंगे । बर्लिन में सारी शक्ति केन्द्रित रहेगी । यहूदियों को सारे पदों से हटा देंगे । धंधों से अलग कर देंगे । जर्मनी के सारे संघ को तोड़ डालेंगे । सिर्फ हमारा ही दल जर्मन पर अबाध सासन करेगा ।
इस पार्टी का संक्षिप्त नाम होगा - नाजी ! हमारा चिह्न होगा - स्वास्तिक । हम एक तूफान वाहिनी का संगठन करेंगे ।
यह भूरे कुर्लेवाली सेना होगी- हम वार्सोई की संधि के टुकड़े - टुकड़े कर अपनी आय नकन को शुद्ध करेंगे - प्रत्येक जर्मन युवकों को सिजफिड और गैलाहैड बनना होगा । - हिटलर के जीवन में प्रेम हाफ प्लश - वन प्लश हाफ था । जब यह विवाह के योग्य था तो कहा करता था कि - जर्मनी ही मेरी प्यारी दुल्हन है । - हिटलर ने अपनी बड़ी बहन ऐलीजा की लड़की से प्रेमं किया । मामा - भगिनी में शारीरिक सम्बन्ध बनाया । जो गर्भवती होने पर आत्म हत्या कर ली थी । वह थी गैली ! गैली राउबैल हिटलर शादी नहीं करना चाहता था गैली गर्भवती थी
वह गुस्से में वियेना जाने लगी गर्भपात कराने । नहीं तुम नहीं जा सकोगी । इतना कहकर हिटलर ने चौकीदार को बुलाया और वहां पर एस.ए. के तीन सैनिकों को नियुक्त किया गया । गैली को सुनाकर उसने कह दिया - इस मकान से बाहर जाना चाहे तो उसे गोली से उड़ा दो । हिटलर चला गया । कुछ क्षण के बाद गेली के कमरे से पिस्तौल चलने की आवाज हुई । घर के सब लोग वहाँ बाहर खड़े थे । - कमरा भीतर से बन्द था । दरवाजा तोड़ा तो खून से लथपथ गैली को भूमि पर मरा हुआ पाया गया । पुलिस में रिपोर्ट लिखाई गई । शव का पोस्टमार्टम हुआ । जाँच - पड़ताल का यह परिणाम निकला कि गैली ने आत्महत्या नहीं की थी । - कुछ का कहना है - गैली ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उसकी हत्या की गई थी और खूनी स्वयं हिटलर था ।
वह हॉफचूर्ण चला गया था जरूर मगर वह संध्या को घर लौट आया था , और गैली को पर पुरुष के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देखा इसलिए उसकी हत्या कर दी और अन्य दल का कहना है नहीं । पर पुरुष वाली बात गलत है । गेली वियेना जाना चाहती थी ।
इसी बात की हिटलर से बहसा बहसी हुई थी और उन्मदावस्था में उसने गैली की हत्या कर दी । हिटलर अपनी प्रेमिकाओं के रुपये से राजनीति में फिल्ड बानाया । हेलन बेक्सतीन और एलमा के पैसे से काली मर्सिडीज बैन कार खरीदी थी । हेलन ने हिटलर के लिए एक महल खरीद लिया था ।
हेलन हिटलर को हर बूल्फ यानी मेरा भेड़िया कहकर पुकारती थी । लोगों ने सुन रखा था हिटलर नपुंसक था परन्तु प्रेम प्रक्रिया इस बात को गलत सिद्ध करती है । हिटलर ने जर्मन के प्रख्यात चित्रकार अडोल्फ जीगकारे से गैली का तैल चित्र तैयार कराया , जिसे उसके स्वागत कक्ष में टांगा गया । जब चामलर और फ्यूहरर बना तो उसने प्रो . सोसेफ थोरक से गैली की रजत प्रतिमा बनवायी , जिसे हिटलर के कार्यालय में लगाया गया । उस पर हिटलर की ओर से प्रतिदिन ताजे फूल रखे जाते थे । "
