आप भी कभी सीरियल या धारावाहिक के जरिए सुने या देखें होंगे की हनुमान जी का पंचमुखी रूप के दर्शन जरूर किए होंगे इस पांच मुख के पीछे क्या रहस्य है चलिए इसके पौराणिक कहानी को जानते हैं
इंटरनेट शॉर्ट क्वेश्चन क्या है
हनुमान चालीसा हिंदी (Hanuman Chalisa Hindi)
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहि, हरहु कलेस बिकार॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीश तिहुं लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवन सुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ वज्र औ ध्वजा विराजै। कांधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे। रामचंद्र के काज सँवारे॥
लाय संजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति किनै बहुत बड़ाई
तुम मामंती भरत सम भाई...
हनुमान चालीसा आरती (Hanuman Chalisa Aarti)
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महाबलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बेटे को स्वर्ग वासी। अग्नि विनषे फुटे कामदेव की॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीश तिहुं लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवन सुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ वज्र औ ध्वजा विराजै। कांधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे। रामचंद्र के काज सँवारे॥
लाय संजीवन लखन जियाये। श्रीर
हनुमान चालीसा पाठ (Hanuman Chalisa Text)
श्री गुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीश तिहुं लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवन सुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ वज्र औ ध्वजा विराजै। कांधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे। रामचंद्र के काज सँवारे॥
लाय संजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
असली हनुमान चालीसा PDF (Original Hanuman Chalisa PDF)
मैं इंटरनेट पर किसी भी असली हनुमान चालीसा PDF को खोजने में मदद नहीं कर सकती हूँ।
आप इंटरनेट पर "Asli Hanuman Chalisa PDF" जैसे खोज शब्द का उपयोग करके असली हनुमान चालीसा के एक PDF को खोज सकते हैं। वहाँ से, आप उस PDF को डाउनलोड कर सकते हैं और अपने सिस्टम में संग्रहीत कर सकते हैं।
ध्यान दें कि इंटरनेट पर जो भी सामग्री उपलब्ध है, वह असली हो सकती है या नहीं। इसलिए, आपको सावधान रहने की सलाह दी जाती है और समाचार पत्रों, पुस्तकालयों या प्रसिद्ध संस्थाओं जैसी विश्वसनीय स्रोतों से संबंधित सामग्री को ही डाउनलोड करना चाहिए।
हनुमान जी की मृत्यु (Hanuman Ji Death)
हनुमान जी एक देवता हैं और देवताओं की मृत्यु नहीं होती है। वे अमर हैं और सनातन धर्म में उन्हें अजर और अमर माना जाता है। इसलिए, हनुमान जी की मृत्यु की कोई बात नहीं होती है।
हालांकि, रामायण कथा में बताया गया है कि हनुमान जी राम और सीता के सम्पर्क में रहने के बाद सदा उनके साथ रहने का वचन दिया था। जब राम और सीता अयोध्या को वापस चले गए तो हनुमान जी भी उनके साथ चले गए थे। उन्होंने उनकी भक्ति का प्रतीक बनकर अपना जीवन गुरु के सेवा में लगाया था।
असली हनुमान चालीसा Lyrics (Original Hanuman Chalisa Lyrics)
हनुमान चालीसा हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध पाठ है जो हनुमान जी की स्तुति के लिए पढ़ा जाता है। इस पाठ के माध्यम से भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद मांगे जाते हैं।
