रुद्रमल राजभर राजा की कहानी | जानिए… रुधौली का नामकरण कैसे हुआ | Story of Rudramal Rajbhar

 राजभर समाज की कहानी:एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में राजभर नामक समाज रहता था। इस समाज के लोग बहुत ही एकत्रबद्ध और सामाजिक विचारधारा के धार्मिक व्यक्ति थे। वे अपने गांव के विकास में सक्रिय भूमिका निभाते थे और अपने परंपरागत संस्कृति और मूल्यों का पालन करते थे।

गांव में राजभर समाज के लोग सभी के बीच में समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध थे। वे अपने पड़ोस में रहने वाले लोगों को भी आपसी सहयोग और समर्थन प्रदान करते थे। इसके लिए वे समाज के सभी सदस्यों के बीच एकता और सदभाव को बनाए रखने के लिए समारोह, उत्सव और मिलनसार आयोजित किया करते थे।

राजभर समाज के लोग अपने कृषि और पशुपालन के जरिए अपनी आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ किया करते थे। वे बागवानी और खेती में भी कुशल थे और उत्पादन के साथ-साथ विक्रय भी अच्छा करते थे। इसके परिणामस्वरूप गांव के राजभर समाज के लोग आर्थिक रूप से समृद्ध थे और गांव के विकास में भी अहम योगदान देते थे।

इस समाज के लोग न केवल अपने बल्कि अन्य समाजों के सदस्यों के विकास को भी महत्व देते थे। वे अशिक्षित लोगों को शिक्षित बनाने के लिए नि:शुल्क शिक्षा के अभियानों का समर्थन करते और शिक्षा के प्रति उत्साह भरते थे।

एक दिन, गांव में एक भयानक आपदा आ गई। भूकंप आया और गांव की बड़ी भाग में नुकसान हुआ। लोगों को अपने घरों से बाहर निकलना पड़ा और वे सभी साथी समाजवादियों को अपने अस्पतालों और धर्मशालाओं में आस्था प्रदान करने में सहायता करने लगे। राजभर समाज के सदस्य एक-दूसरे के साथ मिलकर आपसी मदद करते थे और इस आपदा को पार करने में सफलता हासिल करते।

इस घटना ने राजभर समाज के लोगों के बीच एकता और समरसता की अधिकता को दिखाया और उनके लिए एक बड़ा सबक साबित हुआ। इसके बाद से, उन्होंने अपने समाज के विकास और समृद्धि के लिए और भी अधिक मेहनत किया करते हैं. 

अब रुद्रमाल के बारे में जानेंगे 

आज हम एक राजभर राजा की कहानी लिखने जा रहे हैं  जोकि राजभर समाज से ताल्लुक रखते हैं राजभर के लोग उनकी पूजा अर्चना करते हैं

रूद्र मल महाराजा की कहानी

 भारशिव राजभर का इतिहास  भारतवर्ष के हर एक जगह पर विराजमान है जिसके बारे में  आज हम संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं तो चलिए आज हम  जान लेते हैं  की जिन के नाम से रुधौली का नाम पड़ा वही महाराजा रूद्रमल राजभर  के इतिहास के बारे में जानते हैं

रूद्र रूद्र नाम के लड़के कैसे होते हैं?

 क्षत्रिय सम्राट राजभर महाराजा रुद्रमल  जिनके इतिहास के बारे में इस समय केवल गिने-चुने लोग ही जानते  है यह राजा 11 वी शताब्दी में रुधौली बाराबंकी जिला से फैजाबाद  के रास्ते पर  38 किलोमीटर जाने  बाद तहसील के  रामसनेही  घाट के  अंतर्गत में पड़ता है 

Rudra meaning in hindi

जोकि ठीक  उसी के दाहिने हाथ में  महाराजा रूद्रमल का किला पड़ता है जो कि वह काफी दूरी में फैला हुआ है सोचने वाली बात यह है की  अभी भी राजाओं के बहुत बड़े बड़े  महल के खंडहर बन चुके हैं जो कि देखने पर तरस आ जाता है

Story of Maharaja Rudra Mal

 इस बात को हमने पहले भी बता दिया कि इस  रुधौली शहर  का नाम राजा रूद्रमल के  नामों से ही पड़ा था बात यह भी है कि  राजभर जाति  के इन लोगों ने देश के लिए अपनी जान भी दे दिए और  राजपाट गवा बैठे इसी देश के खातिर सब कुछ अपना  खो दिया  दुख की बात यह है  


