गुरुवार का व्रत करने से बृहस्पति प्रसन्न होते हैं। यह व्रत बहुत ही फलदायी होता है। अग्निपुराण के अनुसार गुरुवार से अनुराधा नक्षत्र से शुरू होकर 7 गुरुवार का व्रत करने से बृहस्पति ग्रह की हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
गुरुवार व्रत कथा: यह प्राचीन काल की बात है। एक कस्बे में एक बड़ा व्यापारी रहता था। वह जहाजों में माल भेजकर दूसरे देशों में भेजता था। जिस प्रकार से वह अधिक धन कमाता था, वह खुलकर दान करता था, लेकिन उसकी पत्नी बहुत कंजूस थी। वह किसी को एक पैसा भी नहीं देने देती थी।
एक बार जब सेठ दूसरे देश में व्यापार करने गया तो बृहस्पतिदेव ने एक ऋषि के वेश में अपनी पत्नी से भिक्षा मांगी। व्यापारी की पत्नी ने बृहस्पति देव से कहा, हे साधु महाराज, मैं इस दान और पुण्य से तंग आ गया हूं। कृपया कोई ऐसा उपाय सुझाएं जिससे मेरा सारा धन नष्ट हो जाए और मैं आराम से रह सकूं। मैं इस पैसे को बर्बाद होते नहीं देख सकता।
Padma Ekadashi vrat: यह पद्मा एकादशी व्रत देता है सुख और सौभाग्य जानें कथा
बृहस्पति देव ने कहा, हे देवी, आप बहुत अजीब हैं, बच्चों और धन के कारण, एक दुखी है। धन अधिक हो तो शुभ कार्यों में लगाएं, अविवाहित कन्याओं का विवाह कराएं, विद्यालय व उद्यान बनवाएं। ऐसे पुण्य कर्म करने से आपका संसार और परलोक सार्थक हो सकता है, लेकिन व्यापारी की पत्नी ऋषि के इन वचनों से खुश नहीं थी। उन्होंने कहा- मुझे ऐसे पैसों की जरूरत नहीं है, जो मैं दान कर दूं।
तब बृहस्पति देव ने कहा, 'यदि आपकी ऐसी इच्छा है, तो आपको उपाय करना चाहिए। सात गुरुवार को घर में गाय के गोबर से मलना, अपने बालों को पीली मिट्टी से धोना, बाल धोते समय नहाना, व्यापारी को दाढ़ी बनाने के लिए कहना, खाने में मांस और शराब खाना, अपने घर में कपड़े धोना। ऐसा करने से आपका सारा पैसा बर्बाद हो जाएगा। यह कह कर बृहस्पति देव उत्सुक हो गए।
व्यापारी की पत्नी ने बृहस्पति देव के निर्देशानुसार सात गुरुवार को ऐसा ही करने का फैसला किया। केवल तीन गुरुवार थे कि सभी समान संपत्ति और संपत्ति नष्ट हो गई और वह उसके बाद चली गई। जब व्यापारी वापस आया तो उसने देखा कि सब कुछ नष्ट हो चुका था। व्यापारी ने अपनी बेटी को सांत्वना दी और दूसरे शहर में बस गया। वहाँ वह जंगल से लकड़ियाँ काट कर नगर में बेच देता था। इस तरह वह अपना जीवन जीने लगा।
एक दिन उनकी बेटी ने दही खाने की इच्छा जताई लेकिन व्यापारी के पास दही खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। उसने अपनी बेटी को आश्वासन दिया और जंगल में लकड़ी काटने चला गया। वहां एक पेड़ के नीचे बैठकर वह अपनी पुरानी हालत देखकर रोने लगा। वह दिन गुरुवार था। तब बृहस्पति देव ऋषि के रूप में सेठ के पास आए और कहा, 'हे मनुष्य, तुम इस जंगल में चिंता क्यों कर रहे हो?'
