एक बेवफा की लाजबाब लव स्टोरी –बेवफा की लव कहानी – Bewafa Love Story in Hindi – एक दिन हम सभी दोस्त एक साथ बैठकर बातचीत कर रहे थे। तभी बालेन्द्र अपनी लव स्टोरी के बारे में बताने सुरु हो जाता है। पहले बालेन्द्र की लव स्टोरी मुझे बहुत रोमांटिक लगी लेकिन पूरी सुनने के बाद में हमारी आंखों से आंसू निकल आए थे । उसकी लव स्टोरी रोमांटिक के साथ-साथ बड़ी दुख भरी निकली। आज आप सभी के लिए उसी लव स्टोरी को लेकर आ गया हूं तो चलिए पढ़ना जारी रखिये ।
बात लगभग 2 साल पहले की है जब बालेन्द्र आगे की पढ़ाई करने के लिए सहारनपुर शहर में चला जाता है। वहां पर बालेन्द्र के मामी मामा रहते थे। वह अपने उन रिश्तेदारों के पास जा पहुँचता है और उनके माध्यम से ही कॉलेज में एडमिशन मिल जाता है। पहली बार बड़े शहर में जाने की कारण से बालेन्द्र वहां की चीजों से बहुत अनजान था। बालेन्द्र के मामा जी के पास वाले मकान से ही एक लड़की वही कॉलेज में पढ़ाई करने जाती थी। उस लड़की का नाम पूनम था।
बालेन्द्र भी उस लड़की के साथ में हर रोज कॉलेज जाता था। वह पढ़ाई में बहुत होशियार था। धीरे-धीरे बालेन्द्र कॉलेज के साथ-साथ ही शहर की सभी चीजों से रूबरू हो चला । पढ़ाई में होशियार होने की कारण कई लड़कियां उससे इंप्रेस हो चुकी थी, लेकिन बालेन्द्र अपनी पढ़ाई के अलावा किसी की भी तरफ ध्यान नहीं दिया करता था। Bewafa Love Story in Hindi
एक दिन ऐसा भी हुआ कि बहुत सारी लड़कियां बालेन्द्र की क्लास के अंदर जा पहुंची और उससे बातचीत करने लग जाती है। एक गांव का भोला भाला लड़का होने के कारण उन सभी से बात करने में उसको बहुत शर्म आ रही थी। बालेन्द्र के किसी भी तरह के कोई जवाब न देने के वजह सभी लड़कियां उससे छेड़छाड़ करने भी लग जाती थी । इसकी वजह से बालेन्द्र बहुत नाराज हो जाया करता था और वहां से उठकर चला जाता है।
अगले दिन बालेन्द्र, पूनम के साथ कॉलेज जा ही रहा था तभी वह उससे पूछती हैं – कल इतनी सारी लड़कियां आपका मजाक क्यों उड़ा रही थी? जिस पर आपने कुछ भी जवाब नहीं दिया। बालेन्द्र ने कहा – मुझे केवल पढ़ाई करने के लिए हमारे माता-पिता ने यहां पर भेजा है। पूनम कहती है – तुम इतना भी चुप मत रहो कि हर कोई आप को बेवकूफ समझने लगे। बातों ही बातों में कॉलेज जाता हैं।
कॉलेज पहुंचने के बाद पूनम बालेन्द्र को लेकर उन लड़कियों के पास पहुंच जाती है और उन सभी लड़कियों से बुरा-भला बोलने लगती है। पूनम स्वभाविक रूप से काफी तेज तरराज की लड़की थी, जिसकी कारण उससे लड़के भी डरा करते थे। सारी लड़कियों ने बालेन्द्र से माफी मांगी और वहां से चली जाती है । पूनम तथा बालेन्द्र दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ने की कारण साथ आने जाने के वजह से दोस्त बन चुके होते है ।
पूनम के बार-बार कहने पर बालेन्द्र भी अब कॉलेज में कम डरने लगता है । अब वह धीरे-धीरे लड़कियों से भी बातचीत करता रहता है और पूनम के डर से सभी छात्र बालेन्द्र की इज्जत किया करते थे। एक दिन कॉलेज में सांस्कृतिक प्रोग्राम रखा जाता है । सभी लोग सुबह-सुबह कॉलेज पहुंच गए इधर पूनम और बालेन्द्र भी कॉलेज पहुंच जाते हैं। कॉलेज में प्रवेश करते ही बालेन्द्र की नजर एक लड़की पर पड़ जाती है।
वह लड़की देखने में काफी सुंदर थी और बातें करने के दौरान उसके गाल पर डिंपल पड़ते रहते थे। बालेन्द्र उस लड़की को देखता ही रह जाता है। बहुत देर टकटकी लगाए उस लड़की को ही देखता रहता है। वह लड़की बालेन्द्र की तरफ आती हुई दिखाई देती है तो वह अपनी नजरें झुका लेता है। जब नजरें उठाकर बालेन्द्र ने देखा कि पूनम और वह लड़की एक दूसरे से बातें कर रही है। उस लड़की के चले जाने के बाद बालेन्द्र ने पूनम से उसका नाम पूछ लगा ।
