3 प्रेरणादायक कहानियां हिंदी में | inspirational story for youth

 एक पीपल पेड़ पर हंस और एक कौवा साथ रहा करते थे. जोकि हंस एक सरल स्वभाव का एवं दयालु था, वहीं कौवा धूर्तबाज और छिना कपटी था. कौआ  के इस स्वभाव के बावजूद हंस ने अपने सरल स्वभाव के नाते कभी उसका साथ नहीं छोड़ा और वह कई वर्षों से उस पेड़ पर उसके साथ ही रहा था.


एक दिन बात है जब एक शिकारी अपने शिकार के तलाश से जंगल में आ गया. वह दिन भर शिकार के लिए यहां वहा  भटकता रहा, लेकिन उसे कोई शिकार प्राप्त न हो पाया शाम भी हो चुका था फिर उसने अंत में थक कर -हार मानकर अपनी तीर-कमान एक ओर रख कर वह आराम करने लगा ठीक उसी पेड़ के नीचे बैठ जाता है जिस जगह  हंस और कौवा का पुराना निवास था. शिकारी थका हुआ था. कुछ ही देर में उसे अलष आ गयी और वह वही पेड़ के निचे गहरी नींद में सो जाता है 

नींद में खर्राटे क्यों आते है?

जिस पेड़ की छाव में शिकारी खर्राटे मरकर सो रहा था.लेकिन  कुछ देर बाद पेड़ की छाया हटकर दूसरे तरफ चली गयी और शिकारी के ऊपर धूप पड़ने लगती है.उसवक्त हंस ने शिकारी पर धूप पड़ते देखा, तो उसे उस पर दया आने लगी. उसने अपने पंख फैला लिया, ताकि शिकारी को छांव में सो सके.

कौवा क्या संकेत देता है

कौवे ने जब यह सब लीला देखा, तो अपनी धूर्त बाज़ हरकतों से बाज नहीं आया. ठीक उसी वक्त उसने शिकारी के मुख पर ही बीट कर दीया और वहाँ से  तुरंत ही उड़ जाता है. मुख पर बीट पड़ते ही शिकारी तत्काल उठ गया. फिर उसने ऊपर जब  देखा, तो हंस अपना पंख पसारा हुआ था. 

1. हंस और कौवा की कहानी


उसने सोचने में ज़रा भी संकोच किया वह समझ चुका था की, अवश्य इसी  हंस ने मेरे मुख पर बीट किया होगा. उसने झट से अपना तीर-कमान उठाया और हंस पर निशाना साधते हुए प्रहार कर दिया.जिससे हंस वही तड़प कर मर जाता है इसी को कहते है बुरी संघात का बुरा नजीजा अब आपको और हमको सोचना है .

2. हंस और मुर्ख कछुहा की कहानी

एक वक्त की बात है। जिस समय एक कछुआ और दो हंस के बिच में आपस में बहुत घनिस्ट दोस्ती  हुआ करते थे।


एक बार ऐसा हुआ जब 3 से 4 साल तक बारिश ना होने के कारण किसी किसान के पास ना ही अन्न हो सका और नाहीं कोई जल संरच्छित हो पाई उस वक्त वह  जिस तालाब में वे तीनो साथी  रहा करते थे, वह पोखरा सुख गया। उस समय के बाद तीनो दोस्त में से 


कछुए ने एक पलायन करने का पलान  बनाई और हंसों से बताया, एक लकड़ी का टुकड़ा लाओ। हम उसको एक सिरे से अपने दाँतों से दबा लूंगा और तुम लोग उसके दूसरे  किनारे को अपनी चोंच में पकड़कर उड़ जाना और फिर हम तीनों किसी दूसरे स्थान के तालाब में चले जायेंगे।

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हंस और कछुआ की दोस्ती 

यह सब सुनकर हंस मान गया। उसके पहले ही कछुए को चेतावनी दी, तुम्हें पूरे उड़ते समय अपना मुहँ बंद रखना होगा। नहीं तो सीधे धरती पर आ गिरोगे और मर जाओगे


बहुत बात चित होने के बाद कछुआ मान भी गया। जब सब कुछ तयारी हो गया तो हंस कछुए को लेकर उड़ गया।


उनके ऊपर रास्ते में कुछ ब्यक्तिओ की नजर हंसों और कछुए पर आखिर में पड़ ही गयी । उस गांव के इस तरह का उड़ता देख उत्शहित हो उठे उत्साह में आकर सभी लोग चिल्लाने लगे, की ये हंस कितने चतुर दीमक है। अपने साथ कछुए को भी उठा ले जा रहा है। कछुए से यह बात सहन  नहीं हो पाया। वह उन लोगों को अपने दिल का बात बताना चाहता था कि यह विचार तो उसके खुद के  मन में आ गया 

था।


तुरंत वह बिना सोचे समझे बोल पड़ा लेकिन जैसे ही उसने अपना मुहँ खोला, तो उसके मुँह से लकड़ी छूट जाती है  और वह निचे धरती पर गिर पड़ता है दोस्तों अगर उसने अपने समझदारी पर नियंत्रण पा लिया होता तो वह भी किसी सुरक्षित एक नए तालाब में पहुंच गया होता।

 Sher aur kauwe ki Kahani Hindi Me | शेर और कौवा की कहानी हिंदी में...

