भालू और दो दोस्त की कहानी एक प्राचीन भारतीय लोककथा है, जो हमें सच्ची मित्रता और संकट के समय व्यवहार का मूल्य सिखाती है। यह कहानी इस प्रकार है:
एक बार की बात है, दो मित्र एक घने जंगल से होकर गुजर रहे थे। दोनों ने आपस में वादा किया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। जंगल बहुत डरावना था, और उसमें जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता था।
जंगल के बीचों-बीच पहुंचते ही उन्हें अचानक एक भालू दिखाई दिया। भालू देखकर दोनों मित्र घबरा गए। उनमें से एक, जो पेड़ पर चढ़ना जानता था, बिना समय गंवाए एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ गया। वह वहां छिपकर अपनी जान बचाने लगा।
दूसरा मित्र, जो पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था, असमंजस में था कि क्या करे। उसने जल्दी से अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और जमीन पर लेट गया। उसने ऐसा दिखावा किया जैसे वह मर चुका हो, क्योंकि उसने सुना था कि भालू मरे हुए इंसानों को नहीं खाता।
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भालू उसके पास आया, उसे सूंघा, और थोड़ी देर के लिए उसके आसपास चक्कर लगाता रहा। लेकिन जब उसे लगा कि यह व्यक्ति वास्तव में मर चुका है, तो वह वहां से चला गया।
जब भालू जंगल में चला गया, तो पेड़ पर छिपा मित्र नीचे उतरा। उसने अपने दोस्त से मजाक में पूछा, "भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?"
दूसरे मित्र ने जवाब दिया, "भालू ने मुझे सिखाया कि सच्चा मित्र वही होता है जो संकट के समय साथ खड़ा रहे।"
कहानी की सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे मित्र वही होते हैं जो विपत्ति में आपका साथ देते हैं। संकट के समय दिखावे के दोस्त अक्सर साथ छोड़ देते हैं, लेकिन सच्ची मित्रता वही होती है जो हर परिस्थिति में मजबूत बनी रहे।