एक गांव में मियां और मियांइन रहते थे और उनके पास एक बकरी और मुर्गा था कुछ दिन बिता ही था मियां बीबी दोनों घर से बाहर चार पांच दिन के लिए अपने किसी रिश्तेदारों के यहां चले गए उस घर में एक चूहा भी रहता था चोरी चुपके से वह अनाज खा लेता था वही घर में यहाँ वहा रहता था
लेकिन जब दिन बीत जाने के बाद वह घर नहीं आये भूखा प्यासा बेतहाशा होकर चूहा वैसे ही रह जाता था लेकिन उस चुहिया को विस्वास था की वह लोग एक ना एक दिन जरूर आएंगे जब वह लोग घर वापस आए
साइकिल पर बड़ा झोला देख चूहा बड़ा खुश हुआ शायद हमको भी कुछ खाने पीने का सामान मिल जाये ये लोग लाए होंगे चार-पांच दिन का भूखा हु आज पेट भर कर खाऊंगा लेकिन उस चूहे को नहीं पता था
कि वे मिया जी उसी के लिए मौत का सामान लेकर आए हैं चूहा खुश होकर चुपके से देखता रहा फिर देखता है झोले से मियाजी मुसदानी निकालते हैं
मुसदानी देखते ही चूहे के होश उड़ गया अब चूहा को समझ में नहीं आ रहा था आखिर मै क्या करू कैसे इस मुसीबत से छुटकारा पाउ चूहा भागते-भागते मुर्गी के पास गया बोला हमारे लिए मुसीबत का सामान घर में आ गया है दिक्क्त की घड़ी आ गई है
हमारा तो नहीं है नर्वस होकर चूहा वापस लौट आया लेकिन उसको रह रह कर उसको ऐ बात मन में खटक रही थी उसको रहा नहीं जा था फिर वह बैठा रहा बैठे- बैठे विचार में आया कि हम क्यों ना बकरी से मदद ले लेते हैं
भागते हुए चूहा बकरी के पास गया बकरी को अपना दुख भारी कहानी सुनाया बकरी पूरी कहानी सुन लेने के बाद उसके समझ में आ गया
और उसने कहा यह तो चूहा का प्रॉब्लम है हमारा नहीं है और खिलखिलाते हुए उसने भी टाल दिया और कहा अरे जा मुसदानी केवल चूहे के लिए होता ये तुम्हारा प्रॉब्लम है हमारा नहीं इसमें हम कुछ नहीं कर सकते है
शक्तिसेन माधवगढ़ के बलशाली राजा की कहानी
कुछ दिन बीते ही थे मियांइन जी को सांप ने काट लिया झाड़-फूंक दवा से वह तो ठीक हो गई उन्हें देखने आए रिश्तेदार और दोस्तो को सबको कुछ बनाके मीट मुर्गा खिलाना ही था फिर क्या था उस दिन तो मुर्गे का मीट बन गया और चूहा तो पूरा story पूरी घटना को वह चोरी से देखता रहा और सोच रहा है