गंगा नदी के तट पर एक राज्य था - श्यामपुर । एक दिन वहाँ के राजा वीरभद्र का दरबार लगा था । राजा सोने के सिंहासन पर एवं उनके मंत्री चांदी के आसन पर बैठे थे । राजा के पीछे खड़ी दासियाँ चंवर डुला रही थीं ।
राज्य की समस्याओं पर विचार करने के बाद राजा वीरभद्र ने अपने मंत्री से पूछा- " मंत्रिवर , तीनों लोकों में सबसे सुंदर बाग किसने लगवाया है ? " " राजन , इंद्रलोक में नंदन - कानन नामक बाग तीनों लोकों में सबसे सुंदर है । वहाँ सभी देवी - देवता भ्रमण करने के लिए आते है ।
मंत्री ने बताया । राजा ने आदेश दिया- " मंत्रिवर , मैं अपने राज्य में नंदन - कानन से भी सुंदर एक बाग लगाना चाहता हूँ । आप लोग एक अनुपम बाग लगाने का प्रबंध कीजिए । " राजा की आज्ञा के अनुसार देश - विदेश से पौधे मंगवाकर लगवाए गए । उनकी सुरक्षा के लिए कंटीली बाड़ लगवा दी लेकिन इस बात का आश्चर्य हुआ , सुबह से शाम तक पौधे लगवाए गए लेकिन अगली सुबह होते ही वहा से सारे पौधे गायब हो गए ।
कंटीली बाड़ ज्यों की त्यों लगी रही । क्रोध में आकर राजा ने अपने गुप्तचरों को इसका पता लगाने के लिए कहा , लेकिन पौधों के गायब होने का रहस्य कोई नहीं जान सका । राजा ने कई बार बाग लगवाने के प्रयास किए , पर बाग नहीं लगा ।
राजा मन ही मन उदास रहने लगे । राजा वीरभद्र चार पुत्र थे । अपने पिता की उदासी का कारण जानकर उनके तीन पुत्र भानुप्रताप , चंद्रप्रताप और सुरेन्द्र प्रताप ने बारी - बारी से बाग लगाने के प्रयास किए लेकिन नतीजा कुछ न निकला । शाम को पौधे लगवाए गए और वे सुबह तक गायब हो गए ।
अंत में सबसे छोटे राजकुमार उदयप्रताप ने कहा- " पिताजी , मुझे भी एक मौका दीजिए । मैं एक बार प्रयास करना चाहता हूँ । " राजा वीरभद्र ने उदास स्वर में कहा- " जिस कार्य को हम खुद और तुम्हारे बड़े भाइया नहीं कर पाए, उसको तुम कैसे पूरा कर पाओगे ? "
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राजा की बात सुनकर मंत्री ने कहा- " राजन , छोटे राजकुमार का मन छोटा मत कीजिए । एक बार इन्हें भी कोशिश करने दीजिए । ' मंत्री की सलाह को मानकर महा राजा ने उनको आज्ञा दे दिया - " जाओ एक बारी तुम भी कोशिश करके देख लो देखते है क्या होगा । ”
छोटे राजकुमार उदयप्रताप ने पहले देखा करते थे कि उसके पिता श्री और उनके भाई उस बाग की रख रखाव का भार अपने सिपाहियों को फुरमाकर अपने स्वयं महल में चैन से नींद में सो जाया करते थे । उसने सबसे पहले सिपाहियों की छुट्टी कर दी और स्वयं बाग की रखवाली करने की योजना बनाई ।
बाग में पौधे लगवाकर उसने एक छोटी - सी झोंपड़ी बनवाई और रात में उसमें स्वयं छिपकर बैठ गया । बाहर उसने जल भरी एक नांद रखवा दी । काफी रात बीतने पर उसे थोड़ी झपकी आने लगी । उसने बाहर निकलकर अपनी आँखों पर ठंडे पानी के छींटे मारे , फिर अंदर जाकर बैठ गया ।
ठीक आधी रात के समय आंधी जैसी सांय - सांय की आवाज सुनकर उसके कान चौकन्ने हो गए । उसने कौतूहलवश झोंपड़ी के बाहर झांका । हवा एकदम शांत थी । आकाश में चांद - तारे चमक रहे थे । स्वच्छ चांदनी में उसने अचानक देखा कि दो पंखों वाला घोड़ा धीरे - धीरे आसमान से नीचे उतर रहा है ।
