raja bhaiya ( उर्फ ) रघुराज प्रताप सिंह का जन्म 1969 में प्रतापगढ़ के राजा उदय प्रताप सिंह के घर हुआ था। उनके दादा, राजा बजरंग बहादुर सिंह, पंत नगर विश्वविद्यालय के संस्थापक थे और बाद में हिमाचल प्रदेश के पहले राज्यपाल बने। raja bhaiya अपने परिवार के पहले सदस्य थे जिन्होंने पहली बार राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश किया था। उनकी शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय में हुई।
राजनीतिक कैरियर
raja bhaiya party 1993 से 2022 तक उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के विधान सभा क्षेत्र कुंडा से निर्दलीय विधायक चुने गए, 2022 के विधानसभा चुनाव में अपनी ही पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से वे फिर से विजयी हुए और विधान सभा सदस्य के पद पर बने। अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखी। मायावती को बसपा सरकार में राजा भैया के मुकदमे में जेल भेजा गया था, बाद में सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनें ।
raja bhaiya house बाहुबली दबंग की सीट से राजनेता रघुराज प्रताप सिंह कुंडा ने 1993 में स्वतंत्र रूप से राज्य स्तरीय चुनाव में भाग लिया और जीतकर विधायक बने। तब वह केवल 26 वर्ष के थे। 1999 में भारतीय आम चुनाव में, उन्होंने राजकुमारी रत्ना सिंह (जो एक ही परिवार से हैं) के खिलाफ अपने चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को मैदान में उतारा।
उन्होंने इस सीट पर बसपा के शिव प्रकाश मिश्रा को 88255 से हराया। वैसे, समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा समर्थित raja bhaiya का रास्ता इस बार भी कमजोर विपक्ष और नए परिसीमन के नहीं होने के कारण दिखाई दे रहा था। राजनीतिक समीकरणों पर महत्वपूर्ण प्रभाव
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राजा भैया ने 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से कुंडा की राजनीति में प्रवेश किया था। तब से वह अजेय हैं। उनसे पहले कांग्रेस के नियाज हसन कुंडा सीट से खेलते थे. हसन 1962 से 1989 तक पांच बार कुंडा से विधायक चुने गए।
राजा भैया ने 1993 और 1996 के विधानसभा चुनावों में भाजपा का समर्थन किया, फिर 2002 और 2007 के चुनावों में सपा द्वारा समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए। राजा भैया भाजपा की कल्याण सिंह सरकार और सपा की मुलायम सिंह सरकार में मंत्री भी बने।
पिछले चुनाव में raja bhaiya party ने लगभग 50,000 मतों से हारने वाले शिव प्रकाश मिश्रा को एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी ने कुंडा से मैदान में उतारा, लेकिन यह उनके लिए लाभदायक सौदा नहीं निकला। वहीं बीजेपी ने त्रिभुवन नाथ मिश्रा को और कांग्रेस ने रमाशंकर यादव को बनाया था, जो कहीं नहीं रहे.
नए परिसीमन का भी राजा भैया पर कोई खास असर नहीं दिखा। नए परिसीमन में कुंडा सीट के कुछ इलाकों को काट दिया गया है और पड़ोसी बाबागंज विधानसभा के हिस्से को नई सीट में शामिल कर लिया गया है. बाबागंज विधानसभा क्षेत्र राजा भैया के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है क्योंकि पिछले तीन चुनावों से वहां केवल raja bhaiya समर्थित उम्मीदवार ही जीतता आ रहा है.
