रोमांचक यात्रा की कहानी | the secret of twenty balloons

बीस गुब्बारों का क्या रहस्य था


एक और बीस वानी कुल इक्कीस गुब्बारों की कहानी है यह अमरीका के सान फ्रांसिस्को नगर में रहते थे प्रोफेसर विलियम वाटरमेन शरमन । बच्चों को पढ़ाया करते थे । उनका अपना और कोई न था । रिटायर हुए तो उन्होंने सोचा ' दुनिया की सैर की जाए । ' 

प्रोफेसर ने एक बहुत बड़ा गुब्बारा बनवाया । उसके नीचे बांस की बनी एक झोंपड़ी रहने के लिए लटका दी गई । फिर उसमें जरूरत का सामान रखा । अकेले ही यात्रा पर निकल पड़े । प्रोफेसर का इरादा दुनिया की परिक्रमा करने का था , पर तीन सप्ताह बाद ही एक जलवान के कप्तान ने प्रोफेसर को अंघमहासागर में हाथ - पैर मारते हुए पाया । पास ही में बीस गुब्बारे भी तैर रहे थे । 

अजीब बात थी । वाटरमैन तो एक गुब्बारे में बैठकर उड़े थे , फिर ये बीस गुब्बारे कहाँ से आ गए थे ? यह क्या पहेली थी ? जहाज पर प्रोफेसर का इलाज हुआ । खूब आदरपूर्वक रखा गया था उन्हें । जहाज के कप्तान ने पूछा- " प्रोफेसर वाटरमैन , क्या आप अपनी यात्रा के अनुभव सुनायेंगे । "

एकदम नहीं , कभी नहीं । मैं अपनी कहानी सान फ्रांसिस्को पहुँचकर ही सुनाऊँगा , क्योंकि वहाँ के अमरीकी खोज यात्रा क्लब ने ही मेरी यात्रा की व्यवस्था की थी । प्रोफेसर दुखी होकर बोल पड़ा । इस समस्या को लेकर कप्तान पर बहुत गुस्सा आ जाता है , परन्तु कर भी क्या सकता था , चुप-चाप सा रह जाता है । इधर , संसार भर के अखबारों में प्रोफेसर वाटरमैन के बारे में तरह - तरह की खबरें छपने लगीं । 

जहाज प्रोफेसर को लेकर न्यूयार्क पहुँचा । नगर के मेयर ने प्रोफेसर का स्वागत किया । उनकी रोमांच यात्रा के बारे में पूछा , पर प्रोफेसर ने उसे भी कुछ नहीं बताया । अमरीका के राष्ट्रपति ने प्रोफेसर के लिए अपनी रेलगाड़ी भेज दी । प्रोफेसर सान फ्रांसिस्को की ओर चल दिए । पूरे देश में प्रोफेसर वाटरमैन की रोमांचक यात्रा के बारे में जानने की उत्सुकता थी । 

सान फ्रांसिस्को नगर में वाटरमैन के स्वागत की तैयारी की गई । जगह - जगह रंग - बिरंगे गुब्बारे लटका दिये गये । कुछ लोगों ने वाटरमैन को स्टेशन से क्लब तक लाने के लिए गुब्बारा बग्घी बनाई । उसमें घोड़े जुड़े थे । और पहियों के साथ बड़े - बड़े गैस के गुब्बारे लगे थे । इस कारण बग्धी सड़क से कुछ ऊपर , हवा में तैरती हुई - सी चलती थी । 

लेकिन प्रोफेसर को गुब्बारा बग्घी में नहीं लाया जा सका । न जाने कैसे एक गुब्बारा फूट गया । बग्धी का संतुलन बिगड़ गया । वह सड़क पर आ गिरी घोड़े जीन तुड़ाकर भाग गए । खैर , प्रोफेसर वाटरमैन सही - सलामत नगर में आ पहुँचे । रंग बिरंगे छोटे - बड़े गुब्बारों से अपना ऐसा स्वागत देखकर वह बहुत खुश हुए । 