बाग की धरती पर पैर रखे बिना ही उसने ऊपर ही ऊपर पौधों को चट करना शुरू कर दिया । पौधों का सफाया करने के बाद एक नांद में पानी देखकर घोड़े का मन ललचाया । उसने पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई । खा - पीकर मस्त होने के बाद घोड़े ने सोचा - ' अभी तो आधी रात बाकी है , क्यों न थोड़ी देर विश्राम कर लूँ अगली सुबह होने से पहले ही इस लोक से उड़ निकल जाऊँगा । '
यही सोचकर घोड़ा जमीन पर उतरा और खड़े - खड़े झपकी लेने लगा । छोटा राजकुमार छिपकर घोड़े की हर गतिविधि को देख रहा था । घोड़े को सोता हुआ देखकर राजकुमार ने दबे कदम से उस Ghode के बगल में पहुंचे उसके बाद उछलकर उस घोड़े पर सवार हो गये ।
ज्यों ही राजकुमार घोड़े की पीठ पर बैठा , घोड़ा तेजी से आसमान में उड़ चला । घोड़े की पीठ पर न तो गद्दी थी और न ही उसके मुँह में लगाम थी । छोटे राजकुमार ने घोड़े के अयाल को कसकर पकड़ लिया ।
घोड़ा रात भर आसमान में चक्कर काटता रहा और राजकुमार भी उसकी पीठ से चिपका रहा । जब पूरब के आकाश में की लाली छाने लगी , तो घोड़े ने बोला “ भई आप दया करके हमारी पीठ से उतर जाए । सुबह होने से पहले अगर मै अपने घुड़साल में नहीं लौट पाऊंगा , तो हमें वहा पर कड़ी सजा भुक्तना पडेगा। "
छोटे राजकुमार ने बोला - " पहले तुम ऐ बताओ कि तुम कौन हो और हमारे बागान को नष्ट क्यों किया करते हो ? " घोड़े ने बताया- " मैं इंद्रलोक का काला घोड़ा हूँ । मुझे पता चला कि राजा वीरभद्र मृत्युलोक में नंदन कानन से भी सुंदर बाग लगाना चाहते हैं । वह बाग लगाने में सफल हो जाते , तो देवराज इंद्र का अपमान हो जाता ,
इसलिए मैं तुम्हारे बाग को नष्ट कर देता था । " छोटे राजकुमार ने कहा- " तुम बड़े दुष्ट हो । मैं तुम्हें अपने अस्तबल में बाँधकर रखूंगा । " घोड़े ने कहा- " यदि तुम मुझे छोड़ दोगे , तो मैं तुम्हारी दो मनोकामनाएँ पूरी कर दूँगा । "
छोटे राजकुमार ने कहा - " ऐसी बात है तो नंदन कानन से सुन्दर न सही , परन्तु मेरे बाग को तुम रातों - रात नंदन - कानन जैसा बना दो । मेरी दूसरी कामना है कि जब मैं बुलाऊँ , तो तुम आकर मेरी मदद करो । " घोड़े ने कहा- " ऐसा ही होगा ।
तुम्हें मेरी केवल एक शर्त माननी पड़ेगी । यदि तुमने मेरा रहस्य किसी को बता दिया , तो मैं फिर कभी नहीं आऊँगा । " छोटे राजकुमार ने घोड़े की शर्त मान ली । घोड़े ने राजकुमार को बाग में उतारा और वह तेजी से आसमान की ओर उड़ गया ।
छोटे राजकुमार ने अपना बाग देखा , तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा । ऐसा बाग न तो उसने कहीं देखा था और न ही इसके बारे में कहीं सुना था । बाग में आम , अमरूद , कटहल , बेर , सेब , नारियल , केला , पपीता हर तरह के पेड़ लगे थे । पेड़ों पर हर मौसम के फल लगे थे । कुछ फल कच्चे , कुछ पके और कुछ भूमि पर पड़े थे । गिलहरियाँ पके फलों को कुतर - कुतर कर खा रही थीं ।
एक ओर गेंदा , गुलाब , चंपा , गंधराज , हरसिंगार , बेली , जूही , चमेली और रजनीगंधा के फूल खिले थे । फूलों पर रंग - बिरंगी ' तितलियाँ मंडरा रही थीं । भौरे गुंजार कर रहे थे । बाड़ पर अंगूर की लताएँ छाई थीं । तालाब में कमल के फूलों के बीच हंसों के जोड़े तैर रहे थे ।
छोटे राजकुमार ने घूम - घूमकर बाग देखा और सूरज निकलने से पहले अपने महल में जाकर सो गया । उसने बाग के बारे में किसी से कुछ नहीं कहा । सुबह भ्रमण के लिए निकले लोगों ने बाग देखा , तो उनकी आँखें फटी रह गई । लोगों ने पहले छककर फल खाए , तब जाकर राजा को इस बात की सूचना दी । राजा को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था ।
