अबकी धनतेरस पर कैसे करें देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा, जानिए ये जरूरी बातें

 

दोस्तों आज हम इस लेख के जरिए जानेंगे कि ( लक्ष्मी कुबेर की पूजा कैसे की जाती है?) इसमें बताना सबसे जरुरी यह हैं "मां लक्ष्मी को क्या क्या चढ़ाया जाता है?, नीचे लिखे गए है  "हम लक्ष्मी कुबेर पूजा कब कर सकते हैं?, और " कुबेर देवता को कैसे प्रसन्न किया जाता है?, और "लक्ष्मी का वाहन उल्लू क्यों है?, सभी के बारे में सब कुछ बताया गया है आइए जानते हैं

लक्ष्मी कुबेर पूजा का महत्व ( Significance of Lakshmi Kuber Puja )

  जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए लक्ष्मी कुबेर पूजा का विशेष महत्व है।  यह पूजा व्यापारियों और व्यापारियों के लिए विशेष रूप से उत्तम है।


  जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए लक्ष्मी कुबेर पूजा का विशेष महत्व है।  यह पूजा व्यापारियों और व्यापारियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।  इस पूजा से आपकी सभी आर्थिक समस्याएं आसानी से दूर हो जाती हैं।  इस पूजा को करने से आपको देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सुख-समृद्धि लाती है।  साथ ही इस पूजा को करने से जीवन में शांति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।  हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान कुबेर को सभी देवताओं में सबसे धनी माना जाता है।  ऐसा माना जाता है कि उन्होंने भगवान बालाजी को पैसे दिए थे ताकि वह अपनी पसंद की लड़की से शादी कर सकें।  इनकी पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, ज्ञान, ऐश्वर्य और शांति की प्राप्ति होती है।


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  भारत में एक महा पूजा का आयोजन किया जा रहा है।  इस पूजा में महालक्ष्मी, गणपति और भगवान कुबेर की पूजा की जाएगी।  आप सभी इस पूजा में भाग लेकर भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।  भगवान कुबेर को स्वर्ग का बैंकर कहा जाता है।  इनकी पूजा करने से जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं होती है।  इसी तरह देवी लक्ष्मी की पूजा से भी सुख-समृद्धि आती है।

laxmi kuber puja
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  लक्ष्मी कुबेर पूजा के लाभ सुख और समृद्धि पाने के लिए लक्ष्मी और कुबेर पूजा की जाती है।  जो व्यवसायी या व्यवसायी अपने व्यापार में आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हैं, उन लोगों को यह पूजा विशेष रूप से करवानी चाहिए।  इस पूजा के लिए दिवाली का समय सबसे अच्छा माना जाता है।  इस दिन पूजा करने से मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर जल्दी प्रसन्न होते हैं।  दिवाली पूजा में नवग्रह मंदिर लक्ष्मी कुबेर पूजा के समय कुबेर यंत्र की पूजा का विशेष महत्व है।  यह यंत्र बहुत ही शक्तिशाली और पवित्र माना जाता है।  लक्ष्मी कुबेर पूजा के लाभ-


  - जीवन में सुख-समृद्धि आती है।  - कर्ज से मुक्ति।  - आर्थिक स्थिति में सुधार।  बैंक बैलेंस मजबूत होता है।  - व्यापार में लाभ होता है।  जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।


लक्ष्मी कुबेर की पूजा कैसे की जाती है?

ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।  इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा के लिए सबसे पहले तेरह दीप जलाकर धन रखने की जगह 'यक्षय कुबेरै वैश्रावणय धन्य-धन्यधिपताये धन-धान्य समृद्धि में देही' मंत्र से ध्यान करते हुए कुबेर की पूजा करनी चाहिए।  दपया स्वाहा'।


कुबेर जी की मूर्ति कहाँ रखे?

वास्तु शास्त्र के माने तो उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दिशा सही मानी जाती है।


मां लक्ष्मी को क्या क्या चढ़ाया जाता है?

लक्ष्मी जी को नारियल के लड्डू, कच्चा नारियल और जल से भरा नारियल चढ़ाने से देवी लक्ष्मी आप पर प्रसन्न हो सकती हैं और आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा।  बतासे का संबंध चंद्रमा से है और चंद्रमा को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है।  ऐसा माना जाता है कि यही कारण है कि बतासे मां लक्ष्मी को बहुत प्रिय हैं।


क्या हम लक्ष्मी कुबेर यंत्र को घर में रख सकते हैं?