हालांकि, असली हनुमान चालीसा के बारे में कुछ विवाद हैं। कुछ लोगों के अनुसार, जो हम आमतौर पर हनुमान चालीसा के नाम से जानते हैं, वह असली नहीं होती है। इस बारे में निर्धारित नहीं किया गया है कि असली हनुमान चालीसा कौन सी है। इसलिए, इंटरनेट या किसी पुस्तकालय में आपको कुछ भी मिल सकता है।
यदि आप हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहते हैं, तो आप उसे आसानी से इंटरनेट से डाउनलोड कर सकते हैं। आप आधिकारिक धर्मिक संस्थानों जैसे रामकृष्ण मिशन, आदि से भी यह पाठ उपलब्ध करवाने के लिए संपर्क कर सकते हैं।
हनुमान जी का असली नाम क्या है (What is the real name of Hanuman ji)
हनुमान जी का असली नाम "मरुति नन्दन" है। वे वायु पुत्र थे और उन्हें हिंदू धर्म में भगवान राम के भक्त के रूप में पूजा जाता हैं।
हनुमान जी की सवारी क्या है (What is the ride of Hanuman ji)
हनुमान जी की सवारी लंगुर है, जो एक वानर जाति का जानवर है। लंगुर एक प्रकार का बंदर होता है जो अपने ऊँचे पैरों और लंबी बंदरगाह वाले होते हैं। हिंदू धर्म में लंगुर को भी भगवान हनुमान की पूजा में शामिल किया जाता है।
हनुमान जी का इतिहास क्या है (What is the history of Hanuman ji)
हनुमान जी के इतिहास के बारे में कई मान्यताएं हैं, जो धार्मिक और ऐतिहासिक हो सकती हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, हनुमान जी को मरुति नंदन नाम से भी जाना जाता है और वे भगवान शिव और पवनपुत्र हैं।
हनुमान जी की जन्म कथा अनुसार, वे कपिश्रेष्ठ के रूप में जन्मे थे और वे सूर्य का अंश थे। उनकी मां का नाम अंजना था और उनके पिता का नाम केसर था। उनका जन्म तब हुआ था जब देवी सुरसा ने उन्हें खाने के लिए पकड़ लिया था। जब वह अपने पेट से निकले तो वह पवन देव के आशीर्वाद से जीवित हुए थे।
हनुमान जी के बारे में कुछ और मान्यताएं भी हैं, जैसे कि उन्हें रामायण में भगवान राम के भक्त के रूप में दिखाया गया है। उनकी वीरता, बल, ताकत और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए, वे एक प्रतिनिधि के रूप में मान्यता प्राप्त हैं।
शनिदेव हनुमान जी से क्यों डरते हैं (Why is Shani Dev afraid of Hanuman ji)
हिंदू धर्म में, शनि देव एक ग्रह है जिसे असुख और दुख का संबोधित किया जाता है। शनि देव के दोषों का प्रभाव सभी जातकों पर पड़ता है, लेकिन श्री हनुमान जी के दर्शन से शनि दोष का निवारण हो सकता है। श्री हनुमान जी को शनि देव के साथ जोड़ा जाता है क्योंकि वे शनि देव के सबसे बड़े भक्त हैं और उनकी आराधना के लिए शनि देव अपने दोषों को सामने रखते हुए भी उन्हें कृपालु होते हुए दर्शन देते हैं।
लेकिन फिर भी, शनि देव का दोष किसी भी जातक पर पड़ सकता है जो उनके कर्मों के अनुसार होता है। इसलिए श्री हनुमान जी के दर्शन करने से पहले, श्रद्धालु को शनि देव के दोषों से बचने के लिए उनकी श्रद्धा और भक्ति को साथ लेकर जाना चाहिए।
हनुमान जी का नंबर कितना है (What is the number of Hanuman ji)
हनुमान जी का कोई नंबर नहीं होता। हिंदू धर्म में हनुमान जी को देवता का एक महत्वपूर्ण अवतार माना जाता है। उन्हें हनुमान जी के रूप में जाना जाता है और उन्हें सभी का दोस्त बताया जाता है।
हनुमान जी की स्पीड कितनी है (What is the speed of Hanuman ji)
हनुमान जी को वानर सेना का एक सबसे शक्तिशाली वानर माना जाता है जो भगवान राम के भक्त थे। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी की अतिवेगवान गति होती है और वे भूमि पर दौड़ते हुए किसी भी दूरी को कुछ ही समय में तय कर सकते हैं। उनकी स्पीड की कोई निश्चित मात्रा नहीं है, क्योंकि यह एक मानवीय संवेदनशील अवधि से अधिक है जो भौतिक रूप से मापना मुश्किल है।
