पद्मनाभ मंदिर में कितना सोना है | पद्मनाभस्वामी मंदिर का रहस्य

पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य की राजधानी थिरुवनंथपुरम में स्थित है। यह मंदिर भारतीय वैष्णव संप्रदाय में महत्वपूर्ण माना जाता है और विष्णु भगवान के अवतार पद्मनाभस्वामी को समर्पित है।


पद्मनाभस्वामी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और इसका निर्माण 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। मंदिर का मुख्य गोपुरम उच्चतम संरचना है और इसे ड्रविड़ वास्तुकला की अद्वितीय उदाहरणों में से एक माना जाता है। मंदिर में प्रवेश के लिए एक विशेष द्वार है जिसे "वाटिलाक्कुन्नु" कहा जाता है और इसके द्वारा आपसी सद्भावना और सामंजस्य के प्रतीक के रूप में लोग इसे पार करते हैं।

प्रम्बानन मंदिर क्यों प्रसिद्ध है

मंदिर के अंदर श्री विष्णु की मूर्ति पद्मनाभस्वामी के रूप में स्थापित है, जिसे एक शंख, चक्र, और गदा के साथ दिखाया जाता है। मूर्ति का तेजोमय रूप देखने के लिए एक विशेष द्वार खुला रहता है, जिसे "अन्तर्यामि" कहा जाता है। 


पद्मनाभ स्वामी मंदिर का इतिहास

 मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित भारत में 9 स्थानों पर केरल महोत्सव का आयोजन किया गया था।  1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश के साथ केरल राज्य बनाया गया था।  इस मौके पर hindihotstory.in आपको केरल की संस्कृति और इतिहास के बारे में बताता है।  इस कड़ी में हम आपको केरल के हजार साल पुराने पद्मनाभ स्वामी मंदिर के इतिहास और वैभव के बारे में बताएंगे।

  भारत के सबसे अमीर मंदिर में एक बहुत बड़ा खजाना मिला है

  केरल राजधानी तिरुवनंतपुरम में अस्थापित पद्मनाभ स्वामी मंदिर के पास में अकूत संपत्ति है। यह माना और जाना जाता है कि यहां इस मंदिर के नाम 2 लाख करोड़ रुपए की अभी तक संपत्ति है।  2011 में CAG की निगरानी में पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए का खजाना बरामद हुआ था।  मंदिर का तहखाना अभी तक नहीं खोला गया है।  इसीलिए यह मंदिर भारत का सबसे अधिक अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है।

  मंदिर से कौन सी आस्था जुड़ी हुई है?

  मंदिर एक हजार साल पुराना है।  इसे कब बनाया गया था, इस पर कोई सहमति नहीं है।  कहा जाता है कि यह मंदिर दो हजार साल पुराना है।  दूसरी ओर, डॉ. एल.ए.  त्रावणकोर के हिस्ट्रीकार श्री रवि वर्मा का यह दावा है कि यह  मंदिर की स्थापना कलियुग आने के पहले ही दिन हुई थी। यहां यह भी मानते है कि कलियुग के 950वें साल में मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित की गई थी।

  त्रावणकोर का रॉयल्टी से क्या लेना-देना है?

  मंदिर का वर्तमान स्वरूप त्रावणकोर के राजाओं द्वारा बनवाया गया था।  कहा जाता है कि 1750 में त्रावणकोर के महाराजा मार्तंड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ स्वामी का गुलाम घोषित कर दिया था, जिसके बाद पूरा शाही परिवार मंदिर की सेवा में लग गया था।  माना जाता है कि मंदिर में अकूत संपत्ति भी त्रावणकोर शाही परिवार की है।  1947 में, जब भारत सरकार हैदराबाद के निज़ाम की संपत्ति पर कब्जा कर रही थी, तब त्रावणकोर शाही परिवार ने अपनी संपत्ति मंदिर में रख दी थी।

  

