Raksha Panchami: पर शिव और गजनन का करे उपासना मिल जाएगा खुश रहने का वरदान

रक्षा पंचमी


 बटुक भैरव भगवान शिव के साच्छात अवतार हैं और रक्षा पंचमी उनके नाम पर समर्पित है। ये उड़ीसा राज्य में एक बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व होता है। रेखा पंचमी, रक्षा पंजामी इसके दो अलग-अलग नाम हैं।


रक्षा पंचमी 2022 तिथि


उड़िया कैलेंडर के भाद्र महीने में कृष्ण पक्ष के पांचवें दिन अथवा चंद्रमा के घटते चरण के तिथि, रक्षा पंचमी मनाई जाया करती है। सावन की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह के 10.38 बजे शुरू होने वाली है, इसलिए उदया तिथि 11 अगस्त को नहीं होने वाली है जोकि 12 अगस्त को सुबह 7 बजे समाप्त हो जाएगा, इस हिसाब से उदया तिथि 12 अगस्त को अबकी बार होगी । इसलिए कुछ लोग 11 अगस्त तो कुछ लोग 12 अगस्त को रक्षा पंचमी का त्योहार मनाने की बात रख  रहे हैं।


रक्षा पंचमी के अनुष्ठान


भारत के अन्य सभी पवित्र त्योहारों की जैसे, इस दिन भी भक्त सुबह जल्दी में उठ जाते हैं और अपने सुबह के काम खत्म कर लेते हैं और पूजा समारोह की तैयारी शुरू कर देते हैं। लोग के घरों हर दरवाजे पर भगवान गणेश, भगवान और शिव या महादेव और बटुक भैरव के चित्र बने हुए मिलते हैं।


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भगवान शिव की छोटी-मोटी प्रार्थनाएं भक्तों के द्वारा ताड़ के पत्तों पर लिख ली जाती हैं और उन्हें दरवाजे के सबसे ऊपर वाले हिस्से पर लटका दी जाती है। सभी भक्त हर एक दरवाजे पर चावल और कुश घास की एक गठरी भी लटकाते हुए मिलते हैं।


इस तिथि को एक अनोखा अनुष्ठान सांप और अन्य जंगल में रहने वाले जानवरों को चढ़ाया जाता है।


रक्षा पंचमी कथा


किंवदंती कहती है कि एक बार कृष्ण को एक धारदार हथियार से चोट लग गई। यह देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर उंगली पर पट्टी बांध दी। कृष्ण इस भाव से बेहद प्रभावित हो गए उन्होंने भविष्य में पंचोली को हर प्रकार का नुकसान से बचाने का कसम भी खा ली ।


साड़ी को श्री कृष्ण ने रक्षा सूत्र के रूप में स्वीकार कर लिया था उसके बाद जब कौरवों भरे दरबारियों के बिच में  अपने पत्निओ और भरे सभा के सामने उसका अपमान करने लगे उसकी गरिमा को झकझोरने की कोशिश की, तो कृष्ण ने सुनिश्चित किया कि द्रौपदी की साड़ी कभी समाप्त न हो और इस प्रकार, उसका सम्मान था बचाया।


इसलिए जिस प्रकार कृष्ण ने एक भाई की तरह पांचाली की रक्षा की हुई थी, एक बहन को सभी नुकसानों से बचाया, राखी बांधने की प्रवृत्ति को वर्तमान वक्त में आगे भी बढ़ाया गया।


रक्षा पंचमी का महत्व


रक्षा पंचमी या रेखा पंचमी का उड़ीसा के निवासियों, ख़ास रूप से आदिवासी क्षेत्रों में बेहद महत्व मानते है। लोग इस पंचमी को मृग से मुक्त होने के लिए माना करते  हैं। जिसके साथ ही जंगली जानवरों से सुरक्षा की मांग करते है । रेखा का हिंदी में अर्थ होता है एक रेखा जो घरों के दरवाजों पर बाहरी जानवरों और हर बुराईओं से घर को सुरक्षित रखने के लिए सहायक होती है।


इस दिन महिलाएं भाई का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भगवान की शुक्रगुजार हो जाती हैं। यह एक ऐसा पर्व होता है जब भाई-बहन एक साथ आया करते हैं और प्यार और प्रशंसा के साथ पूरा दिन बिताया करते हैं।

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