एक गरीब किसान का बेटा अपनी बीमार पड़ी माँ के साथ में रहता था । उसका नाम राजकुमार था । राजकुमार दिन भर खेत पर काम करता रहता था । फिर भी अपने बीमार माता के लिए एक टाइम का भोजन नही जुटा पा रहा था । इस नाते वह सभी के खेतो में भी मजदूरी करने जाया करता था और सभी के यहाँ बोझा भी ढोया करता था ।
एक बार ऐसा भी हुआ जब बहुत भारी तूफान और बारिश आने की शंका लग रही थी । ठीक उसी दिन राजकुमार को अपने गाँव के बक्से वाले के घर से दूर के गाँव के प्रधान के यहाँ एक बक्सा पहुँच देना था । प्रधान की बेटी की विवाह होने वाली थी । वह बक्सा उसी शादी के लिए बनवाया गया हुआ होता है ।
राजकुमार की बीमार माँ ने खराब मौसम में घर से बाहर निकलने से बिलकुल मना कर दिया था , किन्तु उसने मनमानी कर निकल गया । उसके जिद्द को देखकर माता ने उसे एक पुरानी टोपी बक्से से निकालकर देते हुए बोली - " मेरे बेटे , ये टोपी तुम्हारे बाबू जी की एकमात्र निशानी बची हुयी है । इसको पहनकर तुम जाओ । हो सकता है की यह तूफान और बारिस में तुम्हारी कुछ सहयता कर सके । "
राजकुमार ने उस टोपी को पहन लिया और बक्से को पीठ पर लेकर निकल दिया । कुछ दूर चलने के बाद में उसे थोड़ी थकान महसूस होने लगी उसने । बक्से को पीठ से उतार निचे रख दिया , और वह वही एक पेड़ के छाव में सुस्ताने लगता है थोड़ी देर बीते ही थे । अचानक उसको किसी के बातें करने की ध्वनि सुनाई देने लगती है । वह चकित रह जाता है आखिर ये आवाजें किधर से आ रही हैं ? लेकिन हमें कोई दिखाई क्यों नहीं दे रहा है ? " वह परेशान होकर झःझःकार अपनी टोपी को सिर से उतार दिया उसे हाथ में लेकर वहा चल दिया ।
अब उसे वह सभी बातें सुनाई देना बंद हो जाती है । थोड़ी दूर जाने के बाद जब राजकुमार ने फिर से टोपी पहना , तो उसे वह सभी बातें फिर सुनाई देने लगती । ' वह सोच रहा है कमाल है , इस टोपी को पहनते ही सभी के आवाज सूनाई देने लगती है जैसे चिड़ियों , पेड़ों , नदी - पहाड़ों की बातें मै सुन लेता हूँ और समझ भी लेता हूँ ।'- यह सोचते-विचरते हुए वह बक्सा पीठ पर लेकर प्रधान के गाँव की तरफ चल पड़ता है । " देखो जर्रा , राजकुमार जिसके लिए बक्सा पहुँचाने का काम कर रहा होता है , वह लम्बे समय से बीमारी से झुलस रही होती है ।
उसके पिता जी काफी परेशांन थे । उसके शादी का दिन भी करीब आ चुका था । बहुत दवा कराने के बाद भी उसकी तबियत दिन पर दिन खराब होती जा रही थी । " - तभी एक चिड़िया बोल पड़ी । राजकुमार धीमी गति से चलता वह ध्यान से चिड़ियों की बातो सुन रहा था । " वही प्रधान के बागो में एक कपूर का वृच्छ है ।
प्रधान के बेटी को ठीक करने का उपाय उस कपूर के पेड़ में है । परन्तु पेड़ों की बातो को भला मानव कैसे जान पायेंगे ? " - दूसरी चिड़िया ने बोली । यह सुनकर राजकुमार के मुँह से निकला पड़ा की हां " मैं , मैं समझँगा । " लेकिन काश , चिड़िया राजकुमार के उत्साह को समझ पाती । उन्हें न तो मानव की भाषा समझ में आती थी और न ही तो उनके पास में राजकुमार जैसी कोई चमत्कारी टोपी महजूद थी ।
इस तरह से राजकुमार पेड़ नदी , पहाड़ , चिड़ियों की बातो को सुनता हुआ मस्ती से प्रधान जी के घर तक पहुँच गया । राजकुमार ने प्रधान को कहा कि अगर वे उसको एक दिन और एक रात अपने घर रुकने का मौक़ा दे दे, तो वह उसकी बिटिया की बीमारी को दूर भगा सकता है । राजकुमार प्रधान के घर पर रात होने का बेसबरी से इंतजार कर रहा था ।
आखिरकार रात हो ही गई वह सभी पेड़ों की बातो को सुन लेता था । लोगों का यह भी मानना है कि बीते आधी रात में ही पेड़ आपस में बातें किया करते हैं । राजकुमार ने धीरे से पीछे के बाग़ में कपूर के वृच्छ के निचे जाकर वह टोपी पहनकर सन्न मरकर बैठ जाता है । थोड़ी देर बाद उसको लगा कि सभी पेड़ आपस में बातें करना सुरु कर दिए । एक पेड़ कहने लगा - " देखो भाई , हम में से हमरा दोस्त कपूर का वृच्छ अब कुछ ही दिनों में ख़त्म हो जाएगा । " तब दूसरा बोल पड़ा - " बेचारा कैसे दिन - बेदिन सूखता हुआ चला जा रहा है ।