अभी किसी से पूछो  की राजभर इस देश के  कौन होते हैं और क्या किया है  तो इस बात का कोई किसी को जानकारी नहीं होगी वह इंसान सीधा ही बोलेगा कि भाई मुझे कुछ नहीं मालूम तो यह जानना सबको जरूरी है कि एक समय था 

रूद्र मल राजा की कहानी

जब राजभरों का बहुत बड़ा साम्राज्य हुआ करता था और वही राजभर राजपाट चलाया करते थे यह वही राजभर हैं  जो भारत देश को  काफी दिनों तक हातिम ताई और आतंक के जैसे संगठनों से बचा कर रखा था

Rudramal Rajbhar kahani


 कुछ इतिहासकार यह भी बताते हैं की राजभर भारशिव के शासनकाल में  किसी भी  आतंकी सोच वालों  का हिम्मत नहीं होता था कि देश के प्रति कोई दुराचार करने का सहस कर सके   अगर कोई आ भी जाता संस्कृति या सिस्टम को मिटाने तो राजभर उसका मिट्टी पलीत करने में देरी भी नहीं लगाते थे राजभर यह बहुत खतरनाक होते थे इनके  दहशत से आतंकी जैसे सोच वालों का पसीना छूट जाता था


 राजभर महाराजा  रुद्रमल शिव  के भक्त  भी थे उन्होंने उस जगह पर एक भगवान रुद्र (शिवभर) का एक भव्य मंदिर भी बनवाया था


 जहां पर राजघराना से जुड़े सभी लोग एवं  क्षेत्रीय जनता पूजा याचना करती थी जो कि इस जगह को बाद में चलकर रुधौली कहलाने लगा यह कहानी गजेटियर आफ प्रविन्श आफ अवध में बताया गया है  की राजा राजभर रुद्रमल ने इस शहर को  खुद बसाया था

रुधौली का नाम कैसे पड़ा 

 इसलिए इस शहर का नाम रुधौली पड़ा महाराजा राजभर रूद्रमल  भारशिव का एक बड़ा  राज्य भी  हुआ करता था जोकि मुस्लिम आक्रंताओ ने धोखे से वार करके उनका क़त्ल कर दिया तभी से उस राज्य का पतन होता चला गया इस घटना के बारे में चलिए जानते है ...

सैयद रुकुनुदीन और ज्मालूदीन दो सगे भाई सउदिया अरविया से  भारत में लूटपाट करने के लिए आये और आ करके एक जगह रुधौली में डेरा डालकर रहने लगते है 

दोनों ने मिलकर एक अलग विस्तार वादी नीति  अपनाने में जुड़ गए और साथ साथ में धर्म परिवर्तन  के लिए हिंदुओं में फूट डालना  शुरू कर दिया और हिंदुओं को  हमेशा एक दूसरे के प्रति उकसाने मैं लगे रहते थे  यह दोनों भारतीय राजाओं की गोपनीयता सूचना  मुस्लिम आक्रांताओं को देते थे ठीक इसी का आँकलन करके  महमूद गजनबी को आक्रमण के लिए  आमंत्रित भी किया था राजा  रूद्रमल  राजभर के गुप्त चरों ने  इन दोनों के षड्यंत्र के बारे में बता कर  राजा राजभर को सतर्क भी किया था


उसके बाद राजा रूद्रमल ने  उन दोनों को  अपने राज्य से निकालने  का निर्णय भी लिया जिसको जानकर  वह दोनों भाई बहुत भयभीत हो गए उसके बाद  वह दोनों अपनी जान माल के सुरक्षा के लिए  गजनी देश के महमूद गजनवी के शरण में चले गए  इस घटना का जिक्र  पुस्तक  मीराते मसऊदी में किया गया है जिसके लेखक अब्दुर्रहमान चिश्ती थे इस घटना का उल्लेख उन्होंने बड़ी अच्छे ढंग से किया है


रुकुनुदीन और कमालुद्दीन दोनों भाई भारत के  रुदौली शहर से  फरियाद लेकर गजनवी के दरबार में पहुंच गए वहां उनकी फरियाद नहीं सुनी जाती है तब वह दोनों  ढेर सारा राख  इकट्ठा करके  उसमें कुछ ढूंढने लगते हैं जिसको देखकर वहां के दरबारियों ने उन दोनों से पूछने पर मजबूर हो गए  की अरे भाई इस राख के ढ़ेर में क्या ढूंढ रहा है फिर उन दोनों ने बताया कि इस राख में हम अपने बादशाह को खोज रहे हैं इसकी बात की सूचना जब बादशाह को हुई अर्थात गजनबी को तब जाकर बादशाह ने  उन दोनों फरियादी दोनों भाइयों को अपने दरबार में  बुलावा लिया 

