Lokmany Bal Gangadhar Tilk Ki Jayanti: बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य क्यों कहा जाता है?

बाल गंगाधर तिलक का जन्म कब और कहाँ हुआ था?


 लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती,Birth anniversary of Lokmanya Bal Gangadhar Tilak

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में बाल गंगाधर तिलक का नाम बड़े ही मान सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने हमारे देश को अंग्रेजों की गुलामी से छुटकारा दिलाने में वे  महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

स्वतंत्रता आंदोलन में तिलक की भूमिका का खुलकर 

उल्लेख करें


लोकमान्य तिलक का स्वतंत्रता आन्दोलन में अतुलनीय योगदान रहा है। उन्होंने अपना जीवन का हर एक पल  राष्ट्र के नाम समर्पित कर क्रांतिकारियों की एक वैचारिक सिढ़िया तैयार कर दी । उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध स्वराज्य की आवाज बुलंद कर दी और "स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, और मैं इसको लेकर ही रहूँगा" के नारे से देश में साहस व विश्वास जगा दिया ।


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बाल गंगाधर तिलक का नारा क्या है?


लोकमान्य तिलक ब्रिटिश राज के समय स्वराज के सबसे पहले अथवा मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी भी सिद्ध हुए थे। उन्होंने मराठी भाषा में दिया था यह  नारा (स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच) "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम उसे लेकर ही दम लूंगा" यह नारा  बहुत ही प्रसिद्ध हो गया था ।


बाल गंगाधर तिलक का दूसरा नाम क्या है? 


एक मान्यता  है 


 लोकमान्य बाल गंगाधर का असली नाम केशव गंगाधर तिलक हुआ करता था। उनका जन्म 23 जुलाई 1856 को रत्नागिरी, महाराष्ट्र में हुआ था। वे  ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे तिलक के माता का नाम पार्वती बाई गंगाधर था और उनके पिता का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था। वे एक स्कुल में संस्कृत टीचर थे।


तिलक स्वराज फंड क्या है?


असहयोग आंदोलन के लिए जब एक साल के अंदर  एक करोड़ रुपये एकट्ठा करने का लक्षय रखा गया हुआ था तो गांधी जी ने तिलक की पुण्यतिथि पर कोष को नाम दे दिया तिलक स्वराज फंड। देश की जनता तिलक का बहुत मान स्म्मान करती थी और उन सभी ने जितना बन सका उतना फंड दिया। तिलक के जनता पर प्रभाव के वजह ही यह असंभव सा दिखने वाला लक्षय संभव हो गया था ।

जन्म : 23 जुलाई 1856

मृत्यु : 1 अगस्त 1920

बाल गंगाधर तिलक का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि के चिक्कन गांव में जन्‍म हुआ था। उनके पिता गंगाधर रामचंद्र तिलक एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे। अपने परिश्रम के बल पर शाला के मेधावी छात्रों में बाल गंगाधर तिलक की गिनती हुआ करती थी। वे पढ़ने के साथो-साथ प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम भी किया करते थे अतः उनका शरीर स्वस्थ और पुष्ट भी था।

 बाल गंगाधर तिलक के सामाजिक विचार

सन्‌ 1879 में उन्होंने बीए अथवा कानून की परीक्षा में वो उत्तीर्ण हुए । उनके घर वाले और मित्र-संबंधी यह आशा किया करते थे कि तिलक वकालत करके धन कमाएंगे और वंश के गौरव को आगे बढ़ाएंगे, परंतु तिलक ने शुरुआत से ही उन्होंने कैसे एक जनता की सेवा का व्रत धारण कर लिया हुआ था। परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद में उन्होंने अपनी सेवाएं पूरे रूप से एक शिक्षण संस्था के निर्माण को दे दिया । 

बाल गंगाधर तिलक ने कौन से स्कूल की स्थापना की 

सन्‌ 1880 में न्यू इंग्लिश स्कूल और कुछ ही साल बाद फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना कर दी । वे भारत के एक रहनुमाई करनेवाला नेता, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वे पहले लोकप्रिय लीडर हुआ करते थे। उन्होंने  सबसे पहले ब्रिटिश राज के समय में पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी । 

बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य क्यों कहा जाता है?

लोकमान्य तिलक ने जनजागृति का कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव अथवा शिवाजी उत्सव सप्ताह भर मनाना सुरु किया। इन सभी त्योहारों के माध्यम से जनता के अंदर देश भक्ति और अंग्रेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस उभर गया। सच्चे जननायक तिलक को लोगों ने आदर से लोकमान्य की पदवी दे दिया था । 


तिलक के इस क्रांतिकारी कदमों से अंग्रेज एकदम बौखला गए फिर उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाकर 6 साल के लिए 'देश निकाला' का दंड दे दिया था और उन्हें बर्मा के मांडले जेल भेज देते है । 

जेल में रहकर लोकमान्य तिलक ने कौन सी ग्रंथ की रचना की?

इस बीते समय में तिलक ने गीता का अध्ययन कर डाला और 'गीता रहस्य' नामक भाष्य भी लिख दिया । तिलक के जेल से छूटने के बाद जब उनका लिखा हुआ  'गीता रहस्य' प्रकाशित हुआ तो उसका प्रचार-प्रसार बवंडर के जैसे बढ़ा और जनमानस उससे अत्यधिक आंदोलित हो गया ।  तिलक ने मराठी में 'मराठा दर्पण' अथवा  'केसरी' नाम से दो दैनिक समाचार पत्र जारी किए, जो जनता में बहुत  लोकप्रिय हो गई ।

 बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु कब और कैसे हुई?

जिसमें तिलक जी ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता एवं भारतीय संस्कृति के प्रति हीनभावना की खूब आलोचना की। ऐसे वीर लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक का निधन मुंबई में 1 अगस्त 1920 को हो गया था ।


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