तब पूनम ने बोली – आपको उस लड़की से क्या काम है? तब बालेन्द्र ने कहा – बस ! वैसे ही मै पूछ रहा हूं।
इतने में पूनम कहाने लगती है – हमें लगता है! शायद वह लड़की आपको पसंद आ चुकी है। तब बालेन्द्र अपनी नजरें नीची कर लेता है और चुपचाप खड़ा हो जाता है। महेश की हरकतें देखकर पूनम समझ चुकी थी कि वह उस लड़की को पसंद करने लग लगा है।
तभी पूनम बालेन्द्र तथा उस लड़की की एक दूसरे से एक बार मुलाकात करवा देती है। बालेन्द्र ने सबसे पहले उस लड़की का नाम पूछा तो उसने अपना नाम रम्भा बताया। बालेन्द्र उससे बातें करके मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्योंकि जीवन में पहली बार इतनी सुंदर लड़की उससे बातचीत कर रही होती है। एक दूसरे से बातचीत हो जाने के बाद रम्भा वहां से चली जाती है, परन्तु बालेन्द्र पूरी तरह से उसका तबतक दीवाना हो चुका था।
रम्भा के जाने के बाद भी बालेन्द्र उसे ही देख रहा था।तभी अचानक रम्भा पीछे मुड़कर देखती है और बालेन्द्र की तरफ मुस्कुरा कर चली जाया करती है। अब तो बालेन्द्र पूरी तरह से उसका दीवाना हो गया था लेकिन इजहार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। इस नाते उसने सोचा क्यों ना पूनम को सब कुछ बताया जाए। इसी बीच पूनम के पास पहुंच जाता है और उसे सारी बातें सूना देता है।
बालेन्द्र ने पूनम से कहा – रम्भा आपको कैसी लगती है? पूनम ने जवाब दिया – अच्छी लगती है, लेकिन इन सब बातों से तुमको क्या काम पड़ गया है?
बालेन्द्र ने कहा – कुछ भी नहीं वैसे ही पूछ बैठा।
पूनम ने कहा – ज्यादा भोला मत बनो! मुझे सब कुछ पता हो चुका है कि तुम रम्भा को पसंद करने लगे हो।
इस बात को सुनकर वह चुपचाप खड़ा रहता है, इतने में ही पूनम जवाब देती है –खैर कोई बात नहीं ! मैं रम्भा से बात करूंगी।
थोड़ी देर बाद पूनम रम्भा के पास पहुंच जाती है और बालेन्द्र की ओर इशारा करते हुए बातें करती है। बालेन्द्र समझ चुका था कि पूनम रम्भा को उसके बारे में बता रही होगी । करीबन 3 दिन बिता ही होगा अचानक बालेन्द्र के पास रम्भा का फ़ोन आता है और वह उससे मिलने के लिए बोल देती है। दोनों मिलने के लिए एक सही जगह चुन लेते हैं और छुट्टी वाले दिन मिलने के लिए तय कर लेते है।
रविवार के दिन बालेन्द्र जल्दी से तैयार होकर उस पार्क में पहुंच गया। जहां पर पहले से ही रम्भा उसका इंतजार कर रही होती है । रम्भा को पहले से ही वहां देखकर वह बहुत खुश हो जाता है और उससे बातचीत करने में लग जाता है। पहली-पहली बार मिलने के कारण दोनों रोमांटिक बातें करने में लग जाते हैं। बहुत देर बातचीत करने के बाद रम्भा वहां से जाने की बोलती है लेकिन बालेन्द्र कुछ समय के लिए उसे और रोक लेता है।
कई दिनों तक मिलते जुलते रहने के वजह से रम्भा तथा बालेन्द्र एक दूसरे को बहुत प्यार करने लगे और वह दोनों किसी भी हालात में एक दूसरे से दूर होना नहीं चाहते थे। अब यहां से कहानी और भी जटिल हो जाती है एक दिन बालेन्द्र की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आ जाता है जिसने उसका सब कुछ मिटा देता है। उस दिन बालेन्द्र और पूनम पहले की जैसा एक साथ कॉलेज जा ही रहे थे। कॉलेज जाते वक्त इन दोनों को रम्भा ने देख लिया और वह बालेन्द्र से बहुत नाराज सी हो गई।