फिर उन्होंने अपनी रोमांचक यात्रा की कहानी बतानी शुरू की । जब प्रोफेसर वाटरमैन गुब्बारे में बैठकर दुनिया की परिक्रमा करने लगे , तो उनके चार मित्र विदा देने आए थे । प्रोफेसर ने अपने मित्रों से कहा कि पूरे एक वर्ष तक गुब्बारे में सैर करने के बाद वापस आयेंगे । 

जमीन से बंधी रस्सियाँ कटते ही गुब्बारा बड़ी शान से आकाश में उठ गया । साने फ्रांसिस्को नगर को पार करता हुआ , प्रशांत महासागर के ऊपर जा पहुँचा | चमचमाती धूप में प्रोफेसर को चारों ओर के दृश्य बहुत लुभावने दिखाई दे रहे थे । 

जब गुब्बारा नगर के ऊपर से रहा था , तो लोगों में सनसनी फैल गई थी । कई लोग तो उधर ही भागने लगे , जिधर गुब्बारा उड़ता जा रहा था । कुछ इस भागा - दौड़ी में टकराकर घायल भी हो गये थे । प्रोफेसर वाटरमैन ने यह सब देखा था । प्रोफेसर की गुब्बारा यात्रा निर्विघ्न चल रही थी । 

चौथे दिन आकाश में बादल घिर आए । तेज बरसात होने लगी । प्रोफेसर का सामान और वह खुद बुरी तरह भीगने लगे । प्रोफेसर ने गुब्बारे को बादलों से ऊपर ले जाने की सोची । उन्होंने कुछ सामान नीचे फेंक दिया । गुब्बारे का वजन कम हुआ , तो वह झट बरसते बादलों से ऊपर उठ गया । 

अब प्रोफेसर का गुब्बारा पानी भरे बादलों के ऊपर मजे से उड़ रहा था । रात को तारों भरे आकाश को देखते हुए चाँदनी में उड़ना बहुत ही अच्छा लगता था उन्हें नीचे समुद्र जैसे चाँदी का बन जाता था । उन्होंने जूठे बरतनों को साफ करने का नया ढंग निकाला था । वह बरतनों को हुक में फैसाकर नीचे समुद्र में लटका देते । बरतन धुल जाते , तो ऊपर खींच लेते । गंदे कपड़े भी इसी तरह लटकाकर धो लेते थे । गीले कपड़े ऊपर तक आते - आते हवा में एकदम सूख जाते थे । 

एक - दो बार प्रोफेसर ने ऊपर से डोर फेंककर मछलियाँ पकड़ी , पर ऊपर खींचते समय मछलियाँ बीच में ही फिर से पानी में जा गिरीं । एक दिन उन्हें एक छोटी - सी नौका जाती दिखाई दी । प्रोफेसर वाटरमैन ने शीशा लिया और उसे चमकाकर मोर्स कोड में नौका को संदेश देने लगे । जवाब आया ' हम आपकी भाषा नहीं समझते । " 

एक बार तो वह नाराज हुए । फिर सोचने लगे ' चलो , अच्छा ही हुआ । मैंने एक वर्ष तक अकेले रहने की ठानी है । फिर किसी से भी बात करने की क्या जरूरत है ? ' यात्रा का सातवां दिन बहुत ही भयानक रहा । न जाने कहाँ से ढेर सारी समुद्री चिड़ियाँ आकर गुब्बारे के चक्कर काटने लगीं । 

उसी समय दूर एक द्वीप दिखाई दिया । प्रोफेसर ने कुछ भोजन सामग्री नीचे फेंक दी । इस तरह समुद्री चिड़ियाँ परे हट गई । लेकिन चिड़ियाँ थोड़ी ही देर बाद फिर लौट आईं । एक चिड़िया ने चोंच से गुब्बारे में सूराख कर दिया । फिर गुब्बारे के अंदर घुसकर पंख फड़फड़ाने लगी । प्रोफेसर बुरी तरह घबरा गये । गुब्बारे से हवा निकलने लगी और वह तेजी से नीचे उतरने लगा । 

