एक घोड़ा और सिपाही की कहानी | Do it tomorrow, do it today, so do it now

 

एक सिपाही बहुत बलवान था , बहुत बहादुर था , बहुत लड़ने वाला था । उसका घोड़ा भी उसके जैसा ही बलवान , बहादुर और लड़ने का हौसला रखने वाला था । एक दिन ऐसा भी हुआ जब सिपाही अपने घोड़े पर सवार होकर एक पहाड़ी पर चढ़ता जा रहा था । उसी समय अचानक घोड़े का पैर पत्थर से टकरा गया और घोड़े की नाल निकल जाती है । नाल निकल जाने से घोड़े को बहुत कष्ट हुआ और वह लंगड़ाकर चलने लगा । सिपाही ने घोड़े का कष्ट तो समझ ही लिया , परन्तु उसको विशेष चिन्ता नहीं की । बस वह उसी सोच में डूबा रहा था । 

मैं नाल बंधवा दूँगा । इस प्रकार आज - कल के चक्कर में कई दिन निकलते गए और घोड़े का कष्ट दूर न हुआ । अचानक देश पर शत्रुओं ने आक्रमण कर दिया । राजा की ओर से सिपाही को आज्ञा मिली । बस वह फौरन लड़ाई पर चल पड़ा । अब सिपाही क्या करता ! इतना समय ही कहां था जो घोड़े के पैर में नाल बँधवा पाता । 

परन्तु लड़ाई पर तो जाना ही था इसलिए वह उसी लंगड़ाते हुए घोड़े पर बैठा और दूसरे सिपाहियों के साथ चल पड़ा । दुर्भाग्यवश घोड़े के दूसरे पैर से भी नाल निकल गई । पहले वह तीन पैर से कुछ चल भी लेता था । परन्तु अब दो पैर से क्या करता । किस तरह आगे बढ़ता । 

देखते - देखते शत्रु सामने आ पहुँचे । वे संख्या में इतने अधिक थे कि उनके सामने सिपाही के सभी साथी ठहरना नसीब में नहीं हुआ उनको तुरंत अपने - अपने घोड़े पर सवार होकर दौड़ाकर लड़ाई वाले मैदान में टूट पड़े   ।


Do it tomorrow, do it today, so do it now


परन्तु वह सिपाही कैसे पहुँचता ? उसका लंगड़ा घोड़ा जहाँ का तहाँ खड़ा रह गया । सिपाही ने दुःख से हाथ मलते हुए कहा यदि में आज - कल के चक्कर में न पड़ा रहता और उसी दिन अपने घोड़े के पैरों में नई नाल बँधवा देता तो आज इस विपत्ति में क्यों फँसता ?

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर क्या है?


बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही का अर्थ क्या है (A horse deteriorates without turning and what is the meaning of a soldier without fighting)

यह एक हिंदी मुहावरा है जिसका अर्थ है कि बिना किसी वजह के कोई भी समस्या या विवाद होता है तो उसका हल नहीं मिलता है। जैसे कि अगर कोई घोड़ा बिना फेरे बिगड़ जाता है, तो इसका मतलब है कि उसे समय-समय पर फेरे लगाए जाने की जरूरत होती है ताकि वह नियंत्रण में रह सके। उसी तरह, एक सिपाही बिना लड़े फिरे का अर्थ होता है कि वह अपने कार्यों के लिए तैयार नहीं है और उसे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए तैयार होना चाहिए।

इस मुहावरे का उपयोग आमतौर पर व्यवहारिक समस्याओं या संबंधों को समझाने के लिए किया जाता है और इससे समझाया जाता है कि बिना उचित प्रबंधन के कोई भी समस्या उत्पन्न हो सकती है और उसे संभवतः हल नहीं किया जा सकता है।

घोड़ा सिपाही क्या होता है (What is a horse soldier)

"घोड़ा सिपाही" शब्द इतिहास में उपयोग में आता था, जब अपने समय में घोड़े सिपाहियों का उपयोग सैन्य युद्ध में किया जाता था। आज के समय में, यह एक इतिहासी शब्द हो चुका है और उसका उपयोग किसी भी विशेष अर्थ में नहीं किया जाता है।