यंत्र को आप घर, ऑफिस, कैशबॉक्स आदि के पास रख सकते हैं। कुबेर यंत्र के कई फायदे हैं।  उन्हें यहां पढ़ें।  यंत्र की पूरी भक्ति के साथ पूजा करने से आपको धन संबंधी समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलेगी।


हम लक्ष्मी कुबेर पूजा कब कर सकते हैं?

भगवान कुबेर ही धन के स्वामी हैं जो अपने भक्तों को अपार धन का आशीर्वाद देते हैं।  यह एक बहुत ही शुभ पूजा है जो विशेष रूप से प्रत्येक दीपावली पर की जाती है।  यह पूजा हम प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को भी कर सकते हैं।


कुबेर की मूर्ति माकन में रखने से क्या क्या फायदे होते है?

इस दिशा को सकारात्मक ऊर्जा का भंडार माना जाता है। वास्तु के अनुसार घर की हर दिशा का अपना महत्व होता है और हर दिशा के अपने नियम और विशेषताएं होती हैं।  उदाहरण के लिए, घर की उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा माना जाता है और इस दिशा को सकारात्मक ऊर्जा का भंडार माना जाता है।  यह दिशा पूजा के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।


कुबेर के लिए सप्ताह का कौन सा दिन है?

हर धनतेरस के दिन, पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में कुबेर की मूर्ति को पवित्र स्नान कराया जाता है और पूरे अनुष्ठान के साथ उसकी पूजा की जाती है।  ऐसा भी माना जाता है कि कुबेर अपने भक्तों पर समृद्धि अथवा प्रचुर मात्रा में भोजन और धन की वर्षा कर देते हैं।


सुबह उठकर क्या करना चाहिए जिससे लक्ष्मी आए?

1- सुबह जल्दी स्नान करने के बाद तांबे के बर्तन में पानी भरकर उसमें थोड़ा सा सिंदूर, फूल डालकर उगते सूर्य को अर्पित करें.  इससे मां लक्ष्मी की प्रसन्नता होती है, साथ ही आप सदैव स्वस्थ एवं निरोगी रहते हैं।  प्रातःकाल घर की सफाई करने के बाद मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाना चाहिए।  दीपक में सभी देवता निवास करते हैं।


लक्ष्मी जी को कौन सा रंग पसंद है?

गुलाबी रंग लक्ष्मी जी को बहुत प्रिय है।  गुलाबी रंग के कपड़े पहनने से उन पर विशेष कृपा होती है।


कुबेर देवता को कैसे प्रसन्न किया जाता है?

मान्यता यह भी है कि ऐसा करने से धन की देवी कामना पूरी करती है। हर सुबह कुबेर मंत्र का जाप मोतियों की माला से स्नान कर 'O श्रीं, Om ह्रीं श्रीं, Om ह्रीं श्रीं क्लें क्लें विटेश्वरायः नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।  ,

 कुबेर यंत्र की पूजा करने से कुबेर यंत्र की पूजा करने से धन के देवता प्रसन्न होते हैं।  

लक्ष्मी जी का मुख किधर होना चाहिए?

इस दिशा में भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्ति रखें।

 घर में भगवान गणेश के साथ लक्ष्मी जी की मूर्ति रखने से सुख-समृद्धि आती है और धन की कमी नहीं होती है।  पौराणिक ग्रंथों के अनुसार देवी लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति को उत्तर दिशा में रखना चाहिए, इसके पीछे एक पौराणिक कथा है।

कुबेर यंत्र के क्या फायदे हैं?

कुबेर यंत्र के लाभ: इस यंत्र की स्थापना से दरिद्रता का नाश होता है।  धन में वृद्धि के साथ मान सम्मान भी आता है।  वहीं जो लोग कोई नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं उनके लिए भी यह यंत्र कल्याणकारी माना जाता है।  व्यापारियों के लिए भी यह यंत्र काफी फायदेमंद साबित होता है।

धन के देवता कौन से हैं?

हिंदू धर्म में कुबेर को धन का देवता माना जाता है।  धनतेरस और दीपावली पर देवी लक्ष्मी और श्री गणेश के साथ उनकी पूजा भी की जाती है।

धन की वर्षा कैसे होती है?

श्रीसूक्त का पाठ करने से घर की आर्थिक तंगी दूर होती है।  श्री सूक्त का नित्य पाठ करने से घर में माता लक्ष्मी का वास होता है।  6. लक्ष्मी सूक्त का पाठ करने से भी घर में माता लक्ष्मी का वास होता है जिससे घर की दरिद्रता दूर होती है, घर में धन की वर्षा होती है।

लक्ष्मी इतनी चंचल क्यों है?