तब व्यापारी ने कहा, 'हे मेरे प्रभु, तू सब कुछ जानता है।' यह कहकर व्यापारी अपनी कहानी सुनाकर रोने लगा। बृहस्पति देव ने कहा 'देखो बेटा, तुम्हारी पत्नी ने बृहस्पति देव का अपमान किया था, इसलिए तुम्हारे साथ ऐसा हुआ है, लेकिन अब किसी बात की चिंता मत करो। गुरुवार के दिन आपको बृहस्पति देव का पाठ करना चाहिए। दो पैसे चना और गुड़ लेकर एक पानी की बोतल में चीनी डालकर उस अमृत और प्रसाद को अपने परिवार के सदस्यों और कथा सुनने वालों में बांट दें। प्रसाद और चरणामृत स्वयं लें। भगवान निश्चित रूप से आपको आशीर्वाद देंगे।'
साधु की बात सुनकर व्यापारी ने कहा, 'महाराज। मेरे पास इतना भी नहीं बचा है कि मैं अपनी बेटी के लिए दही ला सकूं। इस पर साधु ने कहा, 'अगर आप शहर में लकड़ी बेचने जाएंगे तो आपको लकड़ी की कीमत का चार गुना मिलेगा, जिससे आपका सारा काम हो जाएगा।'
उसने लकड़ी काटी और उसे बेचने के लिए शहर गया। उसकी लकड़ी अच्छी कीमत पर बिक गई, जिसके कारण उसने अपनी बेटी के लिए दही लिया और गुरुवार की कथा के लिए चना, गुड़ लिया और प्रसाद बांटकर खुद खा लिया। उस दिन से उसकी सारी मुश्किलें दूर होने लगीं, लेकिन अगले गुरुवार को वह कहानी करना भूल गया।
अगले दिन राजा ने एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया और पूरे शहर के लोगों के लिए एक भोज का आयोजन किया। राजा के आदेशानुसार सारा नगर राजा के महल में भोज करने गया। लेकिन व्यापारी और उसकी बेटी थोड़ी देर से पहुंचे, इसलिए राजा उन दोनों को महल में ले गया और उन्हें खिलाया। जब वे दोनों लौटे तो रानी ने देखा कि उसका खूंटी से लटका हुआ हार गायब था। रानी को व्यापारी और उसकी बेटी पर शक था कि उन दोनों ने उसका हार चुरा लिया है। राजा के आदेश से उन दोनों को कारागार की कोठरी में बंदी बना लिया गया। कैद में पड़ने के बाद दोनों बहुत दुखी थे। वहां उन्होंने भगवान बृहस्पति का स्मरण किया।
बृहस्पति देव प्रकट हुए और व्यापारी को अपनी गलती का एहसास कराया और उसे सलाह दी कि गुरुवार को आपको जेल के दरवाजे पर दो पैसे मिलेंगे और आपको चना और सूखे अंगूर मांगकर बृहस्पति देवता की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगे।
गुरुवार को उसे जल के प्रवेश द्वार पर दो पैसे मिले। एक महिला बाहर सड़क पर जा रही थी। व्यापारी ने उसे बुलाया और गुड़ और चना लाने को कहा। इस पर महिला ने कहा 'मैं अपनी बहू के लिए गहने लाने जा रही हूं, मेरे पास समय नहीं है।' यह कहकर वह चली गई। थोड़ी देर बाद वहाँ से एक और औरत निकली, व्यापारी ने उसे बुलाकर कहा कि दीदी, मुझे गुरुवार की कहानी बतानी है। तुम मेरे लिए दो पैसे का गुड़ और चना लाओ।
बृहस्पति देव का नाम सुनकर स्त्री बोली, 'भैया, अब मैं तुम्हारे लिए गुड़ और चना ला रही हूं। मेरा इकलौता बेटा मर गया, मैं उसके लिए कफन लेने जा रहा था, लेकिन मैं पहले तुम्हारा काम करूँगा, फिर मैं अपने बेटे के लिए कफन लाऊँगा।'
महिला बाजार से गुड़ और चना व्यापारी के पास ले आई और खुद भी बृहस्पति देव की कथा सुनी। कहानी के अंत में महिला कफन लेकर अपने घर चली गई। घर पर लोग 'राम नाम सत्य है' कहकर उनके बेटे के शव को श्मशान ले जाने की तैयारी कर रहे थे। महिला ने कहा 'मुझे अपने लड़के का चेहरा देखने दो।' अपने बेटे का चेहरा देखकर महिला ने उसके मुंह में प्रसाद और चरणामृत डाल दिया। उन्हें प्रसाद और चरणामृत के प्रभाव से पुनर्जीवित किया गया था।