सैन्य इतिहास में, घोड़े सिपाही एक सैनिक था जो घोड़े पर युद्ध करता था। यह पद अक्सर राजवंशों द्वारा बनाया जाता था, जो अपनी सेना में घोड़े सिपाहियों का उपयोग करते थे। इन सिपाहियों का मुख्य कार्य घोड़े पर बैठकर सुरक्षा देना, गणतंत्र संरक्षण और युद्ध करना था।

अधिकतर देशों में, सैन्य संगठन अब तक अपने सैनिकों के लिए घोड़े का उपयोग करते हैं, लेकिन अब ये सैनिक अक्सर मोटराइज्ड यानों और विभिन्न प्रकार के उपकरणों का उपयोग करते हैं 

घोड़ा सिपाही आसवनी कहां है (Where is Ghoda Sipahi Distillery)

घोड़ा सिपाही आसवनी राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जहां पर आप घोड़ों को घुमाने, उनसे खेलने और स्थानीय रंगमंचों पर उनकी प्रदर्शनी देखने का आनंद ले सकते हैं। इस स्थान पर एक अनोखी बात यह है कि यहां कुछ घोड़े अपनी शानदार प्रदर्शनियों के लिए प्रसिद्ध हैं और आप उन्हें अपने बच्चों के साथ देख सकते हैं। इसके अलावा, इस स्थान पर कुछ राजस्थानी स्थानीय खाने की सुविधाएं भी होती हैं जो आपको इस राजस्थानी संस्कृति के बारे में जानने का मौका देती हैं।

क्या घोड़ा सैनिक सच्ची कहानी पर आधारित है ( Is Ghoda Sainik based on a true story)

हां, घोड़ा सैनिक एक सच्ची कहानी पर आधारित है। यह कहानी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इटली के नॉर्मैंडी शहर में एक अमेरिकी फौजी इलेन रिचार्ड की थी। रिचार्ड ने एक तंग घोड़े को अपने साथ सैनिकों के साथ युद्ध के मैदान में ले जाने का फैसला किया था। घोड़ा नाम "सार्जेंट रियो" था और उसने सैनिकों की मदद करते हुए युद्ध के दौरान कई जीवन बचाए। रिचार्ड और सार्जेंट रियो ने बाद में अमेरिकी सेना के साथ जापान के खिलाफ लड़ाई में भी भाग लिया। यह एक बहुत ही रोमांचक कहानी है जो बताती है कि कैसे एक घोड़ा भी अपने शौर्य और साहस से भरपूर होता है।

सिपाही का दूसरा नाम क्या है (What is the other name of soldier)

सिपाही का दूसरा नाम "जवान" होता है। यह शब्द हिंदी भाषा में प्रचलित है और भारतीय सेना के सदस्यों के लिए उपयोग किया जाता है। सिपाही शब्द भी उनके लिए उपयोग किया जाता है जो सेना, पुलिस या किसी अन्य सुरक्षा एजेंसी में सेवानिवृत्त हो गए होते हैं। इन शब्दों का उपयोग देश की सुरक्षा और रक्षा के लिए समर्पित लोगों के सम्मान में किया जाता है।

क्या जॉन कोको घोड़े का सिपाही था (Was John Coco a soldier of the horse)

नहीं, जॉन कोको घोड़े का सिपाही नहीं था। जॉन कोको (John Coco) एक अमेरिकी ड्राइवर थे जिन्होंने अपनी ट्रक को घोड़े सिपाही नामक पहाड़ी पर चलाया था। यह पहाड़ी भारत में है और उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। इस पहाड़ी का नाम सिपाही पहाड़ी है क्योंकि इस पर एक समय सिपाही रहते थे जो यहां की सीमा रक्षा करते थे। जॉन कोको ने 1982 में इस पहाड़ी पर अपनी ट्रक चलाकर अनोखी कल्पनाओं को जीवंत किया था, जिससे उन्हें देश-दुनिया में पहचान मिली।

बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही यह पंक्ति किस पाठ से है (From which text is this line a horse spoils without a turn and a soldier without a fight)

यह पंक्ति हिंदी कविता "बचपन" से है, जिसके लेखक समरेश शरण गुप्त हैं।

और नया पुराने