हिटलर का गहरा मित्र था खिनफम और राहेम । नाजी दलों की बैठक होने लगी । हिटलर का कहना था , केवल हिटलर से प्रेम करो उसी पर विश्वास रखो , हिटलर के शत्रु से घृणा करो । जर्मनी में किसानों और मजदूरों के तीन समर्थक थे । यहूदी , साम्यवादी और कैथोलिक । हिटलर ने तीनों का दमन किया और स्वयं को क्राइस्ट का अवतार बतलाया । हिटलर का कहना था - कुत्ते को गोली मारकर हत्या करनी हो तो उसे बदनाम कर दिया जाय तो ठीक है । कह दिया जाय कि वह पागल है और फिर वह गोली से मार डाला जाता है ।
मैं यहूदियों से घृणा करता हूँ । इस कारण कहता हूँ कि वे सूदखोर हैं । मैं समाजवाद , जिसका दूसरा नाम कम्युनिज्म है उसे घृणा से देखता हूँ । मेरे विचार में जर्मन कौम को राज्य करना चाहिए और भूमंडल के शेष लोग जर्मनी से दाएँ होंगे । मैं तो एक संयुक्त जर्मन स्टेट बनाने की योजना रखता हूँ जिसमें पश्चिम जर्मन , बबेरिया , आस्ट्रेलिया , हंगरी , स्लाव , युगोस्लाविया , पोलैण्ड और बल्गारिया एक होंगे ।
हिटलर का कहना था- प्रजातंत्र सदा बलवान के सामने घुटने टेकता है । बबेरिया , आस्ट्रिया , युगोस्लाविया इत्यादि सब देशों को हिटलर जर्मनी में मिला देने के पक्ष में था । इसी प्रकार से वह जर्मनी को शक्तिशाली होकर विश्व - विजय करने के योग्य हो सकना समझता था ।
बबेरिया की राजधानी - म्युनिख शहर नात्सी और कम्यूनिस्ट का संघर्ष । नाजी सैनिकों का ड्रेस ब्राउन पतलून और कमीज । बाँह पर काली पट्टी उस पर स्वास्तिक का चिह्न । स्ट्रार्म ट्रपर ( झटका वाहिनी या तूफान वाहिनी ) हिटलर ने सोचा पशु शक्ति को पशु शक्ति द्वारा ही दमन किया जा सकता है । कारण भय को जय करने के लिए विपक्ष के हृदय में भय का संचार पैदा करना होगा ।
इस तरह साधारण निर्वाचन का परिणाम दूर हुआ । हिन्डेन वर्ग की मृत्यु के बाद हिटलर एक बार प्रेसिडेन्ट और चांसलर दोनों हुआ , कुछ दिनों के बाद हिटलर ने दोनों का परित्याग कर फुहरर ( फुहरर या लीडर ) नाम ग्रहण किया और स्वतांत्रिक शासन को विश्व ने डिटेक्टर का नाम दिया और इस तरह आईन बोल्फ , आईन पाईख , आईन फ्यूहरर । एक जनता , एक झंडा , एक नेता का स्वप्न सफल हुआ ।
इसके बाद राष्ट्रसंघ के सदस्य पद को परित्याग कर हिटलर ने बर्साई - संधि की शर्त को अमान्य कर दिया । लीग ऑफ नेशन और सारा जगत असहाय भाव से हिटलर की राज्य लिप्सा को मुक्त भाव से देखने लगा । जर्मनी के पूर्व सीमांत पोलैंड बार्सोई संधि के पूर्व जर्मन साम्राज्य के अन्तर्गत था । बाद में पराजित होकर जर्मन के हाथ से निकल गया था ।
जर्मन गणतंत्र में प्रतिष्ठित हुआ और पोलैंड और जर्मनी एक सूत्र में आबद्ध हुआ । जर्मन संसद अपने कानून बनाने के सब अधिकार आगामी चार वर्षों के लिए हिटलर के हाथ में दे दिये । मंत्रिमण्डल बना तब गोयबल को प्रचारमंत्री बनाया गया । गोयबल ठिगने कद का व्यक्ति था और घनी दाढ़ी - मूँछें रखता था । उसका एक पाँव टेढ़ा था
