बहादुर नन्हे खरगोश की कहानी | Nanha khargosh ki kahani


नन्हे खरगोश की कहानी एक जंगल में एक नन्हा खरगोश रहता था। उसका नाम चीकू था। चीकू बहुत प्यारा और शरारती था, उसकी कोमल सफेद फर थी और लाल आँखें थीं, जो उसे बहुत खास बनाती थीं। चीकू के दिन खेलते-कूदते और घास चरते हुए बीतते। लेकिन एक बात थी जो उसे बहुत परेशान करती थी - वह बहुत छोटा और डरपोक था।


चीकू के कई दोस्त थे - मुनिया गिलहरी, मीना तोता, और बबलू हाथी। वे सब उसे कहते कि एक दिन वह भी बहादुर बन जाएगा। लेकिन चीकू को यकीन नहीं होता था।


एक दिन जंगल में एक बड़ा हंगामा हुआ। जंगल के बीचोंबीच एक बड़ा सा घास का ढेर जलने लगा। सभी जानवर डर गए और भागने लगे। चीकू भी घबरा गया और पेड़ के पीछे छिपने लगा। तभी उसने देखा कि मीना तोता का बच्चा आग के पास फंसा हुआ है और मदद के लिए पुकार रहा है।

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चीकू का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने पहले कभी ऐसा साहस महसूस नहीं किया था। वह अपनी सारी हिम्मत जुटाकर तेजी से दौड़ा और उस बच्चे के पास पहुँचा। उसने जल्दी से अपने नन्हे पंजों से बच्चे को खींचा और आग से दूर ले गया।


जब सबने देखा कि चीकू ने अपने डर पर काबू पाकर मीना के बच्चे को बचा लिया, तो सभी जानवर चीकू की बहादुरी की तारीफ करने लगे। मुनिया, बबलू और मीना ने चीकू को गले लगाया और कहा, "देखा, तुम तो सच में बहादुर बन गए हो!"


चीकू बहुत खुश था। उस दिन के बाद वह जान गया कि असली बहादुरी अपनी कमजोरियों को पार करने में होती है। तभी से वह खुलकर जीवन जीने लगा और सभी दोस्त उसकी बड़ी इज्जत करने लगे...


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