जब से ग्राम प्रधान ने पहाड़ी पीछे एक बड़ा - सा पत्थर लगावा दिया जिससे वहा से जो पानी आ रहा था उसको रोक दिया है , तब से ही यह सब परेशानी हो रहा है । ठीक उसी वक्त । चौथा वृच्छ जो लम्बे समय से सन्नाटा मारकर सभी के बातो को सुन रहा था , वह बोल पड़ा - " उस मूरख इन्शान को तनिक भी खबर नहीं है कि सारे वृच्छ को सूखने के नाते ही उसके बेटी को भयकंर बीमारीओं ने घेर लिया और वह झुलस रही है ।
तबतक पाँचवां बोला । " हाँ , एक दिन ऐसा आएगा जब हम भी कपूर के पेड़ की जैसे सूखा कर मर जायेंगे । परन्तु हमारी यहां कोई नहीं सुनता। इस दुनिया में भला कौन करेगा हमारी देखभाल ? " उन सभी पेड़ो में एक बिलकुल बुजुर्ग पेड़ गंभीर स्वर में गहरी गहरी साँसें लेते हुए कहने लगा । राजकुमार जो बड़ी समय से सभी पेड़ों के बातो को बैठ कर सुन रहा था वह तेज आवाज में बोल पड़ता है की मैं करूँगा तुम सभी की रखरखाव । अगली सुबह होते ही लालिमा पूरब के पहाडीओ से निकल रही थी ।
राजकुमार तुरंत उठकर वृच्छों की बताई हुई पहाड़ी की तरफ निकल पड़ता है । वहाँ पर पहुंचकर उसने देखा कि सच में वहाँ पर एक बहुत बड़ा - सा पत्थर बगीचे में जाने पानी को रोक रहा था । राजकुमार पत्थर हटाने की जुगाड़ करने जुड़ गया । परन्तु वह पत्थर इतना भारी था कि जर्रा भी हिलने का नाम तक नही ले रहा था ।
राजकुमार ने तरह-तरह का जोर लगाकर पत्थर को वहा से हटाने का प्रयास करता रहा । ठीक उसी बीच प्रधान जी उसको ढूँढ़ते - ढूँढ़ते वहाँ आ टपके । राजकुमार को पत्थर हटाते हुए देख , वे गुस्से से आग बबूला हो गए और बोले - " अबे मूर्ख , यह क्या करने में लगा है ? इससे हमारे सारे खेतो में पानी नहीं जायेंगा । " यह बोलकर वे राजकुमार को उस जगह से हटने के लिए कहने लगे , परन्तु राजकुमार कहाँ से मानने वाला थे ? जिद्दी तो वह पुराना था ही ।
उसने भंडा से एक तरफ जोर लगाया फिर वह पत्थर दूसरी तरफ ढलान में लुढ़कता हुआ दूर जा गिरा खाइओ में जा गिरा । बगीचे की साइड में पानी बड़े जोर से बहने लगता है । उस पानी का बहाव इतना भयानक था कि प्रधान जी , उस पानी साथ बगीचे तक बहते हुए चला जाते है । प्रधान जी को तबतक काफी चोटे लग चुकी थी।
कुछ ही दिन बीते हुए थे कपूर का पेड़ फिर से लहलहाने लगा और उस बाग़ के सभी पेड़ हरे - भरे होने लग गए । कपूर का वृच्छ की खुशबू वहा के वातावरण में दूर - दराज तक फैलने लगा । प्रधान की बेटिया भी धीरे धीरे ठीक होने लगी । तब जाकर राजकुमार एक बार अपने माता को घूमने हुए वहाँ ले गया । उस जगह की हरियाली देखकर राजकुमार की माता का भी तबियत ठीक होने लगी ।
प्रधान को इस बात को लेकर बहुत खुशी हुयी कि राजकुमार की कारण उसके बिटिया तबियत ठीक हुआ और वह अपने ससुराल जा सकी । तबतक वह जान चुका था कि पानी की आवश्यकता केवल फसल को ही नहीं है, बल्कि अन्य सभी पेड़ - पौधों को भी है । तब जाकर उसने राजकुमार को ढेर सारे रुपए धन इनाम में देकर विदा किया । अब राजकुमार को ना ही दूसरों के खेत खरिहान में काम करने की जरूरत है और ना ही किसी का बोझा ढोने की आवश्यकता है ।
उसने सबसे पहले अपने लिए खेत खरीद लिए। उसमे ढेर सारे पेड़ लगाए । राजकुमार अब दिन भर अपने खेतो ही में काम करता रहता । जब वह थक जाता तब पेड़ों की छाया में अपने पिता की छोड़ी हुयी वह चमत्कारी बोलती टोपी पहन कर , चिड़ियों की ,पेड़ों की, नदी - नालों की बातें सुनता । कहते हैं , राजकुमार के कारण उस गाँव में फिर कभी पानी की कमी महसूस नहीं हुई ।