बहुत समय पहले की बात है, बिल्ली और कुत्ते की कहानी एक गांव में एक बिल्ली और एक कुत्ता रहते थे। दोनों अच्छे दोस्त थे लेकिन उनकी आदतें एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थीं। कुत्ता हमेशा वफादारी और मेहनत के लिए जाना जाता था, जबकि बिल्ली चालाक और थोड़ी स्वार्थी थी।
दोस्ती का आरंभ
एक दिन गांव के राजा ने घोषणा की कि जो कोई भी उनके खजाने से खोया हुआ सोने का सिक्का वापस लाएगा, उसे इनाम मिलेगा। बिल्ली और कुत्ते ने तय किया कि वे मिलकर इस काम को पूरा करेंगे।
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वे दोनों जंगल में खजाने की खोज में निकले। कुत्ता मेहनत से जमीन को खोदने लगा, जबकि बिल्ली पास बैठकर देखती रही। थोड़ी देर बाद कुत्ते ने सोने का सिक्का खोज निकाला। बिल्ली को सिक्का देखकर लालच आ गया।
धोखा
जब वे सिक्के को राजा के पास ले जाने के लिए तैयार हुए, तो बिल्ली ने चालाकी से कहा, "कुत्ते भाई, सिक्के को मेरे पास रख दो। मैं इसे संभाल लूंगी।" कुत्ते ने सोचा कि बिल्ली उसकी दोस्त है, इसलिए सिक्का उसे दे दिया।
रास्ते में बिल्ली ने बहाना बनाया, "मुझे पानी पीने जाना है। तुम यहीं रुको, मैं अभी आती हूं।" कुत्ते ने विश्वास कर लिया और वहीं इंतजार करने लगा। लेकिन बिल्ली सिक्का लेकर भाग गई और राजा के पास पहुंचकर दावा किया कि उसने इसे खोजा है।
सच सामने आया
जब कुत्ता राजा के दरबार में पहुंचा और सच्चाई बताई, तो राजा ने दोनों से पूछा कि सिक्का किसने खोजा। कुत्ते ने अपनी मेहनत की बात बताई, जबकि बिल्ली ने झूठ बोलना जारी रखा।
राजा ने निर्णय लिया कि दोनों का परीक्षण किया जाएगा। उन्होंने सिक्के को जमीन में छिपा दिया और दोनों से कहा, "जिसने इसे खोजा है, वही इसे फिर से ढूंढ लेगा।" कुत्ता तुरंत अपनी सूंघने की शक्ति का उपयोग करके सिक्का ढूंढ लाया। बिल्ली पकड़ी गई और उसकी चालाकी सबके सामने आ गई।
अंत में
राजा ने कुत्ते को इनाम दिया और बिल्ली को दंडित किया। उस दिन से कुत्ता वफादारी और मेहनत का प्रतीक बन गया, जबकि बिल्ली पर किसी का भरोसा नहीं रहा।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत और ईमानदारी का फल हमेशा मिलता है, जबकि चालाकी और धोखे से कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।