एक घना जंगल जिसमे बहुत सारे जानवर और पशु पक्षिओ का बसेरा हुआ करता था। और जंगल से होकर एक नदी भी गई हुयी थी और वह हमेशा बहा करती थी। उसी नदी में जंगल के अनेको जानवर पशु पक्षी पानी पीया करते थे। ठीक उसी नदी के किनारे एक शेर का गुफ़ा था जहा पर कौआ शेर का मंत्री रहता था। 

The Lion and the crow story Moral

शेर खूब चतुर था जिससे कारण उनको शिकार करने में आसानी होती थी शेर को अपने शिकार के लिए कही दूर नहीं जाना  पड़ता था। नदी में सभी जानवर पानी पिने के जब भी आया करते थे। शेर बड़े आसानी से अपना शिकार कर लिया करता था। शेर और कौआ मिलकर खाते पिते थे 


शेर और कौआ का जीवन अच्छा से कट  रहा था। इस समस्या को लेकर  जंगल के सभी जानवरों को काफी परेशानिओ का सामना करना पड़ता था। सभी जानवरो को काफी दूर पानी पीने जाना पड़ जाता था, पानी पिने के लिए शेर के भय से गुफा के सामने आने जाने पर शेर उन जानवरों को मारकर खा लिया करता था। इस नाते कही और दूसरे जगह पर पानी पिने जाया करते थे शेर हिरण पकड़कर कुछ जयदा मजा लिया करता था ?


एक समय रात को जब शेर अपने गुफ़ा में सो रहा होता है  तब एक बन्दर ने उसके ऊपर कुछ डाल दिया और  जैसे तैसे बन्दर वहाँ से निकल लिया बन्दर एकदम डरा हुआ था। की वह पेड़ पर भी नहीं चढ़ पा रहा था और जब सुबह हुई शेर ने पानी पिने के लिए  नदी के किनारे गया तो शेर ने देखा की पानी में उसका बाल गायब हो चुके थे।


शेर ने जब पानी में अपना चेहरा देख कर चौक गया उसे अपने आप पर  यकीन ही नहीं हो पा रहा था फिर से दुबारा अपना चेहरा देखने लगा पानी में तो सच में उसका बाल पूरी तरीके से झड़ चूका था। अरे भाई यह क्या हो गया। अरे क्या हो गया कहने लगा फिर से शेर अपने  गुफा में चला जाता और सोंच सोंच के उसका दिमाग ख़राब होता जा रहा था. 


आखिर मेरे बाल क्यों झड़ गया उसी समय एक कौआ वहा आ जाता है और गुफ़ा के बहार से जोर जोर से चिल्लाने लगा की महाराज - शेर महाराजा अब शिकार करने चलो चलते है


उसके बाद शेर नहीं निकला  कौवे को घबराहट आने लगी के महाराज जी कहीं तो चल नहीं बसे  फिर उसने   गुफा के अंदर जाकर  देखा तो शेर अपना मुंह लटकाए हुए एक कोने में जाकर गुफा के बैठा हुआ था बुरी हालत देखकर कौवा अपने मन में सोचने लगा की महाराज को यह क्या हो गया शेर ने  कव्वे को बाहर जाने को बोला और साथ में यह भी बताया के तुम बाहर जाओ इसके बाद कभी लौटकर इधर मत आना तभी कौवे ने जवाब दिया महाराज जी आपका यह पूरे बाल क्या हो गया और कहां गया शेर बोलता है कि तुम मेरा अभी मेरा मजाक मत उड़ाओ मैं यह सोच सोच कर खुद पागल हो रहा हूं


ठीक यही होगा तुम इस गुफा के बाहर जाओ अगर मैं भी बाहर गया तो जंगल के सभी जानवर  पशु पक्षि हमारा मजाक बना देंगे हम सबके हमने मजाक नहीं बनना चाहते हैं फिर  कौवा बोला  कि अगर आप इस गुफा के बाहर नहीं जाएंगे  तो हम दोनों भूख के मारे खुद मर ही जाएंगे आप अगर शिकार नहीं करोगे तो खाओगे क्या शेर के हट के कारण करीब 2 सप्ताह बीत चुके थे शेर और कौवा हालत एकदम नाजुक एवं गंभीर हो चुकी थी


शेर और  कौवा दोनों के पेट में चूहे दौड़ने लगे फिर सोचकर कव्वे ने बोला हम  इस तरीके से आएंगे तो हम लोग मौत ही नसीब हो जाएगी चाहे जंगल का जानवर  हमारा मजाक उड़ाए या फिर या फिर कुछ भी बोले हमें उन सबके  बातों का ध्यान नहीं देना है अगर उनको हंसने से हमको भोजन नसीब हो सकता है  तो उनको हंसने दो  यह समस्या हम दोनों के लिए हैं और इसका निवारण  हमें ही करना होगा

कौवे की बातों से शेर के अंदर एक नई उम्मीद जगी और वह शेर बोला  आओ चलो शिकार करते हैं


इस कहानी का यह मतलब है के हमें अपने कामों पर ध्यान देना चाहिए दुनिया  वाले कुछ भी कहे हम सभी को कोई फर्क  नहीं पढ़ना चाहिए  गैर लोग हमेशा टिप्पणियां करते हैं  उस पर  हमको खास ध्यान नहीं देना चाहिए अपने परिवार का  भोजन का इंतजाम तुम्हें ही करना है या फिर बाहर के लोगों को नहीं वह जो करते हैं दूसरों की बातों को एकदम दरकिनार करके आपको जो करना है वही करिए चाहे कोई  हंसी उड़ाए या फिर मजाक करें  आपको केवल अपने कामों का ध्यान देना है और खुद का ही सुनना है


तुम्हारे भोजन का इंतजाम दूसरा कोई नहीं करने आएगा  यदि आपको खरी जानकारी मिली हो  उसको कभी अनदेखा मत करना आपके अपने दोस्त की ज्ञान की दुनिया  को थोड़ा  सहयोग दे दो

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