ज्येष्ठ मास का दूसरा प्रदोष व्रत
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्त्व दिया जाता है। यह महीने के हर त्रयोदशी को रखते है। अबकी बार यह ज्येष्ठ मास का दूजा प्रदोष व्रत 12 जून को पडेगा त्रयोदशी दिन को मनाया जाने का सुभगय प्राप्त हो रहा है । प्रदोष व्रत जिस तिथि को पड़ता है उसे प्रदोष व्रत का नाम उसी तिथि के नाम पर जाना जाता है। ज्येष्ठ माह का दूसरे बार प्रदोष व्रत 12 जून तिथि रविवार को मनाया जाएगा । इस नाते इस प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत बोलते है।
प्रदोष व्रत में भगवान् भोले शंकर और माँ पार्वती की शिद्धि-बिद्धि से पूजा अर्चना की जाती है। यह पूजा करने से भगवान शिव शम्भु बहुत प्रसन्न होते है और अपने भक्तों के सभी कष्ट और समस्या दूर किया करते हैं। प्रदोष व्रत से दुःख भरा जीवन खुशहाल हो जाता है। ऐसा करने वाले को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति के संभावना काफी हद तक अधिक हो जाती है।
प्रदोष व्रत तिथि
पंचांग के हिसाब से , ज्येष्ठ मास का शुक्ल पक्ष त्रयोदशी दिन 12 जून तिथि रविवार को प्रातः 3 बजकर 24 मिनट से चालू होंगी और 13 जून तिथि सोमवार को दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर समाप्त हो जाएगी । रवि प्रदोष व्रत 12 जून को अबकी बार रखा जा रहा है । रवि प्रदोष व्रत के पूजा का वक्त 12 जून को शाम के वक्त मांएगे ।
रवि प्रदोष व्रत पूजा– विधि
प्रदोष व्रत के तिथि सुबह जल्दी उठके नहाकर आदि करके साफ सुथरा कपड़ा पहनें। उसके बाद घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित व्रत का संकल्प ले ले । भगवान भोलेनाथ को सरयू-गंगा या फिर जमुना जल से अभिषेक कर देवे। उसके बाद भगवान शिव और माँ पार्वती को पुष्प चढ़ावे और भोग लगाएं। उसके बाद पूजा कर लास्ट में भगवान भोले जी की आरती करना सुरु करे ।
रवि प्रदोष व्रत कथा
पौराणिक कहानी के हिसाब से, एक पुरवा में गरीब ब्राह्मण के परिवार रहा करता था। उस ब्रह्मण की अर्धांग्नी प्रदोष व्रत विधि विधान से पूजा किया करती थी। एक दिन बात है जब उसका बेटा पिंड से बाहर कहीं दूर जा रहा था, उस वक्त रास्ते में कुछ बदमाशों ने उसको घेर लिया। बदमाशों ने उसकी झोरा छोर लिया और उससे उसके घर के गुप्त सम्प्पति के बारे में पूछना सुरु किया । बालक ने बताया कि झोरी में रोटी केवल है उसके अलावा और कुछ भी नहीं है उसने यह भी कहा की उसका परिवार बहुत ही गरीब है, उसके घर में कोई छिपा धन सम्पत्ति नहीं है। बदमाशो ने उसको जाने दिया वह आगे बढ़ता चला गया । वह लड़का नगर के एक बरगद के निचे छाए में चादर डालकर सो जाता है । तभी राजा के कुछ सिपाहीओं ने चोरों को ढूढ़ते हुए वहां आ टपके उस लड़के को ही बदमाश समझ कर पकड़ ले जाते है उसे कारागार में बंद कर देते है ।
शाम हो जाने के बाद जब लड़का घर नहीं गया तो उसकी मां भयभीत हो उठी । उस समय वह प्रदोष व्रत थी। उसने भोले नाथ की पूजा के समय भगवन शिव से अर्चना की थी कि उसका पुत्र सही सलमत रहे , भगवन उसकी हमेशा रक्षा करें। भगवान भोलेनाथ ने उसकि मां की आहट सुन लिया । उसके बाद भगवन शिव जी ने राजा को स्वप्न में लड़के को जेल से रिहा करने का आदेश दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वह लड़का बेकसूर है, उसको कारागार में रखोगे, तो तुम्हारे राज सर्वनाश हो जाएगा।
अगली सुबह राजा ने उस लड़के को रिहा करने का आदेश दे दिया। तब लड़का राजदरबार में आया और उसने सारी घटना के बारे में राजा को बताया। उसके बाद राजा ने उसके माता-पिता को दरबार में हाजिर होने का आदेश दे दिया । वह ब्रह्माण परिवार राज दरबार में बुलाए जाने के आदेश से बिलकुल डरा हुआ था। फिरहाल जैसे-तैसे वह लोग राजा के दरबार में जा पहुंचे । राजा ने बोला की आपका पुत्र बिलकुल निर्दोष है, उसे मुक्त कर दिया जा रहा है। और राजा ने ब्राह्मण परिवार की जीने के लिए पांच ग्राम सभा दान कर देते है ।
भगवान शिवा की दया और कृपा से वह ब्राह्मण परिवार सुखीपूर्वक जिंदगी व्यतीत करने लगे। इस तरह से प्रदोष व्रत की महिमा तो बहुत भिन्न-भिन्न से खूब बखान करते है ।