शेर और भालू की पंचतंत्र की कहानी: | Story of lion and bear


  सालों पहले जंगल में श्याम नाम का एक शेर रहता था।  वह शेर बहुत चालाक था।  प्रत्येक जानवर से दोस्ती करना और उसका लाभ उठाना बहुत मजेदार था।  सबसे अपना काम करवाकर शेर जरूरत पड़ने पर दूसरों को पीठ दिखा देता था।


  जंगल में सब जान चुके थे कि शेर सबसे दोस्ती करके अपनी समझ बनाता है और फिर दूसरों की मदद नहीं करता।  अब सब उस शेर से दूर रहने लगे।


  दोस्तों की तलाश में जंगल में घूमते हुए बहुत समय बीत गया, लेकिन शेर को कोई नहीं मिला।


  एक दिन जब वह अपनी गुफा में जा रहा था तो उसने देखा कि उसकी गुफा के पास एक बूढ़ा रीछ भी रहता है।  उसके मन में आया कि इस बार भालू से दोस्ती करने और उसका फायदा उठाने में बड़ा मजा आएगा।


  शेर रोज सोचता था कि किसी तरह वह भालू से बात कर ले।  दो-तीन दिन बीत गए, लेकिन भालू से बात करने का उसे कोई बहाना नहीं मिला।  एक दिन उसने देखा कि भालू बूढ़ा हो गया था।  उसके मन में विचार आया कि यह बूढ़ा रीछ मेरे किस काम का होगा।  उससे दोस्ती करने का कोई मतलब नहीं है।


एक दिन शेर ने भालू को चिड़िया से बात करते हुए सुना।  चिड़िया ने भालू से पूछा।  "तुम इतने बूढ़े हो गए हो, तुम अपना पेट कैसे भरते हो?"

  भालू ने चिड़िया से कहा, “पहले मैं मछली पकड़ कर खाता था, लेकिन अब मैं ऐसा नहीं कर सकता।  इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे भूख लगी है।  मैं अब शहद खाता हूं।  स्वाद बढ़िया है।  इसके लिए मुझे घने जंगल के अंदर जाकर मधुमक्खियों से शहद लाना पड़ता है।



  यह सब बातें सुनकर शेर को लगा कि मैंने भी कभी शहद नहीं चखा है।  अब इस भालू का दोस्त होने के नाते मैं शहद का स्वाद ले सकता हूं।


  यह सोचकर शेर ने एक योजना बनाई।  उस योजना के तहत शेर भालू के पास गया और बोला, "तुमने मुझे पहचाना? जब तुम छोटे थे, तो तुमने एक दिन तालाब से कुछ मछलियाँ निकाल कर मुझे खिलाई थीं। तुमने मेरी कई बार इस तरह मदद की है। मैं  हर बार खो जाता था और तुमसे ही टकराता था।"


  भालू को कुछ याद नहीं आ रहा था।  उसने सोचा कि इतने साल की बात है, शायद मैंने कभी उसकी मदद की थी।  भालू सोच ही रहा था कि तभी तक शेर बोला, “ठीक है, मैं चलता हूँ।  कोई जरूरत हो तो मुझे याद करना।  इतना कहकर शेर अपनी गुफा की ओर चला गया।


  भालू भी अपने घर चला गया, लेकिन शेर की बातें उसके दिमाग में घूम रही थीं।  चलो, उसने सोचा!  कोई ऐसा है जिससे हम बात कर सकते है ।


  अगले दिन शेर भालू से बातें करने लगा।  इसी तरह शेर धीरे-धीरे भालू से दोस्ती करने लगा।  एक दिन शेर ने भालू को अपने घर खाने पर बुलाया।


  इधर, रात के खाने के लिए आमंत्रित किए जाने पर भालू बहुत खुश था।  दूसरी तरफ शेर ने सोचा था कि किसी तरह वह भालू को खाना नहीं खाने देगा।  उसके मन में था कि मैं किसी को अपना भोजन क्यों करने दूं।  मैं एक ही थाली में खाना रख कर जल्दी से खत्म कर दूँगा।