इस पर भी वह नये विचार और नई योजनाएँ रखता था पूरा रसिक था एक ही समय में चार - पाँच प्रेमिकाएँ वह रखता था । की चांसलर बनते ही हिटलर ने कहा- मैं जर्मनी के फ्यूहरर हैसियत से शपथ लेता हूँ कि उन सारे उपनिवेशों को मैं वापस ले लूँगा ,
जो युद्ध के बाद छीने गये हैं और संसार का जो राष्ट्र मेरे मार्ग में बाधक होगा , उसे बुरे फल भोगने होंगे । यूरोप के प्रथम महायुद्ध के बाद दुनियाँ के तीन टुकड़े हो गए । विजेता सारे ही राष्ट्र अमेरिका के कर्जदार हो गए । लंकाशायर जो आधा दुनियां को कपड़े देता था सूना हो गया । चार साल में ही लगभग दस हजार बैंकों का दिवाला निकल गया ।
उधर अमेरिका धड़ाधड़ करोड़पति बनने लगा । इस समय रूजबेल्ट मध्य वर्ग की सहायता से अमेरिका के राष्ट्रपति हुए । यह आदमी पहला ही अमेरिकन राष्ट्रपति था , जो संसार के मामले में ज्यादा हिस्सा ले रहा था । पूँजीवाद को कायम रखने की कोशिश कर रहा था । जर्मनी में नाजी सत्ता ने प्रतिनिधि शासन का खात्मा कर दिया ।
अमेरिका में रूजवेल्ट कांग्रेस के पूरे कर्त्ता - धर्त्ता बन गए । इटली में मुसोलिनी , रूस में स्टालिन डिक्टेटरशिप स्थापित कर रहे थे अब सिर्फ रह गए फ्रांस और इंग्लैण्ड । इंग्लैण्ड में सत्ताधारा सभा के हाथ से निकलकर शासन विभाग के हाथ चली गई । इंग्लैण्ड अब संसार का मुखिया नहीं रहा । हिटलर - मुसोलिनी मिलन से सारा यूरोप आशंकित था ।
मुसोलिनी हिटलर का मित्र और पक्षपाती था हिटलर के परामर्श पर मुसोलिनी द्वितीय महायुद्ध में सम्मिलित हो गया । एकाएक विराट जनपद का अधिकारी होकर विजयी जर्मन आगे बढ़ता गया और इसबार लक्ष्य बनाया गया एशिया की राजधानी मास्को नगरी को और जेनरल जुकम रूद्धवीर्य सप के न्याय जर्मनी के आघात को चूर्ण करने के लिए तैयार हो गया ।
जर्मनीगण उत्साहित होकर रसिया की सर्वश्रेष्ठ नगरी स्टालिन ग्राड पर आक्रमण किया । पुनः लेनिनग्राड शहर को जर्मनगणों ने अवरोध करके रखा । हिटलर जिस समय पोलैण्ड से फ्रांस उधर नावे डेनमार्क , हालैण्ड , बेल्जियम को जीतता जा रहा था , उस समय सारे यूरोप में एकमात्र रूस को छोड़ कोई शक्ति नहीं थी । पराजित इंग्लैण्ड अपने द्वीप लौट गया । क्लान्त हो जन्मपट्टी कर रहा था ।
हिटलर ने उस पर आक्रमण नहीं किया । स्वयं चर्चिल इस बात को स्वीकार करता है कि यदि हिटलर इंग्लैण्ड पर हमला करता तो जरूर ही जीतता । आस्ट्रेलिया पर हिटलर का कब्जा हो गया । हालैण्ड और बेल्जियम पर अधिकार हो गया चेकोस्लोबाकिया पर अधिकार होने के बाद अब जर्मनी की सीमा 300 मील और बढ़ गई । जर्मनी की सीमा रूमानिया के निकट आ गई थी और सोवियत रूस उससे अब केवल 90 मील रह गया था । .
