सच्चियाय माता का इतिहास(Whose Kuldevi is Sachiyaya Mata

 

सच्चियाय माता (sachaee mata) के नाम से भी जानी जाने वाली, उनका मंदिर जोधपुर से 63 किमी दूर ओसियां ​​में स्थित है।  यह मंदिर जोधपुर जिले का सबसे बड़ा मंदिर है, इसे उपेंद्र ने 9वीं या 10वीं शताब्दी में बनवाया था।  सच्ची माता की पूजा ओसवाल, जैन, परमार, पंवार, कुमावत, राजपूत, जाट, चरण (पंवार कुल गेहद देवासी), परिक, माहेश्वरी आदि जातियों के लोग करते हैं।

  हिंदू पौराणिक इतिहास

  सचिया माता का पूर्व नाम साची था और वह राक्षस राजा पॉलोमा की बेटी थी।  राजा पॉलोमा वृत्रा के सेना प्रमुख थे।  वृत्रासाची से शादी करना चाहता था।  लेकिन साची उससे शादी नहीं करना चाहता था, जिसके चलते पॉलोमा ने वृत्रा का काम छोड़ दिया।


  पॉलोमड दधीचि से शादी करना चाहता था।  इसके बाद दधीचि और वृत्रा के बीच भयंकर युद्ध हुआ, युद्ध में यह प्रस्ताव रखा गया कि जो युद्ध जीतेगा वह साची से विवाह करेगा।  अंत में वृत्रा ने युद्ध जीत लिया और शादी कर ली।

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  जैन पौराणिक इतिहास

  ओसियां ​​में मिला एक पत्थर का शिलालेख कुछ और ही कहानी कहता है।  जैन धर्म के आचार्य श्रीमद् विजय रत्नप्रभासुरिजी ने ओसियां ​​की यात्रा की थी, उनके अनुसार ओसियां ​​का पूर्व नाम उपकेशपुर था और यहां चामुंडा माता का मंदिर भी था।  उनका मानना ​​था कि चामुंडा मां लोगों से भैंसों की बलि मांगती थीं।  जैन साधु विजय रत्नप्रभासुरीजी इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहे थे।  उनका मानना ​​था कि चामुंडा माता का एक और नाम (सच्चिया माता) था।

सच्चाई माता की फोटो (Sachchiya Mata's Photo)


  वर्तमान समय में सचिया माता के मंदिर में मिठाई, नारियल, कुमकुम, केसर, धूप, चंदन, लपसी आदि का भोग लगाया जाता है।  कहीं भी बलिदान का उल्लेख नहीं है।

  विवरण संपादित करें

  ओसिया जोधपुर से 65 किमी की दूरी पर स्थित है।  यह मंदिरों और स्मारकों की वास्तुकला के कारण घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।  ओसिया में एक तरफ मंदिरों का समूह है और दूसरी तरफ रेगिस्तान।  इस प्राचीन नगर-क्षेत्र की यात्रा के दौरान, बीच-बीच में फैले रेगिस्तानी विस्तार और छोटे-छोटे गाँव आपको अतीत के लहरदार भूभाग में ले जाया करते हैं।  ओसियां ​​में मां सचिया का भव्य मंदिर भी महजूद है, जैन मंदिर, सूर्य मंदिर के समेत अन्य मंदिरों का निर्माण करवाया गया है।  मंदिरों की शैली के वजह से इसे "राजस्थान के भुवनेश्वर" भी कहा जाता है।  आसियान के प्राचीन नाम उपकेसपुर, पाटनगरी और उपकेस पाटन थे।  ओसवाल की उत्पत्ति के कारण इसका नाम ओसियन पड़ा।