लक्ष्मी चंचल है, यही एक ध्रुव सत्य है।  भगवान विष्णु की पत्नी होने के बावजूद धन की देवी लक्ष्मी चंचल हैं।  भगवान विष्णु जो गंभीर और धैर्यवान हैं, जिनका रूप शाश्वत और चिरस्थायी है, जबकि उनकी पत्नी लक्ष्मी चंचल हैं, वह स्थायी नहीं हैं।  वे कहीं ज्यादा देर तक नहीं रहते, यह सच है।

लक्ष्मी का वाहन उल्लू क्यों है?

कार्तिक मास की अमावस्या की रात जब मां लक्ष्मी धरती पर आईं तो सबसे पहले उल्लू ने मां लक्ष्मी को देखा और वह सभी जानवरों और पक्षियों के सामने माता लक्ष्मी के पास पहुंच गईं क्योंकि उल्लू रात में भी दिखाई देता है।  उल्लू के इन गुणों से प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी ने उन्हें अपनी सवारी के रूप में चुना।

कुबेर जी को क्या पसंद है?

धन के देवता कुबेर सच्चे मन से की गई प्रार्थना को अवश्य स्वीकार करते हैं और धन वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।  तो आइए जानते हैं कुबेर जी को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है, क्या है उपाय... घर में उत्तर-पूर्व दिशा में गोमूत्र या गंगाजल से स्वच्छ स्थान साफ ​​करें।  इसके बाद उस स्थान पर एक साफ लकड़ी की डंडी रख दें।

धनतेरस के दिन लक्ष्मी जी की पूजा कैसे करें (dhanateras ke din lakshmee jee kee pooja kaise karen)

धनतेरस के दिन लक्ष्मी जी की पूजा निम्नलिखित विधि से की जाती है:

सबसे पहले, पूजा स्थल को साफ सुथरा करें और उसे सजाएं।

अपने घर के मंदिर में या पूजा स्थल पर लक्ष्मी जी की मूर्ति या छवि रखें। अगर आपके पास मूर्ति नहीं है तो आप एक चौकी पर सफेद वस्तु रखकर उस पर लक्ष्मी जी की छवि चित्रित कर सकते हैं।

धूप, दीपक और फूल लेकर लक्ष्मी जी की पूजा करें।

शुभ मुहूर्त के अनुसार, लक्ष्मी जी की पूजा करें। इसके लिए लक्ष्मी जी के सामने बैठकर मंत्र जप करें और पूजा के दौरान लक्ष्मी जी का अर्थपूर्ण व्रत कथा सुनें।

पूजा के बाद, प्रसाद के रूप में मिठाई बांटें और उसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ बांटें।

धनतेरस के दिन शाम को जलते हुए दीपकों की रौशनी से अपने घर को आभूषित करें।

धनतेरस के दिन लक्ष्मी जी की पूजा धन की वृद्धि और समृद्धि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। 

धनतेरस पूजा विधि इन हिंदी (dhanateras pooja vidhi in hindee)

धनतेरस पूजा हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पूजा दीपावली से दो दिन पहले मनाई जाती है। यह पूजा धन की प्राप्ति के लिए की जाती है। इस दिन लोगों का धन और संपत्ति में वृद्धि होती है। धनतेरस पूजा की विधि निम्नलिखित है।

सामग्री:

  • लाल वस्त्र
  • बर्तन
  • दीपक
  • दीपक के तेल
  • अगरबत्ती
  • पुष्प
  • पंचामृत
  • गंगाजल
  • धनतेरस के लिए विशेष भोजन
  • सोने या चांदी का टिका

पूजा विधि:

सभी सामग्री को एक स्थान पर रखें।

पूजा के लिए एक साफ कमरे चुनें और उसे अच्छी तरह से साफ करें।

पूजा स्थल को रंगों से सजाएं और उसे लाल वस्त्र से ढंकें।

अपने मन को शुद्ध करने के बाद, एक थाली में पंचामृत, गंगाजल, पुष्प, दीपक और अगरबत्ती रखें।

शुद्धि के लिए ध्यान करें और अपने समस्त आदर्शों का स्मरण करें।

दीपक को जलाएं और उसे स्थान करें।

दीपक के बाद अगरबत्ती जलाएं और उसे स्थान पर साफ सफाई रखे.

धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त (dhanateras kee pooja ka shubh muhoort)

धनतेरस के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं। यह मुहूर्त भारतीय पंचांग अनुसार है।

धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रात:काल मुहूर्त - 6:26 अम से 8:08 अम तक अपराह्न मुहूर्त - 1:11 अपराह्न से 2:44 अपराह्न तक शाम का मुहूर्त - 5:47 अपराह्न से 7:28 अपराह्न तक

अधिकतर लोग अपराह्न के मुहूर्त में धनतेरस की पूजा करते हैं। इसके अलावा दिवाली के अवसर पर भी इस पूजा को किया जा सकता है।

धनतेरस पूजा सामग्री (dhanateras pooja saamagree)

धनतेरस पूजा में निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

धनतेरस की पूजा के लिए शुद्ध जल या गंगाजल की एक पात्री या कलश।

धनतेरस की पूजा के लिए दिये और बत्ती।

धनतेरस की पूजा में पुष्पों का उपयोग किया जाता है।

पूजन स्थल को सजाने के लिए चादर, माला और आसन।

लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियां या चित्र।

धनतेरस के दिन कामदेव और रति की पूजा भी की जाती है। उनकी मूर्तियां या चित्र।

धनतेरस की पूजा में नारियल, पान, इलायची, लौंग और सुपारी का उपयोग किया जाता है।

हल्दी, कुमकुम, अखरोट, पिस्ता और बादाम।

पूजा के बाद अगरबत्ती या धूप, दीप, कपूर और लोबान।

यह सामग्री धनतेरस की पूजा के लिए आवश्यक होती है।

धनतेरस पूजा विधि मंत्र (dhanateras pooja vidhi mantr)

धनतेरस पूजा विधि और मंत्रों का विवरण निम्नलिखित है:

पूजा की शुरुआत करते हुए धनतेरस की लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों के सामने दीपक जलाएं।

धनतेरस की पूजा के दौरान दीपक के आगे अपने हाथ फेरते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें: "शुभ लाभ समृद्धि महालक्ष्मी देवी आये हमारे घर में सुख सम्पत्ति और समृद्धि प्रदान करें।"

धनतेरस की पूजा में गणेश जी के मंत्र "वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥" का उच्चारण करें।

धनतेरस की पूजा में महालक्ष्मी जी के मंत्र "ऊँ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥" का उच्चारण करें।

कुछ फूलों को धनतेरस की पूजा में लक्ष्मी माता के चरणों में रखें।

लक्ष्मी जी को मुंह की तरफ देखकर उसके चरणों को स्पर्श करें।

धनतेरस की पूजा के दौरान धनवंतरी मंत्र "ऊँ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलश हस्ताय आमुकम् सर्व रोग विनाशाय ऊँ नम

धनतेरस खरीदारी का शुभ मुहूर्त (dhanateras khareedaaree ka shubh muhoort)

धनतेरस खरीदारी का शुभ मुहूर्त 2023 में निम्नलिखित है:

तिथि: 25 अक्टूबर 2023 धनतेरस का प्रारंभ: दोपहर 01:07 से 02:17 बजे तक धनतेरस उपवास और पूजा का समय: दोपहर 05:49 से 08:12 बजे तक

इस मुहूर्त के अनुसार, धनतेरस का शुभ समय दोपहर 01:07 से 02:17 बजे तक है, जब आप खरीदारी कर सकते हैं। इसके अलावा, दोपहर 05:49 से 08:12 बजे तक धनतेरस उपवास और पूजा का समय है।

धनतेरस को लेकर ध्यान रखें कि यह एक पर्व है जो धन और समृद्धि का प्रतीक है, इसलिए इस दिन लोग धन, सोने, चांदी, फूल आदि की खरीदारी करते हैं। आप इस मुहूर्त का ध्यान रखते हुए अपनी खरीदारी कर सकते हैं।

धनतेरस पर हमें कितने दीये जलाने चाहिए (dhanateras par hamen kitane deeye jalaane chaahie)

धनतेरस पर दीये जलाने की संख्या कोई निश्चित नहीं है। हालांकि, लोग अमूमन तीन, पांच, सात, नौ या एकादश दीपक जलाते हैं।

तीन दीपक जलाने से धन, समृद्धि और लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।

पांच दीपक जलाने से पंचभूतों का संतुलन बना रहता है और घर में शांति व समृद्धि आती है।

सात दीपक जलाने से सात लोकों की आराधना होती है और समस्त दुःख-दर्द दूर होते हैं।

नौ दीपक जलाने से नौ देवी-देवताओं की आराधना होती है और समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है।

एकादश दीपक जलाने से अमूल्य सम्पत्ति और धन प्राप्ति होती है।

इसलिए, यह आपकी पसंद और शुभेच्छा के अनुसार है कि आप कितने दीपक जलाना चाहते हैं।

दीया का मुंह किस तरफ होना चाहिए (deeya ka munh kis taraph hona chaahie)