इटली के पूर्व भाग्य विधाता मलोकिसी - अबीसीनिया विजय के बाद प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँच गया था । मुसोलिनी की प्रेमिका- क्लोरा पैटेशिया । मुसोलिना की पत्नी- रैचेल । शाही महल में मुसोलिनी बन्दी बना लिया गया । ग्रांड कौंसिल का वोट इनके विपरीत गया था । देशवासियों द्वारा वह इटली का सर्वाधिक घृणित व्यक्ति माना गया । मुसोलिनी की गिरफ्तारी का सम्वाद पाँच घंटे तक गुप्त रखा गया । सब बात सुनते ही लोगों ने मुसोलिनी की तस्वीरें जलानी शुरू कर दीं ।
मुसोलिनी को अपनी भूल का अहसास हुआ कि एक खूँखार भेड़िये के सामने एक मेमना बँधा है । अब वह हिटलर का परम मित्र नहीं बल्कि कैदी है । क्लेरा भी मुसोलिनी के पास चली आयी । उसने उसका आलिंगन किया - चुम्बन लिया । फिर आदेश पर दोनों दीवार की ओर मुँह करके खड़े हो गए । धाँय - धाँय रायफलें गरज उठीं और दोनों के शरीर जमीन पर गिर पड़े ।
कई दिनों तक मुसोलिनी और क्लेरा की लाशें वहीं पड़े रहने दिया गया । वर्षा और धूप में लाशें सड़ने लगीं चार - पाँच दिनों के बाद फासिस्टों की लाशों के साथ लॉरी पर लाया गया फिर लारेटों में लाकर सब लाशों को आम रास्ते पर पाँवों के बल उल्टा लटका दिया गया । देखने वालों की भीड़ लग गई । अनेकों ने मुसोलिनी और क्लेरा के चेहरों पर कीचड़ लगाया । किसी ने फुटबॉल के किक मारी ।
कुछ दिनों बाद कब्रिस्तान में दफना दिया गया । मुसोलिनी का मस्तिष्क निकालकर अमेरिकन अपने अध्ययन के लिए वह ले गए । उनकी कब्र पर मल मूत्र और कूड़े का ढेर लगा दिया गया । परन्तु “ कुछ दिनों बाद फिर मुसोलिनी की कब्र खोदी गई और उसके अवशेषों को अज्ञात जगह ले जाकर गाड़ दिया गया ताकि लोगों में उसकी कोई स्मृती न रह जाये ।
जेल में हिटलर ने रूडाल्फ हेनरी बोल बोलक चीन कैम्फ ( मेरा संघर्ष ) आत्मकथा लिखवाया था । ( लैण्ड्सवर्ग का जेल ) हिटलर जब लेलिनग्राड की चौखट पर घूम रहा था तब इधर स्टालिन कह रहा था जर्मनी का निर्दय विनाश ही हमारा ध्येय है । हम उन्हें लेनिनग्राड से खदेड़ देंगे । श्वेत रूस , युक्रेन तथा क्रीमिया का उद्धार हमारा ध्येय है ।
स्टोलिव स्टालिंग जब स्कूल का विद्यार्थी था तभी उसने देखा जारशाही के अन्याय एवं अत्याचार को । वह विद्रोह कर उन जारशाही को मेटियामेट करने के लिए काल मार्क्स के सिद्धान्तों के आधार पर सोशलिज्म को चुना और लेनिन के सम्पर्क में आकर बोलशेजिज्म की लाल - क्रांति को अपनाया ।
वह मेमिनरी के एक गुप्त मार्कसिस्ट का नेता बना । कई बार जेल में बन्द हुआ और उन्हें छोड़कर भाग निकला ।आवश्यकता पड़ने पर उसने लेनिन तक से सम्बन्ध तोड़ दिया और ट्राटस्की जैसे शक्तिशाली आदमी को खत्म किया । राह में अपने पराये जो भी बाधायें आयीं सबको खत्म किया और रूस का सर्वाधिक शक्तिशाली कम्यूनिस्ट पार्टी का अग्रदूत बन गया ।