उन्होंने स्वयं आकर बाग देखा , तो वह आँखें मलते रह गए ।राजा वीरभद्र छोटे राजकुमार के इस काम से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उसे राजगद्दी सौंपने की घोषणा कर दी । राजा की घोषणा सुनकर तीनों बड़े राजकुमारों ने राज्य छोड़ने का फैसला कर लिया । छोटे राजकुमार को इस बात का पता चला , तो उसे बहुत दुःख हुआ । उसने अपने पिता से जाकर कहा- " पिताजी , नियम के अनुसार तो सबसे बड़े भाई को ही राजा बनने का अधिकार मिलना चाहिए । "
राजा ने बोला- " हां पुत्र , हर एक कला सम्पन्न वाले व्यक्तित्व को ही राजन बनने का अधिकार होता है । तुमने जो अद्भुत बाग लगाकर दिखा दिया है तुम्हारे अपनी निपुणता ने प्रमाणित कर दिखाया है । " छोटा राजकुमार बोला- " पिताजी , यह सब तो काले घोड़े का चमत्कार है । "
असावधानी में घोड़े का नाम बोलकर छोटे राजकुमार को अपनी भूल का एहसास हुआ । वह फूट - फूटकर रोने लगा । राजा ने उससे रोने का कारण पूछा , तो उसने सुसुकते हुए बताया- " पिताजी , मैं शर्त हार गया । अब काला घोड़ा कभी नहीं आएगा । "
इसके बाद राजकुमार उदयप्रताप ने अपने पिता को काले घोड़े की पूरी कहानी सुनाई । दरबार में बैठे मंत्री ने भी कहानी सुनी । पूरी कहानी सुनकर मंत्री ने कहा- " राजकुमार , काले घोड़े का न आना ही ठीक है । जो लोग हमेशा दूसरों का मुँह ताकते हैं , वे आलसी हो जाते हैं ।
आपने देखा कि महाराज और आपके बड़े भाई दूसरों के भरोसे पौधों के गायब होने का रहस्य नहीं जान सके , जबकि आपने अपने बल पर सफलता प्राप्त कर ली । इसी प्रकार भविष्य में भी आपको सफलताएँ मिलेंगी । " मंत्री ने समझाने से छोटा राजकुमार प्रसन्न हो गया ।
अंत में छोटे भाई ने राजा से कहा- " पिताश्री , इस कहानी से हमारे भाइयों को भी खुद का काम स्वयं करने की शिक्षा मिल चुकी होगी । अब आप बड़े भाईया को राज तिलक की तैयारी की आज्ञा देने की संवेदना करें ।
मैं सब प्रकार से उनकी मदद करूँगा । " छोटे राजकुमार की बुद्धि एवं भाइयों के प्रति उसके मन में प्रेम भाव देखकर राजा वीरभद्र अत्यंत प्रसन्न हुए । राजा वीरभद्र ने छोटे राजकुमार की सलाह के अनुसार सबसे बड़े राजकुमार भानुप्रताप को राजा बनाने की घोषणा कर दी । छोटे राजकुमार के व्यवहार से चारों भाइयों का परस्पर प्रेम और बढ़ गया ।
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एक बड़े राजा का बेटा कविता (Ek bade Raja ka beta Kavita)
शाही महलों के बीच में बचपन बीता, पिता के ताज के साये में खेलता रहा। सिर्फ़ शोभा-शान देखी, ज़िन्दगी के असली रंग, देखते देखते बढ़ा, जवान हुआ वो राजकुमार।
सिंहासन पर बैठकर दुनिया को देखता रहा, समय ने उसका पलट दिया, नई दुनिया दिखाई दी। माना कि शाही ज़िंदगी का मज़ा अलग है, पर अब दिल में खुशियों की आग जलती हुई दीखाई दी।
बिछुड़ गए पिता से, जिंदगी के संघर्ष में, फिर भी उसने नए सपने बुने थे। अपने देश के लिए सेवा का जीवन उसे जीना था, सोचा, समझा और फिर नया निर्णय लिया था।
एक दिन उसने समझा, सेवा का वो फ़ैसला, आज से होगा वो संघर्ष, जो उसका हक है। आज से होगा वो सेवा, जो उसकी मौजूदगी है, आज से होगा वो नया संघर्ष, जो उसकी ज़िन्दगी है।
शाही शोभा और आदर अपने साथ छोड़ कर, उसने उतर लिया उस संघर्ष में। सफलता का मीठा अहसास महसूस हुआ, कविता बन गयी.