उन्होंने इस संकट की तो कल्पना भी नहीं की थी । गुब्बारे में हुए छेद की मरम्मत करना मुश्किल था । उस समय प्रोफेसर वाटरमैन समुद्र के ऊपर उड़ रहे थे । वह एक - एक करके अपना सामान बाहर फेंकने लगे । उन्हें आशा थी कि इस तरह गुब्बारे का नीचे समुद्र की ओर गिरना रुक जाएगा । वह सामान फेंकते रहे , पर गुब्बारा तेजी से नीचे गिर रहा था । 

प्रोफेसर ने देखा , समुद्र में कई शार्क तैर रही थीं । अब तो वह और भी घबरा उठे । प्रोफेसर सोच रहे थे- ' मान लो अगर गुब्बारा शार्को के बीच में जाकर गिरे , तो ! ' इससे आगे सोचने की हिम्मत न हुई । बस , यही गनीमत हुई कि गुब्बारा शाकों के बीच में गिरता - गिरता रह गया । 

एक शार्क रस्सियों से लटके प्रोफेसर वाटरमैन को देखकर ऊपर उछली । उनके पैर शार्क के सिर से टकराए , पर गुब्बारा उन्हें लिए हुए द्वीप के एक पेड़ पर जा अटका । वाटरमैन की जान बच गई । गुब्बारे में बैठकर दुनिया की सैर करने का उनका सपना टूट गया था । 

बहुत ही दुखी थे बेचारे विलियम वाटरमैन शरमन । प्रोफेसर वाटरमैन का गुब्बारा जिस द्वीप पर गिरा था , वह था काराकातोआ । उस पर एक विशाल ज्वालामुखी धधक रहा था । वाटरमैन को थकान के कारण नींद आ गई । कुछ देर बाद किसी ने उन्हें जगाया । प्रोफेसर ने देखा , उनके सामने एक व्यक्ति खड़ा था । 

उसने बहुत उम्दा कपड़े पहन रखे थे । प्रोफेसर ने उसे अपना परिचय दिया । बताया कि एक समुद्री चिड़िया के कारण कैसे दुनिया की सैर का सपना टूट गया था ! - उस इन्शान ने बोला “ हमारा नाम एफ है । चलिए , हम अपने बस्ती में घुमा दू । " 

उसके साथ - साथ चलते हुए प्रोफेसर सोच रहे थे- ' कैसा विचित्र नाम है इस आदमी का ! ' एफ प्रोफेसर वाटरमैन को एक गहरी खान में ले गया । वहाँ चारों ओर बहुमूल्य हीरे बिखरे पड़े थे । - एफ ने कहा - ' प्रोफेसर , ये सारे हीरे आपके हैं , क्योंकि अब हम आपको यहाँ से कहीं नहीं जाने देंगे । '

प्रोफेसर घबराकर बोले - ' क्यों ? ' एफ ने कहा- ' इसलिए कि आपने यहाँ हीरे के भंडार देख लिए हैं । अगर आप चले गए , तो दुनिया को इस खजाने का पता चल जाएगा । यहाँ लालची लोग आने लगेंगे , तब हम यहाँ नहीं रह सकेंगे ! ' 

इसके बाद एफ प्रोफेसर वाटरमैन को अपनी बस्ती में ले गया । वहाँ बीस परिवार रहते थे । प्रोफेसर वाटरमैन उस बस्ती में रहने लगे । उन्हें वहाँ कोई तकलीफ न थी । दुनिया में कहीं कोई उनकी प्रतीक्षा भी नहीं कर रहा था । फिर भी वह उदास हो जाते । सोचते - ' क्या मै यहाँ से कभी नहीं जा सकूँगा ? ' 