1930 में जबकि सोवियत यूनियन का प्रधानमंत्री पदच्युत हो चुका था और रूसी फेडरेशन का प्रधानमंत्री सिर्न जीव लोहे के सीखचों में बन्द था , उसने अपने आपको सोवियत रूस का डिक्टेटर घोषित कर दिया ।
तबसे निरन्तर 5 वर्ष 1952 की मध्य रात्रि तक पूरे बाईस वर्षों तक रहा , जबकि इसी बीच संसार में कितने उलट - फेर हुए । फ्रांस का पतन होते ही जमन के हौसले बहुत बढ़ गए , पर जब उन पर अकस्मात् भारी बम वर्षा हुई तब उनमें घबराहट फैल गई । इसके पश्चात् स्टालिन ग्राड की पराजय ने उन्हें भयभीत कर दिया और उनमें पराजय की भावना भर गई ।
सन् 1949 में हिटलर की हत्या का असफल प्रयत्न किया गया । गैस चैम्बर ( कन्सेपदेश कैम्प ) - - 1940 ई . में गैस चैम्बर स्थापित किया गया । एक कमरे में आदमियों को भर दिया जाता और गैस से मार दिया जाता । एक दिन में पन्द्रह हजार आदमी मारे जाते थे । तेरह महीनों में कम - से - कम चालीस लाख व्यक्तियों को मौत के घाट उतारा गया ।
हिटलर ने करीब अस्सी लाख लोगों की हत्याएँ कीं । भाटिकावाहिनी का नेता रोवम जातीयता के नाम पर अत्याचार का समर्थक नहीं बन सका । रोवम किसी भी समय यदि हिटलर का विरोध करता तो समस्त भाटिकावाहिनी रोवम के पक्ष में होता । गोयरिंग की परामर्श पर हिटलर ने अपने दुर्दिन के मित्र रोवम की हत्या का संकल्प किया और गुप्त रूप से तैयारी करने लगा ।
गेस्टापो - जर्मन नात्सी गुप्तचर 30 जून की कालरात्रि आयी । रोयम उसके मित्र सहयोगी - हिनश , स्टेशर इत्यादि बबेरिया में था । हिटलर ने उसे उपस्थित होने का आदेश दिया । कहा - चलाओ गोली , गोली चली - रोयम मारा गया । अन्तिम दिनों में 16 जनवरी , 30 अप्रैल 1945 तक हिटलर सदर , मुकाम रीख चांसलर के तहखाने में रहा । जगह - जगह अपने हमशक्लों को वहाँ रखा । 23 अप्रैल 1945 हिटलर का जन्मदिन था ।
युद्ध ने पलटा खाया । हिटलर की विजय पराजय में बदलने लगी । वह विक्षिप्त सा हो गया । पागलों सा व्यवहार करने लगा । 23 अप्रैल 1945 को हिटलर का जन्म दिन था । अमेरिकन सेना एल्व नदी तक और लाल - सेना नीम तक पहुँच चुकी थी । उत्तर में ब्रेमन और हेम्वर्ग नगर तक ब्रिटिश तक दक्षिण में अपरहेन्डस तक फ्रांसिसी सेनाएँ पहुँच चुकी थीं । दोनों और ड्रेसतन और बर्लिन पर खतरा था । जेनबल पैता की फौज बबेरिया में होती हुई बर्लिन में घुस रही थीं ।
बेर्लिन की आलीशान चासलरी ( रीख ) कम प्रहारों से ध्वस्त होकर चल रही थी । उस समय उसके चांसलरी उद्यान में गोयरिंग गोबेक्स , हिमलर , डोयनिकज , केंटेल जीडन और इवा थी । • सभी ने कहा - अब बर्लिन नहीं बच सकता । चांसलरी जल रही है आपका तहखाना नहीं बचेगा । आप सेना के संरक्षण में भाग निकलिए । हिटलर ने कहा - नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता ।