सच्चियाय माता मंदिर

  ओसिया को मंदिरों का शहर कहा जाता है।  एक समय ओसिया में 108 मंदिर थे।  समय के साथ, विभिन्न कारणों से यह संख्या घटती गई।  ओसिया के सभी स्मारक और मंदिर 8वीं और 12वीं शताब्दी के बीच गुर्जर-प्रतिहार राजवंशों द्वारा बनाए गए हैं।  इसे पूर्व मध्यकाल का स्मारक कहा जाता है।  

इन मंदिरों को उड़ीसा के सूर्य मंदिर और खजुराहो के मंदिरों के समकक्ष माना जाता है।  यहां के ये स्मारक नागर शैली में बने हैं।  वास्तुकला की दृष्टि से मंदिरों को दो भागों में बांटा गया है।  पंचायतन प्रकार के मंदिर और एकायतन प्रकार के मंदिर।  वर्तमान में ओसियां ​​में 18 स्मारक और दो बावड़ी स्थित हैं।  मंदिरों में से एक महावीर का जैन मंदिर और शेष हिंदू मंदिर है।  

इनमें सूर्य मंदिर, हरिहर के तीन मंदिर, विष्णु के तीन मंदिर, पिपला माता का मंदिर, शिव मंदिर, एक भग्न मंदिर, भगवान महावीर का जैन मंदिर और सत्चिया माताजी का सबसे बड़ा मंदिर शामिल हैं।  इन स्मारकों में सच्चिया माताजी मंदिर और जैन मंदिर को छोड़कर सभी मंदिर और स्मारक राजस्थान सरकार के पुरातत्व विभाग के अधीन हैं।  

जैन मंदिर की व्यवस्था एक जैन ट्रस्ट द्वारा की जाती है और श्री सच्चिया माताजी मंदिर की व्यवस्था एक सर्व-जाति के सार्वजनिक ट्रस्ट द्वारा की जाती है।  जिसकी स्थापना वर्ष 1976 में पुजारी जुगराज जी शर्मा ने की थी।  सच्ची माता महिषासुर मर्दिनी का रूप है।  सत्य वचन और मनोकामना पूर्ण करने वाली मानी जाने के कारण इन्हें सचिका कहा जाता है।  

सच्चिया माताजी की मूर्ति काले पत्थर की चार भुजाओं वाली मूर्ति है।  मूर्ति के हाथों में तलवार, ढाल, झंडा और त्रिशूल है।  सच्चिया माताजी का मंदिर एक हिंदू मंदिर है जिसकी पूजा, प्रार्थना और अनुष्ठान हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार किए जाते हैं।  यहां चैत्र नवरात्रि और आसोज नवरात्रि में दो मेले लगते हैं।  

ओसियां ​​से जैन धर्म के एक समुदाय की उत्पत्ति के कारण, ओसवाल सच्चिया माताजी को कुल देवी मानते हैं।  यहां श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान का मंदिर भी है।  गुरु जम्भेश्वर भगवान का मंदिर ओसियां ​​रेलवे स्टेशन के पास है।

  द्वारा संपादित:- मालाकार शानु

  प्रसिद्ध चरण कवि दूरसादा की स्वयं निर्मित पीतल की मूर्ति यहाँ स्थित है।

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सच्चियाय माता किसकी कुलदेवी है (Whose Kuldevi is Sachiyaya Mata)

सच्चियाय माता की कुलदेवी का नाम "श्री सांगानी माता" है। यह मंदिर राजस्थान के जयपुर शहर में स्थित है और श्रद्धालुओं के बीच बहुत ही प्रसिद्ध है। इस मंदिर में सांगानी माता के अलावा धनवंतरी, सूर्य देव, शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण और हनुमान जी जैसी कई देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं।

ओसियां में क्या प्रसिद्ध है (What is famous in Osian)

ओसियां खान का महत्व:ओसियां राजस्थान की एक धातु की खान है जो राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित है। इस खान में पाए जाने वाले धातु ओसियम का नाम इस खान के नाम पर रखा गया है। यह धातु अत्यंत महत्वपूर्ण है और उसे विभिन्न उद्योगों में उपयोग किया जाता है। ओसियं राजस्थान के लोगों के बीच एक लोकप्रिय परंपरा भी है। जब कोई व्यक्ति एक अन्य व्यक्ति को ओसियं देता है, तो उससे इसकी भावनाओं का प्रतीक होता है।

