परी ने दिखाया सपना युवक हुआ मालामाल | pariyon ka sach

cedar tree


हिदा प्रदेश में एक गाँव था सावागामि । वह नोरिकुरा पहाड़ी की तलहटी में बसा था । गाँव में चोकिची नामक युवक रहता था । एक रात चौकिची ने सपने में एक परी को देखा । परी के सिर पर सोने का मुकुट था । परी चोकिची के सामने आ खड़ी हुई । उसने कहा - " चोकिची , तुम एक भले लड़के हो । सदा दूसरों की मदद करते हो । 

सुबह तुम ताकायामा नगर में जाओ । वहाँ मिसोकाई पुल पर सौभाग्य तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है । " इतना कहकर परी लोप हो गई । इसके कुछ देर बाद चोकिची की नींद खुल गई । वह बहुत देर तक सपने के बारे में सोचता रहा । 

फिर उसने ताकायामा जाने का निश्चय किया । वह सोच रहा था ' हो सकता है , सपने की बात सच हो जाए । ' - ताकायामा नगर में पहुँचकर , वह मिसोकाई पुल पर जा खड़ा हुआ । पुल पर लोग आ - जा रहे थे । चोकिची चुपचाप उन्हें देखता रहा । और सोचता रहा । उसे कोई विशेष बात नजर नहीं आई । 

खड़े खड़े दिन बीत गया । रात उसने सराय में बिताई । सुबह अगली चोकिची फिर पुल पर जा खड़ा हुआ । इसी तरह एक - एक करके चार दिन बीत गए । पाँचवाँ दिन आया , तो चोकिची फिर पुल पर खड़ा लोगों को आते - जाते देख रहा था । पाँचवाँ दिन भी बीत गया , तो वह सोच में पड़ गया अब बस बहुत हो चुका । 

अगर आज भी कुछ न हुआ , तो मैं कल जरूर अपने घर लौट जाऊँगा । 'शाम को चोकिची चलने की सोच रहा था , तो एक व्यक्ति उसके पास आया । वह हलवाई था । उसकी दुकान पुल के पास ही थी । हलवाई चोकिची को रोज पुल पर खड़ा देखता था । 

आज उसने पूछ ही लिया – “ तुम कौन हो ? " चोकिची था सीधा - सादा । उसने हलवाई को पूरी घटना कह सुनाई । - हलवाई ने उसकी कहानी सुनी , तो ठहाका मारकर हँस पड़ा । बोला- " कैसे भोले और मूर्ख हो तुम ! एक स्वप्न देखा और स्वप्न की बात पर विश्वास कर , यहाँ चले आए । बहुत खूब ! खड़े रहो । " 

कहते - कहते हलवाई फिर हँसने लगा । बोला - " अरे हाँ , ऐसा ही एक मजेदार स्वप्न मैंने भी कुछ दिन हुए देखा था । मैंने देखा कि दूर नोरिकुरा पहाड़ है । उसकी तलहटी में सावागामि नाम का एक गाँव है , जिसमें चोकिची नाम का एक युवक रहता है । " - 

चोकिची के मन में आया कि वह चिल्लाकर कहे कि में ही सावागामि में रहने वाला चोकिची हूँ । पर हलवाई उसे कुछ कहने का अवसर दिए बिना ही बोलता चला गया । " वह जो चोकिची है , उसके आँगन में देवदार का एक पेड़ है । " 

चोकिची ने फिर कहना चाहा कि सचमुच उसके आँगन में देवदार का एक पेड़ है । पर हलवाई ने इस बार भी उसे कुछ न कहने दिया , और बोला- " मैंने सपने में उस पेड़ की जड़ खोदी , तो उसमें सोने , चाँदी और मोतियों का ढेर निकला । " 

अब चोकिची वहाँ न रुक सका । उलटे पाँव अपने गाँव की ओर लौट चला । घर पहुँचते ही उसने कुल्हाड़ी उठाई और आँगन में उगे हुए पुराने , विशाल देवदार वृक्ष की जड़ को खोदना आरंभ कर दिया । 

सचमुच उसके नीचे से सोने , चाँदी और मोतियों का एक ढेर निकला । यह खजाना चोकिची के पूर्वजों ने गाड़ रखा था । चोकिची अब बहुत धनी व्यक्ति बन गया । उसने अपना शेष जीवन दूसरों की भलाई करने में लगा दिया ।

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