मैं अन्तिम क्षण तक युद्ध संचालन करता रहूँगा । अन्तिम क्षण तक हार नहीं मानूंगा । मेरा अन्तिम क्षण आ ही जायेगा तो मैं उसी क्षण यहीं समाधि ले लूँगा । मैं मृत्यु से भयभीत नहीं हूँ , जर्मनी मेरा है , रीख मेरी है चांसलरी मेरी है । बर्लिन में मरकर भी मैं विजयी हूँ ।
सोचकर इसलिए सेना को आदेश दिया जाता है - वे सब कुछ आखिरी आक्रमण करे । यदि कोई योद्धा देश नहीं देगा तो पाँच घंटे के अन्दर - अन्दर उसका बध कर दिया जायेगा । जब हिटलर को मालूम हुआ आक्रमण नहीं किया गया है । वायु " सेना भी कुछ नहीं कर सकी है । लाल सेना जब मोर्चा तोड़कर उत्तर की ओर से बर्लिन में घुसी चली आ रही है , तो कहा मुझे धोखा दिया जा रहा है । स्थल , जल , वायु सभी सेनाएं विपरीत हैं ।
निःसंदेह मेरा अन्तिम समय आ गया है । इवा को कहा - इवा , में हार चुका हूँ । मैं चारों ओर से घिर चुका हूँ । सब सहायक मुझे छोड़ चुके हैं । केवल मेरी इवा मेरे पास है । इवा ने पूछा फ्यूहर , आपने विवाह क्यों नहीं किया ? मैं अपने परिवार का एक अच्छा मुखिया नहीं हो सकता । जब में अपनी पत्नी को पर्याप्त समय नहीं दे सकता तब मेरे लिए विवाह करना एक मेरी जिम्मेदारी की तरह रहता ।
मैं सन्तान नहीं चाहता मैंने देखा है प्रतिभाशाली लोगों की सन्तान को संसार में बहुत कठिनाई उठानी पड़ती है । नहीं , यह बात नहीं है इवा , तुम मेरा इतिहास नहीं जानती हो । मैं चुंगी के लिए एक निर्धन क्लर्क का लड़का भूखों मरता हुआ आस्ट्रेलिया से बबेरिया की राजधानी म्युनिख में पहुँचा था और वहाँ की गलियों में भीख माँगता हुआ इस स्थिति में पहुँचा हूँ कि इस समय जर्मनी का निर्विवाद प्रथम दर्जे का नेता बन गया हूँ ।
इवा ने बात काटकर जवाब दिया . जी , मैं आपके इतिहास को कदाचित आपसे भी अधिक जानती हूँ और यह भी जानती हूँ कि आप अपनी प्रेमिकाओं की हत्या करने में किंचित मात्र भी संकोच नहीं करते । वे बेचारी आपकी शौर्यपूर्ण भाषण पर मुग्ध हो आत्म - समर्पण कर देती थी और आप उनको गोली का शिकार बनाने में संकोच नहीं करते थे ।
ऐली राउबैल , हेलेन बेक्सतन , एलसा लेमिंगटन , फ्लोरा , क्लेरा मेरी नैसी कितनी ही हैं । ये सब एक औरत की दृष्टि से छुप नहीं सकीं । इस आकर्षण में भी अपना वही अन्त समझती हूँ जो और प्रेमिकाओं का हुआ हैं 1 आधा बलिन मित्र राष्ट्रों की सेना की बमबारी से ध्वस्त हो चुका है । मेरा मानसिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है ।