ओसियां माता कौन से जिले में (Osian Mata in which district)

ओसियां माता राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित ओसियां खान में स्थापित है। यह मंदिर ओसियां खान से कुछ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। ओसियां माता राजस्थान की सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली माताओं में से एक है और इसे देशभर में बड़ी श्रद्धा से देखा जाता है।

ओसियां मंदिर कितना पुराना है (How old is the Osian temple)

सच्चियाय माता एक पूज्य देवी हैं जो हिंदू धर्म में पूजी जाती हैं। उनकी उत्पत्ति का इतिहास काफी पुराना है और इसके बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। हालांकि, धार्मिक ग्रंथों और लोक कथाओं के अनुसार, सच्चियाय माता के पूजन का प्रारंभ कई सौ वर्ष पहले हुआ था।

कुलदेवी क्यों महत्वपूर्ण है (Why is Kuldevi important)

1.सच्चियाय कुलदेवी अपने वंशजों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। इसका महत्व भारतीय संस्कृति और परंपराओं में विशेष रूप से होता है। वंशजों को सच्चियाय कुलदेवी की पूजा करने से अनुकूलता, समृद्धि और सफलता मिलती है।

सच्चियाय कुलदेवी का महत्व उन गुणों से भी जुड़ा होता है जो उन्हें संवारते हैं। सच्चियाय कुलदेवी अपने वंशजों की रक्षा करती हैं और उन्हें अपने दिव्य आशीर्वाद से लाभ पहुंचाती हैं। इसके अलावा, सच्चियाय कुलदेवी की पूजा से अपने पूर्वजों को याद करने का अवसर मिलता है और इससे परिवार के संबंधों में मजबूती आती है।


इसलिए, सच्चियाय कुलदेवी को ध्यान में रखते हुए अपने पूर्वजों के सम्मान का भी अभिवादन किया जाता है। सच्चियाय कुलदेवी अपने वंशजों की भविष्य को सुनिश्चित करती हैं और इसलिए उन्हें महत्वपूर्ण माना जाता है।

2.सच्चियाय कुलदेवी को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है। कुलदेवी उन देवी-देवताओं में से होती है जिन्होंने वंश को संभाला था या जिनकी कृपा से वंश की सफलता हुई थी। इसलिए, कुलदेवी को वंश की रक्षा और संरक्षण का प्रतीक माना जाता है।


वंश के सदस्यों को अपनी कुलदेवी की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इससे उन्हें अपने वंश के इतिहास और विरासत के बारे में जानने का अवसर मिलता है। कुलदेवी की पूजा से वंश को समृद्धि, सुख, मिलता है.

ओसियां का पुराना नाम क्या है (What is the old name of Osian)

ओसियां का पुराना नाम "उदयपुर" है। यह भारत के राजस्थान राज्य में स्थित है और मेवाड़ क्षेत्र में आता है। उदयपुर को "सूरज की नगरी" या "वेनिस ऑफ़ ईस्ट" के नाम से भी जाना जाता है। उदयपुर राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और यह पालटन का इतिहास और रोमांचक कहानियों के लिए जाना जाता है।

जोधपुर के निकट ओसियां मंदिर का समूह किसकी देन है (To whom is the Osian group of temples near Jodhpur a gift)

जोधपुर के निकट ओसियां मंदिर का समूह "जैन धर्म" की देन है। यह मंदिर समूह मुख्य रूप से जैन समुदाय के उपासकों के लिए महत्वपूर्ण है और इसे "ओसियां जैन मंदिर" भी कहा जाता है। इस मंदिर समूह में कुल 24 मंदिर होते हैं, जिनमें तीन मुख्य मंदिर होते हैं। यह मंदिर समूह राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं और इसकी स्थापना 8वीं शताब्दी में की गई थी।