हनुमान जी का गुरु मंत्र क्या है (What is the Guru Mantra of Hanuman ji)
हनुमान जी का गुरु मंत्र "ॐ हं हनुमते नमः" है। यह मंत्र हनुमान जी को समर्पित है और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने में मदद करता है। यह मंत्र हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है और हनुमान जी की पूजा के दौरान इसका जाप किया जाता है। इस मंत्र का नियमित उच्चारण हनुमान जी के आशीर्वाद को प्राप्त करने में मदद करता है।
हनुमान जी को कौन सा रंग पसंद है (Which color does Hanuman ji like)
हनुमान जी को भगवा रंग (गेंदे का रंग) बहुत पसंद है। भगवा रंग धर्मिक और सामाजिक उत्सवों में भी उपयोग किया जाता है और हिंदू धर्म में यह रंग धार्मिक उत्सवों और पूजाओं में भी महत्वपूर्ण है। हनुमान जी का अधिकतर देवी-देवताओं से अलग होने के कारण, भगवा रंग उनके पहचान का एक महत्वपूर्ण तत्व होता है।
हनुमान जी की पूंछ कौन है (Who is the tail of Hanuman ji)
हनुमान जी की पूंछ लंगुर या वानर की होती है। लंगुर या वानर एक प्रकार का मंगल वर्णी का वन्य पशु होता है जो भारत के जंगलों में पाया जाता है। हनुमान जी भी वानर के रूप में जाने जाते हैं, जिनके पास दो पैर, एक लंबी डंठली वाली पूंछ, बड़े बाजू और बलशाली शरीर होता है। उन्होंने भगवान राम के सेवा में अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए उनकी सहायता की थी।
हनुमान जी खुश होने पर क्या संकेत देते हैं (What signal does Hanuman ji give when he is happy)
हनुमान जी खुश होने पर वह अपने भक्तों के जीवन में अनेक प्रकार से संकेत देते हैं। कुछ ऐसे संकेत निम्नलिखित हो सकते हैं:
ध्वनि: हनुमान जी को खुश देखने के बाद, आपके चारों ओर अचानक से ध्वनि सुनाई देने लगती है। यह ध्वनि अलग-अलग हो सकती है जैसे घंटों की आवाज, जंगल के पशु-पक्षियों की चहचहाहट आदि।
फूल: यदि हनुमान जी आपके जीवन में खुश हैं तो उन्हें प्रथम दृष्टि में आते हुए फूल दिखाई दे सकते हैं।
वायु की लहर: हनुमान जी आपके जीवन में अपनी आने की वायु की लहर भी भेज सकते हैं। यह लहर अपनी ओर दीर्घकालिक शुभ संकेत देती है।
आकाश में ज्योति: जब हनुमान जी आपके जीवन में खुश होते हैं तो आसमान में एक ज्योति दिखाई दे सकती है। इसकी ताकत आपको दिनभर काम करने की ऊर्जा देने में मदद करती है।
सपने: जब हनुमान जी आपके जीवन में खुश होते हैं तो वे आपके सपनों में भी आ सकते हैं.
हनुमान जी से मन्नत कैसे मांगे (How to ask for a wish from Hanuman ji)
हनुमान जी से मन्नत मांगने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाना चाहिए:
पूजा का विधान: हनुमान जी की पूजा शुरू करने से पहले, आपको उनके लिए एक साफ-सुथरी पूजा स्थल तैयार करना चाहिए। पूजा स्थल को गंध, दीप और फूलों से सजाया जा सकता है।
पूजा का सामग्री: हनुमान जी की पूजा के लिए, आपको श्रद्धालुता के साथ लाल रंग के वस्त्र, घी, दिये, धूप, फूल, पंचामृत और नैवेद्य आदि की आवश्यकता होगी।
मन्त्रों का जाप: पूजा स्थल में बैठकर, आपको हनुमान चालीसा और हनुमान मंत्र का जाप करना चाहिए। आप भाव से हनुमान जी को मन्नत के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
व्रत और ध्यान: हनुमान जी से मन्नत मांगने से पहले, आपको उनके व्रत और उनके ध्यान के साथ उन्हें अपने जीवन में नियमित रूप से प्रतिदिन स्मरण करना चाहिए।
विश्वास: हनुमान जी से मन्नत मांगने से पहले, आपको अपने मन में विश्वास और भक्ति के साथ उन्हें प्रार्थना करनी चाहिए।
हनुमान जी के कौन से पैर का सिंदूर (Which feet of Hanuman ji has vermilion)