एक बड़े राजा का बेटा (Ek Bade Raja ka Beta)
एक बड़े राजा का बेटा था, शानदार शाही महलों में वह रहा। उसकी शिक्षा थी बहुत ही उच्च, सभी विद्याओं में वह था अभ्यस्त।
पर वह सभी से अलग था, उसे चाहिए था एक नया सफ़र। वह जाना चाहता था देश के दूर-दूर तक, जानना चाहता था देश की हर बात।
एक दिन उसने सोचा, वह निकल पड़ेगा, देश के लोगों से मिलेगा वह सबकुछ जानकर। उसने उसी दिन संकल्प लिया, उसने उसी दिन शपथ लिया।
वह निकल पड़ा देश के दूर-दूर तक, देखा हर बात को जो सुनाई देती थी। देखा उसने देश के सबसे दूर, जहां था सबकुछ अलग-अलग और अजीब था नज़ारा।
उसने संग्रह किया जो जानकारी, वह लौट आया शाही महल में। वह सभी से शेयर करता रहा, उन्हें बताता रहा जो कुछ भी सीखा था।
शाही जीवन को छोड़, उसने नये रास्ते चुने। अपने देश के लिए उसने समर्पण से जीना था, अपनी ज़िन्दगी को इस सेवा के नाम देना था।
दो दिन से एक बड़े राजा की बेटी (do din se Ek bade raja ki beti)
दो दिन से एक बड़े राजा की बेटी, बड़े राजमहल में नयी-नयी है घटनाएं। जिनके बारे में सुनते थे कभी सब लोग, वो अब हो रही हैं उनके अपने ही घर में।
एक पालक से उसके नये कपड़े जैसे चमकते हुए नज़र आए, दूसरे पालक से देखा तो उसके चेहरे की मुस्कान को समझा। कहानियों में सुनते थे राजकुमारियों के जीवन के बारे में, उनका एक सपना था कि कभी वो भी ऐसा जीवन जिएँ।
लेकिन आज वो यहाँ हैं, राजमहल के शानदार कमरों में, उनके अधिकारी वस्तुओं से भरे हुए कपड़ों में। उनका सबसे अच्छा दोस्त हैं अब एक नन्हा पशु, जिसे उन्होंने अपने साथ घर लाने का किया था फैसला।
उनके पास अब समय की कोई परेशानी नहीं है, उनके लिए हैं सारे राजमहल के सुख-समृद्धि। उन्हें दुनिया से कुछ लेना नहीं है अब, उन्हें जीना है सिर्फ़ उस खुशी के साथ जो उन्हें अपने जीवन में मिली है।
एक बड़े राजा का बेटा गीत (Ek bade Raja ka Beta lyrics)
सुनो अरमानों की धुन, बड़े राजा का बेटा हूँ मैं। सपनों से जुड़ी मेरी कहानी, यहाँ हर पल होती है नई ज़िंदगानी।
हर दिन जीते हैं नए खेल, खुशी-गम में मिलती है मेरी सहेली। मेरे दोस्त हैं मेरे बचपन के संगीत, अब बड़े होने से कहाँ मिलेंगे वो नये मीत।
पर आज भी उनके संग मेरे दिल की धड़कन, हम खेलते थे, हंसते थे, ज़िंदगी के साथ चलते थे हम। अब जब मैं उन्हें याद करता हूँ, खुशी से भर जाती है मेरी आँखें और दिल के सारे सुख।
हर दिन इस राजमहल में कुछ नया सीखता हूँ, अपनी पढ़ाई से अपने सपनों को देता हूँ ज़ोर। कभी कभी सोचता हूँ जो संघर्ष मैंने किया है, वो मेरी असली ताकत है, उसी के साथ मैं जीता हूँ यहाँ।
बड़े राजा का बेटा होना है एक अद्भुत अनुभव, ज़िन्दगी की इस यात्रा में इससे बढ़ कर कुछ नहीं है ख़ास। हर दिन मिलता है एक नया सुख, इसी से मेरा जीवन हो जाएगा निहाल.