एक दिन सब लोग बैठे हुए प्रोफेसर वाटरमैन से बातें कर रहे थे , तभी द्वीप की धरती कांपने लगी । एक आदमी उन सबको तुरंत जंगल में ले गया । वहाँ लकड़ी का बहुत बड़ा तख्त रखा था । उस पर बीस गुब्बारे लगे हुए थे । एफ ने प्रोफेसर से कहा " कितने दुःख की बात है कि हमें आज द्वीप से जाने की तैयारी करनी पड़ रही है । ऐसा तो कभी नहीं सोचा था । " 

फिर उसने कहा "प्रोफेसर आप चाहे यहाँ से हीरे की खदान में जा करके एक झोली हीरे लेकर चले आएँ । लेकिन ध्यान रहे संभलकर जाना और जल्दी से जल्दी वापस चले आइये । हम आपकी इन्तजार करेंगे । " प्रोफेसर हीरे की खान की तरफ दौड़ चले । पर धरती बुरी तरह काँप रही थी । वह बार - बार गिर पड़ते । आखिर उन्होंने फैसला किया कि हीरों के लालच में पड़ना ठीक नहीं । वह लौट आए । 

फिर तख्त की रस्सियाँ काट दी गई । चीस गुब्बारे उसे आकाश में ऊपर की तरफ ले चले । प्रोफेसर ने देखा , बस्ती के मकान टूट - टूटकर गिर रहे थे । धरती ऊपर - नीचे हो रही थी । गड़गड़ाहट की आवाज आ रही थी ।

फिर भी प्रोफेसर खुश थे और कराकाताओं पर रहने वाले लोग उदास । थोड़ी देर बाद ही ज्वालामुखी जोरदार आवाज के साथ फट पड़ा । द्वीप का बहुत बड़ा भाग टुकड़े - टुकड़े होकर बिखर गया । बीस गुब्बारों से बंधा लकड़ी का तख्त उड़ता रहा । नीचे से नीला समुद्र , काले पहाड़ , कितने ही हरे - भरे द्वीप गुजर गये । 

एफ ने प्रोफेसर से कहा " हम आपके साथ आपकी दुनिया में नहीं जाना चाहते । कहीं किसी निर्जन द्वीप पर उतरकर अपनी बस्ती बसायेंगे । आप चाहें तो हमारे साथ चलें या प्रोफेसर वाटरमैन ने कहा - " नहीं , नहीं , मैं अपने देश में लौटना चाहूँगा । " 

एक निर्जन द्वीप पर एफ तथा उसके सब साथी पैराशूटों के सहारे उतर गए । प्रोफेसर वाटरमैन बीस गुब्बारों के साथ अकेले यात्रा कर रहे थे । आखिर गुब्बारे फूट गए और प्रोफेसर अंघ महासागर में आ गिरे । वहीं जहाज के कप्तान ने उन्हें डूबते - उतराते पाया था । 

सारी दुनिया जान गई कि प्रोफेसर के साथ क्या घटा था और बीस गुब्बारों का क्या रहस्य था ? लोगों ने प्रोफेसर से जानना चाहा कि अब उनका क्या कार्यक्रम है ? प्रोफेसर वाटरमैन कुछ पल चुप रहे । बोले - " गुब्बारे में बैठकर दुबारा दुनिया की सैर पर निकलूँगा ।

 पूरे एक वर्ष यात्रा करूँगा । और हाँ , इस बार कोई समुद्री चिड़िया मेरे गुब्बारे में छेद नहीं कर पाएगी । उसमें चिड़ियों को पकड़ने का पिंजरा लगा रहेगा । सभी लोग  हैरानी से बुजुर्ग प्रोफेसर वाटरमैन की तरफ देखते रह गए  ।

और नया पुराने