Padmanabhaswamy temple door real images
pic credit: a_the_travel_diaries

उस समय त्रावणकोर रियासत का भारत में विलय हो गया।  उस समय, रियासत की संपत्ति भारत सरकार द्वारा ले ली गई थी, लेकिन मंदिर शाही परिवार के पास रहा।  इस तरह राजपरिवार ने अपना भाग्य तो बचा लिया, लेकिन इस कहानी का कोई प्रमाण आज तक सामने नहीं आया है।  यह मंदिर अब शाही परिवार द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है।

टीपू सुल्तान ने आक्रमण किया

  टीपू सुल्तान ने भी इस मंदिर पर आक्रमण किया था।  कहा जाता है कि टीपू सुल्तान ने 1790 में मंदिर पर हमला किया था, लेकिन कोच्चि के पास हार गया था।

  कैग ने कहा था।  मंदिर की कहानियां झूठी हैं

  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय ने मंदिर के तहखाने की कहानियों को खारिज कर दिया था.  2011 में सीएजी की निगरानी में पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए का खजाना निकाला गया था।  हालांकि उस समय फैली कई कहानियों के कारण मंदिर का छठा तहखाना नहीं खोला गया था।  इस कहानी के अनुसार मंदिर के तहखाने में कोबरा जैसे जहरीले सांप रहते हैं, जो इस खजाने की रक्षा करते हैं और तहखाने में किसी को जाने की इजाजत नहीं है।

पद्मनाभ मंदिर दर्शन नियम (Padmanabha Temple Darshan Rules)

पद्मनाभ मंदिर, जो कि भारत के केरल राज्य के त्रिवेंद्रम नगर में स्थित है, एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल है। इस मंदिर को श्री विष्णु के रूप में विशेष रूप से पूजा जाता है। यहां कुछ दर्शन नियम हो सकते हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए:

विविधता के कारण, पद्मनाभ मंदिर में दर्शन करने के लिए कई नियम और प्रक्रियाएं हो सकती हैं। आपको मंदिर के निर्देशनामा का पालन करना चाहिए और अनुशासन से चलना चाहिए।

वेश्या कपड़े पहनना पद्मनाभ मंदिर में निषिद्ध है। पुरुषों को धोती और ऊपरी वस्त्र पहनना चाहिए, जबकि महिलाओं को साड़ी या सलवार कमीज पहननी चाहिए। अशुद्ध वस्त्र या सजावट करने वाले वस्त्रों के पहनने से बचें।

मंदिर के अंदर की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर प्रतिबंध हो सकता है। आपको इस नियम का पालन करना चाहिए और किसी भी अनुमति के बिना फोटो या वीडियो न लें।

मंदिर के अंदर जूते नहीं पहने जाते हैं

पद्मनाभस्वामी मंदिर का रहस्य (Mystery of Padmanabhaswamy Temple)

पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के थिरुवनंथपुरम नगर में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और दक्षिण भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। पद्मनाभस्वामी मंदिर का रहस्य इसके आपूर्ति और प्रवेश मार्ग से जुड़ा हुआ है।

मंदिर में विष्णु भगवान की मूर्ति पद्मनाभस्वामी के रूप में स्थापित है, जिसे स्थलीय लोग पद्मनाभश्वामी के रूप में पुकारते हैं। इस मंदिर के बाहरी भाग में उभरते सप्तर्षि पहाड़ के साथ चारों ओर सुरंगों से घिरी एक कोटियों की संख्या में नहरें हैं। इन नहरों के ज़रिए यज्ञ के अनुष्ठान के दौरान प्रवाहित जल मंदिर के अंदर चलती है। यह जल प्रवाह नहीं देखा जा सकता है, लेकिन विशेष रस्मों में इसका उपयोग किया जाता है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर में प्रवेश करने के लिए केवल हिंदू धर्म के अनुयायों को ही अनुमति दी जाती है।

पद्मनाभ मंदिर में कितना सोना है (how much gold is there in padmanabha temple)

