बहुत समय पहले की बात है, चालाक लोमड़ी की कहानी" एक घने जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। वह बहुत चतुर और चालाक थी। उसकी चतुराई के किस्से पूरे जंगल में मशहूर थे। एक दिन वह भोजन की तलाश में जंगल में इधर-उधर घूम रही थी।
भूख और जाल
चलते-चलते लोमड़ी एक खेत के पास पहुंची, जहां एक बड़ा अंगूर का बगीचा था। अंगूर के गुच्छे देखकर उसकी भूख और भी बढ़ गई। उसने अंगूर तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन वे ऊंचे लटके हुए थे। उसने कई बार छलांग लगाई, लेकिन हर बार असफल रही। हार मानकर वह बड़बड़ाई, "ये अंगूर तो खट्टे हैं!" और वहां से चल दी।
चालाकी और फंदा
एक और दिन लोमड़ी शिकार की तलाश में थी। वह खेतों के पास घूम रही थी, तभी उसने एक शिकारी का जाल देखा। जाल के पास एक मुर्गा फंसा हुआ था। शिकारी पास के पेड़ के पीछे छिपा बैठा था। लोमड़ी ने तुरंत स्थिति को भांप लिया।
लोमड़ी शिकारी की तरफ देखकर जोर से बोली, "यह शिकारी तो बड़ा मूर्ख है। मुर्गे को फंसाने के बाद उसे पकड़ने की बजाय यहां छिपा बैठा है।" शिकारी यह सुनकर गुस्से में बाहर आया और बोला, "तुम मुझे मूर्ख कह रही हो? अब देखो, मैं इस मुर्गे को कैसे पकड़ता हूं!"
लोमड़ी की कहानी अंगूर खट्टे हैं (The Fox Story The Grapes Are Sour)
जैसे ही शिकारी ने मुर्गे को पकड़ने की कोशिश की, लोमड़ी ने मौका पाकर मुर्गे को आजाद कर दिया और दोनों वहां से भाग गए।
सीख
लोमड़ी की चतुराई ने न केवल उसकी जान बचाई, बल्कि मुर्गे को भी बचा लिया। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बुद्धि और चालाकी से हम किसी भी मुश्किल परिस्थिति से बाहर निकल सकते हैं।
"समस्या का समाधान शक्ति से नहीं, बुद्धि से करना चाहिए।"