सावन के पहले मंगलवार के दिन पार्वती जी का प्रिय मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। वर्ष 2022 में सावन मास का सुरु 14 जुलाई से हो रहा है, जो कि 12 अगस्त तक चलता रहेगा। श्रावण सोमवार को जहां भगवान शिव जी का विशेष पूजन किया जाता है, वहीं मंगलवार के दिन पार्वती जी का प्रिय मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा।
अबकी बार सावन में 4 मंगलवार पड़ रहे हैं, जिसमें सुहागिनें सभी मंगलवार को मंगला गौरी माता का व्रत रखती है उनका पूजन-अर्चन करती है। इस बार पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई से शुरू हों रहा है । तथा 26 जुलाई, 2 अगस्त, 9 अगस्त 2022 तक यह किए जाएंगे।, मां मंगला गौरी को आदि शक्ति माता पार्वती का ही मंगल रूप जाना जाता हैं। विशेष तौर पर मंगला गौरी व्रत मध्यप्रदेश, पंजाब, बिहार, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हिमाचलप्रदेश में प्रचलित हुए है।
अबकी बार सावन के पहले मंगला गौरी व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, इस वजह यह व्रत कई मायनों में बेहद खास है। ज्योतिष के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत ही शुभ योग होने के वजह इस समयावधि में किया जाने वाला पूजन सभी मनोकामना पूर्ण करने वाला अथवा सभी कार्यों में सफलता दिया करता है। साथ ही इस दिन रवि योग और सुकर्मा योग भी अबकी बार बन रहा है।
मंगला गौरी व्रत पूजन मुहूर्त :
19 जुलाई 2022 को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05.35 मिनट प्रारम्भ दोपहर 12.12 मिनट तक।
रवि योग सुबह 05.35 से दोपहर 12.12 मिनट तक।
सुकर्मा योग दोपहर 01.44 मिनट से प्रारम्भ, जो कि पूरी रात तक रहेगा।
सरल पूजा विधि-
- श्रावण मास के समय आने वाले हर मंगलवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर ।
- नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ हुए अथवा कोरे (नवीन) वस्त्र धारण कर व्रत करने की जरूरत होती है।
- मां मंगला गौरी (पार्वती जी) का एक चित्र या फिर प्रतिमा लें।
उसके बाद
- फिर निम्न मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेंवे।
मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं
पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।
अर्थात्- मैं अपने पति पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि एवं मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का संकल्प ले रही हूं।
- तत्पश्चात मंगला गौरी के चित्र या प्रतिमा को एक चौकी पर सफेद या लाल वस्त्र बिछाकर वहा स्थापित कर देते है।
- प्रतिमा के सामने ही एक घी का दीपक ( जो को आटे से बनाया हुआ हो ) जलाएं। दीपक ऐसा होने चाहिए जिसमें 16 बत्तियां बनाई जा सकें।
फिर 'कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्।
नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्
- यह मंत्र कहते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन किया करें।
- माता के पूजन के समय उनको (सभी वस्तुएं 16 की संख्या में होने की जरूरत होती है ) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां तथा मिठाई अर्पण करना चहिये। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे हुए मेवे, 7 प्रकार के अनाज धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) इत्यादि चढ़ाने का रिवाज होता है ।
उपाय-
- श्रावण मास में मंगला गौरी व्रत के तिथि श्री मंगला गौरी मंत्र- ॐ गौरीशंकराय नमः का ज्यादा से ज्यादा जाप करते रहे ।
- एक लाल रंग के कपड़े में सौंफ बांधकर अपने शयन कक्ष में रखने से बहुत बेहतर होता है । इस उपाय से इस दोषो में काफी कमी आने लगती है।