पद्मनाभस्वामी मंदिर में कितना सोना है इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी मेरे पास नहीं है। मुझे यह जानकारी 2021 से पहले की बातें ही उपलब्ध हैं और मेरे दिसंबर 2021 के बाद का कोई अपडेट नहीं हुआ है। पद्मनाभस्वामी मंदिर का धन का मान्यतापूर्ण इतिहास है, और मंदिर का सोने के बारे में कितनी मात्रा में है, इसकी जानकारी अधिकारिक स्रोतों से ही प्राप्त की जा सकती है। आपको इस संदर्भ में स्थानीय प्रशासनिक अथॉरिटीज या पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्रबंधन संगठन से संपर्क करके अधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

पद्मनाभ मंदिर निकटतम रेलवे स्टेशन (Padmanabha Temple Nearest Railway Station)

पद्मनाभस्वामी मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन "तिरुवनंतपुरम रेलवे स्टेशन" है। यह स्टेशन केरल राज्य के थिरुवनंतपुरम नगर में स्थित है और मंदिर से लगभग 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तिरुवनंतपुरम रेलवे स्टेशन पद्मनाभस्वामी मंदिर की सबसे पास रेलवे स्टेशन है और यह केरल के मुख्य रेलवे नेटवर्क में शामिल है।

तिरुवनंतपुरम रेलवे स्टेशन पद्मनाभस्वामी मंदिर के आस-पास के क्षेत्र में पर्यटकों की सुविधा के लिए अच्छी रेल संपर्क प्रदान करता है। यह स्टेशन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा करने वाले यात्रियों को आसानी से पहुंचने की सुविधा प्रदान करता है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर का सातवां द्वार (Seventh Gate of Padmanabhaswamy Temple)

पद्मनाभस्वामी मंदिर का सातवां द्वार तक पूरा नहीं हुआ था। पद्मनाभस्वामी मंदिर, जो तिरुवनंतपुरम, केरल, भारत में स्थित है, एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है जिसे त्रेतायुग में राजा छोड़गंग द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर के द्वार की संख्या का तात्पर्य अंदर वाले स्वर्गीय लोक के अलावा बाहरी दुनिया के द्वारों से है, जो दरवाजों के आकार और आर्किटेक्चर के माध्यम से प्रदर्शित होते हैं। इसलिए, पद्मनाभस्वामी मंदिर का सातवां द्वार आमतौर पर कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है।

कृपया ध्यान दें कि मेरे पास 2021 सितंबर के बाद की जानकारी नहीं है, इसलिए अगर कुछ बदल चुका है तो आपको स्थानीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करना चाहिए।

पद्मनाभ मंदिर का इतिहास (History of Padmanabha Temple)

पद्मनाभ मंदिर, जो भारत के केरल राज्य के थिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) शहर में स्थित है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है। यह भारतीय साहित्य और संस्कृति के महत्वपूर्ण तथ्यों में से एक है, और इसे त्रिवेंद्रम मंदिर (Trivandrum Temple) या दिव्य देशमेय्य मंदिर (Divya Desam) भी कहा जाता है।


पद्मनाभ मंदिर का निर्माण आधुनिक इतिहास से पहले संभवतः 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था, और यह मंदिर केरल वर्मा राजवंश की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रमुख केंद्र बन गया। मंदिर में देवता पद्मनाभ स्वामी (Padmanabha Swamy) की पूजा की जाती है, जो विष्णु के एक अवतार के रूप में माना जाता है।

पद्मनाभ मंदिर का विस्तारित होने का पहला उल्लेख आर्यपुरी (Aryapuri) नामक गाँव में प्राप्त होता है, जो मंदिर के स्थान पर पहले स्थापित था। मंदिर का वर्तमान संरचनात्मक रूप 18वीं सदी में निर्माण किया गया था, जब त्रावणकोरे (Travancore) राजवंशी राजाओं ने इसे विस्तार किया था.


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