हम ज्येष्ठ पूर्णिमा क्यों मनाते हैं | Significance of Jyeshtha Purnima

पूर्णिमा व्रत की विधि और कथा


ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा हिन्दू धर्म में इसका बहुत बड़ा महत्व मना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से पूर्णिमा के तिथि नहा धोकर दान-धर्म करने का विधान से जाना जाता है। यह दिन ऐसा होता है को गंगा में स्नान करने से उस व्यक्ति की सारी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। ऐसा भी माना गया है कि यह सब करने से व्यक्ति के सम्पूर्ण  पापों का नाश हो जाया करता है। यह भी मानता है इस तिथि को दान करने से देवते पितरों का भी काफी हद तक भला होता है और उनको मुक्ति मिलती है। यही कारण है इस तिथि को ख़ास तौर पर महिलाओं को इस  व्रत को करने की जरूरत होती है। इस तिथि ख़ास रूप से भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने की अवसक्ता होती है ।


ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत मुहूर्त 


आरम्भ तिथि 

जून 13/ 2022 को 21:04:02 से पूर्णिमा 


समाप्ति तिथि 

जून 14/ 2022 को 17:22:31 पर पूर्णिमा 

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि 

ज्येष्ठ पूर्णिमा के तिथि में सबसे पहले स्नान, ध्यान और पुण्य काम करने का ख़ास महत्व होता है। इसके साथ ही इस  तिथि उन ब्यक्तिओ के लिये भी बहुत  महत्वपूर्ण रहता है, जिन युवक और युवतियों का शादी विवाह  होते होते रुक जाया करता है या फिर उसमें किसी तरह  से कोई ना कोई बाधा आ जाया करती है। ऐसे ब्यक्ति अगर आज के तिथि श्वेत वस्त्र धारण करके शिवाभिषेक करना चाहिए और भगवान भोले नाथ की पूजा अर्चना करें तो उनके विवाह में आने वाली हर एक बाधा दूर हो सकती है। विशेषज्ञों के माने तो ज्येष्ठ पूर्णिमा के तिथि को कोई भी कुछ खास जुगाड़ करके इस शुभ घड़ी में  शुभ लाभ मिल जा सकता है।


ज्येष्ठ पूर्णिमा के उपाय:-


●  इस विशेष तिथि को पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु संग माँ लक्ष्मी वास किया करती हैं। इस नाते अगर कोई इन्शान एक लोटा में जल भरके उसमें गाय का कच्चा दूध बताशा मिलकर पीपल के जड़ में चढ़ाता है तो यह करने से उस इन्शान का किसी के पास रुका हुआ धन उसे मिल जाता है और बात यह भी है कि उसको बिज़नेस में भी काफी लाभ की प्राप्ति होती है ।


●  इस तिथि को दंपत्ति को चंद्र देव को गाय का कच्चा दूध से अर्ध्य देना बहुत शुभ माना जाता है । यह सब करने से उनके भविष्य में आ रही हर छोटी-मोटी दिक्क़ते बहुत  दूर हो जाया करती है। बड़ी बात यह भी है की यह कार्य पति या पत्‍नी कोई भी कर सकता है।


●  आज की रात में अगर कोई ब्यक्ति किसी कुएं में एक चम्‍मच गाय का कच्चा दूध डाल देता है तो उसका भाग्‍य उज्वल हो जाता है। बात यह भी है यदि उसे किसी भी अवसक्ता वाले काम में कोई रुकावट आ रही होती है तो वो भी बहुत जल्दी दूर हो जाया करती है।


●  अगर किसी ब्यक्ति की जन्म कुंडली ऐसा हो जिसमें कोई ग्रह दोष होता हो तो उसको दूर भगाने के लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन, नीम और पीपल की त्रिवेणी के नीचे विष्णु सहस्त्रनाम या शिवाष्टक बैठ कर पाठ करना सबसे अच्छा रहता है ।


●  ज्येष्ठ पूर्णिमा के तिथि में लक्ष्‍मी माता की फोटो पर 11 कौड़ियां चढ़ा कर  उस पर चन्दन एवं हल्‍दी से तिलक लगाना काफी बेहतर होता है। इसके बाद अगली सुबह इन्‍हें लाल कपड़े में बांध ले और अपनी तिजोरी या किसी बक्से में रख दें। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति बहुत बेहतर होती चली जाएगी ।

ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व

हिन्दू धर्म के अनुशार ज्येष्ठ पूर्णिमा का ख़ास महत्व माना जाता है। आमतौर पर इस तिथि को श्रद्धालु गंगा जल भरकर अमरनाथ यात्रा के लिये निकल पड़ते हैं। हिन्दू पंचांग के हिसाब से ज्येष्ठ माह हिन्दू धर्म में वर्ष का तीसरा माह होता है। इस वक्त में धरातल पर प्रचंड गर्मी बनी रहती है और बात यह भी है की अनेको नदी और  तालाब पोखरे सूख भी जाया करते हैं या फिर उनका जल स्तर घटकर बहुत कम हो जाया करता है। इस नाते  इस माह में पानी का महत्व और अन्य महीनों की तुलना में बढ़ ही जाया करता है। ज्येष्ठ महीने में आने वाले पर्व जैसेकी-निर्जला एकादशी, गंगा दशहरा, के माध्यम से हम सभी को ऋषि-मुनियों ने संदेश भेजा है कि पानी के महत्व को जानो और जल का सदुपयोग करें।

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