उसके बाद मेहंदी हसन ने  दोनों को गजनवी से मिलवाया गजनी पूछने लगा कर तुम्हारी दिक्कत क्या है उसके बाद वह दोनों बताने लगते हैं कि हम लोग सऊदी अरब से जाकर  भारत के एक  रुधौली स्थान है जहां पर हम दोनों भाई  जाकर डेरा डाल दिए  थे और हम  हिंदुओं को  बरगला कर मुस्लिम बना रहे थे  इस बात का जब जानकारी वहां के राजा को लगा दो वह राजा हम को भगा दिया और   धमकी भी दिया की अगर तुम दोनों कहीं पर भी दिखे तो जान से मारे जाओगे भारत में  हिंदुओं को इस्लाम धर्म लाना बड़ा मुश्किल हो गया है वहां के हिंदुओं को धर्म परिवर्तन करवाना  नामुमकिन होता चला जा रहा है अब आप ही सहारा दे सकते हो ऊपर वाले के वास्ते आप पर हम लोगों को बचा ले


 तब जाकर महमूद गजनवी ने बताया कि तुम  चिंता  करना छोड़ दो  हम तुम्हारी रक्षा अवश्य करेंगे दूसरे दिन  गजनबी  ने सैयद सालार मसूद गाजी और रज्जब  सालार को विशाल  सैन्य टुकड़ी के साथ  रुधौली के लिए भेज दिया तब जाकर  हुक्म की तामील हुई इन दोनों ने अपनी सैन्य टुकड़ी के साथ भारत पर चढ़ाई करने के लिए रवाना हो गई वहां पहुंचते ही  बिना बताए अकस्मात आक्रमण कर दिया


 अचानक हमला होने से महाराजा रूद्रमल इस आक्रमण से भयभीत हो गए क्योंकि लड़ाई की कोई तैयारी नहीं हुई थी  अतः  अपना  महल और किला  छोड़कर लड़ते लड़ते  वह जंगल की तरफ चले गए उसके बाद सालार मसूद गाजी ने उस दोनों फरियादियों रुकुनुदीन और जमालुद्दीन को वहां का राज्य सौंप दिया कुछ दिन वहां मौज उड़ा कर फिर बाद में  वह गजनी  चला जाता है इस प्रकार  राजा राजभर रुदौली का पतन हो जाता है उपरोक्त में  इनके जगह कमालुद्दीन के जगह पर जमालुद्दीन को पढ़ा जाए विशेष ध्यान देने की जरूरत है


 की यह वही  फरियादी जमालुद्दीन है जिसकी बेटी जौहरा बेगम  से  सालार मसूद गाजी का  रुधौली के  प्रवास के समय प्रेम हो गया था जिससे वह गाजी   जौहरा बेगम से शादी करना चाहता था  बाद में फिर सलार गाजी दूसरी बार गजनी से  विशाल सेना के साथ  लूटपाट और जिहाद करने के लिए अवध के क्षेत्र में जा टपका उस वक्त वह रुधौली भी गया उसी प्रवास के समय उसका विवाह  दिन जौहरा बेग़म से तय हो गया था  परंतु यह दुर्भाग्य की बात हुई उसके लिए सालार मसूद गाजी का भांजा  रज्जब सलाह हटीला ने बहराइच के राजाओं के साथ युद्ध छेड़ दिया था  जिसके चलते सालार मसूद गाजी को  बहराइच जाना पड़ गया

महमूद गजनवी की मृत्यु कैसे हुई?

 जहां पर सालार मसूद गाजी लड़ाई में  महाराजा सुहेलदेव राजभर जी के हाथों से  मारा गया  गाजी और जौहरा बेगम  की शादी का सपना सपना ही रह गया बाद में जौहरा बेगम गाजी की मजार पर जाकर जहर खा कर मर जाती है  आज भी जमालुद्दीन के  वंश के लोग रुधौली से बहराइच गाजी की मजार पर पीढ़ा और  शादी  का जोड़ा और सामान लेकर  शादी के  रस्म   अदाई के लिए आते हैं और शादी नहीं होती है फिर वापस  घर चले जाते हैं यह इतिहास राजभरों के लिए बहुत ही दुर्भाग्य का कारण बना और इस बातों से  सभी राजभरों को  हमेशा सचेत रहना है बाकी आपकी मर्जी जय हो सुहेलदेव आगे महाराजा सुहेलदेव की कहानी लिखी जायेगे 


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