बहुत समय पहले की बात है, दो भाई और राक्षस की कहानी "एक छोटे से गांव में दो भाई, अजय और विजय, अपने माता-पिता के साथ रहते थे। दोनों भाई बहुत ही समझदार, बहादुर और एक-दूसरे से बेहद प्रेम करने वाले थे। उनके गांव के आसपास का क्षेत्र बहुत ही शांत और सुंदर था, लेकिन उस क्षेत्र में एक राक्षस का डर हर किसी के दिल में बसा हुआ था। उस राक्षस ने गांव के बहुत से लोगों को परेशान कर रखा था। वह राक्षस हर महीने गांव में आता और अपनी भूख मिटाने के लिए गांव से पशु, अनाज और कभी-कभी लोगों को भी उठा ले जाता।
राक्षस का डर:
गांव वाले उस राक्षस से बहुत भयभीत थे और हर बार उसके आने पर डरकर छुप जाते थे। उन्होंने कई बार प्रयास किया था कि वह राक्षस गांव से दूर रहे, पर वह हमेशा किसी न किसी तरह लौट आता। दोनों भाइयों ने भी कई बार अपने माता-पिता और बुजुर्गों से राक्षस की कहानी सुनी थी और सोचते थे कि कैसे उसे हराकर गांव को इस डर से मुक्त किया जाए।
भाइयों का निर्णय:
एक दिन अजय और विजय ने निर्णय लिया कि वे उस राक्षस से गांव को आजाद कराएंगे। उन्होंने अपने माता-पिता से आशीर्वाद लिया और अपने सफर पर निकल पड़े। जंगल के अंधेरे और घने पेड़ों के बीच से गुजरते हुए वे दोनों राक्षस की गुफा तक पहुंचे। गुफा का दरवाजा बड़ा और भयानक था, और भीतर से एक डरावनी आवाज आ रही थी। लेकिन दोनों भाई साहसी थे, और उन्होंने गुफा में प्रवेश करने का साहस किया।
राक्षस से मुकाबला:
गुफा में जाते ही राक्षस ने दोनों भाइयों को देखा और हँसते हुए बोला, "तुम्हें पता है कि यहां आने वाले वापस नहीं जा पाते?" पर अजय और विजय घबराए नहीं। उन्होंने राक्षस से कहा, "हम यहां तुम्हें हराने आए हैं।" राक्षस ने जोर से हंसते हुए उन पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन दोनों भाइयों ने मिलकर बड़ी चालाकी से उसका सामना किया। अजय तेज था, तो उसने राक्षस को भटकाने का काम किया, और विजय ने पीछे से उसे घायल करने की कोशिश की। दोनों भाइयों के बीच का समन्वय देखकर राक्षस चकित रह गया।
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राक्षस की हार:
लगातार संघर्ष के बाद, आखिरकार दोनों भाइयों ने अपनी बहादुरी और सूझ-बूझ से राक्षस को मात दे दी। राक्षस ने हार मानते हुए अपनी जान की भीख मांगी और वादा किया कि वह दोबारा गांव में कभी नहीं आएगा और लोगों को परेशान नहीं करेगा। दोनों भाइयों ने उसे जाने दिया, पर उसे चेतावनी दी कि यदि वह अपना वादा तोड़ेगा, तो वे उसे हमेशा के लिए खत्म कर देंगे।
गांव में खुशी का माहौल:
जब अजय और विजय वापस गांव लौटे और गांव वालों को यह खुशखबरी सुनाई, तो गांव वाले बेहद प्रसन्न हुए। उन्होंने दोनों भाइयों का स्वागत किया और उनकी बहादुरी की सराहना की। अब गांव के लोग बिना किसी डर के अपने जीवन का आनंद उठा सकते थे।
इस तरह, अजय और विजय की बहादुरी ने गांव को हमेशा के लिए उस राक्षस के डर से मुक्ति दिला दी।