एक बड़े राजा की बेटी 2 दिन से बीमार (Ek bade raja Ki beti 2 din se bimar)
मुझे खेद है कि राजा की बेटी बीमार है। किसी भी रोग से निपटने के लिए उसे विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। उसे उपयुक्त दवाओं का सेवन करना चाहिए जो उसकी बीमारी के लिए संबंधित होंगी। उसे अपने शरीर को पूरी तरह से आराम देना चाहिए ताकि उसके शरीर की शक्ति बढ़ सके।
इसके साथ ही, राजा को उसकी देखभाल के लिए एक अतिथि चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए, जो बेटी की स्थिति को निगरानी कर सकता है और उसे सही तरीके से इलाज कर सकता है। वे भी उसे उपयुक्त आहार के बारे में सलाह दे सकते हैं जो उसकी शक्ति को बढ़ाने में मदद करेंगे।
आप अपने राजा को इस स्थिति के बारे में बताकर उसे सलाह देने की सलाह दे सकते हैं।
बड़े - बड़े राजा किस पर न्योछावर होते हैं (On whom do great kings sacrifice)
बड़े-बड़े राजा अक्सर उनके राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में न्योछावर होते हैं। न्योछावर उन समाजिक वर्गों को कहा जाता है जो धन के प्रति अतिरिक्त उत्साह दिखाते हुए राजा के सेवा में रहते हैं।
यह लोग राजा के आदेशों के अनुसार काम करते हैं और राजा की इच्छाओं को पूरा करने में मदद करते हैं। इन लोगों को धन, भूमि, स्त्री, वस्तुएं, या अन्य सम्पत्तियों के रूप में भी संबोधित किया जा सकता है।
न्योछावर को राजा की सबसे विशिष्ट वर्ग माना जाता है जो उनके विशेष व्यवसायों और कामों को आसान बनाने में मदद करते हैं और राजा को सामाजिक और आर्थिक स्थिति में उनके बीच एक सम्बन्ध बनाये रखते हैं।
नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए (Nani Teri Morni Ko Mor Le Gaye)
नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए एक प्रसिद्द हिंदी बालगीत है। यह बालगीत बच्चों के बीच खूब पसंद की जाती है। इस बालगीत में बताया गया है कि नानी की मोरनी को मोर ले गए और अब मोरनी को लौटाने के लिए नानी क्या करेंगी।
इस बालगीत में मोरनी और मोर के जीवन शैली का वर्णन किया गया है। मोर अपने सुंदर रंग और ऊंचे पंखों के कारण लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय होते हैं। वे अपनी आकृति और संगीत वाली आवाज से भी जाने जाते हैं।
इस बालगीत के माध्यम से बच्चों को प्रेरित किया जाता है कि वे प्रकृति के साथ अपने संबंध को बढ़ावा देने का आदर्श बनाएं।
बड़े बड़े राजा किस पर नवछावर होते हैं (Bade bade raja kis par nyochavar hote hain)
बड़े बड़े राजा नवछावर अपने शासनकाल में उन विशेष अवसरों पर पहनते थे जब उन्हें सम्मानित किया जाता था, जैसे कि राज्याभिषेक, शादी या अन्य सामाजिक अवसर। नवछावर एक विशेष प्रकार का पोशाक होता है जो एक लम्बे और विस्तृत परिचर्या वाले ऊनी से बना होता है। यह राजा या महाराजा के अधिकारों और सम्मान का प्रतीक होता है।
राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा (Raja ka beta raja nahi banega)
यह कहावत अक्सर लोगों के बीच सुना जाता है, लेकिन यह बिल्कुल सच नहीं है। एक राजा का बेटा उसके बाद का राजा बनने के लिए पूर्णतया योग्य हो सकता है। इतिहास में कई ऐसे उदाहरण हैं जहां एक राजा का बेटा उसके बाद राजा बना है। वास्तव में, एक राजा का बेटा उस स्थान पर स्थानांतरित होता है जो उसे उसके पिता से समान अधिकार देता है, जैसे कि उसके राजवंश के सदस्य होना। उसे शिक्षा, अनुभव और योग्यता के साथ साथ अपने बाप के बारे में अच्छे संस्कार प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। इसलिए, यदि वह इन सभी मापदंडों को पूरा करता है, तो वह अपने पिता के बाद राजा बन सकता है।
एक राजा की बेटी (Ek Raja Ki Beti)
एक राजा की बेटी समाज में बड़ी संपत्ति, सम्मान और शक्ति के साथ जन्म लेती है। राजा की बेटी की शिक्षा, संस्कार और सभी दृष्टिकोणों से समृद्ध विकास होता है। यह उन्हें उनके समाज और देश के लिए उपयोगी बनाता है और उन्हें उनके परिवार का एक अहम हिस्सा बनाता है।
एक राजा की बेटी के लिए उचित शिक्षा, संस्कार और योग्यता के साथ अधिकारों की जानकारी भी जरूरी होती है, ताकि वह अपने पिता की जगह लेने के लिए तैयार हो सके। उन्हें समाज के दूसरे सदस्यों से सहयोग और समर्थन प्राप्त करना भी आवश्यक होता है ताकि वह अपनी स्थिति और समाज की दृष्टि से अधिक शक्तिशाली बन सके।