पहली महिला जिसने बृहस्पति देव का अपमान किया था, जब वह अपने बेटे की शादी के लिए बहू के लिए गहने लेकर लौटी, और जैसे ही उसका बेटा घोड़ी पर बैठा बाहर आया, घोड़ी इस तरह से कूद गई कि वह घोड़ी से गिरकर मर गया। यह देख महिला रोने लगी और बृहस्पति देव से माफी मांगने लगी।
उस महिला के अनुरोध पर, बृहस्पतिदेव एक ऋषि की आड़ में वहां पहुंचे और 'देवी' कहने लगे। आपको अब और शोक करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा बृहस्पति देव के अनादर के कारण हुआ है। तुम वापस जाओ और मेरे भक्त से क्षमा माँगकर कथा सुनो, तभी तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी।'
जेल जाकर महिला ने व्यापारी से माफी मांगी और कहानी सुनी। कथा के बाद वह प्रसाद और चरणामृत लेकर अपने घर वापस चली गई। घर आकर उन्होंने अपने मृत पुत्र के मुंह में चरणामृत डाल दिया। चरणामृत के प्रभाव से उनका पुत्र भी जीवित हो गया। उस रात, बृहस्पतिदेव राजा के सपने में आए और कहा, 'हे राजा। आपने जिस व्यापारी और उसकी बेटी को जेल में कैद किया है, वह बिल्कुल निर्दोष है। वहाँ खूंटी पर तुम्हारी रानी का हार लटका हुआ है।'
जब दिन आया तो राजा और रानी ने हार को खूंटी पर लटका हुआ देखा। राजा ने व्यापारी और उसकी बेटी को रिहा कर दिया और उन्हें आधा राज्य दिया और अपनी बेटी को एक उच्च परिवार में शादी करके दहेज में हीरे और गहने दिए।
गुरुवार का व्रत कब और कैसे करें (guruvaar ka vrat kab aur kaise karen)
गुरुवार का व्रत हर हफ्ते किसी भी गुरुवार को किया जा सकता है। इस व्रत को करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
स्नान: गुरुवार के दिन सुबह उठकर स्नान करें।
पूजा: गुरुदेव की पूजा के लिए फूल, दीपक, धूप और नैवेद्य का उपयोग करें।
व्रत कथा: गुरुवार के व्रत के दिन व्रत कथा का पाठ करें। इससे आपको शांति मिलती है और आपके मन में शुभ विचार आते हैं।
जप: गुरुवार के दिन गुरु मंत्र का जप करें।
दान: गुरुवार के दिन दान देने से बहुत बड़ा पुण्य मिलता है।
फलाहार: गुरुवार के दिन फलाहार खाने से आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में लाभ मिलता है।
सफ़ाई: गुरुवार के दिन अपने घर की सफ़ाई करें और उसमें सुधार करें।
ब्रह्मचर्य: गुरुवार के दिन ब्रह्मचर्य बनाए रखें।
गुरुदेव का ध्यान: गुरुवार के दिन गुरुदेव का ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद लें।
गुरुवार व्रत नियम (guruvaar vrat niyam)
गुरुवार व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो गुरुवार के दिन मनाया जाता है। इस व्रत को करने से गुरुदेव की कृपा मिलती है और जीवन में सफलता आती है। यहां गुरुवार व्रत के नियम दिए गए हैं:
गुरुवार के दिन सुबह उठकर स्नान करें।
गुरुदेव के समक्ष जल अर्पित करें और गुरुदेव की आराधना करें।
गुरुदेव के उपासना के लिए ध्यान करें और मंत्र जप करें।
गुरुदेव के नाम का जप करें।
गुरुदेव के चरणों में प्रणाम करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
गुरुदेव के भक्तों की सेवा करें और उनकी मदद करें।
दिनभर गुरुदेव के नाम का स्मरण करते रहें।
रात्रि में गुरुदेव के समक्ष आरती करें।
इस दिन नमकीन और दूध के अलावा अन्य कुछ नहीं खाएं और व्रत का पालन करें।
इस व्रत को संपूर्ण विधि से पूरा करें।
यहां उपरोक्त नियमों का पालन करते हुए गुरुवार व्रत किया जाता है। यह व्रत गुरुदेव की कृपा को प्राप्त करने के लिए किया जाता हैं.
