अन्वाधान अमावस्या का पर्व जिससे आप होंगे खूब लाभ जानें: इसके महत्व | what is anvadhan

 


Anvadhan: वैष्णव सम्प्रदाय के लिए अन्वाधान बेहद ही महत्वपूर्ण दिन के रूप में माना जाता है। वैष्णब सम्प्रदाय विष्णु भगवान के भक्त हुआ करते हैं। यह तिथि शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के तिथि में मनाई जाती है। और कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि को भी यह मनाई जाती है।


अन्वाधान पर्व का महत्व या लाभ।


1. अन्वाधान अमावस्या का ख़ास महत्व पितृ पूजन के लिए भी होता  है।


2. अन्वाधान अमावस्या की  पूजा, याचना  के बाद मांगी हुई हर एक कामना पूरी हो जाती है।


आज का दिन पितृ के लिए बेहतर दान पुण्य की परंपरा के लिए भी माना जाता है।  की आज के दिन दिए गए दान पूर्ण रूप से पिता के आत्मा तक पहुंच जाती है। इसलिये अन्वाधान अमावस्या की पूजा को संपन्न करने की जरूरत होती है जिससे हमरे घर आगन में सुख समृद्धि विखरने लगती है सभी खुशहाल जीवन जीने लगते है।.


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today is अन्वाधान, इस दिन वैष्णव सम्प्रदाय करता है भगवान विष्णु की पूजा


Anvadhan: वैष्णव सम्प्रदाय के लिए अन्वाधान बहुत ही ख़ास दिन माना गया है। वैष्णब सम्प्रदाय विष्णु जी के भक्त हुआ करते हैं। यह तिथि शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाने की परम्परा होती है। इसके साथ ही कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन को भी यह मनाई जाती है। ऐसे में यह दिन एक महीने में एक नहीं दो बार आती है। आज शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के रूप में इसे जानते है इसलिए आज के दिन अन्वाधान मनाया जा रहा है। तो चलिए सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर अन्वाधान क्या होता है।


क्या होता है अन्वाधान:


संस्कृत में अन्वाधान का अर्थ अग्निहोत्र (Havan and Homam) करने के लिए पवित्र अग्नि को जलाने के लिए ईंधन जोड़ने की एक रस्म है। अगर आग कम पड़ जाती है तो यह ठीक संकेत नहीं माना जाता है। इसलिए इसे ध्यान रखने की जरूरत होती है कि हवन के बाद आग जलती रहे। इस तिथि को, वैष्णव सम्प्रदाय से संबंधित लोग उपवास किया करते हैं। कई लोग अन्वाधान और इशिता का नाम सुनकर उस असमंजस में पड़ जाते हैं। उन्हें यह लगता है कि यह दोनों एक ही त्योहार होता है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। ये दोनों अलग-अलग त्यौहार होते हैं। मूल रूप से ये दोनों हिंदू कैलेंडर में दोनो अलग-अलग त्योहार होते हैं। अन्वाधान के मौके पर सभी लोग एक-दूजे को बधाई भी दिया करते हैं।


इशिता की बात करें तो ये अन्वाधान के आने वाले अगले दिन मनाई जाती है। वैष्णु व समाज के लोग यह मानते हैं कि अगर अन्वाधान और इशिता के तिथि उपवास किया जाए तो इसमें सभी को शांति और समृद्धि की प्राप्त हो जाती है। साथ ही इससे व्यक्ति की इच्छाओं की भी पूर्ति हो जाती है।



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