अब इवा तुम प्राप्तल्य प्राप्त होने दो । मैं वही प्राप्तल्य लेने आयी हूँ । मुझे भी अपने साथ मरने की आज्ञा दो । मृत्यु तो है ही इससे पहले हम विवाह तो कर लें । मैं तुम्हें वधू के वश में देख लें । ओह ! फ्यूहरर , अब उससे क्या ? अब वैवाहिक जीवन कितनी देर का है । नहीं इवा , तुम्हारी बारह वर्षों की चिर साधना और मेरी निरन्तर उपेक्षा इस विवाह से ही सार्थक और निरर्थक होगी । ओह ! प्यारे फ्यूहोरर , आज मैं सर्व सम्पन्न हूँ । इतना कहकर इवा ने हिटलर को कसकर पकड़ लिया । हम पति - पत्नी विशुद्ध आर्य तक के हैं तथा किसी भी पेतृक रोग से मुक्त है ।
हमारे विवाह का गवाह गोवेल्स रहेगा और विवाह के रजिस्टर पर हम दोनों के दस्तखत होंगे और तुम होगी इवा हिटलर ब्राउन मेरा वसियत होगा । इवा मेरी पत्नी की हैसियत से स्वेच्छा के साथ मृत्यु का आलिंगन करेगी मेरी सारी सम्पत्ति हमारी मृत्यु के बाद पार्टी की सम्पत्ति रहेगी । यदि न रहे तो सम्पत्ति राज्य की होगी ।
जीवन में मैंने जिन - जिन कला कृतियों और चित्रों का संग्रह किया है मेरी मातृभूमि लीज संग्रहालय में स्थापित किया जाय । मैं और मेरी पत्नी इवा दोनों की मृत्यु का वरण करेंगे । मरने के बाद हम दोनों का शरीर इकट्ठा जला दिया जाय । हिटलर ने अपने अलसेशियन कुत्ते को साइनाइट खिला दिया ,दो कुत्तों को गोली मार दी । अपनी महिला सेक्रेटरी को विष खाने को दिया - कहा , इस क्षण इससे श्रेष्ठ उपहार में भेंट नहीं कर सकता ।
अपने आदमियों को दो सौ लीटर पेट्रोल तैयार रखने का आदेश दिया पर उस क्षण इतना पेट्रोल एकत्र नहीं हो सकता था । 180 लीटर उपलब्ध हो सका । तहखाने में जिस समय हिटलर इवा से विवाह कर रहा था तब बम के धमाके से छत की प्लास्टर झड़कर उसके सिर पर बरसने लगे । तो हिटलर मुस्कुराया बोला - जर्मनी में रिवाज है कि विवाह के समय वर और वधू के सिर पर चावल बरसाये जाते हैं ।
हिटलर और इवा सुहागरात मनाने चले गए । हिटलर ने कहा मेरी इच्छा थी कि जर्मनी के चांसलर पद से निवृत्त होकर जीवन के अन्तिम क्षण आस्ट्रेलिया के अपने गांव में साधारण नागरिक की तरह इवा के साथ बिताऊँगा । मगर अब तो उसके लिए समय ही नहीं बचा । चंद मिनट के बाद रिवाल्वर से गोली की आवाज सुनाई दी । सामने सोफा पर हिटलर और इवा लुढ़के पड़े थे ।
हिटलर की कनपट्टी से खून बह रहा था । इवा की पिस्तौल नीचे पड़ी थी । चेहरे पर सहज मुस्कान थी । चालीस घण्टा पूर्व अपनी शादी इवा ब्राउन के साथ करके हिटलर ने अपनी पत्नी के साथ आत्महत्या की । दोनों शवों को पास - पास रख कर पेट्रोल छिड़क दिया गया और जला दिया गया ।
जिस समय यह संस्कार हो रहा था , ऊपर से लाल - सेना बम - वर्षक चांसलरी पर गोले बरसाते हुए उड़ रहे थे । संसार के सबसे अधिक बदनाम तथापि इतिहास में अमर तानाशाह एडोल्फ हिटलर और उसकी प्रेमिका इवा ब्राउन हिटलर के प्रेम का यह प्रसंग भी सदा अमर रहेगा