गुरुवार व्रत कितने करने चाहिए (guruvaar vrat kitane karane chaahie)
गुरुवार व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो गुरुवार के दिन मनाया जाता है। यह व्रत गुरुदेव की कृपा को प्राप्त करने में मदद करता है और जीवन में सफलता लाता है। इस व्रत को हमेशा एक नियमित रूप से करना चाहिए।
वास्तव में, गुरुवार व्रत की संख्या किसी भी धर्म या आध्यात्मिक परंपरा के अनुसार नहीं होती है। हालांकि, अधिकांश लोग इस व्रत को हर गुरुवार के दिन मनाने की सलाह देते हैं। इस व्रत को स्वयं को और अपने आसपास के लोगों के लिए एक सकारात्मक संस्कार बनाने के लिए व्यक्तिगत रूप से नियमित रूप से करना चाहिए।
अधिकतर लोग हर गुरुवार को इस व्रत का पालन करते हुए गुरुदेव की पूजा-अर्चना करते हैं और गुरुदेव के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं। यदि आप गुरुवार व्रत को नियमित रूप से करते हैं, तो इससे आपको आध्यात्मिक और मानसिक रूप से फायदा मिलेगा।
गुरुवार व्रत में क्या खाना चाहिए (guruvaar vrat mein kya khaana chaahie)
गुरुवार व्रत में आमतौर पर सात्विक भोजन खाया जाता है जो आपके शरीर और मन दोनों के लिए शुद्ध एवं सकारात्मक होता है। गुरुवार के व्रत में आपको निम्नलिखित चीजें खाने की सलाह दी जाती है:
फल और फलों का जूस: गुरुवार व्रत में आपको फल और फलों का जूस खाना चाहिए। आप एक फल का सेवन कर सकते हैं या फिर फलों का जूस पी सकते हैं। फल और फलों का जूस शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और मस्तिष्क को ताजगी देता है।
दाल और सब्जियां: गुरुवार व्रत में आपको दाल और सब्जियां खाना चाहिए। ये आपको पौष्टिकता प्रदान करते हैं और शरीर को ताकत देते हैं।
दूध और पनीर: गुरुवार व्रत में दूध और पनीर भी खाया जा सकता है। ये आपके शरीर के लिए प्रोटीन के स्रोत होते हैं और आपको ऊर्जा देते हैं।
सैंडविच और सलाद: आप सैंडविच और सलाद खा सकते हैं जो बहुत ही स्वस्थ होता है। इनमें फल और सब्जियों की अधिक मात्रा होती है जो शरीर के लिए बेहद लाभदायक होते हैं.
गुरुवार व्रत के लाभ (guruvaar vrat ke laabh)
गुरुवार व्रत विष्णु भगवान को समर्पित होता है और इस व्रत का पालन करने से मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
अध्ययन में सफलता: गुरुवार व्रत का पालन करने से विद्यार्थी को अध्ययन में सफलता मिलती है और उन्हें नई ज्ञान की प्राप्ति होती है।
धन की प्राप्ति: गुरुवार व्रत का पालन करने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है और उन्हें आर्थिक स्थिति में सुधार मिलता है।
स्वास्थ्य सुधार: गुरुवार व्रत का पालन करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य सुधार होता है और उन्हें बीमारियों से बचाव मिलता है।
मन की शांति: गुरुवार व्रत का पालन करने से मन की शांति मिलती है और व्यक्ति के मन में चिंताओं से राहत मिलती है।
वैवाहिक सुख: गुरुवार व्रत का पालन करने से वैवाहिक सुख मिलता है और शांति रहती है।
बुद्धि का विकास: गुरुवार व्रत का पालन करने से व्यक्ति का बुद्धि का विकास होता है और उन्हें बुद्धिमान बनने में मद्द्त मिलती हैं.