रम्भा को लगा कि बालेन्द्र तथा पूनम एक दूसरे से पहले से ही प्यार करते हैं और मुझे केवल बेवकूफ बना दिया है। इस बात को लेकर रम्भा के दिमाग में बहुत सारे विचार आ जाते हैं और जिसके बाद वह बालेन्द्र का चेहरा देखना भी नहीं चाहती थी। बालेन्द्र और पूनम दोनों हस्ते मुसकुराते हुए कॉलेज पहुंच जाया करते हैं। क्योंकि काफी दिनों से एक साथ में रहते हुए दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन चुके थे और वह दोनों एक दूसरे की बातें शेयर भी किया करते रहते थे।
इस बात का बालेन्द्र को बिल्कुल भी मालूम नहीं था कि रम्भा इस गलतफहमी की कारण वह नाराज हो गयी है । बालेन्द्र कॉलेज पहुंचने के बाद रम्भा के पास पहुंच जाता है। रम्भा बालेन्द्र को आते हुए देखकर वहां से उठकर जाने लगती है, तो बालेन्द्र उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया । बालेन्द्र ने रम्भा को बैठाकर तसल्ली दिलाकर समझाया कि पूनम सिर्फ और सिर्फ हमारी एक अच्छी दोस्त है। इसके अलावा पूनम से हमारा कोई भी रिश्ता नहीं है।
रम्भा इस बात को बिलकुल मानने को तैयार नहीं थी कि पूनम और बालेन्द्र के बीच सिर्फ दोस्ती का ही रिश्ता है। काफी देर समझाने के बाद रम्भा बालेन्द्र को एक थप्पड़ मारकर वहां से चली गयी । बालेन्द्र चुपचाप वहां पर बैठा ही रह गया । यह सब हो जाने के बाद बालेन्द्र ने कई बार काजल को मनाने की कोशिश किया लेकिन वह किसी भी बात को सुनने को भी तैयार नहीं थी। धीरे-धीरे दोनों के बीच में दूरियां हो जाने लगी और वह दोनों एक दूसरे से एकदम अनजान की जैसे रहने लगी।
बिना किसी बात को लेकर रम्भा के दूर हो जाने के कारण बालेन्द्र तनाव में रहने लगता है। कॉलेज जाना भी कम कर देता है और अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देना कम कर दिया। हमेशा रम्भा के बारे में ही सोचता रहता था। अधिक रात तक जागता रहता तथा समय पर ना सोने की कारण से बालेन्द्र का मानसिक स्वास्थ्य खराब होता जा रहा था। वह हमेशा एक ही बात सोचता रहता था कि रम्भा ने एक मामूली सी गलतफहमी में पड़कर उसने हमारे प्यार को यु ही तोड़ दिया।
यह बात जब पूनम को पता होता है तो सीधे रम्भा के पास पहुंच जाती है और बालेन्द्र के हालात के बारे में उसे बताती है। परन्तु रम्भा बालेन्द्र से मिलने से बिलकुल मना कर देती है। इतनी बात सुनकर पूनम बहुत नाराज हो जाती है उसके बाद वह अपने स्कूटर स्टार्ट करके बालेन्द्र के पास जा पहुंचती है। पूनम बालेन्द्र के लिए थोड़े बहुत मेडिकल ट्रीटमेंट के अलावा फल भी लेकर गई हुयी थी। बालेन्द्र को मानसिक परेशानी से उबारने के लिए पूनम सारी कोशिश करती रहती है।
अच्छी तरह से ठीक हो जाने के बाद में बालेन्द्र पूनम को धन्यवाद बोलकर वापस अपने गांव चले आता है। फिर कभी नहीं वहा गया लेकिन गांव आने के बाद भी वह कभी-कभार रम्भा को याद करके बहुत दुखी हो जाया करता है। क्योंकि जीवन में पहली बार जिस लड़की से प्यार किया उसने एक छोटी सी गलतफहमी के चक्कर में सारा रिश्ता तोड़ दिया। एक गलतफहमी के ऐसे मोड़ ने बालेन्द्र के हंसते जीवन को बुरी तरह से बर्बाद कर डाला।
मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि इस दुनिया में कई ऐसे प्रेमी-जोड़े हैं, जिनको एक छोटी मोटी गलतफहमी के कारण एक-दूसरे से जुदा होना पड़ गया होगा । इसलिए जीवन में किसी भी तरह का फैसला लेने से पहले सौ बार जरूर सोचने की जरूरत होती है इसलिए की – हमारे द्वारा लिए गए फैसले किसी दूसरे ब्यक्ति की जिंदगी बर्बाद तथा संवार सकती है। इसलिये इन्शान को जीवन में हमेशा किसी भी तरह का फैसला लेने से पहले उसके बारे में एक बार जरूर सोचने की जरूरत होती है ।