kalashtami 2023 : हिंदी कैलेंडर के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है। कालाष्टमी को व्रत रखा जाता है और काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की पूजा की जाती है। काल भैरव को भगवान शिव का पांचवां अवतार माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि kalashtami के दिन व्रत और पूजा करने से जीवन से दुख, दरिद्रता और कष्ट दूर होते हैं। इस दिन शिवालयों और मठों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान शिव के रूप में काल भैरव देव का आह्वान किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भैरव शब्द का अर्थ भय को परास्त करने वाला होता है। अर्थात काल भैरव की उपासना करने वाले काल भैरव के सभी भय दूर हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि काल भैरव में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियां समाहित हैं। ऐसे में आइए आज जानते हैं कि वैशाख महीने में कब kalashtami festival है.
bhairav ashtami 2022 : भैरव पूजा के लाभ हर इच्छाओ की पूर्ति करते है भैरव
कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर दिन भर उपवास रखें और रात में बाबा काल भैरव की पूजा करें। या तो आप काल भैरव के मंदिर में जाकर पूजा करें या घर में काल भैरव की मूर्ति स्थापित कर पूजा करें।
अक्षत, पान, नारियल, गेरू, फूल आदि चढ़ाकर बाबा काल भैरव की पूजा करें। इसमें आप काल भैरव चालीसा, काल भैरवाष्टक आदि का पाठ करें। आप काल भैरव के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं। मंत्रों का सही जप करें।
pic credit dshana_06rcकाल भैरव की पूजा करने के बाद उनके कुत्ते कुत्ते को दूध और मीठी रोटी खिलाएं। अगर आपको काला कुत्ता मिल जाए तो बेहतर है। कहते हैं कुत्ते को नहीं मारना चाहिए, इससे काल भैरव क्रोधित हो सकते हैं।
kalashtami poja के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म और स्नान आदि करके भैरव भगवान की पूजा करें। इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी विधि विधान से पूजा करनी चाहिए।
kalashtami पूजा के दौरान घर के मंदिर में दीपक जलाएं, आरती करें और भगवान को भोग लगाएं। एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि केवल सात्विक चीजें ही भगवान को अर्पित की जाती हैं।
कालाष्टमी व्रत का महत्व
मान्यता है कि kalashtami के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से हर तरह के भय से मुक्ति मिलती है. इस तिथि को व्रत करने से सारी मन की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और शुभ फलो की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही भैरव भगवान की कृपा से शत्रुओं से भी मुक्ति मिल जाती है।
kalashtami : पौराणिक कथा
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंदू कैलेंडर में हर महीने आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक kalashtami त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह अष्टमी भगवान भैरव को समर्पित है और इसे काल अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि को भगवान भैरव से अपार शक्ति प्राप्त करने का समय माना जाता है, इसलिए इस तिथि को पूजा और उपवास का ख़ास महत्व माना जाता है।
kalashtami 2023 की एक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच श्रेष्ठता का युद्ध हुआ था। इस बात पर बहस बढ़ गई, इसलिए सभी देवताओं को बुलाया गया और एक बैठक आयोजित की गई।
सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल है कि सबसे अच्छा कौन है? सभी ने अपने विचार व्यक्त किए और उत्तर खोजने लगे, लेकिन शिव और विष्णु ने उस बिंदु का समर्थन किया, लेकिन ब्रह्माजी ने शिव को अपशब्द कहा। इस बात पर शिव क्रोधित हो गए और शिव ने अपना अपमान माना।