raja bhaiya wife की आय का स्रोत: उनकी पत्नी की संपत्ति राजा भैया से अधिक है, जानिए क्या है भनवी कुमारी की कमाई का साधन
1.रघुराज प्रताप सिंह, जिन्हें राजा भैया के नाम से जाना जाता है, भादरी रियासत की कुंवर और कुंडा विधानसभा सीटों से विधायक हैं। राजा भैया ने 1993 में पहला चुनाव लड़ा और जीता। तब से वे लगातार कुंडा सीट से विधायक हैं।
2. raja bhaiya family राजा भैया शादीशुदा हैं और उनके चार बच्चे हैं। raja bhaiya wife राजा भैया की शादी भंवी कुमारी सिंह से हुई है। भानवी बिजनेस भी करती है और परिवार का भी ख्याल रखती है।
3. संपत्ति की बात करें तो भनवी कुमारी अपने विधायक पति से ज्यादा अमीर हैं। उनके पास कुल चल-अचल संपत्ति समेत राजा भैया से भी ज्यादा है।
4. राजा भैया ने बताया था कि भनवी कुमारी के पास करीब साढ़े सात करोड़ की संपत्ति है, जबकि उनके पास खुद करीब 6 करोड़ की संपत्ति है.
5. भनवी कुमारी की आय के कई स्रोत हैं। हालांकि इनमें सबसे अहम है लखनऊ की दो कंपनियों के बीच साझेदारी। सारंग इंटरप्राइजेज में उनकी 85 फीसदी और श्रीदा प्रॉपर्टीज में 90 फीसदी हिस्सेदारी है।
घुड़सवारी और निशानेबाजी की चैंपियन हैं राजा भैया की बेटियां, पत्नी भांवी कुमारी सिंह हैं बिजनेसवुमन
raja bhaiya daughter को घुड़सवारी और दूसरी शूटिंग में चैंपियन है पत्नी भांवी कुमारी सिंह हैं बिजनेसवुमन
राजा भैया के शौक के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी दो बेटियां राधवी और बृजेश्वरी भी अपने पिता की तरह शूटिंग और घुड़सवारी में चैंपियन हैं। वहीं उनकी पत्नी भंवी कुमारी सिंह भी मशहूर बिजनेसवुमन हैं।
raja bhaiya house प्रतापगढ़ के कुंडा के विधायक रहे राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह ही नहीं, उनका परिवार भी अपने-अपने क्षेत्र में नाम कमा रहा है. तो आइए जानते हैं, राजा भैया की पत्नी भंवी कुमारी से लेकर उनके चार बच्चों तक, शाही शौक और उनकी प्रतिभा के बारे में।
सबसे पहले यह जान लें कि राजा भैया के चार बच्चे हैं। दो बेटियां और दो बेटे।
राजा भैया को निशानेबाजी और घुड़सवारी का शौक है और उनकी दोनों बेटियों ने अपने पिता के इस शौक को पेशेवर रंग दिया है.
राघवी कुमारी उनकी सबसे बड़ी बेटी हैं। उनकी दूसरी बेटी का नाम बृजेश्वरी है।
राजा भैया के पुत्रों के नाम शिवराज प्रताप सिंह और बृजराज प्रताप सिंह हैं।
raja bhaiya daughter आपको बता दें कि राघवी कुमारी शूटिंग चैंपियन रह चुकी हैं। राघवी कुमारी ने डबल ट्रैप जूनियर महिला वर्ग में परफेक्ट टारगेट मारकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया है।
राजा भैया की छोटी बेटी बृजेश्वरी घुड़सवारी की चैंपियन हैं। वह कई प्रतियोगिताओं में भाग लेना जारी रखती है।
राजा भैया की दोनों बेटियां अपने-अपने क्षेत्र में टॉपर हैं, जबकि उनके बेटे अभी पढ़ाई कर रहे हैं।
raja bhaiya kunda उनकी की पत्नी भंवी कुमारी सिंह बिजनेस वुमन हैं। भानवी संपत्ति क्षेत्र से ताल्लुक रखती हैं और 2017 में दिए गए राजा भैया के चुनावी हलफनामे के मुताबिक वह राजा भैया से भी ज्यादा अमीर हैं.