हनुमान जी के दाहिने पैर का सिंदूर उनके भक्तों द्वारा अर्पित किया जाता है। भक्त जब हनुमान जी की पूजा करते हैं तो वे उनके दाहिने पैर में सिंदूर लगाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, हनुमान जी अपने भक्तों के संकट और कष्टों को दूर करते हैं और उनके मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। इसलिए, भक्तों का मानना है कि हनुमान जी के दाहिने पैर में सिंदूर लगाने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें संकट से मुक्ति मिलती है।
पंचमुखी हनुमान के पीछे क्या कहानी है (What is the story behind Panchmukhi Hanuman)
पंचमुखी हनुमान की कहानी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। पंचमुखी हनुमान का जीवन रामायण के अनुसार जुड़ा हुआ है।
हनुमान भगवान श्री राम के समर्थक थे जो लंका के राजा रावण से उनकी पत्नी सीता को छिनाकर ले गए थे। हनुमान ने अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करते हुए सीता माता को मिलाने के लिए जंगल में एक शिखर पर बैठकर रावण की जासूसी से बचाया।
पंचमुखी हनुमान का जन्म भगवान शिव और पार्वती के दो रुपों में हुआ था। उनके पाँच मुख हैं - वानर मुख, हयग्रीव मुख, वराह मुख, नृसिंह मुख और हनुमान मुख। पंचमुखी हनुमान का एक अन्य रूप भी है, जो उनके दस्तावेज के रूप में जाना जाता है।
पंचमुखी हनुमान को समर्पित कई मंदिर हैं जो भारत और दुनिया भर में फैले हुए हैं। लोग उन्हें उनकी असीम शक्तियों, उनकी वीरता और उनकी भक्ति के लिए पूजते हैं।
हनुमान के 5 चेहरे क्यों हैं,हनुमान जी के पांच मुख के नाम (Why does Hanuman have 5 faces)
हनुमान के पांच मुख होने की कहानी भगवत पुराण में बताई गई है। इस कथा के अनुसार, जब हनुमान ने सूर्य को अपनी शक्ति से पकड़ा तो उनके उस प्रयोग से सूर्य के तेज ने उनके शरीर को जला दिया। भगवान शिव ने उन्हें बचाने के लिए उनके शरीर के पांच भागों को अलग कर दिया। इसी कारण हनुमान के पांच मुख हो गए।
इन पांच मुखों का अलग-अलग अर्थ होता है। नृसिंह मुख उनकी वीरता को दर्शाता है, वानर मुख उनके बल को दर्शाता है, हयग्रीव मुख उनके ज्ञान को दर्शाता है, वराह मुख उनके सौंदर्य को दर्शाता है और हनुमान मुख उनकी प्रेम भक्ति को दर्शाता है।
इस तरह, हनुमान के पांच मुख उनके विभिन्न गुणों को दर्शाते हैं और उन्हें एक प्रकार से पूर्णता का प्रतीक बनाते हैं। भारतीय संस्कृति में, हनुमान भक्ति और उनकी साहसिकता का प्रतीक हैं और उनकी पूजा विशेष रूप से हनुमान जयंती जैसे अवसरों पर की जाती है।
हनुमान और पंचमुखी हनुमान में क्या अंतर है (What is the difference between Hanuman and Panchmukhi Hanuman)
हनुमान और पंचमुखी हनुमान दो भिन्न चरित्रों हैं। हनुमान एक वानर सेनानी थे जो भगवान राम के अभिभावक थे और उनके सेवक थे। वह बहुत बलवान थे और उनकी शक्तियों को कोई भी नहीं था जो उन्हें हरा सकता था।
दूसरी तरफ, पंचमुखी हनुमान हनुमान के पांच रूपों में से एक हैं। इन पांच मुखों में हर एक मुख एक अलग-अलग अर्थ रखता है। भगवान हनुमान के इन पांच मुखों का अलग-अलग अर्थ होता है। नृसिंह मुख उनकी वीरता को दर्शाता है, वानर मुख उनके बल को दर्शाता है, हयग्रीव मुख उनके ज्ञान को दर्शाता है, वराह मुख उनके सौंदर्य को दर्शाता है और हनुमान मुख उनकी प्रेम भक्ति को दर्शाता है।
समानताएं:
दोनों ही भगवान हनुमान के समर्पित हैं।
दोनों को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है।
अंतर:
हनुमान एक वानर सेनानी हैं जबकि पंचमुखी हनुमान उनके पांच मुखों में से एक हैं।
हनुमान बहुत बलवान थे और उनकी शक्ति अथाह थी.