ओसियां से रामदेवरा ट्रेन कब है (When is the Osian to Ramdevra train)

मेरे पास वास्तविक समय और रेलवे समयसारणी की जानकारी नहीं है। आपको इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए भारतीय रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट indianrail.gov.in पर जाना चाहिए और आप वहां से ट्रेन की विवरण प्राप्त कर सकते हैं।

ओसियां में कितने हिंदू और जैन मंदिर हैं (How many Hindu and Jain temples are there in Osian)

ओसियां एक बड़ा क्षेत्र है जो कि विभिन्न देशों में फैला हुआ है। मैं इस विषय में पूरी जानकारी नहीं रखता, लेकिन जहां तक मुझे पता है, ओसियां में बहुत से हिंदू और जैन मंदिर हैं।


भारत में, ओसियां में कई महत्वपूर्ण हिंदू और जैन मंदिर हैं जैसे कि मोटी डूंगरी जैन मंदिर, रणकपुर जैन मंदिर, और अजमेर के ब्रह्माजी मंदिर। भारत के अलावा, नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर भी ओसियां में सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है।

राजस्थान की माता कौन है (Who is the mother of Rajasthan)

राजस्थान की सच्चियाय माता को "करणी माता" के नाम से जाना जाता है। यह माता राजस्थान के श्रीणाथजी के अवतार माता कहलाती हैं और उनकी पूजा राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में बहुत ही धूमधाम से की जाती है। करणी माता को राजस्थान की सच्चियाय माता कहा जाता है क्योंकि उनके साथ कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।

जोधपुर से ओसियां कितना है (How much is Jodhpur to Osian)

जोधपुर से ओसियां की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है।

सच्चियाय माता किसकी कुलदेवी है (Whose Kuldevi is Sachiya Mata)

सच्चियाय माता कुछ लोगों के अनुसार करणी कुल की कुलदेवी हैं। करणी कुल के लोग उत्तर भारत से मध्यकाल में राजस्थान आए थे और उन्होंने सच्चियाय माता की पूजा शुरू की थी। यह कुल राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में फैला हुआ है और यहां के लोग सच्चियाय माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं।

ओसियां गांव का इतिहास (History of Osian Village)

ओसियां गांव राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित है। इस गांव का इतिहास बहुत पुराना है।


ओसियां गांव में एक प्राचीन मंदिर है, जिसे "ओसियां का सुन्दरी जैन मंदिर" के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 8वीं से 11वीं शताब्दी के बीच हुआ था।


इस गांव को सिंधु सभ्यता से जोड़ा जाता है। यहां पर मिले ग्रामीण क्षेत्रों में सिंधु सभ्यता से संबंधित वस्तुओं ने इस बात की पुष्टि की है।


ओसियां गांव के निकट एक बड़ा बांध भी है, जो राजस्थान में अन्य प्राचीन बांधों की तरह बनाया गया था। इस बांध का उपयोग सिंधु सभ्यता के समय से ही सिंचाई के लिए किया जाता रहा है।


ओसियां गांव में एक और प्राचीन मंदिर है, जो "हनुमान मंदिर" के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भी काफी पुराना है और इसे संभवतः 9वीं से 10वीं शताब्दी के बीच बनाया गया था।

इस प्रकार, ओसियां गांव का इतिहास काफी पुराना है.

सच्चाई माता की फोटो (Sachchiya Mata's Photo)  

जिसके पास सच्चियाय माता की फोटो नहीं है। मैं आपको बता सकता हूं कि इंटरनेट पर आप सच्चियाय माता की तस्वीरें खोज सकते हैं। यदि आप चाहें तो राजस्थान के सच्चियाय माता मंदिर में जाकर भी उनकी मूर्ति की दर्शन कर सकते हैं।



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