राजा भैया की दोनों बेटियां अपने पिता के काफी करीब हैं और राजा भैया अपने शौक और करियर को लेकर भी काफी गंभीर हैं।
यूपी चुनाव परिणाम 2022: क्या घट गई है राजा भैया की शोहरत? यूपी चुनाव से मिला ये संकेत
raja bhaiya up: प्रतापगढ़ के कुंडा में टूट रहा राजा भैया का जादू. उन्होंने लगातार सातवीं बार यूपी चुनाव जीता, लेकिन इस बार सपा ने उनके किले में काफी हद तक सेंध लगा दी है.
raja bhaiya up election 2022: क्या यूपी के प्रतापगढ़ में टूट रहा राजा भैया का जादू या यूं कहें कि इस इलाके में उनका प्रभाव कम होता जा रहा है.raja bhaiya kitne vote se jite यूपी चुनाव के नतीजे भी कुछ ऐसा ही कह रहे हैं. कुंडा के बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने 2022 में लगातार सातवीं बार जीत हासिल की, लेकिन हर बार की तरह वह अपने प्रतिद्वंद्वी को भारी अंतर से नहीं हरा सके. चुनाव से पहले उन्होंने दावा किया था कि वह 1.5 लाख वोटों के अंतर से जीतेंगे, लेकिन उन्होंने 30,315 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर सपा के गुलशन यादव थे।
कुंडा में गिरा राजा भैया का जादू
raja bhaiya pratapgarh ने पहली बार 1993 में कुंडा से चुनाव लड़ा और सबसे कम उम्र के विधायक बने। तब से वह लगातार चुनाव जीत रहे हैं। इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, जब मायावती के साथ राजनीतिक कलह के चलते उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा। इस दौरान उन्हें तत्कालीन सपा प्रमुख मुलायम से राजनीतिक समर्थन मिला और उन्हें तमाम मुकदमों और दुखों से मुक्ति मिली. इतना ही नहीं मुलायम सिंह यादव की कैबिनेट में राजा भैया को भी अहम स्थान दिया गया था.
सपा प्रत्याशी गुलशन यादव से मुकाबला
वर्ष 2007, 2012 में समाजवादी पार्टी के समर्थन से बड़ी जीत हासिल करने के बाद, उन्होंने वर्ष 2007 में 1,03,000 से अधिक मतों की बढ़त हासिल कर बढ़त भी हासिल की, लेकिन इसके पक्ष में मतदान करने का कारण राज्यसभा चुनाव में बीजेपी सपा के खिलाफ जा रही है. उन्होंने अखिलेश की नाराजगी भी उनसे खरीद ली। जिसके बाद अखिलेश ने इन चुनावों में उनका साथ नहीं दिया और सपा के टिकट पर राजा भैया के करीबी गुलशन यादव को मैदान में उतारा. अखिलेश ने भी गुलशन के समर्थन में सभा की और राजा भैया पर हमला बोल दिया और कहा कि इस बार कुंडा के लोग कुंड पर ताला लगा देंगे.
जीत का अंतर बहुत कम था
लेकिन अगर ऐसा कुछ हुआ, लेकिन इस बार राजा भैया और उनके समर्थक डेढ़ लाख क्रॉस के नारे लगाने लगे. लेकिन वह इसमें असफल रहे। गुलशन यादव ने अपनी सभाओं में raja bhaiya up वाले पर जमकर हमला बोला और नतीजा यह हुआ कि लोग दबी जुबान राजा भैया का विरोध करते दिखाई दिए। नतीजा भी देखने को मिला और इस बार वह 1 लाख का आंकड़ा भी नहीं छू पाए. राजा भैया को 99,612 वोट और दूसरे नंबर पर रहे गुलशन यादव को 69,297 वोट मिले।
pic credit - rajabhaiyafanpage_unofficial
Raja bhaiya के खिलाफ उठने लगी थी आवाजें
ऐसा 1993 के बाद पहली बार हुआ जब राजा भैया के खिलाफ इतने बड़े पैमाने पर मतदान हुआ था। इस चुनाव से पहले कुंडा में वोट मिलने की बात तो दूर किसी भी पार्टी के उम्मीदवार अपना चुनाव कार्यालय तक नहीं खोल पाए. इस चुनाव के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या राजा भैया आने वाले समय में अपने गढ़ को अभेद्य बना पाएंगे या उनके खिलाफ मुखर होने वाले लोग उनका किला ढहा देंगे.