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  रात को जब भालू आया तो शेर ने ऐसा ही किया।  वह थाली में खाना ले आया।  दोनों साथ में खाना खाने बैठे।  भालू बूढ़ा हो गया था, इसलिए वह आराम से खाने लगा।  फिर शेर तेजी से खाने लगा और देखते ही देखते खाना खत्म कर दिया।  भालू बहुत निराश हुआ।  शेर बोला, "यार, मैं तो ऐसे ही खाना खाता हूँ।"


  भालू उदास मन से अपने घर लौट आया।  अगले दिन चिड़िया ने भालू से पूछा, "क्या हुआ, तुम इतने उदास क्यों हो?"


  भालू ने रात को शेर के घर में हुई सारी बात बता दी।  चिड़िया ने हँसते हुए पूछा, “तुम्हें नहीं पता कि शेर कैसा है?  वह हमेशा सबसे दोस्ती करता है और फिर उनका फायदा उठाकर चला जाता है।  वह कभी किसी की मदद नहीं करते।  अब आप उसे किसी युक्ति से सबक सिखाइए।  यह कहकर चिड़िया वहां से उड़ गई।


  भालू ने भी निश्चय किया कि वह शेर को अवश्य ही सबक सिखाएगा।  इसी सोच के साथ भालू एक बार फिर शेर की मांद में चला गया।  वह उससे बेहद सामान्य तरीके से बात करता था।  उसने शेर को यह महसूस नहीं होने दिया कि उसे रात की बात का बुरा लग रहा है।


  दोनों बातें करने लगे।  छोटी सी बात में शेर ने भालू से पूछा, "मित्र, तुम अपना रोज का खाना कहाँ से लाते हो?"


  भालू ने शेर को शहद के बारे में बताया।  शेर ने शहद का नाम सुनते ही कहा, "मित्र, तुमने मुझे आज तक शहद नहीं चखाया।"


  यह सुनकर भालू के मन में आया कि अब उसे शेर को सबक सिखाने का मौका मिल गया है।  उसने कहा, “तुम शहद खाना चाहते हो?  इतनी - सी बात।  तुम रात को मेरे घर खाना खाने आना।  मैं तुम्हें मधु खिलाऊंगा।


  शेर बहुत खुश हुआ।  वह बेसब्री से रात होने का इंतजार करने लगा।  रात होते ही शेर तेजी से भालू की गुफा की ओर बढ़ा।


  शेर के आते ही भालू ने उसका स्वागत किया और बैठने को कहा।  इसके बाद भालू ने उसके घर का दरवाजा बंद कर दिया।

शेर ने पूछ पड़ा। तुम दरवाजा क्यों बंद करके रखे हो?


    भालू ने कहा: अगर किसी और को शहद की गंध आती है, तो वह यहां आएगा, उसके लिए दरवाजा बंद कर देना चाहिए।


    अब भालू एक छत्ता लाया, उसे शेर के सामने रख दिया और कहा कि इसमें शहद है।


    शेर ने जैसे ही अपना मुंह उसमें डाला, मधुमक्खियों ने उसे डंक मारना शुरू कर दिया।  उनका पूरा चेहरा सूजा हुआ था।  शेर जहां भी भागता, मधुमक्खियां उसके पीछे-पीछे जातीं।


    अंत में शेर ने भालू से पूछा।  "तुमने मुझे शहद खाने का तरीका क्यों नहीं बताया?"


    भालू बड़बड़ाया और जवाब दिया।


    शेर को एहसास हुआ कि भालू ने उससे बदला लिया है, इसलिए वह चुपचाप चला गया।


    इतिहास से सीखो


    शेर और भालू की कहानी से यही सीख मिलती है कि अगर आप किसी से मदद मांगते हैं तो उसकी मदद के लिए तैयार रहें।  यदि हम दूसरों का बुरा करेंगे तो हमारा भी बुरा होगा, क्योंकि कर्म किसी को नहीं बख्शते।

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