सफलता की प्रेरणादायक कहानियां

यह कहानी सात दोस्तों पर आधारित है शुरुआत में यह आधीक ये पाया गया की औरतो से ज्यादा पुरुष टेंशन में रहता है बेवजह पत्नियां मर्दों पर शक किया करती हैं जिससे उसे मानसिक तनाव? लेकर उसे ब्यक्ति ढेर सारे परेशानियों का सामना करना पड़ता है उस लड़के के सभी 7 दोस्त थे उनके घर आया जाया करते थे कभी एक दोस्त ने ढेर सारी उपहार लाएं यह देखकर पत्नी ने  ज्योति का साथ छुड़ाने का निश्चय किया वह सभी दोस्त धीरे धीरे सभी लोग अलग हो गए 



 एक जाकर ने मुंबई शहर में जाकर रहने लगा जिससे वहां पर वह पहले भी काम कर चुका था  लेकिन उस दोस्त का सेलरी   बहुत कम मिल रहा था, जिसके उस उसको पूरा घर परिवार चलाने में बहुत दिक्कत हो रही थी



 पहले दोस्त का नाम धीरज था और दूसरे का नाम पवन सुरेश था एव चौथे  बालेन्द्र था यह लोग  के लोग अधिक से अधिक समय तक काम करते और और किसी ना किसी का हेल्प भी करते थे एक दिन एक दोस्त को ₹20000  रुपए की जरूरत  किसी एक दोस्त को जरूरत होती थी

  तो सब लोग उसका मिलकर करते थे पांच 5000 हजार मिला कर दे देते  जिससे एक भाई का जरूरत एकदम पूरी तरीके से खत्म हो जाती थी और दूसरी भाई का फिर ऐसे  तरीके से  सब लोग  कुछ दिन  ऐसे ही करते रहे और हर एक का बारी बारी करके  हेल्प करते थे


 

 धीरज एक होनहार लड़का था जो एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में काम करता था उसका अच्छा खासा  पैसा आ जाता था  और वह धीरज अपने आप को  एक काबिल  समझने लगा था  ऐसे में वह बैंक में जमा कर देता था और थोड़ा बहुत तो पैसा बचा उससे खर्चा चलाता था

 और दोस्तों  के  मदद  के लिए अलग रख देता था  धीरज ऐसा लड़का है जो  एक  गंजेड़ी है जहां रहता है मोहल्ले के सभी लोग  उसको शराबी बोलते हैं और कुछ लोग उसको धरती का बोझ बोलते हैं  

लेकिन तो धीरज अपने कामों पर निरंतर  काम कर रहा है  जोकि हर 1 महीने में उसको  20 से ₹25000  रुपया कमाता है और पुरा घर से लेकर अपने तक लगभग तो आधा पैसा  खर्च  कर देता है और आधा पैसा जमा कर देता है


  सुरेश एक मोबाइल मिस्त्री था जो पास के ही दुकान में  काम  पर लग गया था  जो कि वह 15 से ₹18000 हर एक महीने का  पता था  वह अपना तनख्वाह का पैसा घर पर भेज देता था और कुछ पैसा अपने ही खाते में लेता था 

 धीरे धीरे इन लोगों का   दोस्ती और भी गहरी होती चली गई फिर सुरेश  15 महीने  के बाद  वह घर चला  आता है  और आकर घर पर शादी कर लेता है और अपने सभी दोस्तों को भी  घर पर  बुलाता है जिसमें सभी दोस्त आकर उसके साथ रहकर दूल्हे को सजाते हैं फिर बारात जाती है सारे, दोस्त मिलकर खूब मस्ती करते हैं

हंस और कौवा की कहानी

  पवन एक सोशल इंजीनियर है जोकि यह खंडाला में रहता है और वहीं पर ही थोड़ी दूर  काम करता है  और  अपने सभी दोस्तों को बहुत ही खुश रख पाता है   उसका  मानना है  की जब  दूसरे की भलाई करते हैं  तो लिए  भगवान खुद उसका भलाई  कहीं ना कहीं से कर देता है 

