एकनाथ जी रामचरितमानस की कथा बांच रहे थे । उनका कथा कहने का ढंग बहुत ही रोचक था । श्रद्धालुजन ध्यानमग्न कथा सुन रहे थे । वे कह रहे थे , “ जहाँ-जहा रामचरित मानस किस्सा होता है , वहा पर हनुमान जी ऐ तो पक्का हैं । वहा आ ही जाते है भगवान श्रीराम की कथा हनुमान जी के दिल को लुभाती है । "
तभी उन्होंने देखा , कुछ भक्तजनों के चेहरे पर शंका के भाव उभर आए हैं । एकनाथ जी बोले कुछ नहीं अपितु सुन्दरकाण्ड की कथा कहने लगे - " हनुमान जी जब लंका में सीताको खोजते खोजते अशोक वाटिका पहुँचे तो उन्हें वहाँ चारों ओर सफेद अशोक के फूल दिखाई दिए । सफेद अशोक के फूलों को वे एकटक देखते रहे ।
तभी भक्तों में से एक बूढ़े बाबा उठ खड़े हुए और बोले , “ एकनाथ जी , आप गलत कह रहे हैं । अशोक वाटिका में फूल सफेद नहीं थे , वहाँ तो फूल लाल रंग के थे । " एकनाथजी बोले- " बाबा , फूल सफेद रंग के ही थे । "
बाबा बोले- " नहीं फूल लाल रंग के थे । मैंने अपनी आँखों से उन्हें देखा था । " अपनी आँखों से कैसे ? " एकनाथ जी ने पूछा । " चूँकि मैं हनुमान हूँ इसलिए मैंने उन्हें अपनी आँखों से देखा था , फूल लाल रंग के थे । " -बाबा बोले । सभी भक्त चौंक पड़े । एकनाथ जी मन ही मन हनुमानजी के दर्शन कर अति प्रसन्न हुए , लेकिन वे फिर बोले , “ हनुमानजी , आपको लाल दिखाई दिए होंगे । फूल तो सफेद ही थे ।
हनुमानजी बोले , “ चलो इसका फैसला स्वयं भगवान राम से करवा लेते हैं कि फूल सफेद थे या लाल । ” एकनाथ जी बोले , " मुझे मंजूर है । ” अभी हनुमानजी बोले , “ मैं भगवन् के पास जाता हूँ और पूछकर आता हूँ । ” एकनाथ जी बोले , “ वाह भई वाह ! भगवान तो तुम्हारे ही हैं यदि तुम अकेले जाओगे तो भगवान तो तुम्हारा ही पक्ष लेंगे " हनुमान जी बोले , " ठीक है ,
फिर मैं भगवान को यहीं बुला लाता हु हनुमान जी गए भगवान राम को सीताजी सहित बुला लाये । एकनाथ जी भगवान राम , सीता को प्रणाम कर बोले , " हे ईश्वर , आपको इसका फैसला करना है कि अशोक वाटिका में फूलो का रंग कैसा था ? " श्रीराम बोले , " एकनाथ जी आपके अनुसार फूल किस रंग के थे ? " " प्रभो , सफेद रंग के । "एकनाथ जी ने उत्तर दिया ।
नहीं प्रभो , फूल लाल रंग के थे । " - हनुमान जी बोल पड़े । श्रीराम कुछ बोलते , इससे पहले ही सीताजी बोल उठीं- " फूल किस रंग के थे , यह तो मुझे अधिक मालूम है क्योंकि मैं वहाँ पर इतने समय तक रही थी । " " माताजी , फिर आप ही बताएँ । " - हनुमान जी बोले । " फूल तो श्याम वर्ण के थे । "सीताजी बोल उठीं ।
अब तो मामला पेंचीदा हो गया । तीन पक्ष हो गए - सफेद फूल , लाल फूल या श्याम फूल ? सभी परेशान । भगवान मुस्कराते हुए बोले , " एकनाथ जी , आप इतने समय से रामचरितमानस की कथा कहते आ रहे हैं । आप गलत कैसे कह सकते हैं ? फूल तो सफेद ही रंग के थे । "
एकनाथ जी अपने को धन्य समझने लगे । एक तो भगवान के दर्शन ऊपर से उनका पक्ष भी सही निकला । हैं ? " हनुमान जी रूठकर बोले , " तो क्या प्रभो , हम झूठ बोल रहे बोले , भगवान ममतामयी नज़रों से हनुमानजी को देखते ' हनुमान जी , आप भी सही कह रहे हैं ।
प्रभो , यह कैसे हो सकता है कि एकनाथ जी भी सही कह रहे हैं और हम भी सही कह रहे हैं ? " " वत्स , तुम जब अशोक वाटिका में सीता की खोज में गए थे तो तुम गुस्से में थे और क्रोध का रंग लाल होता है इसलिए तुम्हें अशोक के फूल लाल रंग के दिखाई दिये थे ।
इसलिए तुम भी सही कह रहे हो । " -श्रीराम प्यार से बोले । " सीताजी नाराज़ होती हुई बोलीं , “ अच्छा तो आपके दोनों भक्त सही कह रहे हैं तो क्या मैं ही गलत कह रही हूँ नहीं प्रिये , तुम तो सबसे ज्यादा ठीक बोल रही हो । ” " वाह प्रभो , यह तो आप मेरा मन रखने के लिए कह रहे हैं ।