गुरुवार व्रत की कथा (guruvaar vrat kee katha)
गुरुवार व्रत की कथा हमें भगवान विष्णु और उनके भक्त नारद मुनि के बीच की एक दिलचस्प कहानी से मिलती है।
कहानी के अनुसार, एक बार नारद मुनि भगवान विष्णु से मिलने गए। वे उनसे पूछने लगे कि कौन सा व्रत सबसे बलवान है। भगवान विष्णु ने उन्हें बताया कि गुरुवार का व्रत सबसे शक्तिशाली होता है।
नारद मुनि ने उनसे पूछा कि इस व्रत को कैसे किया जाए। तब भगवान विष्णु ने उन्हें इस व्रत की विधि बताई और कहा कि इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इसके बाद नारद मुनि ने गुरुवार का व्रत शुरू कर दिया। वे गुरुवार को विष्णु जी का पूजन करते थे और भगवान विष्णु उन्हें सभी वरदान देते थे।
इस तरह नारद मुनि ने गुरुवार का व्रत अनेक बार किया और उन्हें सभी वरदान मिलते रहे। इस व्रत का पालन करने से नारद मुनि को जीवन में अनेक लाभ प्राप्त हुए।
इसी तरह गुरुवार का व्रत करने से हमें भी अनेक तरह से लाभ होता हैं.
गुरुवार का व्रत कितने बजे खोलना चाहिए (guruvaar ka vrat kitane baje kholana chaahie)
गुरुवार का व्रत सुबह सूर्योदय से पहले खोला जाना चाहिए। इस व्रत के दौरान, व्रती को संध्या काल तक भोजन नहीं करना चाहिए। संध्या के बाद, व्रत को पूरा कर लिया जा सकता है। यदि संध्या काल तक व्रत नहीं खोला जा सकता है, तो व्रती को संध्या के बाद व्रत को पूरा कर लेना चाहिए।
बृहस्पति देव को कैसे प्रसन्न किया जाए (brhaspati dev ko kaise prasann kiya jae)
बृहस्पति देव गुरुवार के दिन उपासित किए जाते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित उपाय अनुसरण किए जा सकते हैं:
गुरु मंत्र का जाप: गुरु मंत्र का नियमित जाप करने से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं। "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" मंत्र का जाप करने से गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है।
पूजा: गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा करने से उन्हें प्रसन्नता मिलती है। उनकी पूजा के लिए यथासंभव पीले रंग के वस्त्र पहनें और उनकी प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं। उन्हें सन्दलवा और पुष्प चढ़ाएं और उनके नाम का जप करें।
दान: बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए दान करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। धन्य, चावल, गुड़, गेहूँ, दूध या कोई अन्य आहार वस्तुएं दान करने से उन्हें प्रसन्नता मिलती है।
धर्म के नियमों का पालन: धर्म के नियमों का पालन करने से भी बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं। आप धर्म के नियमों का पालन जरूर करे.
गुरुवार का व्रत कौन रख सकता है (guruvaar ka vrat kaun rakh sakata hai)
गुरुवार का व्रत कोई भी रख सकता है। यह व्रत धर्म और जाति के आधार पर नहीं रखा जाता है। सभी लोग इस व्रत को आसानी से रख सकते हैं और इससे उन्हें बड़े लाभ मिलते हैं।
गुरुवार का व्रत समस्त धर्मों में महत्वपूर्ण होता है और यह हिंदू धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म आदि में उपासित किया जाता है। यह व्रत जीवन में सफलता, संतुलन, धन एवं समृद्धि, शुभ विवाह आदि के लिए प्रभावी होता है।
गुरुवार को कैसे मजबूत करें (guruvaar ko kaise majaboot karen)
गुरुवार को मजबूत बनाने के लिए कुछ उपाय हैं।
गुरुवार के दिन गुरुदेव की पूजा करें। इससे आपका मन शांत होगा और आपकी भक्ति में वृद्धि होगी।
गुरुवार के दिन गुरुदेव का ध्यान करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
गुरुवार के दिन सफेद वस्त्र पहनें और अपने मन में शुद्धता और शांति को बनाए रखें।
गुरुवार के दिन किसी संगत या दोस्त के साथ सत्संग करें और सभी के साथ अच्छा व्यवहार करें।
गुरुवार के दिन शाकाहारी भोजन करें।
गुरुवार के दिन अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और योग या मेडिटेशन करें।