इसी मुद्दे पर बहुत सी बात पवन ने बताई और तो और  इनके साथ में करने वाले बहुत से लोग इनके कामों और कर्मों को  सराहा है  इंजीनियर साहब का यही काम है 

  जब भी जहां से ,फोन, आता था तब यह अपनी फाइलों को लेकर  वहां  पहुंच जाते थे और  नियमित रूप से  काम कर फिर इंजीनियर साहब अपने  बंगले को चले जाते थे


 बालेन्द्र लेबर चौक का देखरेख करने वाला  और किसको कहां लगाना है यह सब चीज का देखरेख करता उसके देखरेख में  बहुत अच्छा चल रहा है उसकी  एसी हिसाब से सेटिंग है  हर एक लोगों को सही काम देना उस उसने अपना कर्तव्य ही मान लिया है

  और कामों में सबसे उच्च  दर्जे पर लेबर चौक को पहुंचा दिया है  इसका कहना है  हर एक लेबर को  चाहे  कोई  कारीगर हो  या फिर कोई लेबर सबको  काम देना  अपना  कर्तव्य बना लिया है 

 आज के दिन  में बालेन्द्र के  देखरेख में एक काम, 300 से  350 आदमी, तक के काम देख पाते हैं  इनके पास सभी प्रकार के कारीगर, लेबर पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं और कोई भी परेशानी नहीं होती है

धसिया धोबी की कहानी 

 रविंदर जो पॉलिश का काम करते हैं और ज्यादातर दिल्ली शहर में रहते हैं और उनके पास दोस्तों की लाइन लगी रहती है  रविंद्र जी झाड़-फूंक का भी काम करते हैं ऐसे तो  रोज ना कोई ना कोई  दिखाने और झाड़-फूंक कराने आए ही रहते हैं  कभी कबार होता है

 यह खुद जाकर उनके घर  झाड़-फूंक आते हैं उनका ज्यादा समय  सगे संबंधी  के काम में लगे रहते हैं और उनका कल्याण करते हैं यही इनका कार्य है  उनका कहना है कि हमसे किसी का दुख देखा नहीं जाता इसलिए हम  यह  कार्य बड़े  दिलचस्पी से करता हूं और भोले शंकर उनकी नैया को पार लगा देते है


एक दोस्त का नाम सूरजभान है यह लड़का हमेशा  इधर उधर शहर में जाया करता है और  यह कभी भी एक शहर में ज्यादा दिन तक नहीं रहता है और इसकी खासियत है  पेमेंट मिले  या ना मिले तो  भी उस शहर से  चला  आता है

  और उसकी तो हर एक बार जैसे कहीं दिल ना लगा कहीं और कोई बात ऐसे हजारों कारण बन जाते हैं जिसके कारण में ज्यादातर  इधर उधर शहर में  भटकता रहता है  ऐसे में एक दोस्त ने उनकी बहुत अच्छे से मदद की उनके के पास  उस मदद के कारण आज एक अच्छी  दुकान है  जिस पर वह खुद रहते हैं और दुकान बहुत अच्छी खासी चल रही है


एक दोस्त  उनके  इंद्रासन नाम है जो  नेत धर्म के अच्छे हैं  उनके पास से एक मोबाइल की दुकान है  और  वह शादी में वीडियो रिकॉर्डिंग करते हैं   उनके पास 10 से 12 कैमरे  हमेशा रहते हैं यह भाई हैं  शादी में हमेशा कम रेट में अच्छे से अच्छे वीडियो बना कर देते हैं

 और सब का दिल बहुत खुश रहता है  वे साथ में मोबाइल भी बनाते हैं  इनकी दुकान पर आया मोबाइल निश्चित है बनके ही जाता है चाहे कोई भी खराबी हो यह बना मोबाइल बनाने में इतनी माहिर है कोई भी काम पानी से और बड़े ही  आसानी से जल्दी बना देते हैं 

 इनके हाथ में आया मोबाइल  तुरंत एकदम बन के तैयार हो जाता है जैसे कि जादू हो गया हो और यह है साथ में और दोस्तों का मदद भी करते रहते हैं उनका बायोग्राफी बताएं तो बहुत ही कम रह जाएगा

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