- मंगला गौरी व्रत तिथि को एक ही वक्त शुद्ध और शाकाहारी भोजन ग्रहण करने की जरूरत होती है ।
- मंगलवार तिथि को बंधुजनों को मिठाई का सेवन कराने से भी मंगल शुभ हो जाया करता है।
- एक लाल वस्त्र में मुट्ठी भर मसूर की दाल बांधकर मंगलवार के दिन कोई भिखारी को दान करने की जरूरत होती है ।
दान-सामग्री
मंगला गौरी व्रत तिथि को निम्न चीजों का दान करना जरुरी होता है अपने पहुंच के मुताबिक जैसे -
- मिठाईया
- सुहाग की सामग्री
- मसूर दाल
- गेहूं
- तांबा
- सोना
- लाल पुष्प
- लाल वस्त्र
- पूजन की सामग्री
- लाल वाला चंदन
- केसर
- कस्तूरी
- लाल बैल
- चांदी से बनी वस्तुएं जैसे पायल, बिछुड़ी, कंगन, अंगूठी कर सके तो - भूमि दान कर सकते है ।
मंगला गौरी व्रत बेहद ही लाभकारी माना गया है, यह अखंड सुहाग, संतान की रक्षा एवं संतान प्राप्ति कोई कामना रखने वाली महिलाओं के लिए भी यह व्रत बहुत मायने रखता है। यह दांपत्य जीवन की दुग्धाओं को दूर करके घर में हो रहे कलेश एवं सभी कष्टों से मुक्ति दिला देता हैं।
- पूजन के बाद मंगला गौरी की पूरी कथा सुनी जाती है।
- इस व्रत में एक ही वकत अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना करने की जरूरत होती है।
- शिवप्रिया पार्वती को खुस करने वाला यह सहज व्रत करने वालों को अखंड सुहाग अथवा पुत्र प्राप्ति का सुख मिल जाता है।
मंगला गौरी व्रत की पौराणिक कथा :
एक वक्त की बात है जब , एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी रहा करता था। उसकी पत्नी बड़ी खूबसूरत थी और उसके पास बहुत अधिक धन सम्पति थी। लेकिन उनको कोई संतान नहीं होने के कारण वे हमेशा बहुत दुखी रहा करते थे।
भगवान् की कृपा से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हो जाती है परन्तु जब अल्पायु हुआ था। उसे यह श्राप मिला था कि 16 वर्ष की उम्र में उसको सांप काटने से इसकी मौत हो जाएगी। संयोग बस उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक लड़की से हो गयी जोकि वह माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी।
उसके परिणाम स्वरूप उन्होंने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया था जिसके वजह वह कभी भी विधवा ना जीना पड़े । यही वह वजह है जिससे धरमपाल के पुत्र को 100 साल से अधिक उम्र की प्राप्ति हो गयी ।
इस वजह से सभी नवविवाहित लड़किया इस पूजा को करती रहती हैं साथ में गौरी व्रत का बखूबी पालन भी किया करती हैं और अपने लिए बहुत सारे, सुख और स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। ख़ास बात इसमें यह भी जो लड़किया उपवास का पालन नहीं कर पाती है वे भी कम से कम इस व्रत का पूजा किया करती हैं।
इनमे मानता यह भी है की इस कथा को सुनने के बाद में विवाहित लड़किया अपनी सास एवं ननद को 16 लड्डू देती है। इसके बाद उन्हें यही प्रसाद ब्राह्मण देवता को भी देने का रिवाज माना जाता है। इस विधि को पूरा करने के बाद में व्रती 16 बाती के दीये को लेकर देवी की आरती करती है इससे उन्हें सौभाय प्राप्ति होता है।
व्रत के दूसरे दिन महादेवी मंगला गौरी की मूर्ति या प्रतिमा को नदी एवं पोखर में विसर्जित कर दिया जाता है। उसके बाद मां गौरी के सामने दोनों हाथ जोड़कर अपने जीवन में घटे पुरे अपराधों के लिए एवं पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांग लेना चाहिए । इस व्रत को परिवार की खुशिया प्राप्ति के लिए लगातार 5 वर्षों तक करने का रिवाज है।
अत: शास्त्रों की माने तो यह मंगला गौरी व्रत नियम अनुसार करने से हर एक उस ब्यक्ति के वैवाहिक जीवन सुख को बढ़ाने और बेहतर करने के लिए होता है पुत्र-पौत्रादि भी अपना जीवन सुखी पूर्वक गुजारा किया करते हैं, इसलिए इस व्रत की महिमा जीवन भर चलती रहेगी