हिन्दू पंचांग की मान्यता अनुशार श्रावण मास में आने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या भी कहा जाता है, क्युकी इसी मास से सावन महीने की शुरुआत हो जाती है इस नाते इसको हरियाली अमावस्या भी कहा करते हैं। प्रत्येक अमावस्या की जैसा ही श्रावणी अमावस्या पर भी पितरों के शांति के लिए पिंडदान अथवा दान-धर्म करने का महत्व माना जाता है।
श्रावण अमावस्या 2022
2022 में श्रावण अमावस्या कब है?
28
जुलाई, 2022 (गुरुवार)
श्रावण अमावस्या मुहूर्त ,
जुलाई 27, 2022 में 21:13:42 से अमावस्या सुरु होगा
जुलाई 28, 2022 को 23:26:14 पर अमावस्या समापन होगा
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श्रावण अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म
सावन महीने में बारिश के आगमन होने वजह से धरती का कोना-कोना हरा-भरा होकर खिल जाता है। और श्रावण अमावस्या पर सभी पेड़-पौधों को नया जीवन मिल जाया करता है और उन सभी पौधों के वजह से ही मानव जीवन सुरक्षित रहा करता है, इसलिए प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व होता है। इन दिनों किये जाने वाले धार्मिक कर्म कुछ इस प्रकार हैं-
● इन दिनों नदी, जलाशय या कुंड इत्यादि में स्नान करना चाहिए और सूर्य देवता को अर्घ्य दे देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण कर दे ।
● पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करना बेहतर होता है और फिर किसी गरीब व्यक्ति को दक्षिणा के रूप में दान दें।
● इस तिथि को पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती है और इसके फेरे भी लिये जाते हैं।
● हरियाली अमावस्या पर पीपल, बरगद, तुलसी,केला, नींबू, आदि का वृक्षारोपण करना बहुत शुभ माना जाता है। यह इसलिए क्योंकि इन वृक्षों में देवताओं का वास भी माना जाता है।
● वृक्षारोपण के लिये बेहतर मौके उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा,रोहिणी,उत्तरा भाद्रपदा, मृगशिरा,रेवती, चित्रा,विशाखा,अनुराधा, मूल, पुष्य, श्रवण, अश्विनी, हस्त, इत्यदि नक्षत्र श्रेष्ठ व शुभ फलदायी जाने जाते हैं।
● किसी नदी या फिर तालाब में जाकर मछलीओ को आटे की गोलियां खिलाएं अपने मकान के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाने के लिए छिट दिया करें ।
● सावन हरियाली अमावस्या वाले दिन हनुमान जी के मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत फलदाई माना जाता है । इसके साथ ही हनुमान जी को सिंदूर एवं चमेली का तेल चढ़ाना ना भूले ।
श्रावण अमावस्या का महत्व
धार्मिक एवं प्राकृतिक महत्व की कारण से ही श्रावण अमावस्या बड़ा लोकप्रिय होता है। दरअसल इस तिथि को वृक्षों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने होते है इसलिए इसे हरियाली अमावस्या के तौर पर माना जाता है। वहीं पर धार्मिक दृष्टिकोण से इस तिथि को पितरों का पिंडदान अथवा अन्य दान-पुण्य संबंधी कार्य करने का भी रिवाज खूब प्रचलित हैं।