गुरुवार के दिन अपने कर्मों का फल लेने के लिए समर्पित रहें और उनसे सीखें।
इन उपायों के माध्यम से आप गुरुवार को मजबूत कर सकते हैं और अपने जीवन में संतुष्टि एवं समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
गुरुवार के दिन कौन सा महा उपाय करें (guruvaar ke din kaun sa maha upaay karen)
गुरुवार के दिन अनेक महाउपाय किए जाते हैं जो आपको धन, समृद्धि, स्वस्थता और खुशियों से लबालब भर देते हैं। यहां कुछ महाउपाय बताए जा रहे हैं:
गुरुदेव की पूजा: गुरुदेव की पूजा गुरुवार के दिन करने से उन्हें प्रसन्नता मिलती है और आपको उनकी कृपा से लाभ प्राप्त होते हैं।
विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ: गुरुवार के दिन विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से आपको धन, समृद्धि और शांति मिलती है।
बृहस्पति व्रत: गुरुवार के दिन बृहस्पति व्रत करने से आपको धन, स्वास्थ्य, समृद्धि और सफलता मिलती है।
फलाहार: गुरुवार के दिन फलाहार खाने से आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में लाभ मिलता है।
सुर्य नमस्कार: गुरुवार के दिन सुर्य नमस्कार करने से आपको स्वास्थ्य और ऊर्जा मिलती है।
यज्ञोपवीत धारण: गुरुवार के दिन यज्ञोपवीत धारण करने से आपके मन में शांति मिलती है और आपको धन संबंधी लाभ मिलते हैं
गुरुवार का व्रत करने से क्या लाभ होता है (guruvaar ka vrat karane se kya laabh hota hai)
गुरुवार का व्रत करने से व्यक्ति को बहुत सारे लाभ होते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ लाभ जो इस व्रत के करने से मिल सकते हैं:
धन प्राप्ति: गुरुवार के व्रत से धन की प्राप्ति होती है।
स्वस्थ जीवन: गुरुवार के व्रत से आपका स्वास्थ्य बना रहता है और बीमारियों से बचाने में मदद करता है।
शांति: गुरुवार के व्रत से मन में शांति मिलती है और आपके विचारों में शुभ बनता है।
सफलता: गुरुवार के व्रत से सफलता मिलती है और आपको आगे बढ़ने में मदद मिलती है।
मानसिक शक्ति: गुरुवार के व्रत से मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है और आपको समस्याओं से निपटने में मदद मिलती है।
समृद्धि: गुरुवार के व्रत से आपको समृद्धि मिलती है और आपके घर में खुशहाली बनी रहती है।
ज्ञान: गुरुवार के व्रत से आपको ज्ञान मिलता है और आपका विचार विस्तार करने में मदद मिलती है।
कर्तव्य पालन: गुरुवार के व्रत से आपको कर्तव्य पालन करने की दिशा में लाभ होता हैं.
कितने गुरुवार व्रत करना चाहिए (kitane guruvaar vrat karana chaahie)
धर्म और धार्मिक अनुष्ठानों में गुरुवार व्रत को बहुत महत्व दिया जाता है। हालांकि, गुरुवार व्रत की संख्या किसी निश्चित संख्या में नहीं बताई गई है। यह विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक परंपराओं के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकता है।
कुछ लोग एक सप्ताह तक प्रतिदिन गुरुवार का व्रत करते हैं, जबकि दूसरे लोग हर महीने के गुरुवार को व्रत करते हैं। इसके अलावा, कुछ लोग अपनी संख्या को अपनी श्रद्धा और अनुष्ठान के आधार पर तय करते हैं।
इसलिए, आपको अपने आध्यात्मिक और धार्मिक अनुष्ठानों के अनुसार गुरुवार व्रत की संख्या का निर्णय करना चाहिए। यदि आपको कोई शंका होती है, तो आप अपने गुरु या आध्यात्मिक गुरु से सलाह लेने के लिए संपर्क कर सकते हैं।
गुरुवार के व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए (guruvaar ke vrat mein kya nahin khaana chaahie)
गुरुवार के व्रत में खाने-पीने की कुछ चीजें मना की जाती हैं। यह विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और परंपराओं के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकता है।
हिंदू धर्म में, गुरुवार के व्रत में अन्न नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा बाजार से कुछ भी खरीदना नहीं चाहिए जैसे कि सब्जी, फल और अन्य खाद्य पदार्थ। व्रत के दौरान फल खाने की अनुमति होती है, लेकिन अधिक मीठा फल नहीं खाना चाहिए।