पंचमुखी हनुमान जी के पांच मुख कौन कौन से हैं (Which are the five faces of Panchmukhi Hanuman ji)
पंचमुखी हनुमान के पांच मुख निम्नलिखित हैं:
हनुमान मुख (बाएं ऊपर): हनुमान मुख भगवान हनुमान के वानर रूप को दर्शाता है जो उनकी भक्ति और प्रेम को दर्शाता है।
वराह मुख (बाएं नीचे): वराह मुख भगवान वराह के रूप में हनुमान के सौंदर्य और शक्ति को दर्शाता है।
नृसिंह मुख (दाएं ऊपर): नृसिंह मुख भगवान नृसिंह के रूप में हनुमान की वीरता और बल को दर्शाता है।
हयग्रीव मुख (दाएं नीचे): हयग्रीव मुख भगवान हयग्रीव के रूप में हनुमान के ज्ञान को दर्शाता है।
हनुमान जी के पैर के नीचे किसकी मूर्ति है (Whose idol is under the feet of Hanuman ji)
हनुमान जी के पैर के नीचे मूर्ति माता सीता की होती है। इसे सीता राम दरबार की देवी भी कहा जाता है। यह मूर्ति हनुमान जी की पूजा के दौरान सामान्य रूप से उपस्थित होती है।
क्या हनुमान को बालाजी भी कहा जाता है (Is Hanuman also called Balaji)
हाँ, हनुमान को बालाजी के नाम से भी जाना जाता है। बालाजी शब्द का उल्लेख पुरातत्व में भी होता है और इसे विष्णु भगवान् के एक रूप रूप में जाना जाता है। हनुमान जी श्री राम और सीता माता के प्रिय भक्त हैं जो उन्हें बहुत प्रिय हैं और बालाजी के रूप में भी पूजे जाते हैं।
हनुमान गढ़ी के महंत कौन है (Who is the Mahant of Hanuman Garhi)
हनुमान गढ़ी महंत का नाम श्री रामदेव जी महाराज है। वह एक संत थे जो राजस्थान के नागौर जिले में स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत हुए थे। उन्होंने विशेष रूप से हनुमान जी के पूजन और उनके महत्त्व को संजोने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया था। आज भी हनुमान गढ़ी मंदिर में उनकी याद ताजगी से बरकरार है और महंत श्री रामदेव जी महाराज के प्रभाव का असर इस मंदिर में दृश्यमान है।
मेहंदीपुर बालाजी के पीछे की कहानी क्या है (What is the story behind Mehandipur Balaji)
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, हरियाणा में स्थित है और यह भगवान बालाजी के लिए एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल है।
इस मंदिर के पीछे की कहानी बड़ी महत्वपूर्ण है। वैसे तो बालाजी के बारे में अनेक कथाएं हैं, लेकिन मेहंदीपुर बालाजी की कहानी बहुत ही रोमांचक है।
कहते हैं कि एक साधु ने बालाजी की खोज करने के लिए अनेक संस्कृत ग्रंथों का अध्ययन किया था। एक दिन उन्हें एक भविष्यवाणी मिली जिसमें उन्हें बताया गया था कि बालाजी की मूर्ति मेहंदीपुर में छुपी हुई है।
उन्होंने अपनी खोज शुरू की और आखिरकार वे मेहंदीपुर पहुंचे जहां उन्हें एक पेड़ के नीचे एक छोटी सी भगवान बालाजी की मूर्ति मिली। साधु ने मंदिर बनवाने का निर्णय लिया और आज यहां बालाजी की मूर्ति की पूजा की जाती है।
यह कहानी मेहंदीपुर बालाजी के पीछे की एक रोमांचक कहानी है जो लोगों के दिलों में इस मंदिर के महत्व को और बढ़ाती है।
हनुमान का पुराना नाम क्या था (What was the old name of Hanuman)
हनुमान का पुराना नाम 'मरुति' था। 'मरुति' शब्द का अर्थ होता है 'मरुत गण' यानी वायु देवताओं का समूह। हनुमान भगवान का असली रूप वायुपुत्र मरुति था और उनकी शक्ति भगवान शिव द्वारा प्रदान की गई थी।