दीया का मुँह पूर्व दिशा (पूरब) की ओर होना चाहिए। इससे मान्यता है कि पूर्व दिशा से सूर्योदय होता है और इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसलिए दीपक का मुँह पूर्व दिशा की ओर होना उचित माना जाता है।

धनतेरस के लिए कौन सा तेल इस्तेमाल करें (dhanateras ke lie kaun sa tel istemaal karen)

धनतेरस के दिन जलाने के लिए दीपक के लिए घी, सरसों का तेल या तिल का तेल इस्तेमाल किया जाता है। इनमें से किसी भी तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, अधिकतर लोग घी का दीपक जलाते हैं क्योंकि इसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है।

दीपावली पर दीया कहां रखते हैं (deepaavalee par deeya kahaan rakhate hain)

दीपावली पर दीया अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों पर रखे जाते हैं। इसके अलावा, दीपों को घर के अंदर भी रखा जा सकता है, जैसे मंडप या पूजा कक्ष। दीपावली के दिन लोग अपने घरों के बाहर और अंदर दीपों के आकार और संख्या में भी विविधता लाते हैं। इसके अलावा, दीपावली के दिन दीपों को पूजा और आराधना के लिए भी उपयोग किया जाता है।

धनतेरस के दिन कौन सा दिया जलाते हैं (dhanateras ke din kaun sa diya jalaate hain)

धनतेरस के दिन लोग मुख्य रूप से दीपावली के समान घी के दीपक जलाते हैं। हालांकि, सरसों के तेल या तिल के तेल के दीपक भी जलाए जा सकते हैं। इनमें से किसी भी तेल का दीपक जलाया जा सकता है। धनतेरस के दिन दीपावली की तरह लोगों के घरों में दीपों की शोभा बढ़ाने के लिए अलग-अलग आकार और बनावट के दीपक भी उपलब्ध होते हैं।

धनतेरस पर दीया कहां लगाते हैं (dhanateras par deeya kahaan lagaate hain)

धनतेरस पर लोग दीयों को अपने घर के दरवाजों, खिड़कियों, और आसपास के जगहों पर जलाते हैं। आमतौर पर, लोग अपने दीयों को घर के बाहर रखते हैं ताकि उनकी रौशनी घर के अंदर तक जाए। यह दीपावली के उत्सव के दौरान दीपों को घर के अंदर और बाहर सजाने की परंपरा का एक हिस्सा है। इसके अलावा, धनतेरस के दिन लोग दीपों को पूजा के दौरान भी उपयोग करते हैं।

धनतेरस पर 13 दीये कैसे जलाएं (dhanateras par 13 deeye kaise jalaen)

धनतेरस के दिन 13 दीपक जलाने की परंपरा बहुत प्रचलित है। इस परंपरा के अनुसार, लोग 13 दीपक लेते हैं और उन्हें एक साथ जलाते हुए धनतेरस का उत्सव मनाते हैं। इस परंपरा के तहत, दीपकों को एक छोटे से तांबे के थाली में रखा जाता है और उन्हें एक साथ जलाया जाता है। इस प्रकार, इस परंपरा के अनुसार, 13 दीपकों को एक साथ जलाने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अधिकांश लोग अपने घर के मंदिर या पूजा स्थल में या फिर घर के दरवाजे या बाहर की तरफ इन 13 दीपकों को रखते हैं। इन दीपकों को नरम घी या तेल में भीगाकर चोटी पर बत्ती लगाने के बाद जलाया जाता है। 13 दीपकों के साथ-साथ आप एक मुख्य दीपक भी जलाकर धनतेरस के उत्सव को और भी सुंदर बना सकते हैं।

जूते चप्पल कौन सी दिशा में रखना चाहिए (joote chappal kaun see disha mein rakhana chaahie)

हिंदू धर्म के अनुसार, जूते चप्पल पैरों के निकट वस्तुओं होते हैं जो दैनिक उपयोग के लिए होते हैं। जूते चप्पलों को उत्तर दिशा में रखा जाना उत्तम माना जाता है। उत्तर दिशा धन का प्रतीक होती है और इसलिए जूते चप्पलों को उत्तर दिशा में रखना धन को आत्मसात करता है और घर में धन लाभ के उपायों को बढ़ाता है।

इसके अलावा, यदि आपके घर में पूजा स्थल होता है, तो जूते चप्पलों को पूजा स्थल से दूर रखना चाहिए। यह संस्कारों के नियमों में से एक है।

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