उस क्रोध में शिव ने अपने ही रूप में भैरव को जन्म दिया। इस भैरव अवतार का वाहन काला कुत्ता है। उसके एक हाथ में डंडा है। इस अवतार को 'महाकालेश्वर' के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए इन्हें दंडधिपति कहा जाता है। शिव के इस रूप को देखकर सभी देवता भयभीत हो गए।
क्रोध में भैरव ने ब्रह्माजी के 5 में से 1 मुख काट दिया, तब से ब्रह्माजी के केवल 4 मुख हैं। इस प्रकार ब्रह्मा का सिर काटने के कारण भैरवजी पर ब्रह्मा को मारने का पाप आया। जब ब्रह्माजी ने भैरव बाबा से माफी मांगी तो शिवाजी अपने मूल रूप में आ गए।
भैरव बाबा को उनके पापों की सजा मिली, इसलिए भैरव को कई दिनों तक भिखारी की तरह रहना पड़ा। इस प्रकार कई वर्षों के बाद उनकी सजा वाराणसी में समाप्त होती है। इसका नाम 'दंडपानी' था।
कालाष्टमी क्या होती है (What is Kalashtami)
कालाष्टमी एक हिंदू त्योहार है जो हर माह की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन शिव भक्तों की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई रूपों में पूजा की जाती है। इस दिन शिवलिंग को भी सजाया जाता है और भक्तों की भावनाओं का सम्मान किया जाता है। इस त्योहार के दिन भक्तों की धूम-धाम से पूजा की जाती है और विभिन्न प्रकार की शिव भक्ति गीतों को गाया जाता है।
कालाष्टमी का महत्व (Importance of Kalashtami)
कालाष्टमी महत्वपूर्ण है:कालाष्टमी हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान शिव और माँ काली को समर्पित होता है। यह त्योहार हर माह की अष्टमी को मनाया जाता है और चैत्र माह की कालाष्टमी विशेष महत्वपूर्ण होती है।
कालाष्टमी के दिन भगवान शिव और माँ काली की पूजा की जाती है और लोग उन्हें नैवेद्य अर्पित करते हैं। इस दिन के व्रत करने से शिवजी और माँ काली की कृपा मिलती है और अनेक मांगों की पूर्ति होती है।
इस त्योहार का महत्व अत्यंत उच्च होता है क्योंकि इस दिन शिवजी को प्रसन्न करने का माना जाता है और उन्हें आशीर्वाद देने की उम्मीद होती है। इस त्योहार का महत्व इस बात को दर्शाता है कि हम जीवन में सदैव शिवजी की पूजा करने चाहिए ताकि हमारी समस्याओं का समाधान होता रहे और हमें सफलता प्राप्त होती रहे।
कालाष्टमी पूजा विधि (Kalashtami Puja Vidhi)
कालाष्टमी पूजा विधि निम्नलिखित रूप से है:
शुभ मुहूर्त का चयन: कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए सबसे उपयुक्त मुहूर्त निर्धारित किया जाना चाहिए। इसके लिए पंडित या ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए।
स्नान करना: पूजा से पहले स्नान करें और शुद्ध बनें।
पूजा स्थल की सजावट: पूजा स्थल को सजाएं और उसमें भगवान शिव की मूर्ति रखें। फूल, धूप, दीपक आदि उपयोग करें।
कलश पूजन: कलश को पूजन करें और उसमें जल भरें। कलश में नारियल, सुपारी, अक्षत आदि रखें।
शिवलिंग पूजन: भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पूजें। शिवलिंग पर जल, दूध, धूप, अगरबत्ती आदि चढ़ाएं।
मंत्र जप: 'ॐ नमः शिवाय' जैसे मंत्रों का जप करें।
अभिषेक: शिवलिंग को गंगाजल या दूध से अभिषेक करें।
प्रसाद: पूजा के बाद प्रसाद तैयार करें और भगवान शिव को उसका अर्पण करें।
यही हैं
कालाष्टमी 2023 (Kalashtami )
कालाष्टमी 2023 तारीख:कालाष्टमी 2023 की तारीख 17 अक्टूबर होगी।
कालाष्टमी व्रत कालाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं (kalashtami fast best wishes for kalashtami)
आपको भी कालाष्टमी के व्रत पर हार्दिक शुभकामनाएं! भगवान शिव से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण हों और आपको शक्ति, संतुलन और सफलता प्रदान करें।
कालाष्टमी शुभ दिन है (kalashtami is auspicious day)
हाँ, कालाष्टमी को हिंदू धर्म में एक शुभ दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती की पूजा की जाती है जो भक्तों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि देते हैं। इसलिए, कालाष्टमी का दिन शुभ माना जाता है और भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।