आपके लिए शुभ योग में शुरू होगा सावन का पहला सोमवार'श्रावणे पूजयेत शिवम्' के नियम अनुसार सावन के महीनें में भगवान शिव की पूजा का बहुत ख़ास महत्व बतलाया जाता है। इस महीने के प्रारम्भ होते ही शिव भक्त कावरिया के लिए हरिद्वार, ऋषिकेश, गौमुख से गंगाजल भरकर नंगे पैर दौड़ते हुए एवं बम-बम भोले का उद्घोष करते हुए बेहद खूबसूरत नजारा लगता हैं।
छड़ी मुबारक, अमरनाथ यात्रा, रक्षा बंधन नित्य रूद्राभिषेक, सोमवार व्रत अथवा शिव चौदस को कावड़ जलाभिषेक मंगला गौरी व्रत, हरियाली तीज और नागपंचमी इत्यादि ऐसे साक्ष्य हैं, जोकि इसे शिवराधना का महीना सिद्ध होता हैं। इस माह में घर में पार्थिवेश्वर या नर्मदेश्वर के लिंग पर पूजा करने जरूरत होती है । मंदिर में भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी सहित शिवपंचायत की पूजा अर्चना करने का विधान होता है। पूजा के समय गंगाजल से शिवजी का जलाअभिषेक सबसे बेहतर माना जाता है।
शुभ योग के साथ पहला सोमवार
सावन मास का पहला सोमवार 18 जुलाई को है और इस दिन रवि नामक योग पड़ रहा है। इस योग में मनोकामना सिद्धि के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप और शिव पुराण का पाठ बेहद लाभकारी रहेगा। साथ ही रवि योग में शिव परिवार की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। शुभ योग में सावन के पहले सोमवार वाले तिथि को भगवान शिव को कच्चा दूध और गंगाजल और बाकी ऐ सारी औसधि चढ़ाये बेलपत्र, काले तिल, धतूरा, बेलपत्र, मिठाई इत्यादि अर्पित करना बेहतर होता है और विधिवत पूजा अर्चना करने की जरूरत होती है ।
अलग-अलग चीजों से अभिषेक का महत्व
शिव पुराण में कई चीजों से भगवान शिव के अभिषेक करने का लाभ बताया गया है।यह भी बताया गया कि किन चीजों से अभिषेक के क्या लाभ होते हैं। मसलन, जलाभिषेक से सुवृष्टि, कुशोदक से दुखों का नाश हो जाता है, गन्ने के रस से धन लाभ होता है , शहद से अखंड पति सुख हो जाता है, कच्चे दूध से पुत्र सुख मिलता है , शक्कर के शर्बत से वैदुष्य हो जाता है, सरसों के तेल से शत्रु का नाश हो जाया करता है और घी के अभिषेक से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है।
पूजा का समय और मंत्र
भगवान शिव की पूजा का सर्वश्रेष्ठ काल-प्रदोष समय माना जाता है। किसी भी दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले और एक घंटा बाद के समय को प्रदोषकाल होता हैं। सावन में त्रयोदशी, सोमवार और शिव चैदस प्रमुख होता हैं। भगवान शंकर को भष्म, लाल चंदन, रुद्राक्ष, आक के फूल, धतूरे का फल, बेलपत्र और भांग बहुत प्रिय होते हैं। उनकी पूजा वैदिक, पौराणिक या नाम मंत्रों से की जाने की जरूरत होती है।
सामान्य व्यक्ति ऊँ नमः शिवाया या ऊँ नमो भगवते रुद्राय मंत्र से शिव पूजन और अभिषेक करना बेहद फायदेमंद होता हैं। उसके साथ शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करें। हिमाचल की पुत्री पार्वती देवी ने सावन में ही भगवान शंकर को पाने के लिए कठोर तपस्या किया था । इस महीने का संबंध समुद्र मंथन के समय से हुई है उस भावनात्मक घटना से भी जोड़ी जाती है,
जब आदिनाथ भगवान शंकर ने समस्त प्रकृति और चराचर जगत को लबालब विष से बचाने के लिए अपने कंठ में धारण कर लिया था। शास्त्रों में शिव की आराधना को 'आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं' कहकर संबोधित किया गया था । यानी शिव और शक्ति क्रमशः आत्मा व मति के रूप में विराजमान न भी होकर मेरे शरीर को पूर्णता प्रदान करें।
सावन का पहला सोमवार- दिन-तारिक 18/07/2022
सावन का दूसरा सोमवार - दिन-तारिक 25/07/2022
सावन का तीसरा सोमवार - दिन-तारिक 01/08/2022
सावन का चौथा सोमवार - दिन-तारिक 08/08/2022