इसके अलावा, गुरुवार के व्रत में मांस, मछली, अंडे, अल्कोहल, तम्बाकू और कोफी जैसी चीजें भी नहीं खानी चाहिए।
यदि आप गुरुवार के व्रत में हैं, तो आप आहार में सभी निषेधाजनक चीजों से दूर रहने के अलावा अन्य शाकाहारी और फलों को खाने की सलाह दी जाती है।
हमें बृहस्पति VRAT कब शुरू करना चाहिए (hamen brhaspati vrat kab shuroo karana chaahie)
बृहस्पतिवार का व्रत हर हफ्ते किया जाता है और इसे गुरुवार के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को शुक्रवार की रात से शुरू किया जाता है और सोमवार की सुबह तक जारी रखा जाता है।
इस व्रत के दौरान व्रती को सफेद वस्त्र पहनकर पूजा और व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन व्रती को सभी निषेधाजनक चीजों से दूर रहना चाहिए जैसे कि अन्य मांस उत्पाद, अल्कोहल, तम्बाकू और कोफी आदि।
व्रती को अन्न नहीं खिलाना चाहिए जो शाकाहारी नहीं होता है जैसे कि मछली आदि। इसके अलावा, व्रत के दौरान व्रती को अन्य नियमों का भी पालन करना चाहिए जैसे कि पूजा और मन्त्र जप करना आदि।
इसलिए, बृहस्पतिवार के व्रत को शुक्रवार की रात से शुरू करना चाहिए।
गुरुवार व्रत के नियम क्या हैं (guruvaar vrat ke niyam kya hain)
गुरुवार व्रत को बड़े श्रद्धालु लोग नियमित रूप से करते हैं। इस व्रत के नियम निम्नलिखित होते हैं:
व्रत के दौरान व्रती को अन्य निषेधाजनक चीजों से दूर रहना चाहिए जैसे कि मांस, अल्कोहल, तम्बाकू और कोफी आदि।
व्रत के दौरान व्रती को सफेद वस्त्र पहनकर पूजा और व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए।
व्रती को समय-समय पर गुरु भगवान की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए व्रती गुरु भगवान के मंदिर में जा सकते हैं या अपने घर में ही पूजा कर सकते हैं।
व्रत के दौरान व्रती को अन्न नहीं खिलाना चाहिए जो शाकाहारी नहीं होता है जैसे कि मछली आदि।
व्रत के दौरान व्रती को ध्यान और शांति के लिए विशेष वक्त देना चाहिए। उन्हें मन्त्र जप और ध्यान करना चाहिए।
व्रती को व्रत के दौरान अन्य लोगों की सेवा करनी चाहिए। इससे व्रती को मन की शुद्धि और धार्मिकता मिलती है।
ये हैं कुछ मुख्य नियम जो गुरुवार व्रत के दौरान पालन करने होते हैं.
गुरुवार के दिन कौन सा मंत्र बोलना चाहिए (guruvaar ke din kaun sa mantr bolana chaahie)
गुरुवार के दिन कुछ मंत्रों का उच्चारण करना बहुत शुभ माना जाता है। इनमें से कुछ मंत्र निम्नलिखित हैं:
"ॐ बृहस्पतये नमः" - यह मंत्र गुरु भगवान को समर्पित होता है। इसे गुरुवार के दिन उच्चारित करने से व्यक्ति को बुद्धि और ज्ञान मिलता है।
"देवानां च ऋषीणां च गुरुं काञ्चनसन्निभम्। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥" - इस मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति को बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
"या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥" - इस मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति की बुद्धि शुद्ध होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
गुरुवार के दिन इन मंत्रों का उच्चारण करने से व्यक्ति को बुद्धि, ज्ञान और सफलता मिलती है।
लड़कियां गुरुवार का व्रत क्यों करती हैं (ladakiyaan guruvaar ka vrat kyon karatee hain)
लड़कियां गुरुवार का व्रत करती हैं क्योंकि इस दिन को बृहस्पति देव का दिन माना जाता है और यह देव ज्ञान, विद्या, संस्कृति और धर्म के प्रतीक हैं। वह ज्ञान और विद्या के देवता हैं जो छात्रों को सफलता के पथ पर ले जाते हैं। इसलिए, लड़कियां गुरुवार का व्रत करती हैं ताकि वे इस दिन बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त कर सकें और उन्हें ज्ञान, विद्या और सफलता मिल सके। इसके अलावा, गुरुवार का व्रत करने से उन्हें भगवान की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें नैतिकता, सामाजिक उद्धार और धार्मिकता की दिशा में अधिक मजबूती मिलती है।